किस दिशा में प्राप्त होगी सफलता, जानिए अपनी कुंडली से | Future Point

किस दिशा में प्राप्त होगी सफलता, जानिए अपनी कुंडली से

By: Future Point | 01-Aug-2018
Views : 13109किस दिशा में प्राप्त होगी सफलता, जानिए अपनी कुंडली से

हम सभी के आसपास ऐसे हजारों उदाहरण भरे पड़े है जिसमें व्यक्ति दिन रात मेहनत करता है परन्तु उसे उसके सकारात्मक फल प्राप्त नहीं होते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को समझ नहीं आता कि वो क्या करें। इस विषय में कोई संदेह नहीं कि हम सभी व्यक्तियों के जीवन की सभी घटनाएं ग्रह और नक्षत्रों के द्वारा संचालित हैं।

इसी वजह से कुछ लोग जन्म से ही अपने मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा होते हैं। उन्हें कम प्रयास से भी अच्छी सफलता और उन्नति प्राप्त होती है। आपके लिए कौन सी दिशा आपके भाग्योदय की वजह बन सकती है। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि वास्तुशास्त्र के अनुसार आपके घर या आफिस की कौन सी दिशा आपके लिए शुभ फलदायक साबित हो सकती है।

दिशाओं की संख्या 10 है। इन दस दिशाओं में संतुलन का नाम ही वास्तुशास्त्र है। आपके लिए कौन सी दिशा लकी रहेगी, इसके लिए आपकी जन्मकुंड्ली में स्थित उस दिशा के स्वामी ग्रह की स्थिति का विचार किया जाता है। जन्मपत्री में दिशा स्वामी ग्रह की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आवश्यक उपाय और घर में बदलाव किए जाते है।

कुंड्ली में यदि दिशा स्वामी अनुकूल स्थित हों तो उपाय करने की आवश्यकता नहीं होती है। जैसे यदि जातक के विवाह की शुभ दिशा देखनी हो तो जातक की जन्मपत्री के सातवें भाव, सप्तमेश और कारक ग्रह की स्थिति देखनी होगी। इन तीनों में से जो ग्रह सबसे अधिक बलवान होगा, उस ग्रह की दिशा में विवाह तय होने के योग बनते हैं। इसी प्रकार यदि करियर से जुड़ा विषय देखना हो तो इसके लिए दशम भाव, दशमेश से संबंधित अनुकूल दिशा में से सबसे बली दिशा का निर्णय लिया जाता है।

आगे बढ़ने से पहले हम यह जान लेते हैं कि किस दिशा का स्वामित्व किस ग्रह को प्राप्त है?

सूर्य को पूर्व दिशा का स्वामित्व दिया गया है। चंद्र वायव्य दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंगल ग्रह दक्षिण दिशा, बुध उत्तर दिशा, गुरु ईशान अर्थात पूर्व-उत्तर दिशा, शुक्र दिशा आग्नेय, शनि पश्चिम दिशा का अधिकार क्षेत्र दिया गया है। इस प्रकार राहू-केतु छाया ग्रह होने के कारण शनि-मंगल की तरह कार्य करते हैं। ग्रहों की तरह ही राशियों को भी दिशाओं का स्वामित्व प्राप्त है।

जैसे- मेष, सिंह और धनु राशि पूर्व दिशा, वृष, कन्या और मकर राशि दक्षिण दिशा, मिथुन, तुला और कुम्भ राशि पश्चिम दिशा तथा कर्क, वृश्चिक एवं मीन राशि उत्तर दिशा के अंतर्गत आती हैं। हिंदू धर्म में धार्मिक क्रियाकलापों को विशेष महत्व दिया गया है। दिशाओं को ध्यान में रखते हुए भी अनेक धर्म-कर्म और आजीविका कार्य किए जाते हैं। ज्योतिष के अन्य विद्या वास्तु शास्त्र पूर्ण रुप से दिशाओं पर आधारित शास्त्र है। जिसमें प्रत्येक राशि किसी न किसी दिशा और प्रत्येक ग्रह भी किसी ने किसी दिशा का प्रतिनिधित्व करती है।

किसी भी व्यक्ति के जीवन में मिलने वाली सफलता में ग्रहों की भूमिका अहम होती हैं। इसलिए यदि घर और करियर स्थल का वास्तु अनुरुप हो तो व्यक्ति को सहज रुप से सफलता प्राप्त हो जाती हैं। यदि जन्मपत्री में शनि स्वराशिस्थ या उच्चस्थ होकर दशम भाव में स्थित हों तोइ व्यक्ति को ऐसे में पश्चिम दिशा में स्थित कार्यक्षेत्र में कार्य करना शुभ साबित होता है। यह दिशा वृषभ, कन्या और मकर राशि वालें के लिए भी अनुकूल साबित हो सकती हैं।

यदि कर्मभाव में सूर्य अथवा गुरु दोनों एक साथ या दोनों में से एक ग्रह हों तो जातक के लिए पूर्व दिशा शुभ फलदायक रहती है। जिन जातकों की जन्म राशि मीन, कर्क और वृश्चिक राशि हो ऐसे व्यक्तियों को पूर्व दिशा में अपने कार्य करने चाहिए। घर की इस दिशा के स्थान पर बैठ कर कार्य करने से कार्य सहजता से पूरे होते हैं और सफलता भी जल्द मिलती हैं।


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