उन्नति करना है तो कुंडली के भाग्य स्थान को करें मजबूत, बन जायेंगे भाग्यवान

By: Future Point | 06-Aug-2018
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उन्नति करना है तो कुंडली के भाग्य स्थान को करें मजबूत, बन जायेंगे भाग्यवान

हर कोई अपने जीवन में उन्नति करना चाहता है जिसके लिए हर कोई मेहनत करता है। लेकिन हमेशा मेहनत के अनुरूप फल नहीं मिलते। पर अगर मेहनत और पुरुषार्थ को भाग्य का साथ मिले तो व्यक्ति बहुत अधिक तरक्की कर सकता है।

कुछ लोग तो अपने मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होते हैं। उन्हें सभी सुख-सुविधाएं पहले से ही प्राप्त होती हैं इसलिए अपने जीवन में उन्हें धन, उन्नति, सफलता, मान-सम्मान सभी कुछ आसानी ले मिल जाता है। पर हर किसी की किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती। लेकिन अगर भाग्य आपका साथ दे तो आपके सभी प्रयास सफल रहते हैं। आपके बनते काम बिगड़ते नहीं हैं। यही कारण है कि लोग अपने भाग्य को मज़बूत करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। यहां इस लेख में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि वे कौन से उपाय हैं जिनसे आप अपने भाग्य को मज़बूत कर सकते हैं। लेकिन उससे पहले यह समझें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाग्य बली कब होता है?

भाग्योदय के ज्योतिषीय योग

  • जन्मपत्री का नवम भाव भाग्य भाव कहलाता हैं। जब जन्मपत्री में भाग्य भाव का संबंध भाग्येश से बन रहा हो तो व्यक्ति को भाग्यशाली कहा जाता है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में यह योग बन रहा होता है उन व्यक्तियों के कार्य सरलता से बनने लगते हैं। भाग्य का साथ मिले तो सब लोग जुड़ते हैं वरना सब दूर होते जाते हैं।
  • भाग्य भाव में यदि उच्च, वर्गोंतम ग्रह स्थित हों तब भी भाग्य बली होता है। जब भाग्य भाव के स्वामी या भाग्य भाव में स्थित ग्रहों की दशा प्रभावी हो तो व्यक्ति को कार्यों में भाग्य का साथ मिलता हैं।
  • जन्मपत्री में नवमेश अष्टम भाव में स्थित हों तो व्यक्ति को भाग्य का सहयोग नहीं मिलता है। बार-बार उसके जीवन में अनेक बाधाएं आती हैं।
  • षष्ठ भाव में नवमेश की स्थिति उच्चस्थ हो तो व्यक्ति पर कभी कर्ज़ नहीं रहता और विरोधी भी शांत रहते हैं। इस स्थिति का शुभ फल पाने क लिए नवमेश का रत्न धारण करने से बचना चाहिए।
  • नवमेश यदि चतुर्थ भाव में बली अवस्था में हों तो व्यक्ति को नवमेश का रत्न धारण करने से लाभ मिलता है। ऐसे में भाग्य का सहयोग प्राप्त होने से सफलता और उन्नति प्राप्त होती हैं। ऐसे व्यक्ति को ज़मीन-जायदाद का लाभ होता हैं और समाज में सम्मान मिलता है। माता को आदर देना ऐसे व्यक्ति को सुख और सम्मान देता है।
  • नवमेश के नीचस्थ होने पर व्यक्ति को कभी भी नवमेश का रत्न धारण नहीं करना चाहिए। इसके स्थान पर नवमेश से संबंधित वस्तुओं का दान करना चाहिए। परन्तु नवमेश का उच्चस्थ होने पर रत्न धारण करना चाहिए और नवमेश की वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।
  • धर्म भाव में गुरु ग्रह की स्थिति व्यक्ति को धार्मिक और कर्मवादी बनाती हैं। ऐसे व्यक्तियों को पुखराज (Pukhraj) रत्न धारण करने से यश और सुख की प्राप्ति होती हैं।
  • यदि भाग्य भाव में स्वराशिस्थ सूर्य या मंगल स्थित हों तो व्यक्ति को उच्च पद की प्राप्ति होती हैं। इस स्थिति में भाग्य को बेहतर करने के लिए रत्न धारण करने की जगह सूर्य व मंगल से जुड़े रंगों को अधिक से अधिक प्रयोग में लाना चाहिए।

भाग्य वृद्धि के उपाय

अगर भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा तो ज्योतिष के ये उपाय करें:

  • सुबह उठने पर सबसे पहले अपनी दोनों हथेलियों के दर्शन करने चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हथेलियों का दर्शन करने से धन, सम्मान, शिक्षा और सुख सभी प्राप्त होता है। साथ ही भाग्य भी चमकने लगता है। जिन व्यक्तियों को नौकरी में दिक्कतें आ रही हों या नौकरी नहीं मिल रही हो, ऐसे व्यक्तियों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए।
  • सुबह भगवान सूर्य के दर्शन और ताम्बे के पात्र में लाल रंग के फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करने से भी भाग्योदय होता है। भाग्य को बेहतर करने का यह अचूक और सरल उपाय हैं। यह उपाय आत्मविश्वास में भी सुधार लाता है।
  • किस्मत को मजबूत करने के लिए सूर्योदय से पूर्व उठें। स्नानादि से निवृत होकर ऐसे स्थान पर बैठ जाएं जहां से सूर्य देव के दर्शन होते हों। ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो। उगते हुए सूर्य के दर्शन करें। कुछ पल सूर्य को देखते रहें। इससे भाग्य और तेज दोनों में सुधार होगा।
  • वैदिक ग्रंथों के अनुसार घर में बने भोजन में से पशु (गौ माता) का हिस्सा अलग से निकाल कर रखना चाहिए। इसलिए घर में जब भी रोटी बने तो उसमें गाय के लिए अलग से रोटी निकाल लें और उसे खिलाएं। ऐसा नियमित तौर पर करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
  • लगातार सात मंगलवार हनुमान जी को चोला चढ़ाएं और हनुमान जी के बाएं पैर के सिंदूर से अपने माथे पर नित्य टीका लगाएं। ऐसा करने से आपका भाग्य आपका साथ देने लगेगा।

भाग्य वृद्धि के लिए राशिनुसार रत्न

प्रत्येक राशि पर अलग-अलग ग्रहों का प्रभाव होता है। कई दफा ग्रह-दोष के कारण भी व्यक्ति की किस्मत उसका साथ नहीं देती। इस समस्या का समाधान रत्न धारण करके किया जा सकता है। इसके लिए आप राशिनुसार इन रत्नों को धारण करें:

  • मेष (Aries): मेष राशि के जातकों को मूंगा (Moonga) या गारनेट का रत्न धारण करने से फायदा होगा। मेष राशि के जातक हीरा धारण करने से बचें।
  • वृष (Taurus): वृष राशि के जातक ओपल रत्न (Opal Stone) धारण कर सकते हैं। ओपल के अभाव में आप हीरा भी पहन सकते हैं। इस राशि के जातकों को माणिक्य या मूंगा रत्न न पहनने की सलाह दी जाती है।
  • मिथुन (Gemini): मिथुन राशि के जातकों को भाग्य का साथ पाने के लिए पन्ना (Emerald) पहनना चाहिए। इस राशि के जातकों को नीलम नहीं धारण करना चाहिए।
  • कर्क (Cancer): कर्क राशि के जातकों को मोती (Pearl) पहनने से लाभ होता है। इस राशि के जातक मूंगा धारण न करें।
  • सिंह (Leo): अगर सिंह राशि के जातक माणिक्य (Ruby), रेड ओपल (Red Opal) या गारनेट धारण करें तो उन्हें अपने कार्यों में सफलता मिलती है। जबकि हीरा पहनने से इन्हें नुकसान होता है।
  • कन्या (Virgo): इस राशि के जातकों को पन्ना (Emerald) धारण करने से लाभ होगा।
  • तुला (Libra): तुला राशि के जातक ओपल (Opal) या ब्लू टोपाज़ (Blue Topaz) पहन सकते हैं जबकि मूंगा पहनने से उन्हें नुकसान होगा।
  • वृश्चिक (Scorpio): वृश्चिक राशि के जातकों को मूंगा धारण करने से लाभ होगा। मूंगा के प्रभाव से आप अपने लक्ष्य को पा सकते हैं। इन्हें हीरा धारण करने से परहेज़ करना चाहिए।
  • धनु (Sagittarius): धनु राशि के जातकों के लिए पुखराज (Pukhraj) धारण करना शुभ होगा। इससे इनके भाग्य में वृद्धि होगी। जबकि पन्ना पहनना इनके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
  • मकर (Capricorn): मकर राशि का स्वामी शनि है इसलिए इन्हें नीलम (Sapphire) रत्न पहनना चाहिए। इस राशि के जातकों को पुखराज न पहनने की सलाह दी जाती है।
  • कुंभ (Aquarius): शारीरिक रूप से कमज़ोर होने के कारण इस राशि के जातकों को नीलम रत्न (Sapphire) धारण करना चाहिए। पुखराज पहनना इनके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
  • मीन (Pisces): पुखराज (Pukhraj) धारण करना इनके लिए शुभ होता है जबकि पन्ना पहनने से इन्हें नुकसान हो सकता है।

आप ये सभी रत्न फ्यूचर पॉइंट (Future Point) की एस्ट्रोशॉप (Astroshop) से प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे हर रत्न को धारण करने के अलग-अलग नियम हैं। इसलिए किसी भी रत्न को धारण करने से पहले हमारे एक्सपर्ट एस्ट्रोलॉजर की सलाह ज़रूर लें। इसके लिए आप हमारी सेवा Talk to Astrologer का प्रयोग कर सकते हैं।


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