शनि-गुरु: प्राकृतिक आपदाओं के सूचक – 2019 - 2020
By: Future Point | 18-Jun-2019
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वैदिक ज्योतिष के महान ॠषियों ने इस ज्योतिष विद्या के वट वॄक्ष को अपने अनुभव, ग्यान और अध्ययन साधना से सींचा। प्राकृतिक आपदा से अभिप्राय: सरल शब्दों में प्रकृति के नाराज होने के फलस्वरुप होने वाली हानि से है। यह ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप, भूस्खलन, चक्रवती तूफान, साईक्लोन समुद्री तूफान, जंगलों में आग आदि से है। प्रकॄति क्रोधित होने पर विकराल रुप धारण कर अपने तरीके से लोगों को सजा देती है, इसकी चपेट में असहाय और निर्दोष प्राणी भी आ जाते है। विश्व धरा में प्रकृति अपना खेल जब-जब आपदाओं के रुप में खेलती है, तो यह महाविनाश के रुप में सामने आता है। प्राकृतिक आपदाओं में जान और माल की हानि किसी से छुपी नहीं है। समय समय पर ऐसी विनाशकारी घटनाएं विश्व में कहीं न कहीं होती ही रहती है। ऐसा क्यों होता है, इसके ज्योतिषीय कारण क्या हैं? आज इस आलेख में हम इसी विषय पर प्रकाश डालेंगे- आईये इस स्थिति को समझने का प्रयास करते है।
13 नवंबर 1970 को भारतीय उपमहाद्विप के पूर्वी भाग में आने वाले एक चक्रवती तूफान ने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी, जिससे लगभग आधा मिलियन लोग प्रभावित हुए। भारत की आजादी के बाद आने वाले तूफानों में से यह एक था। इसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं मे से एक माना गया। जिस दिन यह घटना घटी, उस दिन का ग्रह गोचर इस प्रकार था।
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इंडिया की कुंडली का जन्म लग्न वॄषभ है। इस दिन चंद्र उच्चस्थ अवस्था में लग्न भाव पर गोचर कर रहा था। केतु चतुर्थ भाव, मंगल पंचम, सूर्य, गुरु और शुक्र छ्ठे भाव पर थे, बुध वॄश्चिक राशि में सप्तम भाव पर था। राहु दशम भाव में और शनि नीचस्थ अवस्था में द्वादश भाव/व्यय भाव में गोचर कर रहा था। इस ग्रह गोचर की यह विशेषता थी कि मारकेश और व्ययेश मंगल कुंडली के दूसरे मारकेश बुध के साथ राशि परिवर्तन योग बना रहे थे। चतुर्थेश सूर्य सुख भाव के स्वामी होकर नीचस्थ थे, त्रिक भाव षष्ट भाव में थे, और अकारक ग्रह गुरु के साथ युति संबंध में थे। यहां सूर्य को लग्नेश शुक्र का साथ प्राप्त हो रहा था। जिसे योगकारक शनि की नीच दॄष्टि व्यय भाव से प्राप्त हो रही थे। इस प्रकार पिता सूर्य और पुत्र शनि आपने सामने समसप्तक योग में थे। बॄहस्पति तुला राशि में था और नीचस्थ शनि से पीडित था। यहां शनि व्यय स्थान में स्थिति है, नीचस्थ भी हैं, परन्तु ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस लग्न के लिए शनि अधिक अशुभकारी ग्रह नहीं होते हैं। इसके विपरीत गुरु ग्रह बहुत अधिक अशुभ होते हैं, इसका कारण गुरु का आयेश और अष्टमेश होकर त्रिक भाव में स्थित होना है।
त्रिक भाव के स्वामी जब दूसरे त्रिक भाव में स्थित हो तो अशुभता को बढ़ाते हैं। अष्टमेश का षष्ठ भाव में स्थित हो पीड़ित होना, बहुत बड़े विनाश का सूचक है। किसी भी देश के लिए यह स्थिति सुखद नहीं कही जा सकती है। और अनुभव में पाया गया है कि जब भी शनि-गुरु समसप्तक होते हैं, या युति संबंध में होते हैं तो प्राकॄतिक आपदाओं के आने का कारण अवश्य बनते है। खास बात यह है कि इस योग में सूर्य की क्रूरता, और मंगल के अष्टम दृष्टि भी शनि को प्राप्त हो रही है। केतु भी शनि को यहां पंचम दॄष्टि से प्रभावित कर इस अशुभता को बढ़ा रहे है। इस प्रकार शनि ग्रह पर पांच ग्रहों का अशुभ प्रभाव प्राप्त हो रहा है। लग्नेश शुक्र का रोग भाव में गोचर करना, देशहित में घटनाओं के ना आने का सूचक रहा। ग्रह गोचर इस प्रकार का बना हुआ था कि, इस दिन आने वाला चक्रवाती तूफान का विनाश सदैव के लिए अविश्वमरणीय हानि देकर चला गया।
गुरु-शनि मेष राशि में युति संबंध
- 2000 में गुरु-शनि मेष राशि में युति संबंध में थे। इस समय यूएस में गंभीर सूखे ने पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान के साथ फसलों को प्रभावित किया। इस सूखे ने जंगलों को सीमित कर दिया और नदियां सूख गई।
- 1999-2000 में मेष राशि में शनि-बृहस्पति के गोचर के समय, 29 अक्टूबर, 1999 को विनाशकारी सुपर चक्रवात ने तबाही मचाई। चक्रवात से हजारों लोग प्रभावित हुए और हजारों लोग मारे गए। इस दिन शनि गुरु की युति को सूर्य की दॄष्टि प्राप्त हो रही थी।
- तुर्की को 01 अगस्त 1999 को शक्तिशाली भूकंप आया। उस समय भी गोचर में शनि और गुरु मेष राशि में युति संबंध में थे। इस भूकंप ने हजारों लोगों की जान ली।
- दिसंबर 1999 में वेनेजुएला को भारी बारिश और बाढ़ से भारी आपदा का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 20,000 लोगों की मृत्यु हुई। गुरु-शनि मेष राशि में युति में थे इस दिन।
- फरवरी-मार्च 2000 के दौरान 5 सप्ताह तक भारी वर्षा के कारण लिम्पोपो नदी में भयंकर बाढ़ से मोजाम्बिक बाढ़ की चपेट में आ गया और कई लोगों को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा। इस समय गुरु-शनि गोचर में मेष राशि में युति संबंध में थे।
- 1941 में बृहस्पति-शनि के मेष राशि में एक साथ आने के दौरान चीन भयंकर अकाल से प्रभावित रहा। आपदा से लगभग कई मिलियन लोग प्रभावित हुए।
गुरु कर्क और शनि मकर राशि - समसप्तक योग
- दिसम्बर 1990 में जिस समय गुरु अपनी उच्च राशि और शनि स्वराशि मकर में गोचर कर रहे थे, उस समय दोनों ग्रह एक दूसरे से समसप्तक योग में आपने सामने थे, अपने दॄष्टि प्रभाव से दोनों एक दूसरे को पूर्ण रुप से प्रभावित कर रहे थे, उस समय भारतीय उपमहाद्वीप को एक घातक आपदा का सामना करना पड़ा था। इसी युति के फलस्वरुप 30 अप्रैल, 1991 को एक भयानक चक्रवात ने तटीय बांग्लादेश को तबाह कर दिया था, जिसमें लगभग 250,000 लोग प्रभावित हुए।
- 9 मई, 1961 को पूर्वी पाकिस्तान में भयंकर तूफान आया, जिससे 11,000 से अधिक लोगों का जीवन नष्ट हो गया। इस घटना के समय शनि मकर राशि और गुरु शनि के साथ मकर राशि में ही गोचर कर रहे थे। दोनों अंशों में भी निकटतम थे। दोनों ग्रहों पर नीच के मंगल के सातवीं दॄष्टि आ रही थी, जो इस विनाश को बड़ा कर रही थी।
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शनि वृषभ - गुरु वृश्चिक राशि - समसप्तक योग
1971 में लाल नदी में मूसलाधार बारिश के कारण भयंकर बाढ़ की स्थिति बनी और इससे भारी आबादी वाले क्षेत्र और, फसलों की भारी बर्बादी हुई। आपदा से लगभग 100,000 लोग प्रभावित हुए। वृष राशि में घट्ना के समय शनि वृषभ - गुरु वृश्चिक में समसप्तक योग में थे। शनि की तीसरी दॄष्टि केतु पर और राहु की पंचम दॄष्टि शनि पर आ रही थी, राहु की दॄष्टि में मंगल का अशुभ प्रभाव में सम्मिलित था। यहां केतु भी अपनी पंचम दॄष्टि से गुरु को पीडित कर रहा था।
शनि सिंह - गुरु कुंभ राशि - समसप्तक योग
- 1950-1951 में दक्षिण-पश्चिमी अमेरिका और न्यू मैक्सिको क्षेत्र भयंकर सूखे से बुरी तरह प्रभावित रहा। इस समय शनि सिंह राशि और गुरु कुम्भ राशि में आपने सामने होकर समसप्तक योग बना रहे थे।
- 15 अगस्त 1950 को असम राज्य में भूकंप आया। भूकंप की तीव्रता 8।7 थी, जिसमें भारी तबाही हुई और जीवन को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। इस दिन ग्रह गोचर में गुरु कुम्भ, शनि सिंह राशि में थे, और एक दूसरे से समसप्तक योग में थे। गुरु की नवम दॄष्टि मंगल पर आ रही थी।
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गुरु और शनि दोनों वृष राशि में युति
- 100 वर्षों में कनाडा में सबसे खराब और बड़ा सूखा 2001 से 2002 के मध्य रहा। सूखे के आरम्भ के समय में गुरु-शनि दोनों एक साथ वॄषभ राशि में एक साथ थे। इस सूखे ने बड़े पैमाने पर फसलों और जनजीवन को प्रभावित किया।
- 2001 में ही ग्रीष्मकालीन सूखे ने मध्य अमेरिका को बहुत प्रभावित किया, जिससे फसल को भारी नुकसान हुआ।
- वृषभ राशि में शनि और बृहस्पति की युति के समय में ही 26 जनवरी, 2001 को गुजरात भुज में विनाशकारी भूकंप आया, जिससे महाविनाश हुआ और 10000 से अधिक जानें गई। भारत देश के पूर्वी राज्य गुजरात के भुज में आने वाले इस भूकंप के समय की ग्रह स्थिति इस प्रकार थी। गुरु-शनि शुक्र की वॄषभ राशि में गोचर कर रहे थे, जिन्हें शुक्र की ही दूसरी राशि तुला में स्थित मंगल की आठवीं दॄष्टि प्रभावित कर रही थी। वॄषभ राशि इंडिया (भारत वर्ष) की लग्न राशि है, और लग्न भाव शरीर का भाव है। इस भाव के पीडित होने पर बड़ी अशुभ घटना घटित होने के योग बनें।
- 1941 में पेरू में एक बड़ी आपदा आने पर भी शनि और बृहस्पति एक साथ थे। एक विशाल ग्लेशियर का टुकड़ा झील में गिर गया जिससे ऊंची लहरें पैदा हुईं जो मोराइन की दीवारों को तोड़कर हुअर्ज सिटी को जलमग्न कर गईं। आपदा से भारी क्षति हुई और लगभग 5000 मौतें हुईं। इस घटना के समय गुरु-शनि दोनों एक साथ मेष राशि में गोचर कर रहे थे।
- 17 सितंबर, 1989 के दिन प्रीटा नाम के भूकंप ने अमेरिका में तबाही मचाई, इस दिन गुरु मिथुन राशि और शनि धनु राशि में गोचर में समसप्तक योग बना रहे थे। एक दूसरे से सातवें भाव में स्थित होने के कारण एक दूसरे के फलों को प्रभावित कर रहे थे।
- 20 जून, 1990 को अमेरिका के अलावा ईरान में भी बड़ा भूकंप आया जिससे भारी तबाही हुई और 40000 लोग प्रभावित हुए। गोचर में गुरु-शनि समसप्तक थे, गुरु मिथुन और शनि धनु राशि में था।
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शनि कन्या - गुरु मीन राशि - समसप्तक योग
- जापान को अपनी सबसे बड़ी आपदा का सामना 11 मार्च, 2011 को करना पड़ा जब प्रशांत महासागर तट पर ९।० तीव्रता का बड़ा भूकंप आया। इस भूकंप ने बड़ी तबाही की। परमाणु संयंत्र को गंभीर क्षति हुई, जिससे विकिरण का रिसाव हुआ और 15883 लोगों की जान चली गई। शनि कन्या राशि और गुरु मीन राशि में समसप्तक योग में गोचर कर थे थे। मंगल की आठ्वीं दॄष्टि शनि पर आ रही थी।
- 25 अप्रैल 2011 को संयुक्त राज्य अमेरिका में भयानक बवंडर आया, जिसमें 353 लोगों की मौत और बड़े स्तर पर तबाही हुई। घटना के समय में गुरु मीन राशि में बुध, शुक्र और मंगल के साथ थे, सामने सातवें भाव में शनि कन्या राशि में गोचर कर रहे थे। शनि मंगल भी इस दिन आपने सामने थे। यह योग भी जानमाल की हानि का सूचक होता है।
- 2010 को फिलीपींस में माउंट ज्वालामुखी फट गया जिससे बहुत नुकसान हुआ और जानमाल की हानि हुई। गोचर में शनि गुरु सामने सामने थे।
- 3 सितंबर, 2010 को न्यूजीलैंड में शक्तिशाली भूकंप से व्यापक तबाही हुई। इस दिन भी गोचर में शनि गुरु समसप्तक थे।
- जुलाई-अगस्त 2010 में पाकिस्तान को सबसे बड़ी बाढ़ का सामना करना पड़ा जिसमें क्षेत्रों में भारी तबाही हुई और सैकड़ों लोगों की जान चली गई।
- 20 मई से 10 जून, 2010 में मध्य यूरोप और पोलैंड को विनाशकारी बाढ़ ने प्रभावित किया।
- 12 जनवरी, 1962 को कैलिफोर्निया में आने वाली बढ़ने भारी तबाही की, इस समय शनि गुरु के साथ मकर राशि में गोचर कर रहे थे, शनि गुरु की युति को केतु और बुध का साथ प्राप्त हो रहा था।
गुरु-शनि धनु राशि युति
- 22 मई, 1960 को ग्रेट चिली में 9।5 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप की तीव्रता बहुत अधिक थी, इसलिए इससे होने वाली हानि भी बड़ी थी। भूकंप के फलस्वरुप भूस्खलन और सुनामी लहरों के कारण 25 मीटर ऊँची लहरें उठी और 6000 से अधिक लोग मारे गए। इस समय गुरु-शनि की युति धनु राशि में हो रही थी।
- 29 फरवरी 1930 को मोरक्को में बड़ा भूकंप आया, इससे बहुत तबाही हुई और लगभग 15000 लोग मारे गए।
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आ सकती है बड़ी प्राकॄतिक आपदा
उपरोक्त विवेचन और उदाहरण यह स्पष्ट करते हैं कि जब भी गोचर में शनि और गुरु आपने सामने आते हैं या शनि गुरु की युति किसी राशि में होती है तो वह अवधि प्राकृतिक आपदाओं के आमंत्रण का कारण बनती हैं, जिसका परिणाम मानव जाति को भारी विनास के रुप में झेलना पड़ता है। वर्तमान में गुरु 29 मार्च 2019 से शनि के साथ धनु राशि में गोचर कर रहे थे। इस अवधि में आने वाली प्राकृतिक आपदा फोनी चक्रवात तूफान के रुप में देखा गया। इसने भारत के समुद्री तटों पर भारी तबाही मचाई। 29 मार्च 2019 को हुई इस युति का असर 31 मार्च को ही देखने में आ गया। 31 मार्च को सीरिया के हासाका इलाके में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति बनी जिससे 45,000 लोग प्रभावित हुए हैं। 23 अप्रैल को ट्रॉपिकल साइक्लोन केनेथ ने मेडागास्कर के उत्तर, मोजाम्बिक चैनल के उत्तर, और अल्दाबरा एटोल के पूर्व में तबाही मचाई। इस चक्रवात ने 747,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए।
फोनी नाम का उष्णकटिबंधीय चक्रवात बांग्लादेश और भारत को प्रभावित कर गया। इससे भारत के कई राज्य भी प्रभावित हुए, और इस चक्रवात से होने वाली तबाही का हिस्सा बनें। 24 जनवरी 2020 तक, जब तक शनि और गुरु एक ही राशि में रहेंगे, तब तक की समयावधि प्राकृतिक विनाश की बड़ी वजह बन सकती है। 07 मई 2019 से लेकर 22 जून 2019 के मध्य समय में मंगल भी इस युति संबंध पर अपनी दॄष्टि से प्रभावित कर बड़े विनाश की वजह बन सकती है। इस अवधि में राहु-मंगल साथ साथ होंगे ऐसे में आग से जुड़ी आपदाएं, बड़े पैमाने पर अग्नि से जान-माल की हानि होने और जगह जगह आग लगने के योग बनते है. यह स्थिति २२ जून तक रह सकती है. सावधानी बनाए रखना, श्रेयस्कर रहेगा।
मार्च 30, 2020 से लेकर 29 जून 2020 और 19 नवम्बर 2020 से लेकर 05 अप्रैल 2021 के मध्य इन गुरु-शनि की युति मकर राशि में रहेगी, गुरु क्योंकि धन, आर्थिक स्थिति के कारक ग्रह है और शनि कष्ट, आपदाओं और काल के कारक ग्रह हैं, इस स्थिति में मकर राशि में दोनों का एक साथ होना प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त आर्थिक बाजार में रिकार्ड गिरावट जिसे वैश्विक रुप से आर्थिक आपदा का नाम दिया जा सकता है. इस प्रकार की आपदाओं के भयंकर रुप में आने का सूचक बन रहा है। इस समय में विश्व भर में बड़े पैमाने पर वित्तीय संकट, आर्थिक गिरावट और संसेक्स के रिकार्ड स्तर से गिरने के प्रबल योग बना रहा है। ऐसे में धन निवेश से बचना लाभकारी रहेगा। इससे पूर्व भी जब गुरु शनि मकर राशि में एक साथ आए थे तो कुछ इसी तरह की स्थिति देखने में आई थी।