मोदी जी का शपथ ग्रहण : कैसा रहेगा कार्यकाल ?
By: Future Point | 17-Jun-2019
Views : 6836
17वीं लोकसभा के चुनाव समाप्त हो गए। 23 मई 2019 को चुनावों के परिणाम भी आ गए और 30 मई 2019 को मोदी जी ने 17वीं लोकसभा के प्रधानमंत्री पद की शपथ भी ले ली। इसी के साथ मोदी जी एक बार फिर से अपने दूसरे कार्यकाल की जंग लड़ने के लिए तैयार हो गए। शपथ लेने के बाद नरेंद्र दामोदर मोदी जी विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के प्रधानंत्री पद पर आसीन हो गए।
नरेंद्र मोदी जी ने 2014 से 2019 तक का अपना प्रधानमंत्री पद का सफर कई उतार चढ़ावों के साथ तय किया। पिछले पांच साल के कार्यकाल के दौरान मोदी जी की कई बातों के लिए आलोचना हुई। जिसमें पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम, कश्मीर घाटी में अशांति, मोदी का अचानक से पाकिस्तान जाना, कालेधन पर सरकार फेल, बेरोजगारी का मुद्दा, नोटबंदी, गंगा परियोजना, आदर्श ग्राम योजना फेल, नेपाल से बिगड़ते रिश्ते, सुकमा नक्सली हमला, पुलवामा अटैक सुरक्षा चूक जैसे विषय थे। कुछ ऐसे विषय भी थे जिनके लिए मोदी जी की हर जगह प्रशंसा की गई। जिनमें बढ़ती जीडीपी ग्रोथ की, ऑटोमोबाइल बिक्री वॄद्धि, एयरलाइंस में लाभ दर, प्रत्यक्ष कर नीति, हाईवे निर्माण, महंगाई दर में कमी, स्वच्छ भारत अभियान, स्किल इंडिया अभियान, विदेशी राष्ट्रों से सुधरते संबंध, एयर स्ट्राईक आदि। इस सरकार को कुछ मुद्दे जो आज भी है वो विरासत स्वरुप प्राप्त हुए है। अपनी दूसरे कार्यकाल के प्रारम्भ के साथ ही नरेंद्र मोदी जी को कृषि, नौकरी के क्षेत्र, अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, राम मंदिर मुद्दा, कश्मीर धारा मुद्दा, अरुणाचल प्रदेश में चीन का बढ़ता प्रभाव, बंगाल की राजनैतिक व्यवस्था को बनाए रखना, जिसमें आंतरिक और सबसे बड़ा मुद्दा हाफिज सैयद की गतिविधियों पर रोक लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है। प्रचंड बहुमत के साथ मोदी जी सत्तारुढ़ हो रहे है।
मोदी जी को यह प्रचंड बहुमत क्यों हासिल हुआ? यह जानने के लिए सबसे पहले मोदी जी की कुंड़ली का अध्ययन करते हैं-
मोदी जी कुंडली विश्लेषण
2014 में फ्यूचर समाचार पत्रिका ने एक आलेख में यह भविष्यवाणी की थी कि मोदी जी 2019 में भी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। इस भविष्यवाणी का आधार शनि की साढ़ेसाती था। चुनाव के समय शनि मोदी जी की जन्मराशि से द्वादश भाव पर गोचर कर रहे थे, यह इनकी जन्मराशि पर साढ़ेसाती का प्रथम चरण था, अत: तनाव, संघर्ष और परेशानियों का समय भी था, परन्तु शनि साढ़ेसाती में इन सब परेशानियों के साथ साथ सफलता भी देते है। वही शनि ने इन्हें दिया। साल 2019 के चुनावों के समय शनि इनकी जन्मराशि से द्वितीय भाव पर गोचरस्थ है और 2020 के प्रारम्भ तक रहेंगे। इसलिए इस समय में भी इनके प्रधानमंत्री बनने के प्रबल योग बन रहे थे। जिस प्रकार के योग और संभावनाएं थी, उसी प्रकार के परिणाम 23 मई 2019 को देखने में सामने आयें। इसके बाद 2024 में चुनाव होने हैं और इन चुनावों के समय शनि मोदी जी की कुंडली के चंद्र से चतुर्थ भाव, कुम्भ राशि पर गोचर कर रहा होगा। जन्मराशि से शनि का गोचर चतुर्थ भाव पर होने के समय इनकी जन्मराशि पर शनि की ढ़ैय्या प्रभावी होगी। शनि की ढैय्या में भी इन्हें शुभ और अनुकूल फल प्राप्त होने के योग बन रहे है। संभव है कि शनि इन्हें दूसरी बार ही नहीं तीसरी बार भी प्रधानंत्री बनने के अवसर प्रदान कर दें। वर्तमान में शनि जन्मराशि से इनके द्वितीय भाव पर गोचर कर रहा हैं और जाता हुआ शनि बहुत कुछ देकर जाता है, इस शनि की शुभता ने इन्हें प्रचंड बहुमत के साथ एक बार फिर से इन्हें प्रधानमंत्री बनाया। गोचर में शनि जब वक्री होकर चंद्र के अंशों के निकट आए उस समय यह अप्रत्याशित घटना घटित हुई।
अगले दो से तीन साल मोदी सरकार के लिए बहुत अच्छे रहने वाले हैं। इस अवधि में तरक्की, उन्नति और सफलता प्राप्ति के लिए पूर्ण योग बन रहे हैं। इस समयावधि में शासन व्यवस्था उत्तरोत्तर वृद्धि करने वाली रहेगी। कोई बड़ी परेशानी आने की संभावनाएं नहीं बन रही है।
शनि मकर राशि में 2020 में गोचर करेंगे उस समय में शनि मोदी जी की कुंड्ली के पराक्रम भाव पर गोचर कर रहे होंगे, यह समय हमारे पडोसी देशों के लिए बहुत अच्छा नहीं रहेगा। इस समय में पडौसी शांत होकर मित्रता स्वीकार करेगें। शनि का तीसरे भाव पर स्वराशि पर गोचर करने के समय में पडौसियों से रिश्ते बेहतर होने और विवाद शांत होने के योग बन रहे है।
मोदी जी 2019 से लेकर 2024 के मध्य के अपने 5 साल के उत्कृष्ठ प्रदर्शन के बाद तीसरी बार भी अपनी विजय पताका फैराने में सफल हो सकते है। 2024 से आगे का इनका कार्यकाल भारत वर्ष के लिए स्वर्णिम युग होगा। उस समय में नियोजित योजनाओं पर कार्य पूर्ण होगा और भारत का प्रचार-प्रसार एवं विकास तीव्र गति से होगा।
भारत वर्ष
भारत वर्ष की जन्मपत्री पर शनि इस समय अष्ट्म भाव पर गोचर कर रहे हैं, इसलिए इस समय की योजनाएं बाधित होने के बाद पूर्ण हो रही है, परन्तु 2024 के चुनाव के समय शनि भारत की कुंड्ली के दशम भाव पर गोचर कर रहे होंगे और वहां से शनि चतुर्थ भाव जिसे समाज का भाव, आमजन का भाव और लोकसेवा के भाव से भी जाना जाता है, इस भाव को दृष्टि देकर सक्रिय करेंगे। इस स्थिति में तरक्की, जनकल्याण के कार्य और सामाजिक कार्य पूर्ण होंगे। अगले साल 2020 में शनि जब मकर राशि में प्रवेश कर जायेंगे उस समय शनि की स्थिति भारत वर्ष की कुंडली के नवम भाव पर होगी, नवम भाव पर स्थित हो शनि धार्मिक मुद्दों को हल करने में सहयोग करेंगे और इस अवधि में राममंदिर निर्माण बनने के योग बनते है। विशेष बात यह है कि इस समय गुरु धनु और मकर राशि में होंगे और शनि स्वराशि के होने के कारण अपना पूर्ण शुभ फल देने में समर्थ होंगे। यही वह समय होगा जब धारा 370 और 35 A जैसे मसलों का भी समाधान निकलेगा। इन मसलों का हल निकलने में किसी भी प्रकार की दिक्कत आने के योग बनी बन रहे हैं। 2020 में दिल्ली चुनाव के समय में ग्रह गोचर के योग शुभ बने हुए है, अत: इस चुनाव के परिणाम मोदी सरकार के पक्ष में अनुकूल आने के बन रहे है। यह चुनाव शनि का गोचर मकर राशि में होने के समय होंगे, इसलिए उस समय भी शनि की शुभता का फल मोदी जी को अवश्य मिलेगा।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या मोदी जी अपने कार्यकाल में इतने सारे मुद्दों को हल कर पायेंगे? इसका विश्लेषण आज हम मोदी जी जी शपथ ग्रहण कुंडली से कर रहे हैं-
कुंडली शपथ ग्रहण समारोह
30/05/2019, 19:02, दिल्ली
गौधूली बेला, अपरा एकादशी और सर्वार्थसिद्धि जैसे शुभ मुहुर्त में मोदी जी ने 19:02 से लेकर 19:12 के मध्य अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ ली। इस समय बन रहे शुभ योगों और शुभ मुहुर्त के समय को सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त समय कहा जा सकता है। वृश्चिक लग्न, तुला नवमांश और वृश्चिक दशमांश में यह कार्य पूर्ण किया गया। शपथ ग्रहण के समय वॄश्चिक लग्न, मीन राशि, बुध का रेवती नक्षत्र प्रभावी था। रेवती नक्षत्र में कार्यकाल शुरु होने के फलस्वरुप लोकतंत्र के स्थापना के कार्य होंगे, नियमों-सिद्धांतों का पालन होगा, प्राचीन सांस्कॄतिक धरोहरों, एतिहासिक मुद्धों को सुलझाने के प्रयास होंगे। विग्यान का साथ लेकर शोध, तकनीक और नई सोच को स्थान दिया जाएगा। यह नक्षत्र इनके विदेश में अधिक रहने के योग बन रहे है। कला, साहित्य और गणित से जुड़े क्षेत्रों का प्रचार-प्रसार और विकास होगा। पंचमेश और धनेश गुरु वक्री अवस्था में लग्न भाव में स्थित होकर सुंदर धन योग बना रहे हैं।
सत्ता कारक ग्रह सूर्य दशमेश हैं और केंद्र भाव में आयेश बुध के साथ बुद्ध आदित्य योग का निर्माण कर शुभ है। कुंडली में भाग्येश चंद्र त्रिकोणेश होकर नवम-पंचम योग बनाकर पंचम भाव में स्थित है। यह योग अतिशुभ और प्रगति उन्नति का सूचक है। द्वितीय भाव शनि-केतु की स्थिति और राहु-मंगल का प्रभाव कश्मीर धारा 370, 37 A जैसे विवादों को नियमानुसार सुलझाने के प्रयास किए जायेंगे। इस योग में चतुर्थेश और तॄतीयेश शनि का होना शत्रु पडौसी देशों की भूमिका भी इसमें अहम बना रहा है। नवमेश चंद्र का पंचम भाव में होना और गुरु से दृष्ट होना भारत को विश्व गुरु होने के मार्ग पर अग्रसर कर रहा है। पंचमेश गुरु का लग्नस्थ होने के कारण इस समयावधि में शिक्षा, मनोरंजन, फिल्म जगत, शेयर बाजार, प्रशिक्षण क्षेत्रों में बेहतर नीतियां सामने आयेंगी और कार्य भी होगा। व्यय और विदेश भाव अपने स्वामी शुक्र से दॄष्ट होने के कारण बल प्राप्त कर सक्रिय हो रहा है, इस योग के फलस्वरुप व्ययों पर नियंत्रण, विदेश आवागमन नीतियों का सरलीकरण किया जाएगा। व्ययेश का रोग भाव में स्थित होना, चिकित्सा, अस्पताल, ॠण नीतियों पर नए कानून आना और कार्य होने की संभावनाएं बना हा है।
शुक्र का छ्ठे भाव में स्थिति होटल, सेवा क्षेत्र और रख-रखाव के क्षेत्रों में नई नौकरियों और सेवा क्षेत्रों का विकास होने के प्रबल योग बना रहा है। कुम्भ राशि पर शनि की दॄष्टि और केतु का पंचम दृष्टि से व्ययेश को देखना, एयरपोर्ट, रेलवे और यातायात के साधनों, मार्गों में सुधार और नई सुविधाओं से युक्त बनाएगा। अचल संपत्ति के कारक ग्रह मंगल का अष्टम भाव में राहु के साथ होना, अल्पसंख्यकों के हितों के मुद्दे, अचल संपत्तियो में हानि और नुकसान के योग बना रहा है। कृषि, नौकरी के क्षेत्र, अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और सामाजिक सहमति से समस्याओं का निवारण होगा। अष्ट्म भाव में आयेश की राशि आने और आयेश का दशमेश के साथ होने से काले धन से जुड़े मामलों के भी हल निकालें जाने के योग बन रहे है। आय नीतियों में सुधार आवश्यक होगा, और ऋण दीर्घकालीन रहेंगे। कुल मिलाकर यह कार्यकाल सफल, उन्नतिशील और प्रगतिशील रहेगा।
शपथ ग्रहण के साथ ही इनके कार्यकाल को एकादशेश बुध की महादशा और चतुर्थेश शनि की अंतर्दशा प्राप्त हुई। एकादशेश बुध अपनी महादशा में आय वृद्धि, आर्थिक उन्नति संबंधित नीतियों पर कार्य होगा। अंतर्दशानाथ क्योंकि शनि है इसलिए नौकरियों, रोजगार और हस्तकारिगरों के उत्थान के लिए कार्य होने के योग बन रहे है। नौकरी के नये अवसर तलाशे जाने की भी संभावनाएं यहां बन रही है।
उपरोक्त योग, मुहुर्त और ग्रह स्थिति यह कहती है कि मोदी सरकार अपना शासनकाल सफलतापूर्वक पूरा करेगी, और अपनी शर्तों पर कार्य करेगी, इसके साथ ही इसकी छवि जनमानस के मन-मस्तिष्क पर पहले से अधिक गहरी होगी। मोदी जी की कुंड्ली में बन रहे रुचक जैसे पंचमहापुरुष योगों की शुभता का सहयोग भी मोदी जी को प्राप्त होगा।