सावन में रुद्राभिषेक: घर पर करें भगवान शिव की विशेष पूजा और मंत्रों के साथ अभिषेक | Future Point

सावन में रुद्राभिषेक: घर पर करें भगवान शिव की विशेष पूजा और मंत्रों के साथ अभिषेक

By: Future Point | 29-Jul-2025
Views : 144सावन में रुद्राभिषेक: घर पर करें भगवान शिव की विशेष पूजा और मंत्रों के साथ अभिषेक

सावन (श्रावण) का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत पावन और शुभ माना जाता है। यह महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना का सबसे उत्तम समय है। सावन के दौरान भगवान शिव की भक्ति में जुटना, उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करना और विशेष रूप से रुद्राभिषेक करना भक्तों के लिए एक सौभाग्य और आशीर्वाद का विषय होता है।

रुद्राभिषेक क्या है?

रुद्राभिषेक भगवान शिव की एक खास पूजा विधि है, जिसमें शिवलिंग पर विभिन्न पवित्र वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है। "रुद्र" भगवान शिव का एक रूप है, जो क्रोधी, तेजस्वी और विनाशक के रूप में विख्यात हैं। "अभिषेक" का अर्थ है जल, दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल और अन्य पवित्र पदार्थों से शिवलिंग का स्नान करना। यह कर्म न केवल शिव जी की पूजा है, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि का भी एक माध्यम है।

 

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सावन में रुद्राभिषेक का महत्व

Sawan माह में शिव जी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। रुद्राभिषेक से न केवल शिवजी प्रसन्न होते हैं, बल्कि भक्त के मन और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है। माना जाता है कि सावन में किए गए रुद्राभिषेक के फल दशगुणित होते हैं। यह कार्य जीवन की हर बाधा, रोग, मानसिक तनाव और आर्थिक संकट से मुक्ति दिलाता है।

घर पर रुद्राभिषेक कैसे करें ?

घर पर रुद्राभिषेक करने के लिए आपको कुछ आवश्यक सामग्री की आवश्यकता होती है। सावधानी और श्रद्धा के साथ पूजा की तैयारी करनी चाहिए।

आवश्यक सामग्री:

  • शिवलिंग (अगर आपके पास प्राकृतिक शिवलिंग न हो तो किसी अच्छे शिवलिंग की मूर्ति भी इस्तेमाल कर सकते हैं)
  • गंगाजल या शुद्ध जल
  • दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल (पांच अभिषेक सामग्री)
  • बेलपत्र (भगवान शिव का प्रिय पत्ता)
  • फूल (सफेद, बिल्वपत्र के फूल सबसे शुभ)
  • धूप और दीपक
  • कपूर और अगरबत्ती
  • चंदन का लेप या चूर्ण
  • खण्ड और चावल
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर)
  • फल और मिठाई भोग के लिए
  • लाल कपड़ा (पूजा स्थल सजाने के लिए)
  • मंत्रोच्चार के लिए 'मंत्र पुस्तिका' या मोबाइल पर मंत्र

रुद्राभिषेक की विधि

1. शुद्धि और स्थल तैयारी: सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें। एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और शिवलिंग को उसके ऊपर स्थापित करें। ध्यान रखें कि पूजा के दौरान आपके मन में केवल शिव जी की भक्ति हो।

2. पूजन प्रारंभ: धूप और दीपक जलाएं। कपूर की आग जलाएं और शिवलिंग के सामने अग्नि प्रज्वलित करें। मन में एकाग्रता बनाएं और निम्न मंत्रों का उच्चारण करें।

3. पंचामृत अभिषेक: शिवलिंग पर धीरे-धीरे दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। प्रत्येक अभिषेक के बाद मंत्रों का जाप करें। पंचामृत से अभिषेक करने का फल अत्यंत शुभ माना जाता है।

4. जल अभिषेक: पंचामृत के बाद गंगाजल या शुद्ध जल से शिवलिंग पर स्नान करें। यह स्नान शुद्धि का प्रतीक होता है।

5. बेलपत्र अर्पण: भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें। यह उनके लिए अत्यंत प्रिय माना जाता है और शुभ फल देता है।

6. फूलों से पूजा: शिवलिंग को सफेद फूलों से सजाएं। फूलों के साथ भजन-कीर्तन या शिव मंत्र का जाप करें।

7. मंत्रों का जाप: रुद्राभिषेक के दौरान 'महा Mrityunjaya मंत्र', 'रुद्र मंत्र' और 'ओम नमः शिवाय' जैसे शक्तिशाली मंत्रों का जाप करना चाहिए।

 

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रुद्राभिषेक के दौरान पढ़े जाने वाले प्रमुख मंत्र

1. महामृत्युंजय मंत्र
"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||"
यह मंत्र रोगों और भय से मुक्ति दिलाता है। इसे अभिषेक के समय तीन या अधिक बार पढ़ना शुभ रहता है।

2. रुद्र मंत्र (शिव मंत्र)
"ॐ नमः शिवाय"
यह शिव जी का प्रमुख मंत्र है, जो शांति और शक्ति प्रदान करता है।

3. ऋग्वेद के रुद्र सूक्त मंत्र
रुद्राभिषेक के दौरान इन मंत्रों का जाप शिव जी को प्रसन्न करता है और भक्त के जीवन में समृद्धि लाता है।

सावन 2025 में इन बातों का विशेष ध्यान रखें-

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा करें।
  • पूजा करते समय शांत और साफ मन रखें।
  • उपवास रखना संभव हो तो सावन सोमवार या शिवरात्रि के दिन उपवास करें।
  • पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें और जरूरतमंदों को दान दें।
  • हर सोमवार और पूरे सावन महीने में रुद्राभिषेक का महत्व बढ़ जाता है।

सावन में किस दिन करें रुद्राभिषेक?

सावन 2025 की शुरुआत सोमवार, 7 जुलाई 2025 से हुई थी और इसका समापन मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को होगा। इस दौरान रुद्राभिषेक करने के लिए श्रावण मास की शिवरात्रि और प्रथम सोमवार का विशेष महत्व होता है।

रुद्राभिषेक के लिए सर्वोत्तम तिथि:

  • श्रावण शिवरात्रि: 1 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
  • अंतिम सोमवार: 4 अगस्त 2025

शुभ मुहूर्त:

रुद्राभिषेक का सबसे शुभ समय प्रातःकाल या ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:00 से 6:00 बजे के बीच) माना जाता है। यदि संभव न हो, तो अभिषेक प्रातः 6:00 बजे से 9:00 बजे तक अवश्य करें। सोमवार को रुद्राभिषेक के साथ सावन सोमवार व्रत भी करें तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।

रुद्राभिषेक करते समय किन बातों का रखें ध्यान?

  • शिवलिंग पर हल्दी न चढ़ाएं – हल्दी भगवान विष्णु को प्रिय है, शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना वर्जित माना गया है।
  • टूटा बेलपत्र न चढ़ाएं – सिर्फ साफ और त्रिदलीय बेलपत्र का उपयोग करें।
  • शिवलिंग को कभी भी पोंछें नहीं – अभिषेक के बाद उसे खुद सूखने दें।
  • चढ़ाए गए जल को उपयोग में न लें – यह जल पवित्र होता है, इसे तुलसी या पेड़ में अर्पित कर दें।

रुद्राभिषेक के लाभ

  • सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • मानसिक तनाव और चिंता कम होती है।
  • जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • पारिवारिक कलह समाप्त होता है।
  • आर्थिक संकट दूर होते हैं।
  • भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की उन्नति होती है।

रुद्राभिषेक का पड़ता है सकारात्मक प्रभाव 

Sawan 2025 का यह महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए उत्तम अवसर है। रुद्राभिषेक करने से न केवल शिवजी प्रसन्न होते हैं, बल्कि आपका जीवन भी सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। यदि आप घर पर ही भगवान शिव की विशेष पूजा और मंत्रों के साथ अभिषेक करना चाहते हैं, तो उपरोक्त विधि का पालन करें। ध्यान रखें कि पूजा में मन की एकाग्रता और श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण है।

भगवान शिव की भक्ति और उनके आशीर्वाद से आपका जीवन सुख, शांति और सफलता से परिपूर्ण हो। सावन के पवित्र माह में हर सोमवार और विशेष अवसरों पर रुद्राभिषेक अवश्य करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।