रत्‍न पहनने से पहले जान लें इससे जुड़ी जरूरी बातें

By: Future Point | 02-Nov-2018
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रत्‍न पहनने से पहले जान लें इससे जुड़ी जरूरी बातें

ज्‍यो‍तिषशास्‍त्र के अनुसार रत्‍न धारण करने का बहुत महत्‍व होता है। रत्‍नों में ऐसी ऊर्जा होती है जो हमारे जीवन के संकटों को दूर करने में मदद करती है। हर रत्‍न में एक प्रकार की ऊर्जा होती है जो हमारे आसपास की नकारात्‍मक शक्‍तियों का नाश करके सकारात्‍मक ऊर्जा का प्रवाह करती है।

हर व्‍यक्‍ति की जन्‍मकुंडली में कुछ ग्रह कमजोर तो कुछ बलवान होते हैं। अशुभ एवं कमजोर ग्रहों को मजबूती देने के लिए रत्‍न धारण करने की सलाह दी जाती है। पृथ्‍वी पर मनुष्‍य की समस्‍याओं के उपायों में से एक रत्‍न धारण करना भी है। रत्‍न धारण करने की प्रक्रिया में कुछ बातों का ध्‍यान रखना भी जरूरी होता है वरना ये आपको फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

तो चलिए जानते हैं रत्‍न धारण करते समय आपको क्‍या सावधानियां रखनी चाहिए।

  • हमेशा किसी विश्‍वसनीय या रत्‍नों के जानकार से ही रत्‍न खरीदना चाहिए। कोई अनजान व्‍यक्‍ति आपको अधिक दाम में नकली या अशुद्ध रत्‍न दे सकता है। असली और नकली रत्‍न देखने में काफी समान होते हैं इसलिए इनमें अंतर कर पाना मुश्किल होता है।
  • किसी भी रत्‍न को धारण करने से पूर्व उससे संबंधित ग्रह की स्थिति का अपनी जन्‍मकुंडली में आंकलन जरूर करवा लें। ग्रह के विरोधी रत्‍न को कभी धारण नहीं करना चाहिए जैसे कि रूबी के साथ नीलम, हीरा, मोती के साथ मूंगा, नीलम, हीरा, पन्‍ना, गोमेद, लहसुनियां और पुखराज के साथ हीरा, पन्‍न्‍ना, गोमेद एवं मूंगा।
  • आपको कब कौन-सा रत्‍न धारण करना है इसलिए कुंडली का सूक्ष्‍म परीक्षण होना जरूरी होता है। कुंडली में नवमांश, ग्रहों का बल, दशा और महादशा का अध्‍ययन करने के बाद ही रत्‍न पहना जाता है।
  • रत्‍न धारण करने से पूर्व उनकी उपयुक्‍त विधि जरूर जान लें। विधि अनुसार धारण किया गया रत्‍न अधिक लाभ पहुंचाता है।
  • रत्‍न को अंगूठी में जड़वाते समय इस बात का ध्‍यान रखें कि उसका नीचे का तला खुला होना चाहिए और रत्‍न हल्‍का सा नीचे की ओर निकला होना चा‍हिए ताकि वो आपकी त्‍वचा को स्‍पर्श कर सके। त्‍वचा पर रत्‍न के स्‍पर्श से ही उससे संबंधित ग्रह की ऊर्जा आपकी उंगली से शरीर में स्‍थानां‍तरित होती है।
  • रत्‍न को कभी भी किसी भी महीने की 4, 9 और 14 तारीख को धारण नहीं करना चाहिए।
  • अमावस्‍या, ग्रहण एवं संक्रांति के दिन रत्‍न धारण करना शुभ नहीं रहता है।
  • रत्‍न को हमेशा सुबह के समय पहनना चाहिए। दोपहर में पहना गया रत्‍न शुभ नहीं रहता है।
  • किसी भी व्‍यक्‍ति के हाथ से निकाला गया रत्‍न नहीं पहनना चाहिए। ना ही अपना पहना हुआ रत्‍न किसी को देना चाहिए।
  • एक बार रत्‍न को धारण करने के बाद उसे बार-बार उतारना नहीं चाहिए।
  • यदि रत्‍न में कोई खरोंच या टूट - फूट हो तो उसे धारण ना करें।
  • अधिक समय तक रत्‍न पहनने से उसका रंग फीका पड़ने लगता है इसलिए सीमित समय के बाद रत्‍न को बदल देना चाहिए।

अगर आप भी रत्‍न धारण करना चाहते हैं तो उससे जुड़ी इन बातों का जरूर ध्‍यान रखें वरना आपको रत्‍न का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाएगा। रत्‍न धारण के नियमों का ध्‍यान रखना बहुत जरूरी है।


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