कुंडली में कैसे बनता है कालसर्प दोष और क्या हैं इसके उपाय
By: Future Point | 12-Oct-2018
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जन्मकुंडली में ग्रहों की शुभ और अशुभ स्थिति के कारण कई योग बनते हैं जिनमें से कुछ हमें सुख प्रदान करते हैं तो कुछ हमारी बर्बादी का कारण बन जाते हैं। ऐसे ही कुछ योगों में से एक है कालसर्प योग जिसे सामान्य भाषा में कालसर्प दोष भी कहा जाता है। ये योग कुंडली के जिस भी हिस्से में बनता है उसके प्रभाव को निष्क्रिय कर देता है।
कैसे बनता है कालसर्प योग
राहु और केतु के बीच जब सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस दोष से पीडित जातक को अपने जीवन में कई तरह की परेशानियां देखने को मिलती हैं। इनके प्रयासों को भी कोई विशेष सफलता नहीं मिल पाती है।
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कालसर्प दोष के प्रकार
कालसर्प दोष 12 प्रकार का होता है और इसकी हर श्रेणी के अनुसार इसका प्रभाव कम या ज्यादा होता है। कालसर्प दोष के 12 प्रकार हैं – अनंत कालसर्प योग, कुलिक कालसर्प योग, वासुकि कालसर्प योग, शंखपाल कालसर्प योग, पदम कालसर्प योग, महापदम कालसर्प योग, तक्षक कालसर्प योग, कारकोटक कालसर्प योग, शंखचूड़ कालसर्प योग, विषधर कालसर्प योग, शेषनाग कालसर्प योग और विषधर कालसर्प योग।
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कालसर्प दोष का प्रभाव
कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा एवं तनाव का सामना करना पड़ता है। प्रयास करने के बावजूद इस दोष के कारण कार्यों में असफलता मिलती है। संतान प्राप्ति में भी इस दोष की वजह से अवरोध उत्पन्न होते हैं। घर में क्लेश रहना, शारीरिक विकलांगता, मानसिक दुर्बलता और नौकरी में परेशानियां बनी रहती हैं।
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कालसर्प दोष दूर करने के उपाय
- अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो रोज़ शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।
- कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए नागपंचमी के दिन व्रत रखें।
- अपने घर में मोर का पंख रखें एवं अपने कुल देवता की उपासना करें।
- इस दोष से पीडित जातक को रोज़ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का 108 बार जाप करें। मंगलवार और शनिवार के दिन रामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ करने से भी लाभ होगा।
- ‘ऊं नागदेवताय नम:’ मंत्र का जाप करें।
- भगवान शिव के किसी ऐसे मंदिर जाएं जहां शिवलिंग या शिव की मूर्ति पर नाग ना हो। सोमवार के दिन पूजा के बाद शिवलिंग पर धातु का नाग चढ़ाएं।
- किसी शुभ मुहूर्त में कालसर्प दोष निवारण यंत्र की स्थापना करें और रोज़ इसकी पूजा करें।
- नियमित 45 दिनों तक पक्षियों को जौ के दाने डालें।
- अपनी सामर्थ्यानुसार चांदी या सोने का नाग-नागिन का जोड़ा खरीदें। इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस उपाय से भी कालसर्प दोष की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
अगर आपकी जन्मकुंडली में कालसर्प दोष बन रहा है तो घबराएं नहीं, उपरोक्त बताए गए उपायों से आप इस दोष की पीड़ा को शांत कर सकते हैं। कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए कालसर्प दोष निवारण पूजा भी करवाई जाती है। इस पूजा में कालसर्प दोष उत्पन्न करने वाले ग्रहों को मंत्रों द्वारा शांत किया जाता है।
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ज्योतिषशास्त्र में मनुष्य की हर पीड़ा और दोष का निवारण है। ज्योतिषीय उपायों की सहायता से कालसर्प दोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है।