क्या कहती है आपकी नवमांश कुंडली, जानें विवाह और करियर के बारे में

By: Future Point | 17-Feb-2022
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क्या कहती है आपकी नवमांश कुंडली, जानें विवाह और करियर के बारे में

नवमांश कुंडली (Navmansh Kundli) का ज्योतिष शास्त्र में बड़ा महत्व माना गया है। यह सभी वर्ग कुंडलियों में से सबसे अहम मानी जाती है। जन्म कुंडली के बाद ज्योतिषी जिस वर्ग कुंडली का सबसे अधिक अध्ययन करते हैं वह नवमांश कुंडली ही है। लग्न कुण्डली शरीर को एवं नवमांश कुण्डली आत्मा को निरुपित करती है। केवल जन्म कुण्डली से फलादेश करने पर फलादेश समान्यत सही नहीं आता। पराशर संहिता के अनुसार जिस व्यक्ति की जन्म कुन्डली एवं नवांश कुण्डली में एक ही राशि होती है तो उसका वर्गोत्तम नवमांश होता है वह शारीरिक व आत्मिक रूप से स्वस्थ होता है। इसी प्रकार अन्य ग्रह भी वर्गोत्तम होने पर बली हो जाते है एवं अच्छा फल प्रदान करते है। अगर कोई ग्रह जन्म कुण्डली में नीच का हो एवं नवांश कुण्डली में उच्च को हो तो वह शुभ फल प्रदान करता है जो नवांश कुण्डली के महत्त्व को प्रदर्शित करता है। नवमांश का ज्योतिष शास्त्र  में क्या महत्व है और इससे आपके जीवन के बारे में क्या पता चलता है इसके बारे में आज हम अपने इस लेख में चर्चा करेंगे।

नवमांश एक राशि के नौवें भाग को कहते है जो 3 अंश 20 कला का होता है। 3 अंश 20 कला को यदि हम नौ बार जोड़ते हैं तो 30 डिग्री पूरी हो जाती है और इसी 30 डिग्री की एक राशि होती है। आप एक फार्मूला लगाकर नवमांश निकालना आसानी से सीख सकते हैं। जैसे (मेष मकर तुला कर्क) मेष में पहला नवमांश मेष का, दूसरा नवमांश वृष का, तीसरा नवमांश मिथुन का, चौथा नवमांश कर्क का, पाचवां नवमांश सिंह का, छठा कन्या का, सातवाँ तुला का, आठवाँ वृश्चिक का और नवमां नवमांश धनु का होता है। नवम नवमांश में मेष राशि की समाप्ति होती है और वृष राशि में पहला नवांश मेष राशि के आखरी नवांश से आगे होता है। इसी तरह वृष में पहला नवमांश मकर का, दूसरा कुंभ का, तीसरा मीन का और इसी क्रम में आगे राशियों के नवमांश ज्ञात किए जाते है। वैसे तो नवमांश कुंडली से ग्रहों के बल उनके शुभ अशुभ का ज्ञान किया जाता है और मुख्य रूप से वैवाहिक जीवन का विचार किया जाता है। यदि बिना नवमांश कुंडली देखे केवल लग्न कुंडली के आधार पर ही फल कथन किया जाए तो फल कथन में त्रुटियां रह जाती हैं और कभी कभी फल कथन गलत भी हो जाता है। क्योंकि कई बार जन्मकुंडली में जो ग्रह उच्च का होता है नवमांश कुंडली में बो ग्रह नीच का हो जाता है या जन्मकुंडली में जो ग्रह नीच का होता है नवमांश कुंडली में बो ग्रह उच्च का हो जाता है जिस कारण ग्रहों के फल में अंतर आ जाता है। नवमांश कुंडली में ग्रह कैसे योग बना रहे है यह देखना अत्यंत आवश्यक है तभी ग्रहो के बल आदि की ठीक जानकारी प्राप्त होती है।

नवमांश कुंडली देती है जानकारी -

इस वर्ग कुंडली से व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। आपका दांपत्य जीवन कैसा होगा और उसमें आपको क्या-क्या परेशानियां आ सकती हैं इसकी जानकारी भी नवमांश से पता चलती है। इसके साथ ही व्यवसायिक जीवन में आपको किस तरह के फल प्राप्त होंगे, आपकी दैनिक आय कैसी रहेगी इसकी भी जानकारी मिलती है। आपके प्रतिद्वंदियों और शत्रुओं के बारे में भी इस वर्ग कुंडली से पता चलता है। यह कुंडली आपके जीवन में होने वाली अशुभ घटनाओं के बारे में भी बताती है। इसीलिए जन्म कुंडली के साथ-साथ नवमांश कुंडली को देखना भी बहुत अहम माना गया है।

वर्गोत्तम कुंडली -

यदि कोई ग्रह लग्न कुंडली और नवमांश में एक ही राशि में विराजमान है तो उसे वर्गोत्तम माना जाता है। वर्गोतम होने पर ग्रह निम्नलिखित फल देते हैं।

सूर्य वर्गोत्तम- यदि सूर्य ग्रह वर्गोत्तम है तो व्यक्ति को प्रतिष्ठा और सम्मान की प्राप्ति होती है।

चंद्रमा वर्गोत्तम- चंद्र ग्रह के वर्गोत्तम होने पर व्यक्ति शालीन होता है और उसकी स्मरण शक्ति भी अच्छी होती है।

मंगल वर्गोत्तम- मंगल के वर्गोत्तम होने पर व्यक्ति में उत्साह की अधिकता और नेतृत्व की क्षमता देखी जाती है।

बुध वर्गोत्तम- बुध का वर्गोत्तम होना व्यक्ति को बुद्धिमान और तार्किक बनाता है।

बृहस्पति वर्गोत्तम- गुरु के वर्गोत्तम होने से व्यक्ति ज्ञानी और सम्मान प्राप्त करने वाला बनाता है।

शुक्र वर्गोत्तम- शुक्र व्यक्ति को सौंदर्य और कलाप्रेमी बनाता है।

शनि वर्गोत्तम- शनि के वर्गोत्तम होने से व्यक्ति न्यायप्रिय और लापरवाह होता है।

नवमांश कुंडली (Navmansh Kundali) से प्रेम विवाह की जानकारी -

कई बार देखा गया है कि लग्न कुंडली में प्रेम विवाह के योग न होने के बावजूद भी व्यक्ति का प्रेम विवाह हो जाता है। ऐसी स्थिति में नवमांश कुंडली पर नजर डालना अति आवश्यक है। नवमांश कुंडली में यदि सप्तमेश और नवमेश की युति या संबंध बन रहा है तो प्रेम विवाह की संभावना प्रबल हो जाती है। इसके अलावा लग्न में शुक्र यदि अच्छी स्थिति में नहीं है लेकिन नवमांश कुंडली (Navmansh Kundali) में यह उच्च का है तो प्रेम विवाह हो सकता है। इसके साथ कई अन्य पक्ष भी हैं जिनमें लग्न कुंडली में विवाह की अनुकूलता न होने के बावजूद भी नवमांश कुंडली में ग्रहों के अच्छे संयोजन के कारण प्रेम विवाह फलित हो जाता है।

वैवाहिक जीवन में नवमांश कुंडली की अहमियत -

इस वर्ग कुंडली से मुख्य रूप से आपके विवाह और वैवाहिक जीवन की ही जानकारी मिलती है। लग्न कुंडली में यदि आपके वैवाहिक जीवन के कारक ग्रह और भाव प्रतिकूल हैं लेकिन नवमांश में यदि यह अनुकूल हैं तो वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बना रहता है। इसके साथ ही नवमांश से आपके जीवनसाथी के व्यवहार और आदतों के बारे में भी काफी कुछ जानकारी मिल जाती है।

करियर और शिक्षा के बारे में भी जानकारी देती है नवमांश कुंडली -

वैवाहिक और प्रेम जीवन के साथ ही आपकी शिक्षा और करियर के बारे में भी यह कुंडली जानकारी देती है। लग्न में आपके शिक्षा और करियर के भाव के स्वामी की स्थिति कैसी भी हो लेकिन नवमांश में यदि यह शुभ है तो आपके शिक्षा और करियर में भी शुभता बनी रहेगी।  नवमांश तीन तरह के होते हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया है।

देव नवमांश और इसकी गणना-

 ज्योतिष विद्वानों के अनुसार एक, चार और सात नवमांश को देव नवमांश कहा जाता है। देव नवमांश 3 डिग्री 20 कला, 10 डिग्री से लेकर 13 डिग्री 20 कला, 20 डिग्री से 23 डिग्री 20 कला तक माना जाता है। इस नवमांश को शुभ माना जाता है देव नवमांश वाले जातकों को अच्छा जीवनसाथी तो मिलता ही है साथ ही इनका वैवाहिक जीवन भी अच्छा होता है। ऐसे लोगों में सात्विक गुण पाए जाते हैं। इन लोगों को धार्मिक क्रिया कलापों में रुचि होती है और यह न्यायप्रिय भी होते हैं। सभी तीनों नवमांशों में यह सबसे ज्यादा शुभ माना गया है।

नर नवांश और इसकी गणना-

द्वितीय, पंचम और अष्टम नवमांश को नर नवमांश कहा जाता है। इस नवमांश वाला जाता अत्यधिक महत्वकांक्षी माना जाता है। ऐसे लोगों में ऊर्जा की अधिकता देखी जाती है और अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से यह हर लक्ष्य को पाने की क्षमता रखते हैं। साथ ही यह सहनशील होते हैं। सामाजिक स्तर पर भी इनका मान सम्मान होता है और यह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की कोशिश भी करते हैं।  यह 3 डिग्री 20 कला से 6 डिग्री 40 कला, 13 डिग्री 20 कला से 16 डिग्री 40 कला और 23 डिग्री 20 कला से 26 डिग्री 20 कला तक माना जाता है।

राक्षस नवमांश और इसकी गणना-

तृतीय, षष्ठम और नवम नवमांश को राक्षस नवमांश कहा जाता है। यह 6 डिग्री 40 कला से 10 डिग्री, 16 डिग्री 40 कला से 20 डिग्री और 26 डिग्री 40 कला से 30 डिग्री का माना गया है। इस नवमांश को तमोगुण से युक्त माना जाता है। ऐसे लोग स्वार्थी होते हैं और खुद से ज्यादा किसी को अहमियत नहीं देते। ऐसे लोगो अपने इच्छाओं को पूरा करने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकते।


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