गणेश चतुर्थी 2025: जानें 2025 में पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व
By: Future Point | 22-Aug-2025
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भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता हैं। उनके सम्मान में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का त्योहार इस साल 27 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त, समय और आध्यात्मिक महत्व जानें।
भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं। उनके जन्मोत्सव के रूप में गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे भारत में श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। वास्तव में यह त्योहार एक ऐसा संगम है, जहां आस्था परंपरा से मिलती है और भक्ति उल्लास में घुलती है। घर -घर में गणेशजी का स्वागत बड़ी धूमधाम से होता है। भगवान के आगमन को लेकर घरों में खास तैयारियां होती हैं।
इस साल यानी 2025 में गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जा रही है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है। पहले दिन इसकी शुरुआत घर पर बप्पा की प्रतिमा की स्थापना से होती है। वहीं चतुर्दशी यानी 10 दिन बाद विसर्जन कर दिया जाता है। फ्यूचर पॉइंट (Future Point) में गणेश चतुर्थी 2025 के अवसर पर पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताया गया है।
गणेश चतुर्थी की शुरुआत
पंचांग के अनुसार, इस साल गणेश चतुर्थी की शुरुआत 26 अगस्त 2025 को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट पर हो रही है। यह तिथि अगले दिन यानी 27 अगस्त को सुबह 3 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। बता दें कि हिंदू परंपरा में त्योहारों की तिथि उदय कालीन तिथि के अनुसार तय होती है, इसलिए 27 अगस्त को गणेश उत्सव पूरे धूमधाम से मनाया जाएगा।
गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त 2025 में
इस साल भगवान गणेश की स्थापना और पूजा के लिए मध्यकाल का विशेष मुहूर्त तय किया गया है। इस दिन सुबह 11:05 से लेकर दोपहर 1:40 बजे तक का समय गणपति स्थापना के लिए शुभ है। हिंदू मान्यता के अनुसार, दोपहर का समय गणेश पूजा के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्री गणेश का जन्म इसी काल में हुआ था। इसलिए इस समय की गई पूजा शुभ और फलदायी होती है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
आध्यात्मिक महत्व - भगवान गणेश बुद्धि, सफलता और समृद्धि के देवता हैं। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन पूजा करने से घर परिवार और जीवन में खुशहाली आती है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन अगर सच्चे मन से पूजा की जाए, तो जीवन में आ रही बाधा दूर होती है। उनके आशीर्वाद से न केवल हर काम में सफलता मिलती है, बल्कि जीवन में अच्छा खासा संतुलन भी बना रहता है।
ऐतिहासिक महत्व- बहुत कम लोग जानते हैं, कि गणेश चतुर्थी का ऐतिहासिक महत्व भी है। बता दें कि लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ब्रिटिश शासन के दौरान सार्वजनिक पर्व के रूप में इसे शुरू किया था। वे धार्मिक भावनाओं के जरिए लोगों को एकजुट करना और सामाजिक एकता को बढ़ावा देना चाहते थे।
सांस्कृतिक महत्व - गणेश चतुर्थी का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत है। आजकल यह त्योहार केवल पूजा पाठ तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी बन चुका है। इस अवसर पर न केवल गली मोहल्लों में पंडाल सजाए जाते हैं, बल्कि कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।
घर पर भगवान गणेश की पूजा कैसे करें
घर पर गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाना बेहद आसान है। चूंकि यह पर्व लोगों की सच्ची श्रद्धा और आस्था से जुड़ा है, इसलिए सबसे पहले गणपति बप्पा का नाम लें।
बेहतर होगा अगर अपने दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच और ऊर्जा के साथ करें।
इस दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और नए व साफ कपड़े पहनें।
इसके बाद घर में किसी शांत जगह गणपति के लिए स्टेज डेकोरेट करें और यहां भगवान की प्रतिमा को स्थापित करें।
ध्यान रखें कि जगह साफ और फूलों से सजी हुई हो।
पूजन सामग्री में मोदक, दूर्वा घास, नारियल, फल, धूप, केसर , हल्दी, पान के पत्ते, कपूर, लाल कपड़ा, आम के पत्ते, दीपक, रोली, अक्षत, मिठाई और ताजे फूल रख लें।
अब सबसे शुद्ध पानी से मूर्ति पर छीटें दें। रोली से मिलक करें।
दीपक जलाएं। गणेश जी को फल, फूल , नारियल और मिठाई अर्पित करें।
शुद्ध पानी से मूर्ति पर छीटें दें।
आरती करें और फिर दोनों हाथ जोड़कर भगवान गणेश से मन की बात कहें और आशीर्वाद लें।
गणेश विसर्जन 2025
गणेश विसर्जन 2025 के 10 दिन के उत्सव का समापन 6 सितंबर 2025 अनंत चतुर्दशी के दिन होगा। यह दिन जितना भव्य होता है, उतना ही भावुक भी। ढोल नगाड़ों की धुन, डांस और मंत्रोच्चारण के साथ बप्पा को विदाई देते समय सभी की आंखें नम होती हैं। लोग प्रतिमा को सजी हुई झांकियों और रथों पर बिठाकर विसर्जन स्थल तक ले जाते हैं। रास्ते भर अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारों से वातावरण गूंज उठता है।
गणेश चतुर्थी पर प्रभावशाली मंत्र
“ओम गं गणपतये नमः”
यह गणेशजी का मूल मंत्र है। पूजा के बाद आप 11 या 21 बार इसे जपें
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा”
अगर किसी काम में सफलता चाहिए, तो आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा यह मंत्र भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा जाता है।
गणेश चुतुर्थी पर चंद्र दर्शन वर्जित क्यों हैं
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखना वर्जित माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर लेता है, तो उसे मिथ्या दोष लग सकता है यानी उस पर झूठे आरोप लग सकते हैं। व्यक्ति ऐसे काम में फंस सकता है, जो उसने कभी किया ही न हो। गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन से बचना हमें सिखाता है कि अहंकार और उपहार से बचना चाहिए।
मिथ्या दोष से बचने के लिए मंत्र
यदि कोई व्यक्ति गलती से चंद्रमा देख ले , तो उसे सिंह नक्षत्र में श्री गणेश की कथा पढ़नी चाहिए। साथ ही गणेश पूजा कर क्षमा मांगनी चाहिए। ऐसा करने से मिथ्या दोष का असर कम हो जाता है। आप चाहें, तो “प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः, सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमंतका” मंत्र का जाप कर सकते हैं। यह इस दोष से मुक्ति पाने का अच्छा उपाय है।
घर में गणेश मूर्ति की स्थापना के टिप्स
वास्तु के अनुसार, भगवान गणेश की सफेद रंग की मूर्ति खरीदना शुभ होता है। वहीं आप चाहे तो अच्छे भगय के लिए सुनहरे रंग की मूर्ति भी स्थापित कर सकते हैं।
ध्यान रखें कि मूर्ति की सूंड बाईं दिशा में मुड़ी होनी चाहिए।
आप घर में चांदी, मिट्टी, लकड़ी क्रिस्टल और गाय के गोबर से बनी गणेश प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं। ये दुख और नकारात्मकता को दूर करती है।
बप्पा की मूर्ति को हेमशा मेन गेट के पास रखें। इससे समृद्धि आती है।
घर में रखी जाने वाली गणेश की मूर्ति बैठे या लेटी मुद्रा में होनी चाहिए।-
कोशिश करें कि गणपति की प्रतिमा उत्तर दिशा में रखी जाए। इसे एक मंच या सिंहासन बनाकर ही स्थापित करना चाहिए।