हिंदू धर्म में कैसे रखा जाता है बच्चे का नाम
By: Future Point | 04-Sep-2018
Views : 10623
हिंदू धर्म में ज्योतिषशास्त्र के आधार जन्मकुंडली में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति देखने के बाद शिशु का नाम रखा जाता है। इस प्रक्रिया को नामकरण संस्कार कहते हैं। नामकरण जो है वो दो शब्दों नाम और करण से मिलकर बना है। नाम का अर्थ तो ज्ञात ही है अर्थात् संस्कृत में करण का अर्थ होता है सृजन यानि की नाम का सृजन करना। परिवार के सभी सदस्यों की उपस्थिति में शिशु का नामकरण संस्कार पूरा किया जाता है।
नामकरण संस्कार
शिशु के जन्म के 11 या 12 दिन के पश्चात् उसके नामकरण संस्कार की रीति की जाती है इस संस्कार में पंडित जी द्वारा शिशु के जन्म के समय के ग्रह-नक्षत्रों को देखकर नाम रखा जाता है। जन्मकुंडली के आधार पर पंडित जी शिशु के नाम का पहला अक्षर बताते हैं और फिर परिवार के सभी सदस्य मिलकर उस अक्षर के अनुसार अपनी-अपनी पसंद का नाम रखने की सलाह देते हैं। जो नाम सबसे अच्छा होता है उसे ही शिशु के लिए रख लिया जाता है।
जन्म के बाद किसी भी शुभ दिन पर मुहूर्त में नामकरण संस्कार किया जाता है। शिशु के जन्म के बाद यह पहला कार्यक्रम होता है।
कैसे किया जाता है नामकरण संस्कार
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नामकरण संस्कार एक छोटी पूजा होती है जिसमें माता-पिता अपनी गोद में शिशु को लेकर बैठते हैं। घर के बाकी सदस्य और परिवार जन भी इस पूजा में शामिल होते हैं। पूजन करने वाले पंडित जी बच्चे की राशि अनुसार एक अक्षर बताते हैं जिससे बच्चे के माता-पिता और अन्य सदस्य मिलकर एक नाम चुनते हैं। माता-पिता चुने गए नाम को बच्चे के कान में बोलते हैं। इस तरह नामकरण संस्कार की प्रक्रिया पूरी होती है। इस दिन बच्चे को जो नाम मिलता है वही उसके साथ जीवनभर रहता है।
क्यों जरूरी है नामकरण संस्कार
परिवार में शिशु को कई लोगों से प्यार मिलता है और ये सभी लोग उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं जैसे कि छोटू, गोलू आदि और धीरे-धीरे यही नाम बच्चे का पड़ जाजा है। बड़े होने पर उसी नाम से बच्चे को पुकारा जाता है। राशि के अनुसार रखे गए नाम से बच्चे को बुलाने से उसके जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और बच्चे को अपने भाग्य का साथ भी मिल पाता है।
नाम चुनने की प्रक्रिया
कई बार बच्चों को बड़ा होने पर अपना नाम पसंद नहीं आता है। आजकल अधिकतर लोग अपने बच्चे का नाम रखने के लिए इंटरनेट की मदद लेते हैं। यहां पर आसानी से उस अक्षर के ढेरों नाम मिल जाते हैं जो बच्चे की राशि से मेल खाते हों। इसके अलावा बच्चों का नाम रखने के लिए किताबों का सहारा भी लिया जा सकता है। नाम रखते समय ध्यान रखें कि नाम बुलाने में सरल और आसान हो।
अपने बच्चे के लिए नाम चुनते समय इन बातों का ध्यान रखें :
- पति-पत्नी को एकसाथ मिलकर अपने शिशु का नाम चुनना चाहिए। आप दोनों बच्चों के नाम की साइट पर जाकर या नाम की किताबों से मदद लेकर अपने बच्चे के लिए एक नाम ढूंढ सकते हैं।
- बच्चे का नाम चुनते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि नाम बुलाने में आसान हो और सभी उस नाम को सरलता से पुकार सकें।
- कहते हैं कि बच्चे का नाम ऐसा रखना चाहिए कि उसका कोई अर्थ हो क्योंकि उसके नाम का जो मतलब होता है उसका असर बच्चे के स्वभाव पर भी पड़ता है। इसलिए आप जो भी नाम रखेंगें उसका असर बच्चे के स्वभाव पर भी पड़ेगा।
- बच्चे का नाम चुनते समय कोशिश करें कि नाम अलग सा हो जिससे बच्चे के स्कूल में जाने पर उसके नाम के कई बच्चे ना हों। उसे भीड़ में अन्य बच्चों से अलग रखने के लिए आपको नाम भी कुछ अलग रखना पड़ेगा।
- राशि के अनुसार नाम चुनना अच्छा रहता है। इससे बच्चे के जीवन पर भी शुभ प्रभाव पड़ता है।
- बच्चे का नाम रखने के लिए माता-पिता अंक शास्त्र की मदद ले सकते हैं।
- कई नाम ऐसे होते हं जिनका नकारात्मक या सकारात्मक असर पड़ता है। आपके नाम से ही आपकी पहचान होती है इसलिए बच्चे के नाम में कोई भी नेगेटिव अंश नहीं होना चाहिए। बच्चे का नाम रखते समय बहुत सावधानी रखनी चाहिए।
- किसी प्रसिद्ध या लोकप्रिय व्यक्ति के नाम पर बच्चे का नाम रखना सबसे आसान होता है। आमतौर पर माता-पिता जिससे प्रेरित होते हैं उसी के नाम पर बच्चे का नाम रख दिया जाता है।
जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि नाम का अर्थ जो भी होता है उसका प्रभाव बच्चे के व्यवहार, व्यक्तित्व और स्वभाव पर पड़ता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी लड़की का नाम कोमल है तो उसके स्वभाव में कोलमता नज़र आती है। वहीं अगर किसी के नाम में नकरात्मकता झलकती है तो उसके स्वभाव में भी यह चीज़ नज़र आती है। इसी कारण शिशु का नाम रखते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। नाम ही आपके बच्चे का भविष्य निर्धारित करता है।