हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) और उसकी चौपाइयां का पाठ – अचूक-अमोघ अस्त्र | Future Point

हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) और उसकी चौपाइयां का पाठ – अचूक-अमोघ अस्त्र

By: Acharya Rekha Kalpdev | 05-Mar-2024
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हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) और उसकी चौपाइयां का पाठ – अचूक-अमोघ अस्त्र

हनुमान जी में अनंत गुण है। ऐसा कोई गुण नहीं जो हनुमान जी में न हो। सभी विद्याओं में वो पारंगत है। फिर चाहे हम बात करें, साहस की, या बुद्धि की, विद्या की या चातुर्य की। बुद्धिमत्ता में हनुमान जी का कोई सानी नहीं है। हनुमान जी को आज के समय का सुपर देव कहा जा सकता है। हनुमान जी में हर काम को सिखने की ललक रहती है, हर काम को नियोजन और निपुणता से करते हैं। उनका चातुर्य शत्रुओं को भी इनका प्रशंसक बना देता है, नेतृत्व कुशलता लंकाकांड में स्पष्ट देखी जा सकती है। उनके अद्भुत साहस की सराहना भगवान् राम जी रामायण में अनेक बार करते हैं।

हनुमान जी चिंतामुक्त रहते हैं, अपने क्रोध पर नियंत्रण रखते हैं, धैर्य और सहनशीलता उनका प्रमुख गुण है। शत्रुओं और मित्रों में भेद करना जानते हैं। उनके गुणों की व्याख्या इस जन्म में संभव नहीं है। हनुमान जी का व्यक्तित्व सभी के लिए अनुकरणीय है, अतुलित बल के स्वामी हैं, शास्त्रों के जानकर, नीतिनिपुण हैं, श्रीराम जी के काम करने के लिए उत्साहित रहते हैं। हनुमान जी महाराज कलयुग में सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले देवता हैं। हनुमान जी सर्वज्ञ हैं, सास्वत हैं, ज्ञानी नहीं परमज्ञानी हैं, अहंकार रहित है, राम जी के काज संवारने और राम जी की भक्ति में डूबे रहना उन्हें बेहद पसंद है।

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हनुमान जी कलयुग के जागृत देव

हनुमान जी की महिमा हर युग में रही है। जैसे भगवान् राम कण कण में विराजमान है, ठीक उसी प्रकार हनुमान जी वायुपुत्र होने के कारण वायु के रूप में इस संसार में सर्वत्र हैं। वायु के बिना कोई भी जीव जंतु, मनुष्य कुछ पल से अधिक जीवित नहीं रह सकता है। इसलिए रामभक्त हनुमान जी की महिमा को शब्द देना संभव नहीं है। जिसने भी हनुमान जी को मन, वचन, कर्म से स्मरण किया है, उसके सारे काम, सारी कामनाएं, विचार करते ही पूरी हो जाती है। हनुमान जी को सच्चे मन से याद करो, वो अपने भक्त के हर संकट को दूर करते हैं।

बाबा तुलसीदास जी ने हनुमानजी को परमभक्त के स्थान से उठाकर उन्हें परमदेव की पदवी दिलाई। जो व्यक्ति एक नियम के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसका जीवन सकारात्मक ऊर्जा से प्रकाशित होकर आनंद से भर जाता है। ज्ञान और कर्म की इन्द्रियों से मुक्त करने में हनुमान चालीसा अमोघ अस्त्र है। मन ही मन निरंतर हनुमान चालीसा का पाठ करने से, या सीताराम का पाठ करने से मन प्रसन्न रहता है। स्वामिभक्ति और अपने कर्तव्य का पालन करना हनुमान जी से सीखना चाहिए। हनुमान जी को छोड़कर किसी को भी किसी अन्य देवी-देवता को अपने चित्त में बैठाने की कोई आवश्यकता नहीं है अर्थात सभी इच्छाओं को हनुमान जी सिद्ध कर सकते हैं। ऐसा कोई कार्य नहीं जो हनुमान जी के लिए करना संभव न हो।

संदेह करने वालों का हनुमान जी कभी भला नहीं करते। माता सीता जी के द्वारा दिए गए वरदान के प्रभाव से हनुमान जी आज भी जीवित है, सशरीर है, जागृत है। हनुमान जी भगवान् राम के द्वार रक्षक है। हनुमान जी की आज्ञा लिए बिना कोई भी राम जी तक नहीं जा सकता है।

भगवान् श्रीराम जी की कृपा पाने का सरल मार्ग हनुमान जी की आराधना है और हनुमान जी कि कृपा पाने का सरल मार्ग राम जी कि आराधना है। हनुमान जी सब सुखों को देने वाले देव है। जो हनुमान जी कि शरण में चला गया, उस भक्त को फिर किसी भी अशुभ से डरने की आवश्यकता नहीं है। सनातन धर्म में हनुमान जी संकट मोचन के नाम से जाने जाते हैं, आज एक समय में हनुमान जी सबसे अधिक लोकप्रिय और पूजे जाने वाले देव हैं। राम जी के परम भक्त हनुमान जी को उनके साहस और विनम्रता दोनों के लिए पूजा जाता है। हनुमान जी के पराक्रम से सभी परिचित हैं। बाबा तुलसीदास जी के द्वारा रचित हनुमान चालीसा की चौपाइयां पढ़ने से जीवन की सभी समस्याओं से लड़ने की शक्ति मिलती है। लौकिक समस्या का निवारण करने में हनुमान चालीसा की चौपाइयां अचूक ब्रह्मास्त्र की तरह काम करती है।

हनुमान जी असाध्य रोगों से मुक्ति देने का कार्य सरल तरीके से करते हैं। जिन लोगों का मन किसी काम में नहीं लगता हो, निराशा और उदासी की स्थिति रहती हो, उन लोगों को हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से साधक के सारे दुःख दूर होते हैं। जब प्रारब्ध के फलस्वरूप रोग, शोक और कष्ट प्रभावी हो जाए, जीवन में कष्ट ही कष्ट आ जाए, तो व्यक्ति को सुबह शाम हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। हनुमान जी की आराधना करने से शारीरिक और मानसिक सभी रोगों का निवारण होता है। जिनके जीवन में अवसाद रहता हो, ख़ुशी और आनंद कहीं खो गए हो, उन लोगों को भी नित्य हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

हनुमान जी के शब्दों में व्यक्ति को गंगा और गोदावरी जाकर तीर्थ करने की आवश्यकता नहीं है। जिस मन में राम नाम की गंगा बहती है, उस मन को तीर्थ के लिए कहीं जाने की जरुरत नहीं है। राम नाम की गंगा ही वास्तविक तीर्थ है। सभी तीर्थों के स्नान का पुण्य फल राम नाम का जाप करने से मिल जाता है। इसलिए हर व्यक्ति को हर पल राम नाम का जाप करना चाहिए। इससे व्यक्ति का जीवन सफल होता है। मनुष्य का शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है। कर्तव्यों का पालन करने से मन विमुख हो जाता है। अपने कर्तव्यों से जुड़ने के लिए व्यक्ति को हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू करना चाहिए। मोह-माया, राग-द्वेष जब कष्ट देने लगे तो भगवान् शिव के 11वें अवतार की आराधना करनी चाहिए।

चारों युगों में हनुमान की महिमा

हनुमान जी में भक्ति, सेवा और समर्पण कूट-कूट कर भरा हुआ है। इस संसार में जहाँ-जहाँ राम जी वास करते हैं, वहां वहां हनुमान जी द्वारा रक्षक बनकर पहरा देते हैं। सेवक के रूप में हनुमान जी सर्वश्रेष्ठ हैं। हनुमान जी को जो भी दिया जाता है, वो उस काम को पूर्ण समर्पण के साथ करते है। बाबा तुलसीदास जी ने हनुमान जी की सराहना करते हुए कहा है कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग चारों युगों में हनुमान की महिमा कम नहीं होती है। जब भगवान् राम त्रेतायुग में रामराज्य की स्थापना कर, बैकुंठ धाम चले गए तो पृथ्वी पर धर्म की रक्षा, राम कथा का श्रवण, और राम भक्तों का उद्धार करने का काम हनुमान जी को देकर गए। तब से लेकर आज तक हनुमान जी अपने भक्तों और सनातन धर्म की रक्षा करने में लगे हुए हैं।

हनुमान जी के साक्षात दर्शन 13वीं शताब्दी में माधवाचार्य जी को, 16वीं शताब्दी में तुलसीदास जी को, 17वीं शताब्दी में राघवेंद्र स्वामी जी को तथा 20वीं शताब्दी में रामदास जी को हुए। 2022 के बाद भी कई भक्तों को हनुमान जी के प्रत्यक्ष दर्शन हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि कलयुग में आज भी जहाँ रामायण पढ़ी और सुनी जाती है, वहां हनुमान जी साक्षात होते ही हैं। जो भी भक्त हनुमान जी को मन से याद करता है, हनुमान जी तुरंत भक्त की कामना पूर्ण करते हैं।

हनुमान चालीसा को सिद्ध कैसे करें

हनुमान चालीसा को सिद्ध करने के लिए हनुमान चालीसा को सिर्फ बोलना नहीं होता है। हनुमान चालीसा को भावार्थ समझते हुए उसका पाठ, किसी पुस्तक से देखकर करना होता है। रटने से हनुमान चालीसा के फल नहीं मिलते हैं, हनुमान चालीसा रटने से सिद्ध नहीं होती है। जब भी हनुमान चालीसा का पाठ करें, उसकी चौपाइयों में छुपे अर्थ को आत्मसात करते हुए, करें। हनुमान चालीसा का जप करने का अर्थ यह है कि उसका पाठ करते हुए, उसके शब्दों में छुपे अर्थ पर ध्यान देना है। उस अर्थ को महसूस करना है।

पाठ करते समय आपको पाठ में प्रयोग की गई पंक्तियों का भावार्थ मालूम होना चाहिए। यहाँ हम हनुमान चालीसा की बात कर रहे हैं तो हनुमान चालीसा को बोलने की जगह उसे देखकर पढ़ें और पढ़ते हुए उसके अर्थ को समझते हुए, पाठ करें। हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए उसके प्रत्येक शब्द का अर्थ आपको समझ आना चाहिए। पाठ धीरे धीरे करें और अर्थ मन में दोहराएं। इस प्रकार हनुमान चालीसा का पाठ करने से आपके जीवन में चमत्कारिक बदलाव होना शुरू होगा। जीवन को एक सकारात्मक दिशा देने में हनुमान चालीसा एक अचूक साधन का कार्य करता है।

जीवन को लक्ष्य तक पहुंचाने में हनुमान चालीसा एक मार्ग का कार्य करता है, हनुमान चालीसा के पाठ के मार्ग से होते हुए आप अपने जीवन लक्ष्य तक सरलता से पहुँच जाएंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि इस प्रकार करने से हनुमान चालीसा का सम्पूर्ण अर्थ आपमें आत्मसात हो जाएगा। ऐसा कोई कार्य नहीं है, जिसे हनुमान चालीसा पाठ से पूरा नहीं किया जा सके। रोग, शोक, दुःख और पराशक्तियों से मुक्ति देने का कार्य भी हनुमान चालीसा से किया जा सकता है। प्रारब्ध के ऋणों के कारण यदि जीवन के दुखों के सामने आप आत्मसमर्पण कर चुके हैं, संसार आपका साथ छोड़ चूका है और जीवन में कोई मार्ग आपको सूझ नहीं रहा है तो आपको हनुमान चालीसा का 41 दिन लगातार नियम से पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ निराशा से बाहर लेकर उत्साह का एक नया सूरज आपके जीवन में लाएगा। विपत्तियां आपसे दूर भागेंगी। और शक्ति, आनंद, ऊर्जा आपके जीवन का अंग बनेगी।

हनुमान चालीसा इस लोक की प्रत्येक समस्या का हल है। समस्या शारीरिक हो, मानसिक हो, आध्यात्मिक हो, आत्मिक हो, आर्थिक हो, पारिवारिक हो, सामाजिक हो या पराशक्तियों सम्बंधित हो, सभी का समाधान हनुमान चालीसा से हो जाता है। बाबा तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा लिखा है। हनुमान चालीसा में हनुमान जी की शक्ति, गुण और माहात्म्य का वर्णन चालीसा चौपाइयों के माध्यम से किया गया है, इसलिए इसका नाम हनुमान चालीसा बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने रखा। इसे सरल शब्दों में हनुमान जी की स्तुति भी कहा जा सकता है। हनुमान चालीसा स्तुति के दवारा हनुमान जी में ध्यान लगाना है। हम जैसे ही हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू करते हैं तो हमारे ध्यान में तुरंत हनुमान जी आ जाते हैं।

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जब तक हम हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तब तक हनुमान जी हमारे चित्त में बैठे रहते हैं। परन्तु यदि हम हनुमान चालीसा का पाठ बिना अर्थ समझे करते हैं तो हनुमान जी हमारे मन में नहीं बैठते है। पाठ करते समय चालीसा का अर्थ भी हमारे ध्यान में चलना चाहिए, तभी ध्यान, साधना की अवस्था प्राप्त होती है। हनुमान चालीसा का पाठ करते समय उसका अर्थ भी मन में चलना आवश्यक है। ऐसा करने से वह हो जाएगा, जो आप चाहते है। इस प्रकार हनुमान चालीसा का पाठ करते समय अनुभव होगा कि साथ सच में हनुमान चालीसा हमारे साथ है और ध्यान की अवस्था प्राप्त होती है, मन, वाणी और शरीर सभी ध्यान में हनुमान जी का स्मरण करते हैं।

हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए सात्विक आचार विचार होना जरुरी है। ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक भोजन, और नैतिक जीवन का पालन आवश्यक है। धोखा, गाली या गंदे विचार इस अवधि में नहीं आने चाहिए। इससे पाठ का फल नहीं मिल पायेगा। आपके मान को रखना ही हनुमान जी का काम है। आप मन, वचन, कर्म से उनका स्मरण करें, वो आपका साथ अवश्य देंगे। बल, बुद्धि और विद्या के धनी होकर भी हनुमान जी कभी भी अपने पर अहंकार नहीं करते हैं।

अतुलित बल के स्वामी में अहंकार न होना, अद्भुत गुण है। हनुमान जी ने अपने अहम् को जीत लिया था, संसार की सारी विद्याओं और शक्तियों का जानकार होने पर भी उनमें अहंकार नहीं है। यह असाधारण गुण है, जो हनुमान जी के अलावा अन्य किसी में नहीं देखा जा सकता है। हनुमान जी में बल भी है और बुद्धि भी है। बल, बुद्धि और विद्या तीनों गुण एक ही समय में एक ही व्यक्ति में होना दुर्लभ गुण है। इसके बाद भी उनमें अपने गुणों पर गर्व, अहंकार न होना, अतिदुर्लभ गुण है। जो अहंकार से रहित है, वही मानयुक्त है, वही हनुमान है। हनुमान जी परमभक्त, परमसंत है, अहंकार के राक्षस को उन्होंने अपने पर हावी नहीं होने दिया, इसलिए वो रामभक्त से कलयुग के ईश्वर का स्थान पाए।

हनुमान चालीसा की चौपाइयों का नित्य पाठ करने से बड़े से बड़ा काम पूर्ण होता है -

हनुमान चालीसा की कुछ चौपाइयों का पाठ करने से अद्भुत परिणाम प्राप्त होते हैं। यूं तो हनुमान चालीसा की प्रत्येक चौपाई में चमत्कारी रहस्य समाहित है। फिर भी कुछ खास कार्यों के लिए, कुछ खास चौपाइयों का मंत्र की तरह 108 बार पाठ करने पर हनुमान जी साधक की मनोकामना पूर्ण करते हैं। कुछ ऐसी ही चौपाइयों की जानकारी हम यहाँ दे रहे हैं। निम्न चौपाइयों का कम से कम एक माला जाप करने से चौपाई से सम्बंधित कार्य सिद्ध होता है। आप भी इसका जाप कर अनुभव कर सकते हैं –

संकटों से मुक्ति हेतु
संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा

बुद्धि विवेक जागृत करने के लिए चौपाई
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।

राम जी की सहज कृपा प्राप्ति हेतु
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
संकटों से मुक्ति हेतु
सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डरना ।।

नकारात्मक शक्तियों से रक्षा हेतु
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।

आरोग्य प्राप्ति, रोगों से मुक्ति हेतु
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

उचित निर्णय लेने के लिए
जै जै जै हनुमान गौसाईं। कृपा करहु गुरू देव की नाईं ।।

मान सम्मान प्राप्ति हेतु चौपाई
चारो जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।

निर्धनता से मुक्ति पाने हेतु चौपाई
संकट तै हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

कठिन से कठिन कार्य को पूर्ण करने हेतु चौपाई
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

सुरक्षित यात्रा पूर्ण करने के लिए चौपाई
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।।

संपूर्ण जन्म के दुःख मिटाने के लिए
राम रासायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै। जन्म जन्म के दुख बिसरावै।।

मनोवांछित पद हेतु चौपाई
तुम उपकार सुग्रीवहि कीह्ना, राम मिलाय राजपद दीह्ना॥
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

सब बंधनों से मुक्त हेतु चौपाई
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।।

उपरोक्त चौपाइयों का प्रयोग आप अपने मंदिर में भगवान् हनुमान जी के विग्रह या प्रतिमा के सामने करना चाहिए। पाठ के समय प्रतिमा के सम्मुख दीपक जला, होना चाहिए, और हनुमान जी को भोग लगा कर करना चाहिए। अपने बैठने के लिए लाल रंग के आसन का प्रयोग करना चाहिए। चौपाई का पाठ विश्वास और आस्था के साथ करें, हनुमान जी को चने और गुड़ का भोग लगाएं, और सिन्दूर भी चढ़ाएं। इससे विचारित काम जल्द पूर्ण होते है।

हनुमान चालीसा की चौपाई पाठ के नियम -

साधना के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य नियम है। लहसुन-प्याज का भी त्याग कर देना चाहिए क्योंकि ये भी अपेक्षित है। साधना के दौरान सात्विक जीवनचर्या हो, किसी भी तरह का मास भक्षण और नशा नहीं करना चाहिए। इन नियमों का पालन करने के बाद ही उपरोक्त चौपाइयों को सिद्ध करना चाहिए।


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