नीलम रत्न के अद्भुत और चमत्कारिक गुण
By: Future Point | 07-Jun-2018
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नीलम रत्न सारे रत्नों में सबसे चमत्कारिक रत्न हैं। अपने इसी गुण के कारण नीलम रत्न विश्व प्रसिद्ध हैं। नीलम रत्न शुभ हो जाएं उसए रंक से राजा बना देता हैं और इसके विपरीत हों तो राजा को भी रंक बना देता हैं। नीलम के विषय में कहा जाता हैं कि नीलम रत्न मेहनत करने वालों को अवश्य शुभ फल देता हैं। नीलम को कामयाबी देने वाला रत्न कहा गया हैं।
जितना यह चमत्कारिक रत्न हैं उतनी ही मान्यताएं इस रत्न से जुड़ी हुई है। कहा जाता हैं कि यह रत्न केवल मेहनती लोगों को ही उनकी मेहनत का फल देता हैं। आलसी और अन्याय का साथ देने वाले व्यक्तियों को यह रत्न कभी सफलता नहीं देता। नीलम रत्न अपने धारक को अतिशीघ्र प्रभावित करता हैं।
ज्योतिष विद्या के अनुसार इसे धारण करने से पूर्व किसी योग्य ज्योतिषी से कुंडली की जांच और अनुकूल रत्न होने पर ही इस रत्न को धारण करना चाहिए। यह रत्न शनि देव का आशीर्वाद स्वरुप माना जाता हैं। सभी व्यक्तियों के लिए नीलम रत्न उपयोगी साबित नहीं होता। नीलम रत्न बहुत कम लोगों का जीवन रातों रात बदल देता हैं।
नीलम रत्न अनेक नामों से प्रसिद्ध हैं। इसे नील, इंद्रनील, नीलमणि और सेफायर के नाम से पुकारा जाता हैं। नीलम रत्न के प्रकारों में पाया जाता हैं- यह रत्न अनेक रंगों और प्रजातियों में पाया जाता हैं। मोरपंख के रंग वाला नीलम सबसे महंगे नीलम की श्रेणी में आता हैं। यह रत्न आने वाली आपदाओं और दुर्घटनाओं से अपने धारक की रक्षा करता हैं।
यह रत्न आर्थिक स्थिति में सुधार कर आय के नवीन क्षेत्रों का मार्ग खोलता हैं। मकर और कुम्भ लग्न के व्यक्ति यदि इस रत्न को धारण करते हैं तो यह धारक को स्वास्थ्य सुख भी प्रदान करता हैं। इसके अतिरिक्त यह रत्न धारन करने वाले व्यति को सम्मान और सुख दोनों देता हैं। विश्व के कई सफल व्यक्तियों को कामयाब बनाने में नीलम रत्न की महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। यह माना जाता हैं कि जो व्यक्ति इस रत्न को धारण करता हैं उसे जीवन में कभी भी पराजय का सामना नहीं करना पड़ता। नीलम रत्न अपने धारण की प्रभावशक्ति में वृद्धि करता हैं।
रोगों का उपचार करने में भी नीलम रत्न का उपयोग किया जाता हैं। इसका उपयोग कर अनेक रोगों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती हैं। विशेष रुप से नीलम सांस के रोग, मूर्छा, ज्वर, पक्षाघात और स्नायु रोगों के ईलाज में नीलम रत्न प्रभावी रहता हैं। इन रोगों से ग्रस्त व्यक्ति को नीलम रत्न अवश्य धारण करना चाहिए। साथ ही यह रत्न रक्त विकारों, खांसी, और निराशा से जुड़े रोगों से बाहर लाने में भी लाभकारी रहता हैं। नीलम रत्न मानसिक तनाव दूर करता हैं। धारक के धन, नाम, मान-सम्मान, प्रसिद्धि, शक्ति और धैर्य को बढ़ाता हैं।
नीलम रत्न कब पहने और कब न पहनें -
यह सर्वविदित हैं कि नीलम रत्न सभी के लिए सही नहीं रहता हैं। यही कारण हैं कि नीलम रत्न को पहनने से पहले इसकी अच्छे से जांच-परख अवश्य कर लेनी चाहिए। अपने चमत्कारिक प्रभाव के कारण नीलम अपने धारक के जीवन में अनेक खुशियां लाने की क्षमता रखता हैं। इसके विपरीत अनुकूल न होने पर व्यक्ति की बर्बादी का कारण भी बनता हैं। इसलिए सोच-समझ कर ही इस रत्न को धारण करना चाहिए।
किस लग्न के व्यक्ति नीलम रत्न को धारण करें -
मकर, कुम्भ, वृषभ, तुला, मिथुन और कन्या लग्न के व्यक्ति इस रत्न को धारण कर सकते हैं। साथ ही जब शनि शुभ भावों का स्वामी होकर शुभ भावों में स्थित हों और शनि की महादशा चल रही हों तो व्यक्ति को नीलम रत्न पहनने से रुके हुए कार्य बनने लगते है। इस रत्न को धारण करने पर व्यवहार में तुरंत बदलाव आने लगता हैं। शोध कार्यों में लगे व्यक्तियों को इस रत्न को धारण करने से अध्ययन में मन लगता हैं। यह रत्न निर्णय लेने की क्षमता बढ़ा देता हैं। साथ ही यह कार्यकुशलता को भी बेहतर करता हैं। कार्यशैली में गंभीरता लाता हैं।
यह कैसे जाने की नीलम रत्न आपके प्रतिकूल हैं -
- नीलम रत्न को धारण करने के बाद यदि निम्न प्रकार के अनुभव आपको होते हैं तो निश्चित रुप से नीलम रत्न आपके अनुकूल नहीं हैं-
- इसे धारण करने के बाद आपका स्वास्थ्य गिरता जा रहा हो।
- हाथ पैरों में दर्द और कार्यों में व्यर्थ की बाधाएं आने लग गई हों।
- धन का अपव्यय होने लग जायें।
- धारक की बुद्धि गलत कार्यों में लगने लग जाए।
- परेशानियां बढ़ती ही जा रही हों।