कुंडली में किस प्रकार के योग कहलाते हैं व्यक्ति के लिए राजयोग

By: Future Point | 22-Jun-2019
Views : 9859
कुंडली में किस प्रकार के योग कहलाते हैं व्यक्ति के लिए राजयोग

किसी व्यक्ति की कुंडली में राजयोग का नाम सुनते ही लोगों के में मस्तिष्क में किसी बड़े पद का और एक शाही जीवन का ख़्याल आ जाता है वे सोचने लगते हैं कि राजयोग यदि जन्म कुंडली में है तो वह निश्चित ही कोई बड़े राजनेता, उद्योगपति या नौकरशाह बनेंगे और उन्हें अकूत धन- सम्पदा व सामाजिक प्रतिष्ठा की प्राप्ति अवश्य ही होगी, परन्तु वास्तव में यह ज्योतिषीय राजयोग के मानक नहीं है, किसी ज्योतिषीय की राजयोग परिकल्पना के अनुसार राजयोग का अर्थ यह है कि एक ऐसा जीवन जिसमें किसी भी प्रकार की असंतुष्टि ना हो और वह व्यक्ति जो अपने आप में पूर्ण संतुष्ट व आनन्दित हो, अतः यह कहलाता है राजयोग ।

राजयोग क्या होता है -

ज्योतिष के अनुसार राजयोग का अर्थ होता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का इस प्रकार से मौजूद होना की उस व्यक्ति के जीवन में सफलताएं, सुख, पैसा, मान-सम्मान आसानी से प्राप्त हो जाये ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में ग्रहों का ऐसा मेल राजयोग कहलाता है, और उन्हें सभी सुख- सुविधाएँ मिलती हैं और वह एक शाही जीवन व्यतीत करते हैं।

कुंडली में राजयोग हैं तो कंसल्ट करें हमारे एस्ट्रोलॉजर से.

कुंडली में ग्रहों की किस प्रकार की स्थिति कहलाती है कौन सा योग -


लक्ष्मी योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के किसी भी भाव में चंद्र-मंगल का योग बन रहा है तो उस व्यक्ति के जीवन में धन की कमी नहीं होती है और मान-सम्मान मिलता है व सामजिक प्रतिष्ठा बढ़ती है।

रूचक योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल केंद्र भाव में होकर अपने मूल त्रिकोण (पहला, पांचवा और नवा भाव), स्वग्रही (मेष या वृशिचक भाव में हो तो) अथवा उच्च राशि (मकर राशि) का हो तो रूचक योग बनता है और रूचक योग होने पर व्यक्ति बलवान, साहसी, तेजस्वी, उच्च स्तरीय वाहन रखने वाला होता है अतः इस योग में जन्म हुए व्यक्ति को विशेष पद प्राप्त होता है।

Get Online Horoscope or Kundali Reports

भद्र योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध केंद्र में मूल त्रिकोण स्वगृही (मिथुन या कन्या राशि में हो)अथवा उच्च राशि (कन्या) का हो तो भद्र योग बनता है तो इस योग में जन्मे व्यक्ति उच्च व्यवसायी होते है और यह व्यक्ति अपने प्रबंधन, कौशल, बुद्धि-विवेक का उपयोग करते हुए धन कमाते है, यदि यह योग सप्तम भाव में होता है तो व्यक्ति देश का जाना माना उधोगपति बन जाता है।

हंस योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति केंद्र भाव में होकर मूल त्रिकोण स्वगृही (धनु या मीन राशि में हो) अथवा उच्च राशि (कर्क राशि) का हो तो ऐसी स्थिति में हंस योग बनता है और यह योग व्यक्ति को सुन्दर, हंसमुख, मिलनसार, विनम्र और धन-सम्पति वाला बनाता है तथा ऐसा व्यक्ति पुण्य कर्मों में रूचि रखने वाला, दयालु, शास्त्र का ज्ञान रखने वाला होता है।

Get Your Online Horoscope Match Making Reports

मालव्य योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के केंद्र भावों में स्थित शुक्र मूल त्रिकोण अथवा स्वगृही (वृष या तुला राशि में हो) या उच्च (मीन राशि) का हो तो ऐसी स्थिति में मालव्य योग बनता है और इस योग से व्यक्ति सुन्दर, गुणी, तेजस्वी, धैर्यवान, धनी तथा सुख- सुविधाएं प्राप्त करता है।

शश योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की खुद की राशि मकर या कुम्भ में हो या उच्च राशि (तुला राशि) का हो या मूल त्रिकोण में हो तो ऐसी स्थिति में शश योग बनता है और यह योग यदि सप्तम भाव या दशम भाव में हो तो वह व्यक्ति अपार धन-सम्पति का स्वामी होता है और व्यवसाय व नौकरी के क्षेत्र में ख्याति और उच्च पद को प्राप्त करता है।

गजकेसरी योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ गजकेसरी योग होता है तो वह व्यक्ति बुद्धिमान होने के साथ ही प्रतिभाशाली भी होता है और इनका व्यक्तित्व गंभीर व प्रभावशाली भी होता है और ये समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करते है, परन्तु इसके शुभ योग के लिए आवश्यक है कि गुरु व चंद्र दोनों ही नीच के नहीं होने चाहिए और साथ ही शनि या राहु जैसे पाप ग्रहों से प्रभावित नहीं होना चाहिए।

Get your Online Kundali with the All Yoga Report from Future Point

सिंघासन योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह दूसरे, तीसरे, छठे, आठवे और बारहवे घर में बैठ जाए तो ऐसी स्थिति में सिंघासन योग बनता है और इसके प्रभाव से व्यक्ति शासन अधिकारी बनता है और नाम प्राप्त करता है।

चतुःसार योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह मेष, कर्क तुला उर मकर राशि में स्थित हो तो ये योग बनता है और इसके प्रभाव से व्यक्ति अपने जीवन में इच्छित सफलता प्राप्त करता है और किसी भी समस्या से आसानी से बाहर आ जाता है।

Also Read: Budha-Aditya Yoga (Sun-Mercury conjunction)

श्रीनाथ योग-

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न का स्वामी, सातवे भाव का स्वामी दसवे घर में मौजूद हो और दसवे घर का स्वामी नवे घर के स्वामी के साथ मौजूद हो तो ऐसी स्थिति में श्रीनाथ योग बनता है और इसके प्रभाव से व्यक्ति को धन, नाम, ताश, वैभव की प्राप्ति होती है।

Astrology Consultation

Previous
कुंडली में बारह भावों को जागृत करने के लिए करें लाल किताब के ये उपाय ।

Next
Combination of Pearl and Red Coral: Auspicious or Inauspicious?