कब है होली? जानिए, रंगों के इस पर्व का पौराणिक व धार्मिक महत्व और राशिनुसार शुभ रंग

By: Future Point | 05-Mar-2020
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कब है होली? जानिए, रंगों के इस पर्व का पौराणिक व धार्मिक महत्व और राशिनुसार शुभ रंग

होली (Holi 2021) भारतीयों का प्रसिद्ध त्योहार है जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे फगुवा (असम), बसंत उत्सव, धुलण्डी, शिग्मो (गोवा), शिमगा (महाराष्ट्र), दोल जात्रा (उड़ीसा, बंगाल) आदि नामों से जाना जाता है। विदेशों में भी यह त्योहार खासा पसंद किया जाता है। भारत समेत कई देशों में इसे बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। हालांकि, होली अब ग्लोबल हो गया है। लेकिन ग्लोबल होने के साथ-साथ यह अपना पौराणिक महत्व खोता जा रहा है। ज़्यादातर लोग अब इसे सिर्फ़ रंगों के त्योहार के रूप में ही जानते हैं। वे इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व से अनजान हैं। तो आइए, जानते हैं इस बार कब है यह पावन पर्व? इसका पौराणिक और धार्मिक महत्व क्या है? जानिए, इसके विविध रूप, उनसे जुड़ी परंपराएं और राशिनुसार शुभ रंग…

पौराणिक संदर्भ

वेदों, पुराणों और अभिलेखों में होली के पर्व का उल्लेख मिलता है। नारद पुराण, भविष्य पुराण और जैमिनी मीमांसा में होलीकोत्सव की चर्चा की गई है। विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ (Ramgarh) में 300 बीसीई (BCE) के एक अभिलेख पर होलीकोत्सव का उल्लेख मिलता है। प्रसिद्ध मुस्लिम यात्री अल-बिरुनी भी अपनी पुस्तक किताब-उल-हिंद में होलीकोत्सव के बारे में बताता है। कई अन्य मुस्लिम लेखकों ने लिखा है कि यह पर्व हिंदू और मुस्लिम दोनों मनाते हैं। इस तरह प्राचीन और मध्य काल में इस पर्व का उल्लेख हिंदू और मुस्लिम लेखकों दोनों ने किया है। इसके अलावा मंदिर की दीवारों और लघु चित्रों (Miniature Paintings) में भी होली के उत्सव को चित्रित किया गया है। उदाहरण के लिए विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी (Hampi) के मंदिर की दीवार पर चित्रित होलीकोत्सव के दृश्य में बीच में राजकुमार और राजकुमारी को खड़े दिखाया गया हैं और उनके आस पास दासियां और कन्याएं हाथों में पिचकारी और गुलाल लिए हुए उन पर रंग फेंकने के लिए तैयार खड़ी हैं।

Holi 2021 Date: होली 2021 की तारीख

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 00:17 बजे

होलिका दहन रविवार, मार्च 28, 2021 को
होलिका दहन मुहूर्त – 18:37 से 20:56
अवधि – 02 घंटे 20 मिनट

होली का धार्मिक महत्व

होली का त्योहार भगवान कृष्ण को बेहद प्रिय है। भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा और वृंदावन में आज भी होली के पर्व को उसी उल्लास से मनाया जाता है। यहां की होली विश्व भर में प्रसिद्ध है। कई लोग तो सिर्फ़ यहां की होली देखने के लिए ही भारत आते हैं। होली को यहां के लोग प्यार और स्नेह का त्योहार मानते हैं। वे इसे राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक मानते हैं। धार्मिक ग्रंथों में इससे संबंधित एक कथा का उल्लेख है। मान्यता है कि विष वाला दूध पी लेने से श्रीकृष्ण का वर्ण नीला हो गया। श्रीकृष्ण ने देखा की राधा तो गोरी है। अपने रंग पर शर्मिंदा होते हुए वे अक्सर मां यशोदा से पूछा करते कि मेरा रंग देखकर क्या राधा मुझसे प्रेम करेगी? एक दिन मां यशोदा ने तंग आकर कह दिया कि तुम कोई भी रंग लेकर राधा को रंग दो। फिर क्या था! श्रीकृष्ण ने गोपियों संग होली खेली और राधा को गुलाल से रंग दिया। तबसे होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

एक अन्य कथा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका से जुड़ी है। माना जाता है कि हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका भक्त प्रह्लाद को लेकर अग्निकुंड में बैठ गई थी। उसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती लेकिन फिर भी वह जल गई जबकि भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गया। इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत हुई। बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी में ही इसके अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है। होली के पर्व को धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने राक्षसी धुण्डी को श्राप दिया था जिसके कारण पृथु क्षेत्र के लोगों ने उसे अपने क्षेत्र से भगा दिया था।

होली के विविध रूप और उससे जुड़े अनुष्ठान

होली को भारत समेत पूरे विश्व में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हर जगह इसे मनाने का अपना तरीका है जिनसे जुड़े महत्वपूर्ण अनुष्ठान और नियम इस प्रकार हैं:

  • इस दिन लोग एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं जो नीम, कुमकुम, हल्दी और फूल से बने होते हैं।
  • होली से एक दिन पहले शाम को होलिका दहन किया जाता है। होलिका की अग्नि में गाय के गोबर के उपले, लकड़ी, घी, दूध, सूखा नारियल फेंका जाता है।
  • होली को नई फसल (रबी) के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन लोग दोस्तों-रिश्तेदारों के संग नाचते-गाते हैं। एक दूसरे का मुंह मीठा कर रिश्तों में आई कड़वाहट दूर करते हैं।
  • उत्तर प्रदेश समेत भारत के अन्य राज्यों में इस दिन होली उत्सव के लिए मेले का आयोजन किया जाता है।
  • बंगाल में यह पर्व दोल जात्रा के नाम से जाना जाता है। इस दिन औरतें लाल या नारंगी किनारी वाली पारंपरिक सफेद साड़ी पहनती हैं और शंख बजाते हुए राधा-कृष्ण की पूजा करती हैं। लोग एक दूसरे को अबीर (इत्र वाले रंग) लगाते हैं। इस दिन मालपुआ, खीर और बसंती संदेश जैसे मीठे पकवान बनाए जाते हैं।
  • कर्नाटक में होली पर बेदारा वेशा (Bedara Vesha) नामक लोक नृत्य किया जाता है।
  • तमिलनाडु में इस पर्व को कामदेव के बलिदान के रूप में जाना जाता है, इसलिए यहां पर इसे कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा दाहानाम आदि नामों से जाना जाता है।

राशिनुसार जानें शुभ रंग

प्रत्येक राशि का संबंध कुछ विशिष्ट रंगों से होता है। यहां जानिए, होली पर राशि के अनुसार कौन सा रंग है आपके लिए खास...

  • मेष (Aries): इस राशि के जातकों के लिए सबसे शुभ रंग लाल है।
  • वृषभ (Taurus): आपके लिए नीला रंग लाभकारी रहेगा। यह रंग आपको बुद्धि, ज्ञान शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
  • मिथुन (Gemini): आपका शुभ रंग पीला है। पीला रंग सूर्य का प्रतीक है जो आप में ऊर्जा, उत्साह और उम्मीद की किरण पैदा करता है।
  • कर्क (Cancer): यह एक भावुक राशि है इसलिए इस राशि के जातकों को नीले, चमकीले और सफेद रंग से होली मनानी चाहिए। ये रंग आपको शांति और धीरज प्रदान करेंगे जबकि सफेद रंग आपको संयम में रखेगा।
  • सिंह (Leo): अग्नि चिह्न होने के कारण इस राशि के जातकों के लिए लाल और सुनहरा शुभ रंग हैं। ये रंग आपके ऊर्जावान और गतिशील व्यक्तित्व से मेल खाते हैं।
  • कन्या (Virgo): इसका राशि तत्व पृथ्वी है इसलिए भूरा, नेवी (Navy), पीला और पीच (peach) इनके शुभ रंग हैं। इसके अलावा आप गहरे हरे रंग का प्रयोग भी कर सकते हैं। इस रंग के प्रभाव से आप अपने अंदर एक नई स्फूर्ति और ऊर्जा महसूस करेंगे।
  • तुला (Libra): इसका राशि तत्व वायु है इसलिए आप सफेद, नीले व जामुनी रंग का प्रयोग कर सकते हैं। इन रंगों के प्रभाव से आप खुद में आश्चर्यजनक सुधार महसूस करेंगे।
  • वृश्चिक (Scorpio): वृश्चिक राशि का संबंध जल से है। इस राशि के जातकों के लिए गहरा लाल और स्लेटी (Gray) रंग सबसे शुभ माने जाते हैं।
  • धनु (Sagittarius): इस राशि का सबंध अग्नि से है इसलिए इस राशि के जातक सिंदूरी (Vermillion), बैंगनी और नीले रंग का प्रयोग करें।
  • मकर (Capricorn): इसका राशि तत्व पृथ्वी है इसलिए काला और गहरा भूरा इनके लिए लाभकारी रंग हैं।
  • कुंभ (Aquarius): कुंभ राशि का संबंध वायु से है। इस राशि के जातक किसी भी रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
  • मीन (Pisces): मीन राशि का संबंध जल से है। इस राशि के जातक के लिए समुद्री हरा, फ़िरोज़ा और बैंगनी शुभ रंग हैं। इसके अलावा आप पीले रंग का प्रयोग भी कर सकते हैं। पीला रंग आप में जोश और उत्साह पैदा करेगा।

प्यार के रंग से बढ़कर कोई रंग नहीं होता। इसलिए एक दूसरे को प्रेमपूर्वक रंग लगाएं। होली के नाम पर किसी के साथ किसी भी तरह की ज़बरदस्ती न करें। फ्यूचर पॉइंट की संपूर्ण मंडली की ओर से आपको होली की हार्दिक शुभकामनाएं।

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