जानिए रंग पंचमी का महत्व और विविध रूप
By: Future Point | 11-Mar-2020
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रंग पंचमी भारतीयों का महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे होली की तरह ही मनाया जाता है। यह त्योहार होली के 5 दिन बाद चैत्र मास की कृष्ण पंचमी को मनाया जाता है। इस दिन होली की तरह लोग एक दूसरे को रंग और गुलाल लगाते हैं। यह त्योहार देवी-देवताओं को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन हवा में गुलाल उड़ाने से देवता उसकी ओर आकर्षित होते हैं। वातावरण में फैले इन रंगों के कणों पर जब देवताओं का स्पर्श पड़ता है तो सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में इस त्योहार का विशेष महत्व है। यहां इसे बड़े धूम-धाम और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। आइए, जानते हैं कब है यह पावन पर्व? जानिए, इसके पौराणिक व धार्मिक महत्व और इससे जुड़ी परंपराओं के बारे में...
पौराणिक संदर्भ
रंग पंचमी का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में होली का त्योहार कई दिनों तक मनाया जाता था जो कि रंग पंचमी के दिन जाकर ख़त्म होता था। उसके बाद रंग नहीं लगाया जाता था। वास्तव में रंग पंचमी होली का ही एक रूप है। यह त्योहार देवताओं को समर्पित है। पौराणिक ग्रंथों में इसका संबंध त्रेता युग से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि त्रेता युग के आरंभ में विष्णु जी ने धूलि वंदन किया था। धूलि वंदन का अर्थ है “विष्णु जी ने अलग-अलग तेजोमय रंगों से अवतार कार्य का आरंभ किया।” अवतार निर्मित होने पर उसे विविध तेजोमय रंगों की सहायता से दर्शनीय बनाया गया।
रंग पंचमी 2020: तिथि और मुहूर्त
रंग पंचमी तिथि: शुक्रवार, मार्च 13, 2020पंचमी तिथि प्रारंभ: प्रात: 8:50 बजे (शुक्रवार, मार्च 13, 2020)पंचमी तिथि समाप्त: प्रात: 6:16 बजे (शनिवार, मार्च 14, 2020)
रंग पंचमी का महत्व
हिदू धर्मग्रंथों के अनुसार रंग पंचमी रज-तम (raja-tama) पर विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि वातावरण में गुलाल उड़ाने से ऐसी स्थिति बनती है जिससे रजोगुण और तमोगुण का नाश होता है। कई जगहों पर रंग पंचमी को होली के त्योहार की तरह ही मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं। मान्यता है कि रंग को हवा में उछालने से तामासिक कणों का नाश होता है और वातावरण शुद्ध होता है। इस त्योहार का मकसद पंच तत्व को सक्रिय करना होता है। ये पंच तत्व हैं पृथ्वी, प्रकाश, जल, वायु और आकाश। मान्यता है कि इस संसार का निर्माण इन्ही पांच तत्वों से हुआ है। पौराणिक मान्यता के अनुसार मनुष्य का शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है। रंग पंचमी पर विविध रंगों के माध्यम से इन तत्वों को सक्रिय करने का प्रयास किया जाता है जिससे वातावरण में शुद्धता बनी रहे।
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रंग पंचमी से जुड़ी परंपराएं
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में रंग पंचमी का त्योहार बहुत प्रसिद्ध है। यहां यह त्योहार मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है। इसके अलवा गुजरात में भी यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इन जगहों पर इस त्योहार को कुछ-कुछ होली की तरह ही मनाया जाता है। इस त्योहार से जुड़ी महत्वपूर्ण परंपराएं और अनुष्ठान इस प्रकार हैं:
- इस दिन लोग दोस्तों और रिश्तेदारों के संग होली खेलते हैं। एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं।
- कई जगहों पर इस दिन श्रद्धालु भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करते हैं। वे कृष्ण और राधा के दिव्य मिलन को श्रद्धांजलि देने के लिए पूजा करते हैं। इस तरह इस त्योहार को प्रेम के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है।
- मछली पालन वाली जनजातियों में रंग पंचमी के दिन एक विशेष पालकी नृत्य किया जाता है।
- देश-विदेश से कई पर्यटक मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश (वृंदावन) में रंग पंचमी के त्योहार को देखने के लिए आते हैं। पर्यटक और देशवासी पूरे रीति-रिवाज और अनुष्ठान के साथ इस त्योहार को पूरे उत्साह से मनाते हैं।
महाराष्ट्र में रंग पंचमी
रंग वाली होली यानी धुलेंडी से रंग पंचमी तक यहां जमकर होली खेली जाती है। यहां पर जगह-जगह दही-हांडी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। जो पुरुष दही से भरी मटकी फोड़ता है उस पर स्त्रियां रंग फेंकती हैं और उसे पुरस्कार से नवाज़ा जाता है। इसके अलावा मछुआरों के लिए भी यह पर्व बेहद खास होता है। इस दिन मछुआरा समुदाय में परिक्रमा वाला एक विशेष पालकी नृत्य किया जाता है। रंग पंचमी के दिन घरों में एक विशेष प्रकार का मीठा पकवान बनाया जाता है जिसे पूरन पोली कहते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे का मुंह मीठा करके रिश्तों में आई कड़वाहट दूर करते हैं। आकाश में रंग उछालकर देवों के स्पर्श का आभास किया जाता है।
मध्य प्रदेश में रंग पंचमी
मध्य प्रदेश, खासकर इंदौर में भी इस पर्व को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन रंगारंग जुलूस निकाले जाते हैं जिसे गेर कहा जाता है। इस गेर में बैंड-बाजे, नाच-गाना सब होता है। हर जाति, धर्म, लिंग, वर्ग और समुदाय के लोग इसमें शामिल होते हैं। यहां बड़े-बड़े टैंकों में रंगीन पानी भरा जाता है। सड़कों पर और गली-मोहल्लों में लोगों पर यह रंगीन पानी फेंका जाता है। मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में रहने वाली जनजातियां इस त्योहार को बड़े उत्साह से मनाती हैं। इस दिन वे अपना विशेष नृत्य करते हैं। यहां होली और रंग पंचमी पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन लोग श्रीखंड, भजिए और भांग की ठंडाई का लुत्फ़ उठाते हैं। कई घरों में इस दिन पूरन पोली तो कई घरों में गुजिया और पापड़ी बनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में रंग पंचमी
उत्तर प्रदेश में जितने धूमधाम से होली मनाई जाती है उतने ही धूमधाम से रंग पंचमी का त्योहार भी मनाया जाता है। यहां के वृंदावन की होली और रंग पंचमी विश्व प्रसिद्ध है। इस दिन रंग से होली खेलने के अलावा लोग राधा-कृष्ण की पूजा भी करते हैं। उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में होली का पर्व कई दिन तक मनाया जाता है। होली के दिन से शुरु होकर यह पर्व यहां रंग पंचमी के दिन ख़त्म होता है। बाराबंकी में सूफ़ी संत हाजी वरिश अली शाह की दरगाह पर इस पर्व को बेहद धूम-धाम से मनाया जाता है। हिंदू-मुस्लिम प्रेम पूर्वक एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर इस त्योहार को खुशी-खुशी मनाते हैं। लखनऊ में दस दिन तक होली खेली जाती है। इस दौरान यहां तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं। यहां के सभी घरों में इस दिन बेसन की सेंव, खीर पूड़ी, गुजिया, पापड़ी बनाई जाती है। इसके लावा लोग भांग की ठंडाई का भी आनंद उठाते हैं।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, राजस्थान और गुजरात में भी इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। यहां इस पर्व को उसी जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है जिस तरह होली मनाई जाती है। आप सभी को रंगीन, स्वस्थ और उज्जवल रंग पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएं। एक दूसरे को प्रेम पूर्वक रंग लगाएं और ख़ुशहाल रंग पंचमी मनाएं।
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