यदि कुंडली में है गजकेसरी योग तो जीवन में मिलेगी सफलता

By: Future Point | 11-Mar-2020
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यदि कुंडली में है गजकेसरी योग तो जीवन में मिलेगी सफलता

ज्योतिष के मुख्य राजयोगों में से एक योग है "गजकेसरी योग" यह योग मूलतः बृहस्पति और चन्द्रमा के संयोग से बनता है, गुरु है ज्ञान और चन्द्रमा है मन, जब इस अवस्था में मन में ज्ञान का समावेश होता है, तो जातक अत्यंत बुद्धिमान ज्ञानवान, शत्रुहन्ता, वाकपटु, राजसी सुख एवं गुणों से युक्त, दीर्घजीवी, एवं यशस्वी होता है। गज को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी बुद्धि के देवता है अर्थात व्यक्ति अपनी बौद्धिक शक्ति के आधार पर धन-दौलत, उच्चपद, मान-सम्मान प्राप्त करता है। जिनकी कुण्डली में गजकेसरी योग होता है, वह अपनी बुद्धि के बल पर हर कठिनाई से निकल कर बुलंदियों को हासिल करता है| ज्योतिष में बृहस्पति को धन का कारक माना जाता है।

यदि गजकेसरी योग उत्तम प्रकार का हो तो व्यक्ति को गज के समान धन की प्राप्ति होती है। इस योग के कारण व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सफल होता है। गजकेसरी योग हाथी और सिंह के संयोग से बनता है। गज का अर्थ है हाथी और केसरी मतलब सिंह, जिस प्रकार से गज और सिंह में अपार साहस व शक्ति होती है| उसी प्रकार जन्मकुण्डली में गजकेसरी योग होने से व्यक्ति साहस व सूझबूझ के दम पर, उच्च पद व प्रतिष्ठा अर्जित करता हैं, और सामाज में पूजनीय होता है। इस योग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस योग से प्रभावित व्यक्ति पढ़ने-लिखने में बहुत ही होशियार होते हैं, दयावान और विवेकशील होते हैं। आमतौर पर इस योग वाले व्यक्ति उच्च पद पर कार्यरत होते हैं। अपने सद्गुणों के कारण मृत्यु के पश्चात भी इनकी ख्याति बनी रहती है।

कुंडली में गजकेसरी योग-

जब जन्मकुंडली (Janam Kundli) में गुरु और चन्द्रमा एक साथ युति कर रहे हों, अथवा एक-दूसरे से केन्द्र या त्रिकोण में हों, तो गजकेसरी योग बनता है, यह एक अत्यन्त प्रभावशाली राजयोग है, यह धन, ज्ञान, और समग्र समृद्धि देने वाला महान योग है| यदि गजकेसरी योग कर्क, धनु या मीन राशि में बन रहा हो तो बहुत शुभ फल करता है। मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न की कुंडली में यदि गजकेसरी योग बने तो राजयोग के समान फल करता है क्योंकि यहाँ बृहस्पति और चन्द्रमाँ परस्पर केंद्र और त्रिकोण के स्वामी होते हैं और केंद्र त्रिकोण के स्वामियों की युति राजयोग देती है। यदि कुंडली में गजकेसरी योग बना हो और बृहस्पति और चन्द्रमा कुंडली में शुभ फलकारी ग्रह हों तो इनकी दशाओं में बहुत अच्छे परिणाम मिलते हैं और धन, यश, प्रसिद्धि प्राप्त होती है।

इनकी शुभता से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को बल प्राप्त होता है, तथा ऐसा व्यक्ति अपने शत्रुओं पर अपना प्रभाव बनाये रखने में सफल होता है, विद्वता, शक्ति, अधिकार व बुद्धि इन सभी गुणों से सम्पन्न होता है| यह योग बड़े बड़े राजनेता ,मंत्री, विधायक, बड़े बड़े व्यापारी, अभिनेता, उच्च पद पर आसीन जातकों की कुंडली में ज्यादा देखा जाता है। ऐसा व्यक्ति लक्ष्मीवान होता है और जीवन को बहुत अच्छी स्थिति में व्यतीत करता है विभिन्न ज्योतिषाचार्यों ने इस योग की भूरि-भूरि प्रशंसा की है|

गजकेसरी योग में उत्पन्न जातक का व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली होता है, जातक की वाणी में सब को सम्मोहित कर लेने की क्षमता होती है, जातक शत्रुहन्ता, गुणी, दीर्घजीवी, कुशाग्रबुद्धि, तेजस्वी एवं यशस्वी होता है, ज्योतिष पितामह महर्षि पाराशर ने भी गजकेसरी योग का यही फल बताया है| गजकेसरी योग के कारण व्यक्ति कुशल, राजसी सुखों को भोगने वाला, उच्च पद प्राप्त करने वाला, वाद-विवाद व भाषण कला में निपुण होता है, गज को गणेश जी का प्रतीक माना जाता है, गणेश जी बुद्धि के देवता है अर्थात व्यक्ति अपनी बौद्धिक शक्ति के आधार धन-दौलत, मान-सम्मान प्राप्त करता है, ज्योतिष में बृहस्पति को धन का कारक माना जाता है, यदि गजकेसरी योग उत्तम प्रकार का हो तो व्यक्ति को गज के समान धन की प्राप्ति होती है, इस योग के कारण व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सफल होता है, जिस किसी भाव में गुरू व चन्द्र बैठकर गजकेसरी योग का निर्माण करते है, उस भाव से सम्बन्धित शुभ फलों में वृद्धि हो जाती है, गजकेसरी योग जब चुतर्थ व दशम भाव में बनता है तो व्यक्ति अपने व्यवसाय व करियर में ऊॅचे मुकाम को हासिल करता है, परन्तु ये सभी शुभ फल तभी घटित होते हैं जब गजकेसरी योग अन्य पाप योगों से बाधित न हो रहा हो।

गजकेसरी योग के पूर्ण फल प्राप्ति हेतु यह अत्यन्त आवश्यक है कि चन्द्रमा एवं गुरु दोनों ही मित्रक्षेत्री, शुभ ग्रहों की दृष्टि एवं शुभ भावस्थ हों, और चन्द्रमा के आगे या पीछे सूर्य के अलावा शेष मुख्य पाँच ग्रहों में से कोई न कोई ग्रह होना चाहिए, अन्यथा 'केमद्रुम' जैसा भयंकर दुर्योग बन जाएगा, ऐसी अवस्था में गुरु एवं चन्द्रमा परस्पर केन्द्र में हों और उच्च के ही क्यों न हों 'केमद्रुम' दोष अपना प्रभाव अवश्य ही दिखाएगा, और गजकेसरी योग का शुभ प्रभाव निष्फल हो जायेगा, गजकेसरी योग निश्चित ही बहुत शुभ फलदायक योग माना गया है और व्यक्ति को उन्नति प्रदान करता है परन्तु बहुत बार देखने में आता है कि कुंडली (kundli) में गजकेसरी योग होने पर भी फलीभूत नहीं होता क्योंकि कहीं न कहीं उस पर पाप प्रभाव पड़ने से योग भंग हो रहा होता है।

यदि गजकेसरी योग में बृहस्पति, चन्द्रमा के साथ राहु, केतु या शनि हो तो योग फलीभूत नहीं होता। गजकेसरी योग जब पाप भाव (6,8,12) में बने तो भी विशेष फल नहीं करता। चन्द्रमा का गण्डांत या नीच राशि में होना भी इस योग को भंग करता है। कभी-कभी इन ग्रहों की क्षमता कम होने पर जैसे ग्रह के बाल्यावस्था, मृतावस्था अथवा वृद्धावस्था इत्यादि में होने पर भी इनका पूर्ण शुभ प्रभाव नहीं मिल पाता। वृश्चिक और मकर राशि में बना गजकेसरी योग भी फल नहीं देता क्योंकि यहाँ बृहस्पति और चन्द्रमा नीच राशि में होने से कमजोर होते हैं। तो गजकेसरी योग अच्छी स्थिति में बन रहा है या नहीं यह देखना बहुत आवश्यक है। इसीलिए इन सभी बातों का ध्यान रखना जरुरी है।

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