जानिए, कब व कैसे करते हैं बुध प्रदोष की व्रत विधि और राशि अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय।
By: Future Point | 25-Sep-2019
Views : 7176
हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में दो त्रयोदशी तिथि आती हैं जो भगवान शिव को समर्पित होती हैं, अतः इस दिन प्रदोष व्रत करने का विधान है, महर्षि सूत जी कहते हैं की बुध प्रदोष व्रत करने से भगवान शंकर से मुंह मांगा फल पाया जा सकता है, यदि आप में व्रत करने की सामर्थ्य नहीं है तो आप अपनी राशि अनुसार उपाय करके भी भगवान शंकर को प्रसन्न कर सकते है, इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है, इस दिन प्रातः काल में स्नान आदि के बाद सबसे पहले भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत और धूप-दीप आदि से पूजा की जाती है फिर संध्या में, यानी प्रदोष काल के समय भी पुनः इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए, प्रदोष व्रत के दिन शिव जी के निमित्त कुछ विशेष उपाय करने से विभिन्न राशि वालों को अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं।
Get Now: Popular Horoscope Reports
बुध प्रदोष पर भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए राशि अनुसार करें ये उपाय-
- मेष: मेष राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन पीपल के पेड़ की 9 परिक्रमा करनी चाहिए।
- वृष: वृष राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन पानी में तिल मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करना चाहिए।
- मिथुन: मिथुन राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में नीले फूल चढ़ाने चाहिए।
- कर्क: कर्क राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करना चाहिए।
- सिंह: सिंह राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन माता गौरी के चित्र पर सिंदूर चढ़ाना चाहिए।
- कन्या: कन्या राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन पीपल की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।
- तुला: तुला राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन शालीग्राम जी पर तुलसी की मंजरी चढ़ाना चाहिए।
- वृश्चिक: वृश्चिक राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए।
- धनु: धनु राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में लाल फूल चढ़ाना चाहिए।
- मकर: मकर राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन गणेश जी पर दही-चावल चढ़ाना चाहिए।
- कुंभ: कुंभ राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन भगवान शंकर पर चावल की खीर चढ़ानी चाहिए।
- मीन: मीन राशि वाले व्यक्तियों को इस दिन गाय को गुड़ खिलाना चाहिए।
Get Now: Gem & Rudraksha Report
बुध प्रदोष व्रत कथा -
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ, विवाह के दो दिनों बाद उसकी पत्नी मायके चली गई, कुछ दिनों के बाद वह पुरुष पत्नी को लेने उसके यहां गया, बुधवार के दिन जब वह पत्नी के साथ लौटने लगा तो ससुराल पक्ष ने उसे रोकने का प्रयत्न किया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता, लेकिन वह नहीं माना और पत्नी के साथ चल पड़ा, नगर के बाहर पहुंचने पर पत्नी को प्यास लगी पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई, थोड़ी देर बाद पुरुष पानी लेकर वापस लौटा उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके लोटे से पानी पी रही है उसको क्रोध आ गया, वह निकट पहुंचा तो उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा। उस आदमी की सूरत उसी की भांति थी। पत्नी भी सोच में पड़ गई, दोनों पुरुष झगड़ने लगे, भीड़ इकट्ठी हो गई, सिपाही आ गए,हमशक्ल आदमियों को देख वे भी आश्चर्य में पड़ गए, उन्होंने स्त्री से पूछा ‘उसका पति कौन है?’ वह किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई, तब वह पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- ‘हे भगवान! हमारी रक्षा करें मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैंने सास-श्वशुर की बात नहीं मानी और बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया, मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा, जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अन्तर्धान हो गया। पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्नी नियमपूर्वक बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत रखने लगे ।
Get Now: Career Report
बुध प्रदोष व्रत विधि-
- बुध (सौम्यवारा) प्रदोष व्रत के दिन व्रती को प्रात:काल उठकर नित्य क्रम से निवृत हो स्नान कर शिव जी का पूजन करना चाहिये।
- पूरे दिन मन ही मन “ऊँ नम: शिवाय ” का जप करना चाहिए, पूरे दिन निराहार रहें।
- त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में यानी सुर्यास्त से तीन घड़ी पूर्व, शिव जी का पूजन करना चाहिये।
- बुध (सौम्यवारा) प्रदोष व्रत की पूजा शाम 4:30 बजे से लेकर शाम 7:00 बजे के बीच की जाती है।
- व्रती को चाहिये की शाम को दुबारा स्नान कर स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण कर लें ।
- पूजा स्थल अथवा पूजा गृह को शुद्ध कर लें।
- यदि व्रती चाहे तो शिव मंदिर में भी जा कर पूजा कर सकते हैं।
- पांच रंगों से रंगोली बनाकर मंडप तैयार करें, पूजन की सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
- कलश अथवा लोटे में शुद्ध जल भर लें।
- कुश के आसन पर बैठ कर शिव जी की पूजा विधि-विधान से करें।
- “ऊँ नम: शिवाय ” कहते हुए शिव जी को जल अर्पित करें, इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर शिव जी का ध्यान करें।
Consult the best astrologers in India on Futurepoint.com. Click here to consult now!