जानिए, लहसुनिया रत्न किस प्रकार केतु के दुष्प्रभाव को कम करता है।
By: Future Point | 25-Sep-2019
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लहसुनिया केतु का रत्न है, अर्थात इसका स्वामी केतु ग्रह है, संस्कृत में इसे वैदुर्य, विदुर रत्न, बाल सूर्य, उर्दू-फारसी में लहसुनिया और अंग्रेजी में कैट्स आई कहते हैं. जब भी बने बनाए काम में अड़चन पड़े, चोट, दुर्घटना का भय बने, उन्नति के सभी मार्ग बंद हों तो समझें केतु के कारण परेशानी चल रही है, जन्मकुण्डली के अन्दर जब भी केतु आपकी परेशानी का कारण केतु बने तो लहसुनिया रत्न धारण करना लाभप्रद होता है, केतु का रत्न लहसुनिया अचानक समस्याओं से निजात दिलाता है एवं त्वरित फायदे भी कराता है, यह रत्न केतु के दुष्प्रभाव को शीघ्र ही समाप्त करने में सक्षम है।
लहसुनिया रत्न की पहचान-
- इसमें सफेद धारियां पाई जाती हैं, जिनकी संख्या आमतौर पर दो, तीन या फिर चार होती है।
- वहीं जिस लहसुनिया में ढाई धारी पाई जाती हैं, वह उत्तम कोटि का माना जाता है।
- यह सफेद, काला, पीला सूखे पत्ता सा और हरे चार प्रकार के रंगों मिलता है।
- इन सभी पर सफेद धारियां अवश्य होती हैं, ये धारियां कभी-कभी धुएं के रंग की भी होती है।
- यह श्रीलंका व काबुल के अलावा भारत के विंध्याचल, हिमालय और महानदी क्षेत्रों में पाया जाता है।
केतु की महादशा-
- जिन राशियों में केतु की महादशा चल रही है उन्हें लहसुनिया जरूर पहनना चाहिए ।
- ये रत्न उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है शुभ प्रभाव लेकर आता है।
- लहसुनिया पहनने वालों को किसी की बुरी नजर नहीं लगती है, इसे बच्चों को भी पहनाया जाता है ।
- कैट्स आई पहनने से पहले इसका परीक्षण जरूरी है, ये जितना शुभ प्रभाव देता है दोषयुक्त होने पर उससे भी बुरा प्रभाव छोड़ता है ।
दोष युक्त लहसुनिया धारण करने से हानि-
- यदि लहसुनिया में चमक न हो तो यह धारण करने से धन का नाश होता है।
- यदि लहसुनिया में खड्डा या छेद हो तो वह खण्डित माना जाता है, ऐसा लहसुनिया धारण करने से शत्रुओं की संख्या में वृद्धि होती है।
- जिस लहसुनिया में चार या इससे अधिक धारियां हो उसे धारण करना हानिकारक सिद्ध होता है।
- यदि किसी लहसुनिया में सफेद छींटे हो तो उसे धारण करने से मृत्यु तुल्य कष्ट होता है।
- ऐसा लहसुनिया जिसमें जाल दिखाई दे उसे पहनने से पत्नी को कष्ट मिलता है।
- जिस लहसुनिया में शहद के समान छींटे हों, उसे धारण करने से राज्य व व्यापार में हानि होती है।
- धब्बा युक्त लहसुनिया पहनने शरीर में रोगों की वृद्धि होती है।
लहसुनिया किसे धारण करना चाहिए-
- जब भी बने बनाए काम में अड़चन पड़े, चोट, दुर्घटना का भय बने, उन्नति के सभी मार्ग बन्द हो, तो समझें केतु के कारण परेशानी चल रही है।
- जब भी जन्मकुण्डली के अन्दर आपकी परेशानी का कारण केतु बने तो लहसुनिया रत्न धारण करना लाभप्रद होता है।
- अगर कुण्डली में केतु की स्थिति केन्द्र/त्रिकोण में हो तो अर्थात केतु 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10 भाव में हो लहसुनिया पहनने से फायदा होता है।
लहसुनिया रत्न धारण करने से इन समस्याओं का समाधान होता है-
- ज्योतिष और रत्न शास्त्र के अनुसार जो लोग लहसुनिया पहनते हैं, उन्हें किसी की बुरी नजर नहीं लगती है ।
- कैट्स आई पहनने वालों को बुरे सपने नहीं आते, इन्हें नींद में भी किसी का डर नहीं सताता है।
- हनुमान जी की विशेष कृपा रहती है लहसुनिया रत्न पहनने वालों पर ।
- पैसों से जुड़ी परेशानियां सता रही हैं, आर्थिक रूप से बहुत बुरे हालात चल रहे हैं तो इस रत्न को धारण करें आपको लाभ जरूर होगा ।
चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए लहसुनिया रत्न-
- लहसुनिया रत्न का प्रयोग चांदी की अंगूठी में किया जाता है ।
- इसे दायें हाथ की मिडिल फिंगर में धारण करने की सलाह दी जाती है ।
- अंगूठी पहनने के लिए सोमवार को शुभ दिन माना गया है ।
- इस दिन किसी भी शुभ मुहूर्त में इसे धारण करने की सलाह दी जाती है ।
- ये ध्यान रखें कि ये रत्न धारण करने के बाद आप किसी प्रकार के अधर्म कार्य में ना फंसे, केतु की ओर से आपको कभी शुभ फल की प्राप्ति नहीं होगी ।
लहसुनिया का प्रयोग-
- शनिवार के दिन चांदी की अंगूठी में लहसुनिया जड़वाकर विधिपूर्वक, उपासना-जपादि करें।
- इसके पश्चात श्रद्धा सहित इसको अद्र्धरात्रि के समय माध्यमा या कनिष्ठा उंगली में धारण करें।
- इसका वजन सवा चार रत्ती से कम नहीं होना चाहिए।
- इसे धारण करने से पहले ओम कें केतवे नम: मंत्र का कम से कम 108 बार और अति उत्तम परिणाम के लिए 17 हजार बार जप करना चाहिए।
लहसुनिया रत्न पहनने से पहले इस प्रकार परीक्षण करें-
- कोई भी रत्न अंगूठी, ताबीज ये किसी भी तरह से पहनने से पहले उसे जांचना जरूरी है ।
- रत्न को रात में अपनी तकिया के नीचे रखकर सोएं ।
- देखें क्या आपको बुरे सपने आते हैं, ऐसा कम से कम 3 से 4 दिन तक करें, अगर आपको कोई नकारातमक संकेत नहीं मिलते तो आप इस रत्न को धारण कर सकते हैं ।