जानिए जीवन पर क्या प्रभाव डालते हैं कुंडली के 12 भाव
By: Future Point | 31-Oct-2018
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हमारा जीवन ग्रहों के प्रभाव पर आधारित होता है। जन्मकुंडली में 12 भाव होते हैं और नौ ग्रहों का इन 12 भावों में अलग-अलग प्रभाव होता है। अगर आप इन 12 भावों को समझ लें तो बड़ी आसानी से किसी के भी या स्वयं के भविष्य के बारे में जान सकते हैं।
तो चलिए जानते हैं जन्मकुंडली के 12 भावों के बारे में।
प्रथम भाव
जन्मकुंडली का पहला भाव लग्न कहलाता है। इस भाव से व्यक्ति के शरीर की यष्टि, प्रकृति, त्वचा का रंग, मान-प्रतिष्ठा, सुख-दुख, आत्मविश्वास, अहंकार और मानसिकता के बारे में जाना जा सकता है।
दूसरा भाव
कुंडली के दूसरे भाव को धन का भाव भी कहा जाता है। इससे आपकी आर्थिक स्थिति एवं धन लाभ के बारे में ज्ञात होता है। पारिवारिक सुख, घर की स्थिति, वाणी, खानपान, प्रारंभिक शिक्षा और संपत्ति के बारे में भी इस भाव से पता लगाया जा सकता है।
तीसरा भाव
इसे पराक्रम का भाव भी कहते हैं। शक्ति, भाई-बहन, नौकर, पराक्रम, सुनने की क्षमता, कंठ और फेफड़ों का विचार इस भाव से किया जाता है।
चौथा भाव
चौथे भाव को मातृ स्थान भी कहा जाता है। इस भाव से मातृसुख के बारे में पता लगाया जाता है। घर, वाहन और जमीन-जायदाद का सुख भी इस भाव से पता चलता है। छाती या पेट का रोग या मानसिक स्थिति का भी पता इस भाव से लगता है।
पंचम भाव
इस भाव को संतान सुख देने वाला भी कहते हैं। बच्चों से मिलने वाला सुख, विद्या, बुद्धि एवं उच्च शिक्षा और विनय एवं देशभक्ति, पाचन शक्ति और कला आदि के बारे में यह भाव बताता है। शास्त्रों में रूचि और धन लाभ एवं प्रेम संबंधों में प्रतिष्ठस, नौकरी में परिवर्तन आदि का विचार इसी भाव से किया जाता है।
छठा भाव
इस भाव को शत्रु एवं रोग स्थान भी कहते हैं। इससे आपके शत्रुओं की सख्या और रोग के भय के बारे में पता लगाया जाता है। तनाव, कलह, मुकदमे और मामा-मौसी के सुख एवं जननांगों के रोग आदि के बारे में इस भाव से विचार किया जाता है।
सप्तम भाव
वैवाहिक सुख के आंकलन के लिए इस भाव को देखा जाता है। इसके अलावा ये भाव शैय्या सुख, जीवनसाथी के स्वभाव, व्यापार, पार्टनरशिप, कोर्ट-कचहरी प्रकरण में यश-अपयश आदि का ज्ञान इस भाव से होता है।
अष्टम भाव
कुंडली के इस भाव को मृत्यु का भाव भी कहते हैं। इससे व्यक्ति की आयु, दुख, मानसिक तनाव और अचानक आने वाले संकटों का पता चलता है।
नवम भाव
नवम भाव को भाग्य स्थान भी कहा जाता है। आध्यात्मिक प्रगति एवं भाग्योदय के लिए इस भाव को देखा जाता है। इसके अलावा ये भाव बुद्धिमत्ता, गुरु, विदेश यात्रा, तीर्थ यात्रा, दूसरे विवाह आदि के बारे में बताता है।
दशम भाव
दसवें भाव को कर्म भाव भी कहते हैं। इस भाव से मान-सम्मान, सामाजिक प्रतिष्ठा, कार्यक्षमता, पितृ सुख, नौकरी और व्यवसाय में लाभ आदि के बारे में पता लगाया जा सकता है।
ग्यारहवां भाव
इस भाव को लाभ का घर भी कहा जाता है। इस भाव से दोस्त, उपहार, लाभ, आय के स्रोत आदि के बारे में जाना जाता है।
बारहवां भाव
बारहवें भाव को व्यय का स्थान भी कहा जाता है। कर्ज, नुकसान, विदेश यात्रा, सन्यास, अनैतिक व्यवहार, गुप्त शत्रु और आत्महत्या एवं जेल यात्रा आदि के बारे में इस भाव से जान सकते हैं।
जन्मकुंडली के इन 12 भावों से जीवन की कई संभावनाओं और भविष्य के बारे में जाना जा सकता है।