क्या ज्योतिषीय उपाय सचमुच काम करते हैं? जानिए ज्योतिष उपायों को लेकर सवाल - सवाब
By: Acharya Rekha Kalpdev | 16-Mar-2024
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कई बार हमें ऐसे सवालों का सामना करना पड़ता है कि ज्योतिषीय उपाय वास्तव में काम करते है? या उपाय केवल मनोविज्ञान आधारित होते है? ज्योतिषीय उपाय के नियमों का पालन कर, हम सब प्रारब्ध के कर्मों पर आधारित अपनी कुंडली / Kundli में स्थित ग्रह योगों, ग्रह दोषों और भाग्य में सुधार कर सकते हैं। Vedic Astrology में अनेक प्रकार के उपाय बताएं गए है, जो प्रयोग में अत्यंत सरल, सहज और स्पष्ट भी होते है। सब से बड़ी बात कि वैदिक उपाय करने का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है। उपयोग में वैदिक उपाय इतने आसान होते है कि जिनमें भ्रम और गलतफहमी का कोई स्थान नहीं है।
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ज्योतिष उपाय किस प्रकार काम करते है? | How do Astrological Remedies Work?
वैदिक ज्योतिष के उपायों का मूल्य उद्देश्य जातक की रूचि धर्म और आध्यात्म में लाना है। जब हम कोई उपाय करते हैं तो उपाय के नियमों का पालन करने से साधक का दृष्टिकोण और व्यवहार दोनों बदलने लगते है। मुख्य व्यवहार में बदलाव आने से व्यक्ति के कर्मों में बदलाव आता है, व्यक्ति के पुण्य बढ़ते है और एक अच्छे व्यक्ति का निर्माण होता है। आध्यात्मिकता से अभिप्राय: केवल जप-तप करने तक ही सीमित नहीं है, साथ ही आध्यात्मिकता का अर्थ घर बार छोड़ कर मठवासी होना भी आध्यात्मिक होना नहीं है। बल्कि प्रतिदिन बेहतर होने का प्रयास,कोशिश ही आध्यात्मिकता का प्रथम कड़ी है। आध्यात्मिक होने का अर्थ है की जीवन के सभी कष्टों, सभी समस्याओं के साथ चेहरे पर मुस्कान बनाये रखना, सकारात्मक बने रहना। स्वयं भी पॉजिटिव रहना और दूसरों को भी पॉजिटिव रखना। सकारात्मकता का विस्तार करना ही आध्यात्मिकता का मूल उद्देश्य है। जिसने इस विचार को अपने में आत्मसात कर लिया, ढाल लिया वह आध्यात्मिकता के मार्ग पर बढ़ चला।
ज्योतिषीय उपाय करने वाले लोग ऐसा नहीं कर पाते है और परिणाम स्वरुप वो कहते है कि ज्योतिषीय उपाय करने से कुछ नहीं होता। जबकि वो स्वयं यह प्रतीक्षा कर रहे होते हैं कि कोई ऐसा उपाय हो, जिससे उनका जीवन पूरा परिवर्तित हो जाए, कोई चमत्कार हो जाए, और सब समस्याओं का समाधान हो जाए। एक चमत्कार की प्रतीक्षा में व्यक्ति ज्योतिष की शरण में आते है। ज्योतिष जादू और चमत्कार नहीं करता, बल्कि वह भविष्य की घटनों कि घटनाओं का संकेत देता है। Kundli में स्थित समस्याओं का समाधान करने के लिए ज्योतिषीय उपायों का सहारा लिया जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि ज्योतिषीय उपायों से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। पर उपाय करते समय साधक का समर्पण,श्रद्धा और विश्वास का होना जरुरी है।
ज्योतिष उपाय करने से लाभ | Benefits of doing Astrology Remedies
ज्योतिष थोड़ा बहुत मनोविज्ञान से सम्बन्धित भी है। जब हम सकारात्मक सोचना शुरू करते है तो हमारा व्यवहार भी बदलना शुरू हो जाता है। इससे जीवन में भी बदलाव आना शुरू होता है। इसलिए कहा जाता है कि सोच बदलो, जीवन बदलो। ज्योतिष विद्या एक सांकेतिक भाषा है, वह संकेतों के द्वारा भविष्य का मार्ग बताती है। अपनी सोच और मानसिकता को बदलने से ज्योतिषीय उपायों से मिलने वाले परिणामों को बदला जा सकता है।
जैसे यदि - कुंडली के योगों को देखते हुए ज्योतिषी आपको राहु और शनि की अशुभता में सुधार करने के लिए उपाय करने की सलाह देता है। उपाय के रूप में आपसे कहा जाता है कि आप अपना शौचालय से साफ़ रखें, या शनिवार के दिन कौए को खाना खिलाएं। यह सही है कि हम ज्योतिषीय उपाय अपने ग्रहों को शुभ करने के लिए करते है, परन्तु उपाय करने से ग्रह जनित दोष तो ठीक होते ही है साथ ही साथ, उपाय करने वाले जातक के व्यवहार में भी उपायों से विनम्रता आती है। जैसे शौचालय की सफाई के उपाय में हमारे अहंकार का नाश होता है। काम छोटा हो या बड़ा नहीं होता, इस विचार का विस्तार होता है। ग्रहों को ठीक करने का एक अन्य उपाय है पक्षियों को दाने डालना। इस उपाय के लाभ के रूप में हमारे मन में जीव - जंतुओं के प्रति मन में दया और सहानुभूति का भाव आता है।
यदि किसी दिन भूलवश हम पक्षियों को खाना देना भूल जाते है, तो हमें याद आने पर ग्लानि का अनुभव होता है। यही से जातक के कर्म सुधार की यात्रा शुरू होती है। उपाय व्यक्ति को धैर्यवान बनाते है। उसकी सहनशक्ति में वृद्धि होती है। ऐसा नहीं ही कि उपाय करने से जीवन में दुःख आने बंद हो जाते है, दुःख तो अपने नियत समय पर ही आते है, परन्तु सहनशक्ति बढ़ने से हम दुखों से विचलित नहीं होते है। धीरे धीरे व्यक्ति पाप कर्मों से हटकर पुण्यकर्मों की और मुड़ने लगता है। व्यक्ति का मनोबल उच्च होता है, वह जल्द निराश और हताश नहीं होता है। समस्याओं का सामना करना उसे आ जाता है, दुःख में स्वयं को संभालना भी उसे आ जाता है।
वास्तव में ज्योतिषीय उपाय ग्रह दोष दूर करने के साथ साथ हमारे कर्मों को सुधारकर आध्यात्मिक और सकारात्मक उपचार करते है। जिससे जातक अंतर्चेतना से मजबूत बनता है। सूक्ष्मता से देखें तो ज्योतिषीय उपायों का प्रत्यक्ष सम्बन्ध हमारी अंतर्चेतना से है। हमारे आभामंडल और हमारे स्वभाव में सुधार से होता है। दीर्घकाल तक जब हम ज्योतिषीय उपाय करते है तो हमारे शुभ कर्मों का निर्माण होता है और व्यक्ति के प्रारब्ध के पाप कटने लगते है।
ज्योतिष में उपाय क्या है? | What is Remedy in Astrology?
ज्योतिषीय उपाय ग्रहों से प्राप्त होने वाले फल में सुधार करने का एक साधन सरल शब्दों में कहा जा सकता है। यहाँ हमें ध्यान रखना चाहिए, कि उपाय ग्रहों / Planets को बल देने और शुभता प्राप्त करने के लिए करने चाहिए, किसी दूसरे को कष्ट देने के लिए कदापि नहीं करने चाहिए। इससे पाप कम होने की जगह बढ़ जाएंगे। उपाय करते समय, उपाय के नियमों का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए।
वास्तव में ज्योतिषीय उपाय ग्रह जनित दोषों को काटने का हथियार है, अस्त्र है। एक अस्त्र से हम किसी लकड़ी या वस्तु को काटकर सुन्दर आकार भी दिया जा सकता है, और किसी को नुकसान भी पहुँचाया जा सकता है। यह उपयोग करने वाले पर निर्भर करता है कि आप उसे कैसे प्रयोग करते है। ज्योतिषीय उपाय भविष्य में सुधार करने हेतु विशेष रूप से किये जाते है, उपायों से भविष्य को शतप्रतिशत तो नहीं बदला जा सकता, परन्तु कुछ प्रतिशत उसमें सुधार अवश्य किया जा सकता है। वैदिक ज्योतिषीय उपाय कई प्रकार के है। कुंडली में ग्रहों की स्थिति और भाव स्वामित्व के आधार पर ग्रहों के उपायों का चयन किया जाता है। कुछ उपाय विधियों का हम यहाँ विवरण दे रहे हैं -
ज्योतिषीय उपाय की विधियां | Astrological Remedy Methods
ग्रहों की स्थिति से शुभ फल पाने के लिए विशेष रूप से छह प्रकार के उपायों को प्रयोग में लाया जाता है। जो निम्न हैं -
प्रथम उपाय यज्ञ - वैदिक उपायों की श्रेणी में सबसे पहला उपाय यज्ञ, हवन और अनुष्ठान का आता है। अनुष्ठान और यज्ञ, ग्रह शांति, ग्रह दोष को दूर करने और अशुभ ग्रह योगों का फल निष्क्रिय करने के लिए किये जाते है। जैसे कालसर्पयोग शांति अनुष्ठान, शनि शांति अनुष्ठान, नवग्रह शांति अनुष्ठान आदि। इसी प्रकार के कुछ यज्ञ है। हवन, यज्ञ और अनुष्ठान का प्रयोग मुख्य रूप से अशुभ ग्रहों की अशुभता को कम करने के लिए किया जाता है। जो ग्रह शुभ और बली स्थिति में होते है, उन ग्रहों के मन्त्रों का जाप कर शुभता को बढ़ाया भी जाया जाता है।
द्वितीय उपाय रत्न - वैदिक उपायों में दूसरा उपाय रत्न चयन का है। जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जातक के लिए रत्न का चयन किया जाता है। कुछ लग्नों के लिए कुछ विशेष रत्न विशेष शुभ होते है और कुछ लग्नों के लिए कुछ अन्य। मुख्य रूप से लग्न, पंचम और नवम भाव के स्वामी ग्रहों का रत्न धारण किया जाता है, परन्तु यहाँ भी कुछ अतिरिक्त नियम है। जो ग्रह 6,8,12 भाव में स्थित हो, नीचस्थ हो, या अशुभ ग्रहों कि युति में हो, उन ग्रहों का रत्न धारण करने से बचा जाता है।
रत्नों के अंतर्गत शुभ ग्रहों की शुभता को रत्नों में स्थित रश्मियों के माध्यम से ग्रहण किया जाता है। रत्न अंगूठी, ब्रेसलेट, नेकलेस और बाजूबंद के रूप में धारण किया जाता है। रत्न उपाय में रत्नों को धातु में धारण किया जाता है। अलग अलग रत्नों के लिए अलग अलग धातु का प्रयोग किया जाता है। रत्नों के लिए धातु और अंगुलियां निश्चित है। उसी को ध्यान में रखते हुए ही रत्न धारण किये जाते है।
तृतीय उपाय मंत्र - वैदिक ज्योतिष में मंत्र शक्ति भी उपाय के रूप में प्रयोग की जाती है। मंत्रों के द्वारा पंचतत्वों में समाहित ऊर्जा को मंत्र जाप के माध्यम से प्रयोग कर शुभ /अशुभ ग्रहों की शक्तियों को मंत्रों के द्वारा जागृत किया जाता है। मन्त्र जप में उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध रखने का नियम है। मंत्र संस्कृत भाषा में होने के कारण सभी के लिए मंत्र जाप शुद्ध करना संभव नहीं हो पता है। मंत्र जप वैदिक उपायों पद्वति के अनुसार मंत्र जाप शुभ ग्रह की शुभता को बढ़ाते है और अशुभ ग्रह की अशुभता को शांत करते है। ऐसे में वैदिक मंत्र जाप का प्रयोग शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के ग्रहों के लिए किया जाता है।
चतुर्थ उपाय यन्त्र - ज्योतिषीय उपायों में चतुर्थ प्रकार यंत्र का आता है। यन्त्र एक प्रकार की विशेष आकृति होती है। जो कुछ विशेष चिन्हों, अंकों, रेखाओं और बिंदुओं के प्रयोग से मिलकर बनी होती है। यह एक प्रकार की ज्यामितीय संरचना होती है, जो प्रयोग में सरल परन्तु निर्माण में अत्यंत कठिन होती है। इनका निर्माण मुहूर्त और ज्योतिष के नियमों के अंतर्गत किया जाता है। वर्तमान समय में यन्त्र बने बनाये भी बाजार में उपलब्ध है। इन्हें लेकर अभिमंत्रित करने के पश्चात पूजा घर में रखकर, इनका दर्शन, पूजन नियमित रूप से करने का विधि-विधान है। पूर्ण नियमों से इनका दर्शन-पूजन करने से यन्त्र चमत्कारिक परिणाम देते है।
पंचम उपाय संकल्प - संकल्प का प्रयोग व्रत करने या जीवन के अदार्श तय करने के लिए मुख्य रूप से किया जाता है। किसी कठिन कार्य को पूरा करने से पूर्व संकल्प अर्थात वचन लिया जाता है कि, अमुक कार्य, अमुक दिनों तक और अमुक उद्देश्य के लिए शुरू किया जा रहा है, इस कार्य का पुण्य अमुक व्यक्ति को दिया जाए। संकल्प के साथ व्रत पालन, पाठ या मंत्र जाप किये जाते है।
षष्ठ उपाय दान - छठे प्रकार का उपाय दान है। दान किसी जरूरतमंद या किसी निश्चित व्यक्ति को किया जाता है। दान अशुभ ग्रहों का किया जाता है। दान करने से ग्रह की अशुभता दूर होती है। दान करने का मुख्य उद्देश्य ग्रहों की अशुभता को वस्तुओं के द्वारा दूर करना। दान धन, वस्तु और सेवा का हो सकता है। दान करने से व्यक्ति अधिक दयालु, अधिक संवेदनशील और अधिक मानवीय बनता है।
अन्य - वैदिक ज्योतिष में इसके अतिरिक्त कुछ अन्य प्रकार भी है जिनका प्रयोग उपाय के रूप में किया जाता है जैसे - रंग पद्वति के अनुसार वस्त्रों के रंग का चयन करना, जूते, रुपाल, पर्स या अन्य वस्तुओं का ग्रहों के रंगों को ध्यान में रखते हुए प्रयोग करना।