अयोध्या दुल्हन सी सज गई है- 22 जनवरी 2024 को राम लल्ला जी विराजेंगे | Future Point

अयोध्या दुल्हन सी सज गई है- 22 जनवरी 2024 को राम लल्ला जी विराजेंगे

By: Acharya Rekha Kalpdev | 09-Jan-2024
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अयोध्या दुल्हन सी सज गई है- 22 जनवरी 2024 को राम लल्ला जी विराजेंगे

अयोध्या नगरी सप्तपुरियों में से एक है। सरयू नगरी के किनारे बसी अयोध्या नगरी को कौशल देश के नाम से भी जाना जाता है। अयोध्या नगरी हिन्दू धर्म का शाश्वत तीर्थ स्थल है। इस नगरी में 10 हजार साल पहले भगवान् राम जी का जन्म हुआ था। संसार भर से हिन्दू धर्म के भक्त और राम भक्त अयोध्या में राम लल्ला जी, कनक भवन और हनुमान गढ़ी में दर्शन पूजन के लिए आते हैं। रामायण जी के अनुसार अयोध्या जी कौशल देश कि राजधानी थी। यहाँ के राजा भगवान राम के पिता दशरथ जी थे। भगवान राम आदर्श के सूर्य है, कर्तव्यनिष्ठ हैं, नैतिकता के मापदंड हैं।

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अयोध्या भगवान राम कि जन्मस्थली होने के कारण पूज्य है। भगवान राम विष्णु जी के सातवें अवतार है। अयोध्या जी मंदिरों और आस्था का गढ़ है। यहाँ सिर्फ रामलल्ला जी का ही जन्म नहीं हुआ, बल्कि यहाँ राम जी के प्यारे, राम के परम दास हनुमान जी का हनुमान बढ़ी के नाम से प्रसिद्द और सिद्ध मंदिर है, जहाँ हनुमान जी आज भी अपने आराध्य के द्वाररक्षक बने हुए हैं। राम द्वारे तुम रखवारे, उक्ति को सिद्ध करते हुए, हनुमान जी त्रेता काल से अपने आराध्य राम जी कि जन्मस्थली अयोध्या जी कि रक्षा कर रहे हैं। हनुमान गढ़ी मंदिर के अलावा यहाँ, कनक भवन मंदिर और राम जी अपने भव्य मंदिर में विधिविधान से विराजित हो चुके है।

राम मंदिर में राम जी के विराजित होने का इसे एक उत्सव न मानें- यह सनातन धर्म, सनातन संस्कृति कि उत्थान यात्रा का प्रथम सौपान है। यहाँ से सनातन धर्म, संस्कृति एक बार फिर से अपने दिव्य, भव्य वैदिक काल के स्वरुप को प्राप्त करने कि दिशा में चल चूका है। अयोध्या जी में राम मंदिर निर्माण के साथ जो एक यात्रा शुरू हुई है। भगवान राम मनुष्य जीवन को जीने कि उत्कृष्ट कला सिखाता है। मनुष्य जीवन को किस प्रकार जीना चाहिए, यह किसी को सीखना है तो उसे भगवान राम के जीवन का अनुसरण करना चाहिए, हम तो यह कहेंगे, कि प्रत्येक मनष्य को राम जैसा जीवन आदर्श लेकर, नैतिकता के श्रृंगार के साथ जीवन जीना चाहिए, इससे प्रत्येक मनुष्य राम हो जाएगा, प्रत्येक व्यक्ति में राम बैठ जायेगा, घट-घट में राम स्थापित होने के बाद राम राज्य कि स्थापना स्वत: हो जाएगी।

अयोध्या जी कि महिमा अद्भुत है, अयोध्या जी एक नगरी नहीं है, उसे मोक्ष नगरी कहना ज्यादा सही रहेगा। यहाँ सबको मोक्ष का मार्ग दिखाने वाले हम सब के प्यारे राम जी का जन्म हुआ। अयोध्या जी कि महिमा राम जी से अधिक है और राम जी कि महिमा अयोध्या से अधिक है। दोनों कि बराबरी करने वाला कोई दूसरा नहीं है। अयोध्या जी और राम जी दोनों एक दूसरे के पूरक है।

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अयोध्या भगवान राम कि नगरी है, यहाँ हनुमान जी सदैव विराजते है। राम जी के दर्शन करने से पहले हनुमान जी, जो भगवान राम के द्वार रक्षक है, के दर्शन हनुमान गढ़ी स्थित मंदिर में किये जाते है। भगवान राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था।

गवान् राम जी के पुत्र कुश ने एक बार फिर से अयोध्या नगरी का पुननिर्माण कराया है। इसके बाद में 44 पीढ़ियां जो सूर्यवंश कि हुई, सभी ने अयोध्या पर राज किया। अयोध्या को आप एक शहर के नाम के रूप में नहीं जान सकते है। यह एक सजीव जीवात्मा है, जिसमें प्रत्येक सनातनियों कि आत्मा बसती है। अयोध्या जी को आप एक सिद्ध देव प्रतिमा कह सकते है, हम इसे एक देव प्रतिमा के रूप में स्वीकारते है। जिस प्रकार के सिद्ध प्रतिमा अपनी दिव्यता और आकर्षण से सबको अपनी और आकर्षित करती है, ठीक वैसे ही अयोध्या नगरी है।


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