आपके मुख्य द्वार का रंग बिखेरेगा, आपके जीवन में खुशियों के रंग - वास्तु टिप्स | Future Point

आपके मुख्य द्वार का रंग बिखेरेगा, आपके जीवन में खुशियों के रंग - वास्तु टिप्स

By: Future Point | 22-Sep-2022
Views : 4448आपके मुख्य द्वार का रंग बिखेरेगा, आपके जीवन में खुशियों के रंग - वास्तु टिप्स

आपके घर का दरवाज़ा केवल आपके घर से आने-जाने का साधन मात्र नहीं बल्कि इसमें और भी कुछ बहुत ही विशेष बात है। क्या आप जानते है कि आपके घर का दरवाज़ा आपको आपके करियर में सफलता की ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।  

आपका दरवाज़ा आपको सभी गंभीर बीमारियों से दूर रख सकता है और यही दरवाज़ा आपके बच्चे को पढाई में मन लगाए रखने व आगे रहने में मदद कर सकता है। आप निश्चित ही जानना चाहेंगें कि आखिर यह कैसे संभव हो पायेगा

वास्तु शास्त्र द्वारा यदि हम अपने घर के मुख्य द्वार के लिए सही रंग का चयन करें तो जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए अपने घर की शांति व सुख-समृद्धि को बनाए रखने के लिए घर के मुख्य दरवाजे को वास्तु के अनुसार ही बनवाना चाहिए। 

आइयें जानते हैं वास्तु शास्त्र के कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण टिप्स -

घर के वास्तु की है बहुत ही अहम भूमिका  

घर के वास्तु का घर में रहने वाले सभी सदस्यों पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। किसी भी परिवार के सदस्यों को देखकर हम उनके के सही या गलत वास्तु का अंदाजा लगा सकते है। यदि घर में रखी चीजें वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा में रखी जाएं, तो यह परिवार के सदस्यों को कई तरह से फायदा देतीं हैं। 

इसके विपरीत गलत जगह व दिशा में राखी चीज़ें नकरात्मक प्रभाव लाती हैं। सही वास्तु से आप अपने जीवन की अनेक समस्याओं को समाप्त कर सकते हैं। घर का मुख्य दरवाजा किस दिशा में हो, किस रंग का हो आदि बातों का भी ध्यान रखा जाना बहुत ज़रूरी है। आइयें जानें वास्तु शास्त्र के अनुसार आपके घर का दरवाज़े का डिजाइन कैसा होना चाहिए –

आपके मुख्य दरवाजे का रंग कैसा हो ?

यदि हम एक मोटे तौर पर बात करें तो वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार हमेशा हलके रंग का होना चाहिए और इसमें भी प्राकृतिक लकड़ी के रंग का दरवाज़ा सबसे उत्तम है। घर के मुख्य दरवाजे को चटक रंगों में रंगने से बचना चाहिए। घर को हमेशा गहरे व नकरात्मक रंगों से बचाना चाहिए जैसे नीला या काला। इसके अलावा, घर के मुख्य दरवाज़े पर साफ-सफाई व रौशनी का ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है। 

घर के मुख्य द्वार के पास शू-रैक, कूड़ेदान, टूटा फर्नीचर, खंडित मूर्ती आदि नहीं रखनी चाहिए। दरवाज़े को बंदनवार व स्वास्तिक आदि से सजाया जाना चाहिए। कई लोग अपने मुख्य द्वार पर रंगोली भी बनाते हैं जो अत्यंत शुभ है।  यह अधिकतर दक्षिण भारत में मुख्यतः देखा जाता है।   

वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि किसी भी फ्लैट या घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश मुख्य प्रवेश द्वार से होता है। 

घर के मुख्य द्वार के लिए उत्तर, पूर्व, उत्तर-पूर्व और पश्चिम दिशाएं सबसे अच्छी मानी गयी हैं। इन सभी दिशाओं का सूर्य से संबंध के कारण इन दिशाओं को अत्यधिक शुभ माना गया। आदर्श रूप में, मुख्य द्वार को दक्षिण, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व, या दक्षिण-पश्चिम में बनाने से मना किया जाता है।  

मुख्य द्वार के लिए वास्तु रंग

रंग व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक दिशा के लिए एक विशिष्ट रंग निर्धारित किया गया है। वास्तु के अनुसार, सकरात्मक ऊर्जा के लिए दिशा पर विचार करके ही प्रवेश द्वार का रंग चुना जाना चाहिए। 

  • यदि मुख्य द्वार पश्चिम में हो: सफेद/नीला रंग

यदि घर का मुख्य द्वार पश्चिम में है, तो यह भाग्य को मज़बूत बनाने की असाधारण क्षमता रखता है। शनि यहां का ग्रह माना गया, जो नीले रंग को दर्शाता है। हल्का आसमानी नीले रंग को वास्तु शास्त्र में शुभता, शांति और सद्भाव को दर्शाता है। सफेद रंग भी पवित्रता, स्वच्छता, और शांति का प्रतीक है, जो परिवार में आपसी मित्रता को निश्चित करता है। सफेद रंग जीवन में प्रकाश को भी दर्शाता है और घर को चमक से जोड़ता है। 

  • यदि मुख्य द्वार पूर्व में हो: लकड़ी के रंग का 

यदि घर का मुख्य द्वार पूर्व में है, तो लकड़ी का दरवाजा या लकड़ी के रंग का दरवाज़ा चुनना चाहिए। यह घर में एक शांत और एकत्रित वातावरण देता है। पुराने लकड़ी के दरवाजे आजकल बहुतायत उपलब्ध है और ये घर में अतिरिक्त गहराई और आयाम जोड़ते हैं। 

यह भी पढ़ें: आपकी दुनिया बदल सकता है वास्‍तु शास्‍त्र, अब घर बैठे सीख सकते हैं आप

  • यदि मुख्य द्वार दक्षिण में हो: गुलाबी/ सिल्वर/ नारंगी

यदि प्रवेश द्वार दक्षिण-पूर्व में है, तो यह धन से सम्बन्ध रखता है। पैसे की स्थिरता बनाये रखने के लिए सिल्वर रंग दरवाज़ा चुनें। धन का सम्बन्ध दक्षिण के साथ बन रहा है। मंगल इस दिशा का स्वामी माना गया और गुलाबी इस ग्रह का पसंदीदा रंग है। गुलाबी रंग आनंद व प्रेम को दर्शाता है। यदि एक पूर्ण गुलाबी दरवाजा न रख पाए तो दरवाज़े के हैंडल और नॉब्स के लिए गुलाबी रंग प्रयोग में लाया जा सकता है। नेमप्लेट के लिए भी इसे चुना जा सकता है।

  • यदि मुख्य द्वार दक्षिण-पश्चिम में हो: पीला/क्रीम 

दक्षिण पश्चिम दिशा पारिवारिक सद्भाव और जीवन में स्थिरता को निश्चित करती है। ऐसे मुख्य द्वार के लिए पीले या क्रीम रंग चुनें। पीला रंग प्यार, बुद्धिमता और अच्छे समय को दर्शाने वाला रंग है और परिवार में खुशियों को आकर्षित करता है। यदि दरवाज़े में पीतल के हैंडल लगाए जाएं तो यह और भी शुभ है क्योंकि यह पीले और सुनहरे रंग को आपस में जोड़ता है।

  • यदि मुख्य द्वार उत्तर में हो: हरा 

उत्तर में स्थित द्वार हरे रंग का होना चाहिए यह रंग समृद्धि और धन को आकर्षित करता है। घर के उत्तरी भाग में जल की प्रधानता होनी चाहिए और यहां रोशनी की प्रधानता के साथ-साथ हरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए। हरा रंग, बुद्ध ग्रह से सम्बंधित है और यह दिशा वायु से भी जुड़ी है। वास्तु के अनुसार हरा रंग प्रकृति, समझ, बुद्धि, उपचार और वित्त की अधिकता का प्रतिनिधित्व करता है, हालांकि गहरा हरा रंग नहीं अपनाना चाहिए क्यूंकि कई बार यह आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है।

  • यदि मुख्य द्वार उत्तर-पूर्व में हो: क्रीम/पीला 

उत्तर पूर्व सबसे अधिक शुभ दिशा मानी गयी है। सूर्य की किरणों के साथ ही यह घर में सुख व समृद्धि लाने का कार्य करता है। इस दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है ईशान यानि भगवान का वास। इस प्रकार, पीला रंग इस मुख्य द्वार के लिए आदर्श रंग है। बृहस्पति इस दिशा पर शासन करता है और यहां के लिए क्रीम और पीला रंग सबसे अधिक उपयुक्त है। उत्तर-पूर्व दिशा घर के सदस्यों की मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिकता से भी जुड़ी है और घर वालों के लिए एक अच्छा बौद्धिक व आध्यात्मिक विकास सुनिश्चित करती है।  

  • यदि मुख्य द्वार उत्तर-पश्चिम में हो: सफ़ेद/ सिल्वर  

उत्तर पश्चिम दिशा का शासक ग्रह, चन्द्रमा है और यह सफेद और सिल्वर रंग को दर्शाता है। उत्तर-पश्चिम दिशा का तत्व पश्चिम दिशा के जैसा है। यह दिशा आपको लोगों का सहयोग दिलवाती है। यहां सफेद या ऑफ-व्हाइट रंग का प्रयोग घर में अनुकूल ऊर्जा को आकर्षित करता है।  

जाने अपनी सभी समस्याओं का समाधान पाएं: सम्पूर्ण महा कुंडली रिपोर्ट में 

ना करें गहरे रंगों का प्रयोग

वास्तु के अनुसार गहरा रंग अहंकार और उदासी लाता है। मेन गेट पर इनके इस्तेमाल से हर हाल में बचें। ऐसे ही लाल रंग भी गुस्से और अनिष्टकारी ऊर्जा को आकर्षित करता है, इसलिए मुख्य द्वार को कभी भी लाल रंग से न रंगें। इसके अलावा, गहरे नीले व काले रंग को भी ना कहें। 

मुख्य द्वार के लिए कुछ और ध्यान देने योग्य बातें -

  • मुख्य द्वार हमेशा चौकोर या आयताकार आकार का होना चाहिए। ऐसे दरवाज़े न लगाएं जो अपने आप बंद हो जाते हैं।
  • मुख्य द्वार हमेशा बाकी दरवाज़ों से बड़ा और ऊंचा हो। प्रवेश द्वार कहीं से भी टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। दरवाज़ा अंदर की और खुलना चाहिए क्योंकि बाहर की ओर खुलने वाला दरवाजा सकारात्मक ऊर्जा को दूर धकेलता है।  
  • लाभकारी ऊर्जा के लिए मुख्य द्वार पर लकड़ी का सामान अत्यधिक शुभ माना गया है। लकड़ी नकारात्मक ऊर्जा को अपने में अवशोषित कर लेती है। 
  • घर के लिए हमेशा नए गेट या दरवाजे का इस्तेमाल करें, कभी भी पुराना गेट ना लगाएं।   
  • सकारात्मक ऊर्जा के लिए मुख्य प्रवेश द्वार आकर्षक दिखना चाहिए। मुख्य द्वार में दहलीज होनी चाहिए जो संगमरमर या लकड़ी से बनी हो। इसके अलावा, घर के प्रवेश द्वार रंगोली और गणेश, लक्ष्मी जी के पद चिन्ह, हाथी, ओम, कलश और शुभ लाभ आदि प्रतीकों का प्रयोग कर सकते हैं। 
  • मुख्य द्वार पर हमेशा सुन्दर सी नेमप्लेट लगाएं। तोरण और बंदनवार का इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह सौभाग्य को आमंत्रित कर नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है। 
  • वास्तु के अनुसार, पीले गेंदे के फूलों के तोरण सौभाग्य का प्रतीक हैं और अशोक और आम के पत्तों के साथ, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं। 
  • चौराहे या टी पॉइंट पर बने मुख्य द्वार से बचें।  
  • घर का मुख्य द्वार घर के मध्य या भूखंड के बीच में ना हो।  
  • घर के मुख्य द्वार के सामने खंभे, पेड़ या कोई और बाधा नहीं होनी चाहिए।
  • आपके मुख्य द्वार की ओर जाने वाले रास्ते में अँधेरा नहीं हो क्योंकि यह मानसिक-तनाव को निमंत्रण देता है और समस्याएं पैदा करता है। इसे प्रकाशित रहना चाहिए।  
  • मुख्य द्वार पर किसी भी प्रकार की छाया ना हो। जैसे इमारतों या पौधों द्वारा डाली गई छाया।
  • मुख्य प्रवेश द्वार का मुख लिफ्ट या सीढ़ी की ओर नहीं होना चाहिए।
  • दरवाजा खोलते या बंद करते कोई आवाज़ ना करे।  
  • मुख्य दरवाजा हमेशा ज़मीन से थोड़ा ऊपर होना चाहिए और मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियों की संख्या विषम हो।  
  • मुख्य द्वार को साफ और किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से दूर रखें। 
  • एक घोड़े की नाल को ऊपर की ओर इशारा करते हुए लगाएं। यह अत्यंत शुभ मानी गयी है।  
  • सूर्यास्त के समय मुख्य द्वार के बाहर दीया जलाना चाहिए इससे सकरात्मक ऊर्जा आकर्षित हो बुरी ऊर्जा दूर जाती है।