2019 हरियाली तीज विशेष – महत्व, कथा एवं पूजा विधि । | Future Point

2019 हरियाली तीज विशेष – महत्व, कथा एवं पूजा विधि ।

By: Future Point | 15-Jul-2019
Views : 73782019 हरियाली तीज विशेष – महत्व, कथा एवं पूजा विधि ।

श्रावण के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. मुख्य रूप से यह त्योहार उत्तर भारत में मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में तो इस त्योहार को कजली तीज के रूप में भी मनाते हैं. इस वर्ष 2019 में यह त्योहार 3 अगस्त को है. महिलाओं के इस त्योहार में जब प्रकृति हरियाली की चादर ओढ़ी होती है तो सभी के मन में मोर नाचने लगते हैं, जहां एक ओर पेड़ों की डालों में झूले डाले जाते हैं तो वहीं दूसरी ओर यह व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत जयादा महत्वपूर्ण होता है. आस्था, सौंदर्य और प्रेम से भरा यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. चारों ओर हरियाली होने की वजह से इसे हरियाली तीज भी कहा जाता है. इस अवसर पर महिलाएं झूला झूलती हैं, गाना गाती हैं और खुशियां मनाती हैं।


हरियाली तीज का महत्व-

हिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है और उससे जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है. हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था और इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया. ऐसा कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया तभी से ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

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हरियाली तीज व्रत की कथा -

हरियाली तीज व्रत की एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव एक दिन माता पार्वती को अपने मिलने की कथा सुनाते हैं, भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं कि तुमने मुझे अपने पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया, लेकिन तुम मुझे अपने पति के रूप में एक भी बार नही पा सकी, फिर जब 108वीं बार तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया तो तुमने मुझे अपने वर के रूप में पाने के लिए हिमालय पर घोर तपस्या की और उस तपस्या के दौरान तुमने अन्न-जल का भी त्याग कर दिया था और सूखे पत्तों चबाकर तुम पूरा दिन बिताती थी, बिना मौसम की परवाह किए हुए तुमने निरंतर तप किया और तुम्हारे पिता तुम्हारी ऐसी स्थिति देखकर बहुत दुखी व नाराज थे लेकिन फिर भी तुम वन में एक गुफा के अंदर मेरी आराधना में लीन रहती थी, भाद्रपद के महीने में तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना की जिससे खुश होकर मैने तुम्हारी मनोकामना पूरी की, जिसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का काफी लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिता दिया है और अब भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी लिया है इसलिए अब मैं आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे, जिसके बाद पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर लिया और तुम्हें घर वापस ले गए। कुछ समय बाद ही उन्होंने पूरे विधि विधान के साथ हमारा विवाह करा दिया. शिव जी कहते हैं कि हे पार्वती! भाद्रपद शुक्ल तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था यह उसी का परिणाम है जो हम दोनों का विवाह संभव हो सका. शिव जी ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत का महत्त्व यह है कि इस व्रत को पूरी निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूँ. इतना ही नही भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होगी।

2019 हरियाली तीज पर्व की तिथि व मुहूर्त -

3 अगस्त दिन शनिवार को तृतीया तिथि प्रारंभ – 01:36 बजे होगी।

हरियाली तीज व्रत पूजा विधि -

  • सर्वप्रथम सुबह उठ कर स्‍नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके पश्चात् मन में पूजा करने का संकल्प लें और ‘उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये’ मंत्र का जाप करें।
  • पूजा शुरू करने से पूर्व काली मिट्टी से भगवान शिव और मां पार्वती तथा भगवान गणेश की मूर्ति बनाए।
  • इसके पश्चात् थाली में सुहाग की सामग्रियों को सजा कर माता पार्वती को अर्पण करें।
  • ऐसा करने के बाद भगवान शिव को वस्त्र चढ़ाएं।
  • उसके पश्चात् तीज की कथा सुने या पढ़ें।
  • हरियाली तीज व्रत का पूजन रात भर चलता है, इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।

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