वैदिक ज्योतिष के अनुसार जानिए, क्या है आपकी राशि का भाग्यशाली रत्न ? | Future Point

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जानिए, क्या है आपकी राशि का भाग्यशाली रत्न ?

By: Future Point | 04-Jul-2020
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार जानिए, क्या है आपकी राशि का भाग्यशाली रत्न ?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस संपूर्ण नक्षत्र मण्डल में बारह राशियां होती है। प्रत्येक राशि का अपना अलग-अलग राशि का स्वामी ग्रह होता है। इस राशि स्वामी के आधार पर ही राशि के रत्नों का निर्धारण होता है। ज्योतिष के अनुसार यदि कोई भी व्यक्ति राशि के अनुसार रत्न धारण करता है, तो उसे अच्छे परिणाम जल्द ही मिलने शुरु हो जाते है। और उसका रुका हुआ भाग्य उसका साथ देने लगता है| लेकिन ज्योतिष में रत्नों को धारण करने के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना जरूरी होता है।

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मेष राशि - 

मेष राशि वाले जातकों की राशि का स्वामी मंगल ग्रह होता है। इस राशि के जातकों को जीवन में सफलता और समृद्धि पाने के लिए मूंगा रत्न को धारण करना चाहिए। मूंगा रत्न को सोने या तांबे की धातु के साथ ही पहनना चाहिए। तांबे की धातु में पहनने से मूंगा रत्न का लाभ और भी ज्यादा बढ़ जाता है। मूंगा रत्न को मंगलवार के दिन मंगल की होरा में शुभ मुहूर्त में अनामिका अंगूली में ही धारण करना चाहिए। इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः''।इस मंगल बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

वृषभ राशि –

वृषभ राशि के जातकों को हीरा धारण करना चाहिए, क्योंकि वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है और शुक्र का रत्न हीरा है। हीरा कला और रचनात्मक कार्यों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। हीरा धारण करने से दाम्पत्य सुख प्राप्त होता है और जीवन में कभी भी धन धान्य की कमी नही रहती है। इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ द्रां द्रां द्रौं सः शुक्राय नमः''। इस शुक्र बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

मिथुन राशि – 

मिथुन राशि के जातकों को पन्ना रत्न धारण करने की सलाह ज्योतिष शास्त्र में दी गई है। मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध है और जो लोग अपने बुध ग्रह को बलवान  करना चाहते है वो पन्ना धारण करके अपने बुध को मजबूती दे सकते है तथा बुध से जुड़े कार्यों में महारथ हासिल कर सकते है। इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः''। इस बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

कर्क राशि – 

कर्क राशि का स्वामी ग्रह चन्द्रमा है, और चन्द्रमा मन का कारक है। चन्द्रमा का संबंध मोती रत्न से होता है, इसलिए कर्क राशि के जातकों को मोती धारण करना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। मोती का असर पूरी तरह से इंसान के मन पर पड़ता है। गुस्से और मानसिक तवाव से पीडित लोगों के लिए मोती सबसे अच्छा उपाय है। इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः''। इस चंद्र बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

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सिंह राशि – 

सिंह राशि के जातकों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है। सिंह राशि का स्वामी सूर्य है तथा सूर्य देव के द्वारा ही हमें मान-पद-प्रतिष्ठा और सफलता की प्राप्ति होती है। सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों को माणिक्य रत्न पहनना बहुत ज्यादा लाभकारी होता है। इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ ह्नां ह्नीं ह्नौं सः सूर्याय नमः''। इस सूर्य बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

कन्या राशि – 

कन्या राशि के जातकों के लिए पन्ना रत्न धारण करना बहुत ही भाग्यशाली माना गया है, क्योंकि इस राशि का स्वामी बुध है। कन्या राशि वालों के जीवन में आने वाली हर बाधा को पन्ना रत्न पहन कर दूर किया जा सकता है। और व्यापर में अच्छी सफलता प्राप्त की जा सकती है| इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः''। इस बुध बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

तुला राशि -

तुला राशि वालों को हीरा या ओपल रत्न  धारण करना चाहिए, क्योंकि तुला राशि का स्वामी शुक्र है और शुक्र का रत्न हीरा है। हीरा कला और रचनात्मक कार्यों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। हीरा धारण करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नही होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है| इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ द्रां द्रां द्रौं सः शुक्राय नमः''। इस शुक्र बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

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वृश्चिक राशि –

वृश्चिक राशि के जातकों की राशि का स्वामी मंगल ग्रह होता है। मेष राशि वालों को जीवन में सफलता और समृद्धि पाने के लिए मूंगा रत्न धारण करना चाहिए। मूंगे को तांबे की धातु के साथ ही पहनना चाहिए। तांबे की धातु में पहनने से मूंगा रत्न का लाभ और भी ज्यादा बढ़ जाते है। मूंगा रत्न को मंगलवार के दिन शुभ मुहूर्त, नक्षत्र और होरा में अनामिका अंगूली में धारण करना चाहिए। इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः''। इस मंगल बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

धनु राशि – 

धनु राशि के जातकों का स्वामी ग्रह बृहस्पति है, अतः इस राशि के जातकों को पुखराज धारण करना चाहिए। धनु राशि के जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही है, विवाह होने में अड़चने आ रही हैं वह पुखराज धारण करके अपने वैवाहिक जीवन का आनंद ले सकते हैं। पुखराज के धारण करने से जीवन में निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है। और शिक्षा की दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली रत्न है| इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः''। इस बृहस्पति बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

मकर राशि – 

मकर राशि के जातकों को नीलम रत्न पहनना शुभ होता है। नीलम रत्न के पहनने से इंसान के अंदर का भय पूरी तरह से खत्म हो जाता है। यह रत्न पहनने से आलस्य दूर होता है और पोजेटिव फिलिंग आती है। मकर राशि का स्वामी शनि है और शनि का संबंध नीलम रत्न से होता है। इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः''। इस शनि बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

कुम्भ राशि – 

कुम्भ राशि के जातकों का राशि स्वामी शनि होता है। इस राशि के जातकों को नीलम धारण करना शुभफलदाई माना गया है। नीलम रत्न के धारण करने से धन-लाभ व मान-सम्मान में वृद्धि होती है। शनि से सम्बंधित व्यवसायों में सफलता मिलती है| यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में शनि अस्त, वक्री, निर्बल तथा नीच भाव में है, तो नीलम रत्न का धारण करके इन सबसे बचा जा सकता है। इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः''। इस शनि बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

मीन राशि - 

मीन राशि के जातकों का स्वामी ग्रह बृहस्पति है, अतः इस राशि के जातकों को पुखराज धारण करना चाहिए। मीन राशि के जिन लोगों के विवाह में देरी हो रही है वह पुखराज धारण करके अपने वैवाहिक जीवन का आनंद ले सकते है। पुखराज के धारण करने से जीवन में निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है और शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत सपलता मिलती है, इस रत्न को धारण करने से पूर्व ''ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरूवे नमः''। इस बृहस्पति बीज मन्त्र का 108 बार जाप करना चाहिए|

वैदिक ज्योतिष के अनुसार रत्नों को धारण करके ग्रहों से मिलने वाली ऊर्जा में वृद्धि की जा सकती है परंतु इन रत्नों को धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी से परामर्श जरुर कर लें, क्योंकि रत्न हमेशा जन्म कुण्डली के विशलेषण के बाद ही धारण करना चाहिए।

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