वक्त के शहंशाह - नरेश गोयल | Future Point

वक्त के शहंशाह - नरेश गोयल

By: Abha Bansal | 20-Jun-2019
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वक्त के शहंशाह - नरेश गोयल

वक्त बदलते देर नहीं लगती, शंहशाह को फकीर और फकीर को शंहशाह बनते देर नही लगती। शंहशाहों को भी जो दरबान बना दे उसे ही वक्त कहते हैं। जरुरी नहीं कि जिनका आगाज अच्छा हो उन्हीं का अंजाम अच्छा होता है। कुछ ऐसे भी सितारे होते हैं जो अपना मुकद्दर अपने हाथों से लिखते हैं और जिनका मुकद्दर एक बार फिर उन्हें वहीं पहुंचा देता है जहां से उन्होंने शुरुआत की थी। ऐसे ही एक कथानक से हम आज आपको रुबरु कराने जा रहे हैं-

29 जुलाई 1947 को संगरूर (पंजाब) में जन्मे नरेश गोयल जो भारत की प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइन जेट एयरवेज के संस्थापक और अध्यक्ष हैं, पर उपरोक्त कहावत पूर्ण रुप से लागू होती है। पंजाब के संगरुर जिले में एक समृद्ध ज्वेलर्स परिवार में नरेश गोयल का जन्म हुआ। अभी ये बच्चे ही थे, कि इनके पिता की मृत्यु हो गई। छठी कक्षा तक सरकारी स्कूल में किसी तरह पढ़ाई की। 12 वर्ष की आयु में इनके परिवार को दिवालियेपन का सामना करना पड़ा। तब इनका परिवार एक बहुत बड़े आर्थिक संकट से घिरा हुआ था। जब घर-जायदाद सब बिक गया तो इनके परिवार को मां के साथ इनके नाना के यहां रहने जाना पड़ा। इनकी हालत इतनी खराब थी कि, नरेश को कुछ मील पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था, क्योंकि इनकी माता इनके लिए साइकिल नहीं ले सकती थी।

आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, पर इस बच्चे के हौसले बड़े थे, यह चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहता था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण यह कॉमर्स में बैचलर्स तक की ही पढ़ाई कर सका और अपने नाना(मां के चाचा) की ट्रैवल एजेंसी में कैशियर के रुप में काम करने लगा। पहली तनख्वाह के रुप में इन्हें 300 रुपये प्राप्त हुए। अपनी इस तनख्वाह से ये खुश तो नहीं थे, मजबूरी ऐसी थी कि इन्हें इसे स्वीकार करना पड़ा। कड़ी मेहनत और समर्पण इनके पास दो ही टूल थे, जिनके बल पर इन्हें दुनिया से सफलता की जंग जीतनी थी। इन्हें 1969 में इराकी एयरवेज में पब्लिक रिलेशन मैनेजर (जनसंपर्क प्रबंधक) के रुप में काम मिला। सफलता की एक-एक पायदान चढ़ते हुए नरेश गोयल रॉयल जॉर्डन एयरलाइंस में क्षेत्रीय प्रबंधक भी रहे।

इस समय नरेश गोयल सफलता की सीढ़ियां कम चढ़ रहे थे, प्रशिक्षण, अनुभव और सफल होने के गुर अधिक सीख रहे थे। अनुभव की आग में तपकर नरेश गोयल अब खुद कुंदन बन चुके थे। बस फिर क्या था, इनके अंदर की महत्वाकांक्षाओं ने छटपटाना शुरु किया और यह बात 1974 की है, जब नरेश गोयल ने अपनी इन परेशानियों से बाहर आने के लिए अपना खुद का काम करने का फैसला लिया। इन्होंने मां से कुछ पैसे उधार लिए और खुद की ट्रैवल एजेंसी बनाई जिसका नाम जेट एयर रखा गया।

ट्रैवल एजेंसी के कारोबार में इन्हें सफलता मिली और इनका काम फैलता चला गया। 1991 में उड्डयन के क्षेत्र में भारत में विशेष तेजी आयी, इस मौके को नरेश गोयल ने हाथों-हाथ लिया और अपनी ट्रैवल एजेंसी को जेट एयरवेज का रुप दे दिया। अब वो एक ट्रैवल एजेंसी का मालिक नहीं रह गया था बल्कि एक एयर टैक्सी का मालिक हो गया था। 1993 में एयर टैक्सी आॅपरेटर का काम शुरु हुआ जो 10 वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों तक पहुंच गया। 2007 में इनकी कंपनी ने पंख फैलाए और उड़ान भरने की तैयारी करने लगी, पहली उड़ान में इन्होंने एयर सहारा कम्पनी का अधिग्रहण कर लिया। हौसले बुलंद थे, इसलिए इनकी उड़ान पर रोक लगाने वाला कोई नहीं था। आलम यह था कि 2010 तक यह देश की सबसे बड़ी एयर कम्पनी बन गई थी।

2005 में नरेश गोयल 16वें सबसे अमीर भारतीय थे। उस समय अपने 40 साल के अनुभव के साथ इनका करियर, इनकी कम्पनी का ग्राफ सफलता के चरम पर था। उन्नति, सफलता और शोहरत के आकाश पर ये उड़ान भर रहे थे जहां आकाश भी इनका था और नियम भी इनके थे। दिवालियेपन से लेकर बिलियनेयर बनने के सफर का श्रेय केवल नरेश गोयल को दिया जाता है। फर्श से अर्श तक इन्हें इनकी मेहनत, नियोजन और समर्पण ने पहुंचाया। एक समय था कि जीवित रहने के लिए इनके पास पैसा नहीं था और आज स्थिति यह थी कि हजारों के घर का चूल्हा इनके रहमोकरम पर चल रहा था।

नरेश गोयल को यह सफलता रातों रात नहीं मिल गई। यह जरुर है कि ये मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए थे, परन्तु इनके मुंह से वो चांदी का चम्मच होश संभालते ही वक्त ने छीन लिया था। परिवार पर आए आर्थिक संकट की आंधी ने इन्हें जमीन पर पहुंचा दिया था, उसी जमीन से उठकर एक बार फिर आसमान पर अपनी सफलता की पताका फहराने में बहुत हिम्मत, हौसले और आत्मविश्वास की जरुरत थी और वो सब नरेश गोयल को वंशानुगत मिली थी। आज इस ऊंचाई तक पहुंचने में नरेश गोयल ने दिन को दिन और रात को रात नहीं समझा, पहले तीन साल तक तो वो घर ही नहीं जा पाते थे, ऑफिस में ही सोते थे। शुरु के सात साल इन्होंने अनेक प्रशिक्षण लिए। तब जाकर नरेश गोयल स्वयं को 2005 में सबसे अमीर भारतीयों की सूची में शामिल करा पाए।

जेट एयरवेज की कहानी

जेट एयरवेज कम्पनी का जन्म 5 मई 1993 को हुआ। शुरुआत में नरेश गोयल जी ने इस कम्पनी के वाणिज्यिक परिचालन शुरुआत की। एयरलाइन की शुरुआत गल्फ एयर और कुवैती एयर लाईंस के पूर्व निवेशकों के समूह के सहयोग के साथ हुई। गल्फ देशों के साथ बड़ी संख्या में भारतीय काम करते हैं और इन देशों की एयरलाईंस के साथ साझेदारी करने में अब तक हानि के केस भी अधिक नहीं थे, इसी बात को ध्यान में रखते हुए नरेश ने अपने कारोबार को छोटे शहरों को एयर लाईंस से जोड़ने के लिए गल्फ देशों के साथ साझेदारी में काम किया। इसके लिए इन्होंने चार विमान किराए पर लिए, इनके इस कार्य की सराहना हुई।

इसी के चलते अपने पहले वर्ष में, जेट एयरवेज ने 730,000 यात्रियों को ले जाने में कामयाबी हासिल की। 2004 में, नरेश को 2004-2006 से ‘इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन’ (प्।ज्।) के बोर्ड में सेवा देने के लिए विशेष रुप से चुना गया, और बाद में, 2008 में इन्हें फिर से इस पद से सुशोभित किया गया जो जून 2016 तक रहा। बढ़ते-बढ़ते यह कम्पनी, जिसके पास अब 55 विमानों का बड़ा बेड़ा हो गया था, एक ग्रुप में बदल चुकी थी। यह ग्रुप 10 मिलियन लोगों को लेकर भारत में मध्यम वर्ग को हवाई यात्राएं करा रहा था। 2013 तक यह ग्रुप सफलता का ग्राफ छू रहा था। 2014 में समय ने एक बार करवट ली और आसमान की बुलंदियों को छूने वाला सितारा टूटकर जमीं पर गिरने लगा। 17 जुलाई 2018 को नरेश गोयल ने 75 बोईंग एरोप्लेन खरीदने की डील फाईनल की। इसके साथ ही नरेश गोयल ने एक ऐसी डील में हाथ डाला जो इनके लिए खराब साबित हुई।

एयरलाईन कम्पनी को दिवालियापन से बचाने के लिए रुपयों की जरुरत है। 16500 कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है। लीज रेंट न दे पाने के कारण इनके 54 जेट विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। अधिकतर अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भी रद्द की जा चुकी हैं। निवेशकों के हाथ खींच लेने के कारण इनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। 1993 से जेट एयरवेज कम्पनी की शुरुआत हुई और 2019 तक इस कम्पनी का सफर रहा। 26 साल चेयरमैन का पद भार संभालने के बाद नरेश गोयल ने पद से इस्तीफा दे दिया। 26 मई 2019 को इन्हें विदेश जाने से रोका गया और उड़ान भरने के लिए तैयार विमान से उतार कर जांच एजेंसियों ने अपने घेरे में ले लिया। ऐसा इनके साथ क्यों हुआ ? आईये इसका अध्ययन इनकी कुंडली से करते हैं-

कुंडली विश्लेषण: नरेश गोयल

जन्म समय के अभाव में यहां चंद्र कुंडली का विश्लेषण किया जा रहा हैं-

नरेश गोयल जी की कुंडली धनु राशि की है। इनकी कुंडली के छठे भाव में मंगल और राहु स्थित हैं। सप्तम में स्वराशि के बुध, अष्टम में सूर्य, शनि और शुक्र की युति है, एकादश भाव में गुरु, और द्वादश भाव में केतु है। नरेश गोयल जी का जन्म केतु के मूल नक्षत्र में हुआ। मूल नक्षत्र ने इन्हें आकर्षक व्यक्तित्व, मधुर स्वभाव तो दिया ही साथ ही इन्हें हृष्ट-पुष्ट शरीर भी दिया। इसके फलस्वरुप नरेश जी शांतिप्रिय, सिद्धांतवादी और विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने का गुण दिया।

एक बार जो दृढ़ संकल्प ले लिया उसे प्राप्त करने के बाद ही छोड़ते हैं। इन्हें ईश्वर पर आस्था रखने वाला बनाया। वर्तमान और भविष्य की अधिक चिंता करने का स्वभाव इन्हें नहीं दिया। इनके द्वारा दी गई सलाह दूसरों के लिए बहुत शुभ और लाभदायक साबित होती है परन्तु अपने विषय में विवेक से निर्णय नहीं ले पाते हैं। आजीविका कार्यों में सफलता हासिल करते है। परिवर्तनशील स्वभाव के कारण कुछ न कुछ नया करने का प्रयास करते रहते हैं। यह नक्षत्र इन्हें दरियादिल भी बना रहा है। इसकी वजह से इन्हें आर्थिक संकट का सामना भी करना पड़ता है। आय से अधिक व्यय की स्थिति इन्हें कष्ट देती है। इस कुंडली की विशेषता है कि दशम से दशम भाव अर्थात सप्तम भाव में दशमेश बुध स्वराशि में स्थित है। कार्यक्षेत्र में सफलता का यह बहुत उत्तम योग है। इसके अतिरिक्त आयेश शुक्र धनेश शनि और भाग्येश सूर्य के साथ है। यह योग भी उन्नति, सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति दर्शा रहा है। इस योग में सूर्य-शनि दोनों 10 अंश से भी कम अंशों के साथ निकटतम हैं।

यह योग क्योंकि अष्टम भाव में बन रहा है, इस योग ने इन्हें फर्श से अर्श तो दिया, साथ ही इन्हें एक बार फिर से अर्श से फर्श की स्थिति भी दी। भाग्येश का अपने से द्वादश होना और पिता के कारक ग्रह सूर्य का शनि के साथ अंशों में निकटतम होने ने इनसे पिता का सुख जल्द छिन भी लिया। आयेश अष्टम भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को अप्रत्याशित लाभ मिलते हैं। आय भाव में गुरु हो, दशमेश बुध को नवम दृष्टि से शुभता का आशीर्वाद दे रहे हैं। गुरु यहां चतुर्थेश और लग्नेश होने के कारण बहुत शुभ हैं। लग्नेश जब एकादश भाव में स्थित होता है तो व्यक्ति स्वयं के प्रयास से सफलता अर्जित करता है। दशमेश बुध लग्न भाव को दृष्टि दे रहे हैं इससे व्यक्ति की कर्मवादी प्रवृत्ति स्पष्ट हो रही है। शनि अपनी तीसरी दृष्टि से कर्म भाव को सक्रिय कर इन्हें बहुत मेहनती बना रहे हैं।

2 नवम्बर, 2014 में शनि गोचर में जब इनकी जन्मराशि से द्वादश भाव पर आए तो उस समय इनकी शनि की साढ़ेसाती शुरु हुई, और इसी के साथ इनके करियर के ग्राफ में गिरावट भी आनी शुरु हो गई। शनि इस राशि के लिए विशेष कष्टकारी साबित होते है, क्योंकि द्वितीयेश और तृतीयेश होने के कारण मारकेश और अशुभ ग्रह तो हो ही जाते हैं, साथ ही राशीश गुरु के शत्रु होने के कारण साढ़ेसाती में अत्यंत कष्टकारी भी होते हैं। जन्मपत्री में शनि की स्थिति भी अष्टम भाव में है और वो आयेश के साथ है, इसलिए शनि साढ़ेसाती में इनकी आर्थिक स्थिति और संचित धन दोनों की हानि हुई। ऋणेश शुक्र की इस योग में विशेष भूमिका होने के कारण ये अपने ऋणों का समय पर भुगतान नहीं कर पाये और कल तक हजारों को अपने एरोप्लेन से विदेश पहुंचाने वाले नरेश गोयल जी आज परिस्थितिवश स्वयं उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। 28 अप्रैल 2022 को जब शनि कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे और इनकी शनि की साढ़ेसाती समाप्त होगी, तो उस समय इनकी मुश्किलों पर विराम लगने के योग बन रहे हैं। इनके जीवन में परेशानियां शनि की साढ़ेसाती के प्रारम्भ के साथ ही शुरु हुई और शनि की साढ़ेसाती के साथ ही समाप्त हो जाएंगी। तब तक इन्हें शनि के उपाय कर मुश्किलों को कम करने का प्रयास करना चाहिए।

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जेट एयरवेज कम्पनी की जन्म कुंडली, 05 मई 1993

कंपनी के जन्म के समय तुला राशि में चंद्र गोचर कर रहा था। चंद्र से द्वितीय भाव में राहु, पंचम में शनि, छठे में उच्चस्थ शुक्र, सप्तम भाव में बुध और सूर्य, अष्टम भाव में केतु, दशम भाव में नीचस्थ मंगल और द्वादश भाव में गुरु स्थित है। दशम से दशम भाव अर्थात सप्तम भाव में आयेश सूर्य का भाग्येश बुध के साथ युति करना उन्नतिकारक योग बना रहा है। परन्तु सप्तमेश का नीचस्थ होकर कर्म भाव में स्थित होना, कम्पनी की कार्यनीतियों पर सवाल खड़े कर रहा है। दशम भाव को राहु भी अपनी नवम दृष्टि से प्रभावित कर रहे हंै। अष्टमेश शुक्र उच्चस्थ हैं परन्तु त्रिकेश होकर त्रिक भाव में होने के कारण अशुभ हो गए हंै। कुम्भ राशि में शनि के प्रवेश के साथ इस कम्पनी का जन्म हुआ और धनु राशि में शनि के गोचर के साथ ही यह कम्पनी पतन की ओर अग्रसर हो गई। इस कम्पनी के जीवन यात्रा को कुम्भ से कुम्भ तक की कहा जा सकता है क्योंकि जैसे ही शनि 2025 में कुम्भ राशि से बाहर निकलेंगे, वैसे ही इस कम्पनी का समापन संभावित है। और संभव है कि नरेश गोयल एक बार फिर से नए कारोबार के साथ नई शुरुआत करें।

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उपलब्धियां

  • एमिटी लीडरशिप अवार्ड फॉर बिजनेस एक्सीलेंस (2012)
  • हॉल ऑफ फेम सम्मान होटल इंवेस्टमेंट फोरम ऑफ इंडिया (2011) से
  • बेल्जियम द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित (2011)
  • ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (2010) द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड ऑफ द ईयर
  • सीएनबीसी टीवी 18 द्वारा इंडिया बिजनेस लीडर अवार्ड्स (2009)
  • एशियन वॉयस (2009) के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय उद्यमी सम्मान।
  • एविएशन प्रेस क्लब द्वारा मैन ऑफ द ईयर अवार्ड (2008)
  • यूके ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट द्वारा पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड और द इंडिया बिजनेस अवार्ड्स (2008)
  • टाटा एआईजी (2007) द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
  • एनडीटीवी प्रॉफिट बिजनेस अवार्ड (2006)


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