शुक्र ग्रह की शुभता के उपाय

By: Future Point | 03-Mar-2018
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शुक्र ग्रह की शुभता के उपाय

ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को शुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। शुक्र ग्रह जल तत्व, ब्राह्मण जाति, रजोगुण से युक्त ग्रह है। शुक्र ग्रह वैवाहिक जीवन और शरीर में इसका जीभ एवं जननेन्द्रिय अंगों में इसका स्थान है। फूलों में चमेली का फूल शुक्र ग्रह का फूल है। गोचर में शुक्र के अस्त होने पर विवाह और शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। इसे "तारा डूबना" भी कहा जाता हैं। संसार में सारी खूबसूरत वस्तुओं का कारक शुक्र ग्रह ही हैं। कला, संगीत और कलात्मक कलाकृतियों से संबंधित ग्रह भी शुक्र ग्रह ही हैं। सफेद रंग की सभी वस्तुएं शुक्र ग्रह की वस्तुओं में आती हैं। जन्म कुंडली में शुक्र जनित किसी भी प्रकार के दोष होने पर शुक्र के उपाय करना लाभकारी रहता है। इस आलेख में हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि शुक्र की शुभता पाने के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं-

शुक्र वस्तुओं से स्नान

जन्म कुंडली मं शुक्र की शुभ, प्रबल और सुस्थित हों तो जातक को शुक्र वस्तुओं को धारण करना चाहिए। साथ ही इन वस्तुओं को अधिक से अधिक उपयोग में लाना चाहिए। इसी श्रेणी में शुक्र संबंधित वस्तुओं से स्नान करने का सुझाव दिया जाता हैं। उपाय के रुप में जातक प्रतिदिन स्नान करने से पूर्व कुछ जल लेकर उसमें बड़ी इलायची डालें और इस पानी को उबाल लें। जब पानी आधा रह जाएं तो इस जल को स्नान के जल में मिला लें। इसके बाद इस जल से स्नान कर लें। स्नान करते समय अपने वैवाहिक जीवन के सुखमय रहने की कामना करें। शुक्र वस्तु का स्नान करने से वस्तु का प्रभाव जातक पर प्रत्यक्ष रुप से पड़ता है। इससे शुक्र के दोषों का निवारण होता है। उपाय करते समय शुक्र देव का मन ही मन ध्यान रखना चाहिए। यदि संभव हो तो स्नान के समय शुक्र मंत्र का जाप भी करना चाहिए।

 

शुक्र की वस्तुओं का दान

जन्मकुंडली में जब शुक्र दु:स्थित हों तो व्यक्ति को शुक्र वस्तुओं को धारण और उपयोग करने के स्थान पर दान करना चाहिए। शुक्र की दान योग्य वस्तुओं में घी व चावल का दान करना चाहिए। इसके अतिरिक्त शुक्र क्योंकि स्त्री प्रधान वस्तुओं का भी कारक ग्रह हैं। साथ ही शुक्र भोगविलास वस्तुओं के लिए भी जाना जाता हैं। सुख-आराम की वस्तुओं का दान भी शुक्र ग्रह को शुभता देता हैं। साज-श्रंगार से संबंधित वस्तुओं का शुक्रवार का दान करने से वैवाहिक सुख बेहतर होता हैं और महिलाओं से रिश्ते मजबूत होते हैं। दान कार्य करते समय व्यक्ति में श्रद्धा और विश्वास का होना भी आवश्यक हैं। प्रयास करना चाहिए की दान जातक को अपने हाथ और स्वार्जित धन से ही करना चाहिए। दान कार्य करने से पहले घर के बड़ों का आशीर्वाद लेना भी उपाय की उपयोगिता को बढ़ाता है। शुक्र के उपायों में शुक्र मंत्र का जाप भी किया जाता हैं। दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने और जन्मकुंडली में शुक्र जब एकादश भाव का स्वामी हों, और शुभ ग्रहों के साथ स्थित हों तो व्यक्ति को निम्न मंत्रों का जाप करने से लाभ मिलता हैं।

शुक्र का वैदिक मंत्र

ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति: ।
ऋतेन सत्यमिन्दियं विपान ग्वं, शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोय्मृतं मधु ।

नाम मंत्र

ऊँ शुं शुक्राय नम:

शुक्र के लिए तांत्रोक्त मंत्र

ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम: ।
ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: ।
ऊँ वस्त्रं मे देहि शुक्राय स्वाहा ।।

शुक्र का पौराणिक मंत्र

ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।

अन्य मंत्र

ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा ।

वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिये इस श्लोक का जाप करना लाभकारी रहता है। वाहन दुर्घटना से बचाव करने के लिये यह मंत्र लाभकारी रहता है। जन्मकुंडली में शुक्र की महादशा, शुक्र अंतर्दशा प्रभावी होने पर इन मंत्रों का पाठ प्रतिदिन या फिर प्रत्येक शुक्रवार के दिन भी किया जा सकता हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि यदि मुंह अशुद्ध हो तो मंत्र जा जाप नहीं करना चाहिए। अन्यथा मंत्र जाप की शुभता जाती रहती हैं।

शुक्र यंत्र

शुक्र ग्रह की शांति के उपायों में से एक उपाय है शुक्र यंत्र का दर्शन पूजन करना। शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन पूर्ण अभिमंत्रित शुक्र यंत्र घर के पूजा घर में स्थापित कर इसके सामने स्फटिक माला पर ऊपर बताए गए मंत्र का कम से कम एक माला और अधिक से अधिक ५ माला जाप करना चाहिए। शुक्र यंत्र के दर्शन-पूजन करने से पहले हमें यह मालूम होना चाहिए कि यंत्र प्राण प्रतिष्ठित होना चाहिए। यंत्र स्थापना करने के पश्चात साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखें।

शुक्र ग्रह का रत्न/रत्न धारण

जब कुंडली में शुक्र शुभ भावों का स्वामी हों जैसे - वृषभ या तुला लग्न हो, या फिर शुक्र ग्रह की ये दोनों राशियां पंचम या नवम भाव में पड़ती हों। इस स्थिति में शुक्र ग्रह की शुभता प्राप्त करने के लिए शुक्र रत्न हीरा धारण करना चाहिए। यदि आर्थिक कारणों या अन्य कारणॊं से हीरा धारण करना संभव न हो तो जरकिन उपरत्न भी धारण किया जा सकता हैं। जिन जातकों का वृषभ या तुला लग्न हों उन जातकों को स्वास्थ्य सुख की प्राप्ति के लिए शुक्र रत्न धारण करना चाहिए। इसके विपरीत यदि शुक्र केंद्र व त्रिकोण भावों का स्वामी न हों तो व्यक्ति को शुक्र रत्न धारण करने से बचना चाहिए। शुक्र रत्न हीरा अपने धारक को वैवाहिक सुख, ऐश्वर्यदायक वस्तुओं की प्राप्ति, वाहन सुख और धन-धान्य प्राप्ति में सहयोग करता हैं। शुक्र ग्रह क्योंकि धन की लक्ष्मी का कारक ग्रह हैं इसलिए शुक्र ग्रह की शांति होने पर लक्ष्मी जी स्वत: प्रसन्न होती हैं। शुक्र रत्न हीरा, शुक्रवार के दिन स्वर्ण धातु में अनामिका अंगुली में धारण किया जाता हैं। प्रेम विषयों में सफलता के लिए भी इस रत्न को पहना जाता हैं। वैसे तो हीरा धारण करने का कोई विपरीत प्रभाव नहीं होता हैं फिर भी अच्छा रहेगा कि रत्न धारण करने से पूर्व किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंडली दिखा ली जाएं।

शुक्र औषधि धारण

जो जातक शुक्र रत्न धारण करने मे असमर्थ हों उन व्यक्तियों को शुक्र की शुभता प्राप्ति के लिए गुलर की पेड़ की जड़ को सफेद कपड़े में बांधकर गले या बाजू में धारण करना चाहिए। औषधि बांधने के लिए रेशम के वस्त्र का उपयोग करें। इस प्रकार उपाय करने पर शुक्र देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

शुक्र को बल प्रदान करने के अन्य उपाय -

  • शुक्र को बल देने के लिए काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
  • शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
  • किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
  • 10 वर्ष से कम आयु की कन्या को भोजन कराए और चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।
  • अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
  • सुबह उठते ही बिना बोले मां के चरण स्पर्श करें।
  • शुक्रवार के दिन रोज कौए को चावल और खुरा खिलाएं।

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