Sakat Chauth 2024 Date: कब है सकट चौथ? जानें तारीख, मुहूर्त, और पूजा विधि | Future Point

Sakat Chauth 2024 Date: कब है सकट चौथ? जानें तारीख, मुहूर्त, और पूजा विधि

By: Acharya Rekha Kalpdev | 15-Jan-2024
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Sakat Chauth 2024 Date: कब है सकट चौथ? जानें तारीख, मुहूर्त, और पूजा विधि

Sakat Chauth 2024: कार्तिक, वैशाख और माघ सभी बारह माह में सबसे अधिक शुभ माह कहे गए है। माघ माह स्नान और दान कार्यों के लिए भी शुभ माना गया है। तीर्थों पर इस माह में किया गया दान-स्नान सैंकड़ों अश्वमेघ यज्ञ के समान फल देता है। इन माह में नदी स्नान जिसमें काशी जी घाट पर गंगा स्नान, प्रयागराज जी पर संगम स्नान और सरयू स्नान को अति शुभ स्नान की श्रेणी में रखा गया है। शास्त्रों में माघ माह में कल्पवास कर, सम्पूर्ण माह नदी स्नान और ध्यान के लिए कहा गया है। ध्यान और कल्पवास से ईश्वर के निकट सानिध्य करने के अवसर बनते है। माघ माह में स्नान के साथ साथ दान का महत्त्व भी कम नहीं है। जो व्यक्ति इस माह में गरीबों और जरूरतमंदों को कम्बल और गर्मवस्त्रों का दान करता है। उसके पापों का क्षय होता है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। गंगा जी हो या ने नदियाँ नदियां सभी को तारने वाली कही गई है। नदियों में स्नान करने से वैज्ञानिक रूप से स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और आध्यात्मिक रूप से नदी स्नान से पापों का नाश होता है। साल 2024 में माघ माह 21 जनवरी से शुरू होकर 19 फरवरी 2024 तक रहेगा। इस समयावधि में माघ मास के कार्य कर पुण्य अर्जित किये जा सकते है।

माघ मास स्नान, दान और कल्पवास के अतिरिक्त संकष्ट चतुर्थी के लिए भी विशेष रूप से जाना जाता है। वैसे तो प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में चतुर्थी तिथि आती है, इस प्रकार एक वर्ष में कुल 24 चतुर्थी तिथि आती है। परन्तु इन सभी में माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि अपना विशेष शुभ महत्व रखती है। इस तिथि के दिन माताएं अपनी संतान की शुभता और आयुवृद्धि के लिए व्रत का पालन करती है। और गणपति भगवान् से अपनी संतान के शुभ भविष्य के लिए प्रार्थना कराती है। संतान की शुभता के लिए किया जाने वाला यह व्रत भगवान् श्री गणेश जी को समर्पित व्रत है। गणेश जी हिन्दू देवी देवताओं में शुभता और विघ्न नाशक देव है। सभी देवों में सर्वप्रथम पूजनीय है। भगवान श्री गणेश जी के अनेक नाम है, उन्हें विघ्नहर्ता, विघ्ननाशक, विनायक, विघ्नेश्वर, उमापुत्र, नंदन, हरिद्र, एकदन्त, दयावन्त, वक्रतुण्ड, मंगलमूर्ति आदि नामों से सम्बोधित किया जाता है। संकट चतुर्थी का पर्व अन्य अनेक नामों से भी जाना जाता है। माघ माह में आने के कारण इस माह को माघी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। कुछ स्थानों में इसे तिलकुट चतुर्थी का नाम दिया गया है। संकट चतुर्थी, को सकट चतुर्थी भी कहते है।

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2024 में सकट चौथ कब है? / When is Sakat Chauth in 2024?

Sakat Chauth 2024 Mein Kab Hai: साल 2024 में सकट चौथ का पर्व 29 जनवरी माह 2024, सोमवार के दिन रहेगा। भगवान् श्री गणेश जी के 108 नामों का जाप इस दिन करना विशेष शुभता देता है। सकट चतुर्थी के दिन संतानवती माताएं, सारा दिन निर्जल व्रत का पालन करती है और रात्रि काल में चंद्र देव को अर्घ्य देकर, गणपति पूजन कर, देव को भोग अर्पित करती है।

सकट चौथ 2024 की तारीख और समय / Sakat Chauth 2024 Date and Time

Sakat Chauth Kab Hai 2024: हिन्दू पंचांग के अनुसार 29 जनवरी 2024 के दिन चतुर्थी तिथि की शुरुआत 06:10 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 09:11 मिनट तक चतुर्थी तिथि रहेगी। इसके बाद पंचमी तिथि प्रारम्भ हो जायेगी। व्रत क्योंकि सूर्योदय व्यापिनी तिथि में ही रखा जाता है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन 29 जनवरी, सोमवार के दिन ही करना होगा।

सकट चौथ पूजा मुहूर्त / Sakat Chauth Puja Muhurat

सकट चौथ 2024: संकट चौथ का व्रत माता पार्वती और भगवान् शिव के पुत्र लम्बोदर भगवान् श्री गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। इस व्रत का समापन चंद्र दर्शन के साथ होता है। 29 जनवरी 2024 के दिन दिल्ली में चंद्र उदय 21:11 बजे होगा। पूजा का शुभ मुहूर्त चंद्र दर्शन 21:11 बजे का है। अत: पूजा का समय 21:11 बजे का रहेगा। यह समय दिल्ली प्रदेश में रहने वालों के लिए है। अन्य प्रदेशवासियों को अपने स्थान विशेष पर चंद्र दर्शन समय के अनुसार व्रत पूजन करना चाहिए। चंद्र उदय समय अलग अलग स्थानों के लिए अलग अलग होता है।

सकट चौथ व्रत पूजा विधि / Sakat Chauth Vrat Puja Vidhi

संकट चौथ को गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है। कुछ लोग इसे माघी चौथ, और विनायक चौथ आदि अनेक नामों से सम्बोधित की जाती है। संकट चौथ का व्रत संतान की शुभता और उसके उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है। इस व्रत की शुभता से संतान पर आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है। संतान का जीवन बाधारहित होता है, उसके जीवन के कष्ट कटते है। परेशानियां और तनाव में कमी होती है। ऐसा माना जाता हैं की विघ्नहर्ता के आशीर्वाद से संतान के जीवन विघ्नरहित होता है। कई जगहों पर संतान की कामना कर रही स्त्रियां भी इस व्रत का पालन करती है।

Also Read in English: Sakat Chauth 2024: Date, Muhurat, Story, Puja & Vrat Vidhi

सकट व्रत विधि / Sakat Vrat Vidhi

व्रत के दिन प्रात: काल में सूर्योदय से पूर्व उठे। स्नान आदि क्रियाओं से मुक्त होने के बाद, शुद्ध वस्त्र धारण करें। भगवान् श्रीगणेश के सम्मुख व्रत का संकल्प लें। भगवान् विघ्नेश्वर जी की धूप, दीप, फूल से पूजा करें। उन्हें पान, सुपारी और लड्डू का भोग लगाएं। गणपति जी की पूर्ण मन से पूजा करें, और उनसे अपनी संतान की लम्बी आयु की प्रार्थना करें। गणपति महाराज को उनकी मन पसंद वस्तुएं अर्पित करें। साथ में भगवन शिव और पार्वती माता जी की भी पूजा करने से अतिशुभ फल प्राप्त होते हैं। चौथ व्रत में माताएं अपनी संतान की लम्बी आयु और सुखद भविष्य की कामना से व्रत करती है। इस दिन की अवधि में सारा दिन मन ही मन गणेश मंत्र का जाप करें। गणेश जी की पूजा करने और मंत्र का जाप करने से भगवन श्री गणेश जी प्रश्न होकर व्रती की संतान के सभी कष्ट दूर करते है।

व्रत के दिन सूर्यास्त के समय भगवान् गणेश जी के सम्मुख दीपक जलाएं, और उन्हें मिष्ठान का भोग लगाएं और एक कलश में जल रखे, गणेश जी को भोग में तिल, मोदक, और गुड का भोग प्रमुख रूप से लगा सकते है। इसके साथ गन्ना, शकरकंद, घी भी शामिल किया जा सकता है। सारे प्रसाद को एक लकड़ी की टोकरी में रख कर भगवान् गणेश को अर्पित करें। पूजन के साथ संतान के शुभ भविष्य के लिए गणेश महाराज से विनती करें। आरती के साथ पूजन पूर्ण करें।

संध्या काल में चंद्र उदय होने के बाद, चंद्र देव की आरती उतारे, उन्हें धूप और दीप दिखाएँ। इसके बाद कलश के जल से चंद्र को अर्घ्य दें, और चंद्र देव से अपनी संतान की लम्बी आयु की प्रार्थना करें। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें, कथा का श्रवण कर, सबको प्रसाद का वितरण करें, और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें।

सकट चौथ व्रत के लाभ / Benefits of Sakat Chauth Vrat

संकष्ट चतुर्थी व्रत करने से व्रती कि संतान का जीवन संकटमुक्त रहता है और संतान का भविष्य भी उत्तम रहता है। संकट चतुर्थी का व्रत निर्जल रखा जाता है, इसलिए बहुत आसान व्रत नहीं होता है। व्रत के दिन मन, वचन और कर्म को शुद्ध रखें। सात्विक रहें, और संतान की मंगल कामना करें। किसी के लिए मन में बुरे विचार न लाएं। साथ ही व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। ऐसा करने से व्रत के सभी लाभ व्रती को मिलते है।

सकट चौथ क्या है महत्व और पौराणिक कथा?

सकट चौथ व्रत के विषय में यह पौराणिक कथा संबंधित है कि इस व्रत के बारे में माता पार्वती जी ने गणपति भगवान् को बताया था। पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती एक दिन स्नान के लिए जा रही थी, उन्होंने बाल गणपति जी को द्वार रक्षा के लिए द्वार पर खड़े रहने का आदेश दिया। साथ ही यह भी आदेश दिया कि जब तक वो स्नान कर बाहर नहीं आती है, तब तक वो किसी को उनके कक्ष में न आने दें। अपनी माता का आदेश पाकर विघ्नहर्ता भगवान् श्री गणेश द्वार पर खड़े हो गए। कुछ देर में वहां उनके पिता आये भगवान शिव माता पार्वती जी से मिलने आये, वो देवी पार्वती जी के कक्ष में प्रवेश करने लगे तो उन्हें, विनायक जी ने रोक दिया। इस पर भगवान शिव को क्रोध आ गया और, उन्होंने क्रोध में आकर, अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। स्नान से निवृत हुई, देवी पार्वती जी को बालक गणेश के चीखने की आवाज आई, तो वो दौड़ कर कक्ष से बाहर आई। अपने पुत्र का धड़ से अलग सिर देख कर वो बहुत व्यथित हुई। अपने पुत्र की यह स्थिति देख कर उन्होंने अपने पति भगवान शिव से अपने पुत्र को फिर से जीवित करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने अपनी पत्नी की प्रार्थना को स्वीकार किया और पुत्र गणेश को फिर से जीवित करने के लिए गणेश जी के धड़ पर हाथी के बच्चे का सिर लगाया। इस प्रकार भगवान गणेश एक नए सिर के साथ फिर से जीवित हुए और माता पार्वती जी प्रसन्न हुई। यह घटना सकट चतुर्थी के दिन हुई थी, तब से सभी माताएं अपनी संतान की लम्बी आयु की प्रार्थना के लिए सकट चतुर्थी का व्रत का पालन किया जाता है।

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एक दूसरी कथा के अनुसार

किसी शहर में दो महिलायें रहती है। दोनों रिश्तों में देवरानी और जेठानी थी। दोनों में से देवरानी भगवान श्रीगणेश जी की परम भक्त थी। वो गणेश जी का दर्शन, पूजन और व्रत करती थी। उसका पति लकड़हारा था, जंगल से लकड़ियां काट कर लाता, उन्हें बाजार में बेचता तो कुछ पैसे मिलते, उससे वो दोनों अपना घर चलाते थे। देवरानी भी अपनी जेठानी के घर में झाड़ू चौके का काम करती, रात के खाने के बाद जो कुछ बचता, वो उसे घर ले आती और दोनों लोग मिल बांटकर खा लेते। एक बार माघ माह में देवरानी ने गणेश जी का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत किया। धन की कमी के चलते घर में प्रसाद बनाने के लिए अधिक कुछ था नहीं, इसलिए देवरानी ने तिल और गुड कूटकर तिलकूट बनाया। सांयकाल में कथा सुनकर, वो जेठानी के घर काम करने के लिए चली गई। विचार कर गई की काम निपटाकर आउंगी तो गणेश जी को तिलकूट का भोग लगाकर, स्वयं प्रसाद ग्रहण करुँगी। जेठानी के घर से उसे उस दिन कुछ खाने को नहीं मिला, वो खाली हाथ अपने घर लौट आई, उसे खाली हाथ देखकर उसके बच्चे और पति दोनों बहुत दुखी हुए। उन्हें लगा की सारा दिन मेहनत, काम करके भी उन्हें एक समय का भोजन नहीं मिल पाता है। अपने परिवार की बातें सुन वो स्त्री बहुत दुखी हुई, और पानी पीकर सो गई। रात में देवी सकट माता आई और उनसे कुछ खाने के लिए देने की प्रार्थना करने लगी, देवरानी ने गुस्से में कहा की तिलकूट रखा है, वो खा लो।सकट माता ने तिलकूट खा लिया और चली गई, सुबह देवरानी ने देखा कि जहाँ तिलकूट रखा था, वहां बहुत सारे हीरे मोती रखें है। उस दिन से देवरानी बहुत धनी हो गई। उसने जेठानी के घर काम करना बंद कर दिया।

कुछ दिनों के अंतराल पर जेठानी को देवरानी के धनी होने के खबर पता चली तो उसने भी धनी होने के लिए उसी तरह से तिलकूट बनाया, रख दिया। रात में उसके भी सकट माता आई और तिलकूट खाने के लिए माँगा, उसने माता से कहा की वो तिलकूट खा ले। माता तिलकूट खाकर चली गई, सुबह जेठानी उठी तो उसने पाया की उसके घर में हीरे मोती की जगह पर गंदगी थी। सकट माता ने देवरानी को जैसे सबकुछ दिया, ऐसा सभी को दे।

सकट चौथ व्रत के दौरान किन खाद्य पदार्थों का सेवन किया जा सकता है?

Sakat Chauth Vrat के दिन व्रती को तिलकूट बनाना चाहिए। तिल, गुड, मोदक, गन्ना आदि को पूजा के समय भोग के रूप में भगवान गणपति जी को अर्पित किया जाता है। इस दिन व्रती को भोजन और अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। निर्जल व्रत करना संभव न हो तो व्रती मीठे फलों का सेवन मध्याह्न काल में कर सकता है। नमक का सेवन बिलकुल न करें।

निष्कर्ष

संकट चतुर्थी व्रत अनेक नामों से प्रसिद्द है, पर इस व्रत को मूल रूप से संतान की लम्बी आयु और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है। व्रत के दिन भगवान् श्रीगणेश जी और चंद्र देव का पूजन किया जाता है। और दोनों ही देवों से अपनी संतान के सुख के लिए प्रार्थना की जाती है।

FAQs
संकट चतुर्थी का व्रत किस लिए रखा जाता है?

सकट चतुर्थी का व्रत संतान कि दीर्घायु और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए किया जाता है।

सकट चौथ 2024 में कब है?
साल 2024 में सकट चौथ हिन्दू पंचांग के अनुसार 29 जनवरी 2024 को है।

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