करवा चौथ पर इस विधि से करें व्रत एवं पूजन | Future Point

करवा चौथ पर इस विधि से करें व्रत एवं पूजन

By: Future Point | 26-Oct-2018
Views : 9177करवा चौथ पर इस विधि से करें व्रत एवं पूजन

हिंदू धर्म में अनेक व्रत एवं त्‍योहार का विधान है जिनमें से कुछ पति की लंबी आयु और उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य की कामना के लिए किए जाते हैं। पति की दीर्घायु के लिए कई व्रत रखे जाते हैं लेकिन इनमें से सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय और महत्‍वपूर्ण करवा चौथ को माना जाता है।

तो चलिए जानते हैं सुहागिन स्त्रियों के इस पवित व्रत के बारे में...

क्‍या है करवा चौथ का महत्‍व

छांदोग्‍य उपनिषद् के आधार पर चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्र‍हृमा की पूजा करने से सभी तरह के पाप कर्मों से मुक्‍ति मिलती है। चंद्रमा की पूजा करने से जीवन में कई प्रकार के दुख एवं संकट भी दूर हो जाते हैं। सौभाग्‍यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और अच्‍छी सेहत के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। करवा चौथ के व्रत में भगवान शिव के परिवार मां पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी के साथ चंद्र देव का पूजन किया जाता है।

करवा चौथ व्रत 2018

इस साल 27 अक्‍टूबर को शनिवार के दिन करवा चौथ का व्रत किया जाएगा।

करवा चौथ पूजन मुहूर्त : 17.36 से 18.54 तक

चंद्रोदय : 8 बजे

चतुर्थी तिथि आरंभ : 27 अक्‍टूबर को 18.37 पर

चतुर्थी तिथि आरंभ : 28 अक्‍टूबर को 16.54 पर

करवा चौथ की पूजन सामग्री

शहद, अगरबत्ती, कुमकुम, फूल, कच्‍चा दूध, शक्‍कर, शुद्ध घी, दही, मेहंदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिंदूरर, महावर, कंघी, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी के टोंटीदार करवे और ढक्‍कन, दीपक, रूई, कपूर, गेहूं, शक्‍कर का बूरा, हल्‍दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा एवं दक्षिणा।

करवा चौथ की पूजन विधि

घर की किसी दीवार पर गेरू से फलक बनाएं और उस पर पिसे हुए चावलों के घोल से करवे का चित्र बनाएं। इस वर कहा जाता है और चित्र बनाने की कला को करवा धरना के नाम से जाना जाता है। इस दिन आठ पूरियों की अठावरी और हलवा एवं पकवान बनाए जाते हैं।

अब पीले रंग की मिट्टी से गौरी मां की मूर्ति बनाएं और गणेश जी की मूर्ति बनाकर उन्‍हें मां गौरी की गोद में बिठा दें। एक चौक बनाकर उस पर लकड़ी का आसन रख दें और उस पर भगवान गणेश के साथ वाली मां गौरी की मूर्ति स्‍थापित करें। अब मां गौरी को चुनरी ओढ़ाएं और उन्‍हें सुहाग की चीज़ें अर्पित करें। एक जल से भरा हुआ लोटा भी रखें।

इसके बाद भेंट देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें और करवे पर गेहूं और ढक्‍कन में शक्‍कर का बूरा भरें। इसके ऊपर आपको अपने सार्म्‍थानुसार दक्षिण भी रखनी है। अब रोली से करवे पर स्‍वास्तिक बनाएं। मां गौरी और भगवान गणेश के साथ बनाए गए चित्र की पूजा करें और अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

‘नम: शिवायै शर्वाण्‍यै सौभाग्‍यं संतति शुभाम्। प्रयच्‍छ भक्‍तियुक्‍तानां नारीणां हरवल्‍लभे।।‘

अब करवे पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या अक्षत से 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा सुनें या कहें। कथा सुनने के बाद अपनी सास और घर के बड़े-बुजुर्गों के पैर छुएं। 13 दाने और टोंटीदार करवे को अलग रखें। रात में चंद्रमा निकलने पर छली से चंद्रमा को देखें और उसे अर्घ्‍य दें। अब अपने पति से आशीर्वाद लें और भोजन करें।

करवा चौथ की व्रत कथा

पौराणिक काल में करवा चौथ के व्रत का संबंध महाभारत से मिलता है। पांडु के पांचों पुत्रों में से एक अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्‍या करने गए थे और उस समय बाकी चार पांडवों पर कोई ना कोई विपत्ति आती जा रही थी। अपने पतियों को संकट से बचाने के लिए उनकी पत्‍नी पांचाली ने भगवान कृष्‍ण से इस समस्‍या का उपाय पूछा।

तब द्रौपदी के मन की दुविधा को समझकर श्रीकृष्‍ण ने बताया कि कार्तिक कृष्‍ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत करने से तुम्‍हारे पतियों के सारे संकट दूर हो जाएंगें और उन्‍हें दीर्घायु एवं उत्तम सेहत की प्राप्‍ति होगी।

श्रीकृष्‍ण के कथन अनुसार इस तिथि पर द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत रखा और इस व्रत के शुभ प्रभाव से उसके पांचों पतियों के सारे संकट दूर हो गए। तब से हर सुहागिन स्‍त्री अपने पति की भलाई के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है।

करवा चौथ व्रत का फल

हिंदू मान्‍यता के अनुसार करवा चौथ का व्रत करने से पति की लंबी आयु होती है और उनके जीवन के सभी संकट टल जाते हैं। इसके अलावा कुंवारी एवं विवाह योग्‍य लड़कियां भी मनचाहे और उत्तम वर की प्राप्‍ति के लिए करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं। उत्तर भारत में ये व्रत बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां लाल रंग के वस्‍त्र पहनकर पूरा सोलह श्रृंगार करती हैं।

अगर आप भी अपने पति की दीर्घायु और मंगल की कामना करती हैं तो इस साल 27 अक्‍टूबर को करवा चौथ का व्रत उपरोक्‍त विधि से जरूर करें।