जानिए पुखराज रत्न के विशेष लाभ एवं इसे धारण करते वक्त रखें इन बातों का विशेष ध्यान
By: Future Point | 10-Jun-2019
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पुखराज गुरु ग्रह का रत्न होता है, ज्योतिष के अनुसार पुखराज धारण करने से विशेषकर आर्थिक परेशानियां कम हो जाती हैं। वहीं यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति पुखराज धारण करता है उसे आर्थिक लाभ मिलना शुरू हो जाता है, परन्तु प्रत्येक राशि या लग्न के जातकों के लिए पुखराज रत्न धारण करना सही नही होता है इसलिए किसी अच्छे ज्योतिषी से अपनी कुंडली का अध्ययन कराने के पश्चात् ही व्यक्ति को पुखराज रत्न धारण करना चाहिए अन्यथा लाभ के बजाय हानि भी मिल सकती है।
पुखराज रत्न धारण करने के फायदे -
- पुखराज रत्न धारण करने के बाद व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य, आर्थिक लाभ, लंबी उम्र और मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
- जिन कन्याओं के विवाह में देरी हो रही हो उन्हें पुखराज रत्न को अवश्य धारण करना चाहिए।
- जिन दंपति को पुत्र की लालसा हो तो उन्हें भी पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि बृहस्पति पति और पुत्र दोनों कारक होता है।
- पुखराज रत्न को घर या पैसे रखने के स्थान पर रखने से ज़्यादा समृद्धि आती है, और यह मन को शांति भी प्रदान करता है जिसके प्रभाव से व्यक्ति एकाग्र मन के साथ अपना कार्य करने में सक्षम होता है और इसके साथ ही व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता भी बेहतर होती है।
- पुखराज के प्रभाव से मानसिक तनाव कम होता है और सकारात्मक प्रभाव की वृद्धि होती है, इसके साथ ही पुखराज रत्न किसी भावनात्मक तौर पर टूटे हुए व्यक्ति को उभारने में भी मदद करता है।
- पुखराज रत्न का व्यक्ति के मन, शरीर और स्वास्थ्य के विकास पर काफी प्रभाव पड़ता है, यह व्यक्ति को लक्ष्यों को प्राप्त करने के योग्य बनाता है और इसके प्रभाव से ही व्यक्ति उसे हासिल करने के लिए ज़्यादा प्रयास करता है।
- शास्त्रों के अनुसार पुखराज रत्न भगवान गणेश जी का सहयोगी होता है और श्री गणेश भगवान अच्छे भाग्य के अग्रदूत हैं, ऐसे में पुखराज को धारण करने से धन-वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
पुखराज रत्न को धारण करते समय इन बातों का ध्यान अवश्य रखें -
- पुखराज रत्न जड़ित अंगूठी को गुरुवार के दिन तर्जनी उंगली में धारण करनी चाहिए।
- पुखराज रत्न के साथ कभी भी हीरा रत्न, नीलम रत्न, गोमेद रत्न और लहसुनिया रत्न को धारण नहीं करना चाहिए।
- गंदा, टूटा और अजीब सा पुखराज रत्न कभी नहीं खरीदना व पहनना चाहिए, टूटा, गंदा पुखराज रत्न आपको उतना फायदा नहीं दे पाएगा जितना की एक उच्च क्वालिटी का पुखराज रत्न दे सकता है।
- जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु बलहीन है, उनके जीवन के लिए पुखराज कई बार नुकसानदायक भी हो सकता है, इसके दुष्प्रभाव से जीवन साथी के साथ मतभेद हो सकते हैं और सामाजिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है।
- टूटे हुए पुखराज रत्न को धारण करने से चोरी की संभावना होती है तो वहीं दूधक रत्न सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
- यदि पुखराज रत्न के रंग में चमक नहीं रह गई है और वह प्रभाव हीन हो गया है तो यह भी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है।
- यदि रत्न धारण करने वाले व्यक्ति के पुखराज पर सफेद धब्बे पड़ जाएं तो यह उसके जीवन के लिए घातक हो सकता है।
- क्षीण शक्ति वाले पुखराज रत्न के दुष्प्रभाव से चोट आदि लगने की संभावना रहती है।
- पुखराज यदि अपना रंग बदलने लगे तो समझ लीजिये कि यह पहनने वालों के लिए कठिनाइयों का कारण हो सकता है।
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पुखराज रत्न को किस प्रकार धारण करना चाहिए -
- पुखराज रत्न को सोने की अंगूठी मे जड़वा कर शुक्ल पक्ष मे गुरुवार को प्रातः स्नान व ध्यान आदि के पश्चात दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली मे धारण करना चाहिए.
- सोने की अंगूठी मे पुखराज रत्न को प्रकार से जड़वाएँ कि रत्न का निचला सिरा खुला रहे तथा आपकी अंगुली से स्पर्श करता रहे.
- पुखराज रत्न जड़ित अंगूठी बनवाने के लिए कम से कम चार कैरट या चार रत्ती के वजन अथवा उससे अधिक वजन का पारदर्शी, स्निग्ध तथा पीला पुखराज लेना चाहिए.
- गुरुवार के दिन अथवा गुरु पुष्य नक्षत्र मे प्रायः सूर्योदय से ग्यारह बजे के मध्य पुखराज रत्न जड़ित अंगूठी बनवानी चाहिए.
- सर्वप्रथम पुखराज रत्न जड़ित अंगूठी को गंगाजल से और इसके पश्चात् कच्चे दूध से तथा पुनः गंगाजल से धोकर इस मंत्र का जाप करते हुए धारण करनी चाहिए. ॐ बृं बृहस्पतये नमः या ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः
- जिन व्यक्तियों को पुखराज रत्न में अंगूठी धारण करने मे असुविधा हो रही हो तो उन व्यक्तियों को सोने के लॉकेट मे गुरु यंत्र के साथ पुखराज धारण कर लेना चाहिए.
- सोने के गुरु यंत्र लॉकेट मे पुखराज रत्न को धारण करने से जहां एक ओर सदैव रत्न व यंत्र पवित्र बना रहेगा वही नित्य स्नान के समय स्वतः ही रत्न स्नान भी होता रहेगा. अंगूठी की अपेक्षाकृत रत्न को लॉकेट मे जड़वा कर धारण करना अति उत्तम ररहता है.
- पुखराज रत्न को अंगूठी या लॉकेट मे जड़वाने के दिन से लेकर चार वर्ष तीन महीने और अट्ठारह दिनों तक पीला पुखराज एक ही व्यक्ति के पास प्रभावशाली रहता है, और इस अवधि के पश्चात रत्न को किसी दूसरे व्यक्ति को बेच देना चाहिए तथा स्वयं को फिर से दूसरे पुखराज की अंगूठी बनवा कर विधि अनुसार धारण कर लेनी चाहिए.
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