हिमा दास - वंडर चैंपियन एथलेटिक्स

By: Future Point | 02-Aug-2019
Views : 5178
हिमा दास - वंडर चैंपियन एथलेटिक्स

हम उसे ढिंग एक्सप्रेस कहें, मोन जय कहें, गोल्डन गर्ल कहें या फिर हिमा दास कहें। कोई उसे किसी भी नाम से पुकारें, शख्सियत एक ही होगी, वह है हिमा दास। ढ़िग गांव में जन्म लिया तो आज कुछ लोग उसे ढ़िंग एक्सप्रेस के नाम से जानते हैं, कुछ के लिए वो मोनजय है, और मीडिया में वह गोल्डन गर्ल के नाम से जानी जाती है। मां-बाप ने उसका नाम हिमा दास रखा हैं। 2 जुलाई 2019 से पहले हिमा दास कौन हैं? यह कुछ लोगों को छोड़कर कोई नहीं जानता था। 02 जुलाई से 22 जुलाई 2019 के मध्य हिमा दास ने अपनी योग्यता का ऐसा परचम लहराया कि आज विश्व भर में बहुत कम लोग होंगे जो हिमा दास को नहीं जानते होंगे।

रातों रात इतिहास कैसे रचा जा सकता हैं? यह कोई हिमा दास वंडर एथलेटिक्स से पूछे। असम के एक छोटे से गांव में जन्म लेकर रोमानिया और अमेरीका जैसे विकसित देशों के एथलेटिक्स को हरा कर रातोंरात सुर्खियों में छा जाने वाली हिमा दास आज पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन कर चुकी है। हिमा दास ने 52.46 सेकेंड में 400 मीटर की दौड़ पूरी कर स्वर्ण पदक ही नहीं जीता बल्कि सभी भारतीयों का दिल जीत लिया। 18वें एशियन गेम्स में हिमा दास का प्रदर्शन ऐसा रहेगा, इसकी कल्पना किसी ने इससे पूर्व की नहीं होगी। मात्र 19 दिन में एक के बाद एक 5 गोल्ड मैडल जीतने वाली हिमा दास को आज कौन नहीं जानता और आज ऐसा कौन है जो हिमा दास के बारे में अधिक नहीं जानना चाहता।

It is a perfect guide to plan your career. Our Experts have the Answer!

हिमा दास की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से लगभग मिलती जुलती है। एक गरीब परिवार में जन्म लेकर कोई कैसे शोहरत के आसमान पर रातों रात छा जाता है, यह इनकी जीवन गाथा से समझा व जाना जा सकता है। असम के एक छोटे से गांव में चावल की खेती करने वाले परिवार में जब पांचवें बच्चे के रुप में बेटी का जन्म हुआ तो संभावित है कि परिवार में उत्सव की स्थिति न रही हो, यह भी संभावित है कि उसके जन्म के लिए बहुत सारी दुआएं ना मांगी गई हो। भारत में बेटी का जन्म, गरीब परिवार में, वह भी पांचवी संतान के रुप में खुशी की खबर बहुत कम ही बन पाती है।

आज हिमा दास ने अपने माता-पिता, गुरु और लड़कियों को जो मुकाम दिलाया है, उसके कामना हर माता-पिता जरुर करता है। मात्र 18 साल की आयु में इतना नाम, धन और सम्मान प्राप्त करना आसान नहीं है। हिमा दास विश्व अंडर -20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लगातार 5 स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी है। हर भारतीय चाहता है कि हिमा दास का यह जादू कभी फीका ना हो। जब से हिमा दास ने ट्रैक एंड फील्ड में अप्रतीम स्वपन को पूरा किया तब से हर कोई हिमा दास के बारें में अधिक जानना चाहता है। हिमा दास से आज हम आपको रुबरु कराने जा रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन में यह स्थान किस प्रकार प्राप्त किया और जीवन में इस स्थान को पाने के लिए हिमा दास को कितनी जद्दोजहद करनी पड़ी आज हम आपको यह बताएँगे -

हिमा दास से परिचित होने से पूर्व जरा सोचिए, जरा विचार कीजिए कि 1 अरब 21 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में जिसमें महिलाओं की जन्मसंख्या एक रिपोर्ट के अनुसार 58.64 करोड़ है। इसमें से कितनी महिलाएं ऐसा कुछ कर पाती है कि सारा विश्व उनकी योग्यता के आगे घुटने टेक दें।

हिमा दास अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटी बेटी है। भारत दो साल पहले जब रियो ओलंपिक के लिए कमर कस रहा था, तो हिमा दास असम के एक ग्रामीण मेले से वापस आते हुए, एक फुटबाल मैदान से गुजर रही थी, और सोच रही थी कि क्या वह भी एक दिन भारत की जर्सी पहन कर अपने गांव ढींग का नाम रोशन कर पाएगी। वह अपनी जर्सी पर तिरंगा बना हुआ देखने का सपना भी देख रही थी, उस दिन के सपने में सब था पर एक अंतराष्ट्रीय ट्रैक पर दौड़ती और दौड़ में रिकार्ड बनाती हिमा दास नहीं थी। उसका सपना एक फुटबॉल खिलाडी बनने का था, देश का नाम रोशन करने का था। तिरंगे वाली जर्सी बनने का उसका सपना बहुत जल्द पूरा हो गया। हिमा दास 02 जुलाई 2019 से 22 जुलाई 2019 के बीच जो कारनामा कर चुकी है, इसके बाद वो एक स्पोर्ट्स ब्रांड बन चुकी है। हिमा दास ने ट्रैक की 400 मीटर की लम्बी दूरी को अपनी स्पीड से छोटा बना दिया। धावकों के लिए दौड़ का यह ट्रैक अक्सर भयावह हुआ करता है। परन्तु हिमा दास के लिए यह एक स्वप्न के पूरे होने का ट्रैक बन गया। सिर्फ 14 माह के प्रशिक्षण ने हिमा दास को विश्व प्रसिद्ध बना दिया। 18 वर्षीय युवा हिमा दास ने अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर जबरदस्त सफलता हासिल की है।

अपने एक इंटरव्यू में हिमा दास ने याद करते हुए कहा कि "मुझे जब भी मौका मिलता, मैं सबकुछ खेलती थी, लेकिन मेरे गाँव के लोग कहते थे कि फुटबॉल मेरे खून में है क्योंकि मेरे पिता फुटबालर हुआ करते थे।"

उन्होंने कहा, 'आसपास के गांवों की टीमें फुटबाल मैच खेलने के लिए कभी-कभी 500 रुपये प्रति मैच के हिसाब से मुझे देती थी। मैं स्ट्राइकर के रूप में खेलती थी और मैं कई गोल करती थी क्योंकि मैं बहुत तेज दौड़ती थी"।

हिमा दास के साथ कुछ भाग्य ने ऐसा खेल खेला की वो प्रसिद्द फुटबॉल खिलाडी तो ना बन सकी, इसकी जगह देश की प्रसिद्द धावक बन गयी. "चले तो मंजिल की और थे मंजिल तो न मिली, पर जो मिला वो मंजिल से बेहतर था"

हिमा दास की पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि खाने-पीने की व्यवस्था हो सके। जैसे तैसे घर का खर्च चलता। खेलों में अधिक रुचि होने के कारण पढ़ाई इनकी बीच में ही छूट गई। कभी गांव में आने वाली बाढ़ और कभी अन्य मुश्किल हालातों में हिमा दास अपने खेल की तैयारी नहीं कर पाती। खेल के मैदान पानी में डूब जाते। 2017 को इनके जीवन का ट्रनिंग पाईंट कहा जा सकता है। निपुण दास ने इन में छुपी एथलिट को पहचाना और इनके माता-पिता को राजी कर इन्हें ट्रैंनिंग कैंप में गुवाहाटी भेज दिया। यहां तक की इनकी ट्रैंनिंग का खर्च भी निपुण दास जी ने स्वयं उठाया। हिमा दास दौड़ के शुरुआत समय में अपनी ऊर्जा बचा कर रखते है, और ट्रैक के सीधे होने पर अपनी बची हुई उर्जा लगा देती है। यही उसकी दौड़ की खासियत है, रोनाल्डो और मेस्सी बनने का सपना देखते देखते हिमा दास आज स्वयं एक ब्रांड आईकन बन गई है।

उपलब्धियां

पहला स्वर्ण पदक : 2 जुलाई- पोलैंड में पोजनान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स में 200 मीटर रेस 23।65 सेकंड में पूरी कर जीता।

दूसरा स्वर्ण पदक : 7 जुलाई- पोलैंड में कुनटो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस को 23।97 सेकंड में पूरा किया।

तीसरा स्वर्ण पदक : 13 जुलाई- चेक रिपब्लिक में क्लाद्नो एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस 23।43 सेकेंड में पूरी की।

चौथा स्वर्ण पदक : 17 जुलाई- चेक रिपब्लिक में ताबोर एथलेटिक्स मीट में 200 मीटर रेस 23।25 सेकंड के साथ जीती।

पांचवा स्वर्ण पदक : 20 जुलाई – ‘नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रांप्री’ में हिमा ने 400 मीटर की रेस 52।09 सेकंड में पूरी करके जीती।

आईये अब इनकी कुंडली देखते हैं -

हिमा दास

09 जनवरी 2000 नौगांव, असम

जन्मसमय के अभाव में हम यहां इनकी चंद्र कुंडली का अध्ययन करेंगे।

हिमा दास का जन्म मकर राशि में हुआ। जन्मपत्री में चंद्र-केतु के साथ स्थित है। द्वितीय भव में मंगल, चतुर्थ भाव में शनि-गुरु, सप्तम भाव में राहु, एकादश भाव में शुक्र और द्वादश भाव में बुध-सूर्य की युति है। खिलाडियों की कुंडली में पंचम भाव, तृतीय भाव, छठा भाव और एकादश भाव विशेष महत्व रखता है। इनकी कुंडली में पंचम भाव पर खेल के कारक ग्रह मंगल की चतुर्थ दृष्टि है। पंचमेश शुक्र भी सप्तम दृष्टि से पंचम भाव को बली कर रहा है। प्रतियोगिता भाव के स्वामी बुध का सप्तम दॄष्टि से छ्ठे भाव से संबंध बनाना साथ में सूर्य का प्रभाव होना प्रतियोगियों को शांत करने का कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त षष्ठेश और अष्टमेश दोनों का एक साथ द्वादश भाव में होना, विपरीत राज योग बना रहा है। किसी खिलाड़ी की कुंडली में विपरीत राज योग वह भी एक साथ दो प्रकार का बनना जातक को अतिरिक्त ऊर्जा देता है। क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर की कुंडली में भी विपरीत राज योग देखा जा सकता है। सचिन तेंदुलकर क्रिकेट जगत की जिन बुलंदियों पर हैं वह किसी से छुपा नहीं है।

व्ययेश गुरु भी अपने भाव को दॄष्टि देकर बली कर रहे हैं। कुंडली में त्रिक भावों में छ्ठा और बारहवां भाव अपने भावेश से दॄष्ट होने के कारण विशेष बली हो गए है। द्वादश भाव का बली होना व्यक्ति को विदेश लेकर जाता है और विदेश में सफलता के योग बनाता है। एकादशेश मंगल का द्वितीय भाव में स्थिति उच्च पद से सुख और पदवी देती है, जो इन्हें प्राप्त हुई, क्योंकि द्वितीय भाव एकादश भाव से चतुर्थ भाव होने के कारण कामनाओं की पूर्ति के साथ साथ सुख-पदवी का सूचक होता है। 2017 से शनि का गोचर इनकी जन्मराशि से बारहवें भाव पर हुआ और इसी के साथ इनकी शनि की साढ़ेसाती शुरु हुई और इनके जीवन को एक नई दिशा मिली। शनि इनके जन्मराशिश है और जन्मपत्री में त्रिकोण के स्वामी होकर नीचस्थ स्थिति में चतुर्थ भाव केंद्र में है। जिन्हें पराक्रमेश व द्वादशेश गुरु का साथ प्राप्त हो रहा है। अभी इनकी कुंडली में शनि साढ़ेसाती का प्रथम चरण प्रभावी होने के कारण हिमा दास लम्बी दौड़ का घोड़ा साबित होगी और आगे आने वाले वर्षों में भी अनेक पद हासिल कर देश का गौरव विश्व में बढ़ाती रहेगी। 29 मार्च 2025 में शनि कुम्भ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब तक का समय हिमा दास के लिए स्वर्णिम कहा जा सकता है।

हम सभी भारतीयों को आप पर गर्व है, आपकी स्पीड़ का यह जादू सदैव बरकार रहें, यहीं कामना करते हैं...


Previous
Sun Transit in Leo 17th August 2019

Next
The relevance of the first letter of your Name


2023 Prediction

View all
2023-rashifal