6 जून माह, 2024 पांच ग्रहों की युति - भारत और विश्व के लिए कैसा रहेगा? | Future Point

6 जून माह, 2024 पांच ग्रहों की युति - भारत और विश्व के लिए कैसा रहेगा?

By: Acharya Rekha Kalpdev | 13-Apr-2024
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6 जून माह, 2024 पांच ग्रहों की युति - भारत और विश्व के लिए कैसा रहेगा?

वैदिक ज्योतिष की यह विशेषता है कि जो कुछ भी भविष्य में होने वाला होता है, वह ग्रह योग, ग्रह गोचर के माध्यम से पूर्व में ही जाना जा सकता है। वैदिक ज्योतिष विद्या का जन्म वेदों से हुआ। चार में से तीन वेदों में ज्योतिष विद्या का वर्णन है। वैदिक ज्योतिष के द्वारा हम न केवल व्यक्तिगत जीवन का फलादेश कर सकते है अपितु समूह, राज्य, राष्ट्र, और विश्व का भी फलादेश कर सकते है। राष्ट्र और वैश्विक घटनाओं जिसमें कृषि, खनन, भूकंप, विश्व युद्ध, विश्व शांति, विवाद, समझौते, प्राकृतिक आपदाएं, अग्नि हानि, सामुद्रिक चक्रवात, बाढ़ और पहाड़ खिसकने जैसी घटनाओं का सटीक फलादेश किया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष एक वैज्ञानिक विद्या है। इसमें दो से अधिक ग्रहों का एक साथ एक ही राशि में गोचर करना अशुभ माना जाता है। यदि एक साथ तीन, चार या पांच ग्रह एक साथ गोचर में युति कर करते है तो अशुभता में उत्तरोत्तर वृद्धि के योग बनते है। कुछ इसी प्रकार के योग मई और जून माह 2024 में बन रहे हैं, जो काफी भयावह और डरने वाले है। पहले से ही विश्व में दो मोर्चों पर लड़ाई चल रही है, ऐसे में विश्व अन्य किसी जनहानि को झेलने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है।

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2024 वर्ष अंक ज्योतिष के अनुसार शनि का अंक है। शनि भारत के लिए योगकारक ग्रह है। 2022 से शनि गोचर में भारत की कुंडली के चतुर्थ भाव पर गोचर कर रहे हैं। 6 जून माह 2024 में पांच ग्रह शुक्र, बुध, गुरु, सूर्य और चंद्र वृषभ राशि में गोचर कर पांच ग्रह युति योग का निर्माण कर रहे है। विशेष बात यह है कि यह योग भारत वर्ष के लग्न भाव पर बन रहा है।

6 जून, 2024 के दिन नौ में से आठ ग्रहों का प्रभाव वृश्चिक राशि पर रहने वाला है। इस दिन वृश्चिक राशि पर शुक्र, बुध, गुरु, सूर्य और चंद्र ग्रह की सप्तम दृष्टि, कुम्भ राशि स्थित शनि ग्रह की दशम दृष्टि, राहु मीन राशि एकादश भाव से नवम दृष्टि और मंगल मेष राशि द्वादश भाव से अष्टम दृष्टि सम्बन्ध वृश्चिक राशि पर बना रहे हैं। 8 बड़े ग्रहों का दृष्टि प्रभाव एक ही समय पर एक ही राशि पर आने से वृश्चिक राशि (भारत के सभी पश्चिमी राज्य) इस योग के फलस्वरूप पीड़ित हो रहे है। पश्चिमी राज्यों में गुजरात, महारष्ट्र और गोवा आते है। ये सभी राज्य इस काल अवधि में अशुभ ग्रह योग बनने के कारण अशुभता के प्रभाव में है।

इस योग के पांच ग्रह क्योंकि वृषभ राशि भारत की लग्न कुंडली के प्रथम भाव पर स्थित है, अत: ऐसे में वृषभ राशि (भारत के पूर्वी राज्य) भी इस पांच ग्रह युति की चपेट में आ रहे है। इसमें असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम राज्य पूर्वी राज्य की श्रेणी में आते है। इसके अलावा बंगाल, उड़ीसा, बिहार और झारखंड भी भारत के पूर्वी राज्य है।

15 मई 2024 से लेकर 20 जून 2024 के मध्य की अवधि भारत के पूर्वी राज्यों और पश्चिमी राज्यों विशेष रूप से पश्चिमी राज्यों के लिए कष्टकारी बनी हुई है। स्वतंत्र भारत की कुंडली के अनुसार भारत के सप्तम भाव (पश्चिमी राज्य) की राशि वृश्चिक है। वृश्चिक राशि जल तत्व राशि है और भारत के पश्चिमी राज्यों के निकट समुद्र भी है। ऐसे में समुद्र में तूफान, चक्रवात, सुनामी आने के योग इस समय में विशेष रूप से बन रहे है। वृश्चिक राशि (जल तत्व)पर प्रभाव डालने वाले ग्रहों में शनि कुम्भ राशि (वायु तत्व), राहु मीन राशि (जलतत्व), वृषभ राशि (भूमि तत्व) में सूर्य, शुक्र, बुध, गुरु, सूर्य और चंद्र , मंगल मेष राशि (अग्नि तत्व) का प्रभाव रहेगा। जल तत्व राशियों को जब वायु तत्व राशियों का सहयोग प्राप्त होता है तो समुद्री साइक्लोन (समुद्री तूफान) आने के योग बनते है। यह सर्विदित है कि जब-जब भूकंप आता है, तब तब समुद्री तूफान आने के योग भी बनते हैं। वृषभ राशि भूमि तत्व राशि है, इस राशि पर के साथ पांच ग्रहों की युति भूमि तत्व को पीड़ित कर पूर्वी राज्यों में भूकंप आने कि संभावनाएं बना रही है। पंचग्रह युति गोचर योग पर गोचर के केतु ग्रह की नवम दृष्टि भी आ रही है। इससे भूमि खिसकने के योग की पुष्टि हो रही है।

यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि यही स्थिति वैश्विक स्तर पर देखी जा सकती है। भारत के पूर्वी देशों में रिक्टर स्केल पर 7.0 या उससे अधिक की तीव्रता वाले भूकंप आने के योग बन रहे है। पश्चिमी देशों में समुद्री चक्रवात के कारण जनहानि के योग भी इस अवधि में बन रहे है। पूर्व में ही सावधानी रखने से नुकसान को टाला नहीं जा सकता, परन्तु कम जरूर किया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मई 15 से लेकर 20 जून के मध्य का समय भारतीय और वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं का बना हुआ है। विशेष सावधानी रख कर हम स्वयं को सुरक्षित रख सकते है।

उपरोक्त योग में वृश्चिक राशि पर गुरु गोचर की शुभता का आशीर्वाद आ रहा है परन्तु वृषभ राशि पूर्वी क्षेत्र उत्तरी क्षेत्र, पडोसी देशों की दिशा पर राहु और मंगल दो अशुभ ग्रहों का प्रभाव आने से पडोसी देशों (पाकिस्तान और चीन )से भी सावधान रहने के योग बन रहे है। इस योग में राहु ग्रह के शामिल होने से घात लगाकर बॉर्डर पर नुकसान पहुंचाने के योग बन रहे है। भारत की कुंडली का द्वादश भाव मेष राशि, पर मेष राशि के मंगल का गोचर होने के कारण भारत का व्यय भाव (सीमाक्षेत्र) सक्रिय हो गया है। व्यय का विस्तार अच्छा नहीं है। सीमा पर सैनिकों के लिए मंगल गोचर प्रतिकूल रह सकता है।

सार - कुल मिलाकर 15 मई से लेकर 20 जून 2024 के मध्य का समय भारत की सीमाओं, पडोसी देशों के घात, पूर्वी राज्यों में भूकंप और पश्चिमी राज्यों में सुनामी के योग बना रहा है। विश्व के पूर्वी दशों और पश्चिमी देशों के लिए भी यह योग अशुभ प्रभाव देने वाला रह सकता है।


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