सुषमा स्वराज विदेश मंत्री - ऐ नारी तुझे नमन....

By: Future Point | 19-Feb-2019
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सुषमा स्वराज विदेश मंत्री - ऐ नारी तुझे नमन....

समय के साथ बहुत कुछ बदला है, कुछ बदलाव हर क्षेत्र में हुए है, यदि बीते हुए कल पर एक निगाह जो डालें तो जो तस्वीर सामने आती हैं, उसमें स्त्रियों के लिए लम्बे लम्बे आंदोलन सामने आए है। वास्तव में स्त्रियों को लेकर समाज में दो तरह की तस्वीरें सामने आती है। जिसमें एक तस्वीर में उन्हें कोमल, संवेदनशील, असहाय और निर्बल माना गया है। तो दूसरी तस्वीर में उन्हें देवी, मां और दुर्गा पाप नाशनी के रुप में स्वीकार किया गया है।

एक कवि ने अपनी कविता में स्त्री के विभिन्न रुपों को शब्दों में कुछ प्रकार से बांधने की कोशिश की हैं-

तू ममता की मूरत है, तू सच की सूरत है....

तू रौशनी की मशाल है, जो अंधकार से ले जाती है परे

तू गंगा की बहती धारा का वो वेग है, जो पवित्र और निश्छल है....

तेरे रूप तो कई हैं, तू अन्नपूर्णा है तू मां काली है

तू ही दुर्गा, तू ही ब्राह्मणी है

मां यशोदा की तरह तूने कृष्ण को पाला, गौरी की तरह शिव को संभाला...

तू ही हर घर के आंगन की तुलसी है

तू ही सबका मान है, तू ही सबका अभिमान है....

नवरात्री में नौ रूपों में पूजी जाती है

लेकिन तेरे नौ नहीं तेरे तो अनेक रूप हैं

ऐ नारी तुझे नमन!.....

स्त्री के इन सब रुपों के रंगों को मिलाकर यदि एक तस्वीर बनाई जाए तो जो तस्वीर उभर कर सामने आती हैं, वह काफी हद तक सुषमा स्वराज विदेश मंत्री की छवि से मिलती जुलती है।

सज्जनता, गम्भीरता, वाक्पटुता और बुद्धिमत्ता जिनके व्यक्तित्व में झलकती है, उनका नाम है सुषमा स्वराज। विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ने के साथ ही इन्होंने राजनीति की पहली सीढ़ी पर पहला कदम रख दिया था। आज सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति के इतिहास की दूसरी महिला विदेश मंत्री है। विदेश से संबंधों को बेहतर बनाने में मोदी जी के साथ साथ इनका योगदान भी बहुत अहम रहा है। विदेश नीति इनके कार्यकाल के दौरान सफल और प्रभावशाली रही, इसमें कोई संदेह, शुबाह नहीं है। विरोधी तक खुलकर इनकी नीतियों की प्रशंसा करते है। आगे बढ़ने से पहले आईये एक बार सुषमा स्वराज के जीवन से रुबरु हो लेते हैं-

हरियाणा के छोटी सी छावनी अंबाला में 14 फरवरी 1952 को एक मासूम फूल का जन्म हुआ। इस फूल की धरा में आर एस एस धर्मिता की खूशबू थी। हिन्दू धर्म की भावना इन्हें अपने पिता से जन्मजात मिली। सुषमा स्वराज ने छात्र जीवन में ही प्रखर वक्ता के गुण दिखाने शुरु कर दिए थे। स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने चंड़ीगढ़ से कानून में शिक्षा पूर्ण की। कानून की शिक्षा लेते समय सर्वोच्च वक्ता सम्मान से भी ये सम्मानित हुई। इसके पश्चात सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते हुए, इनका रुझान राजनीति में हुआ। अपने इस रुझान की पूर्ति के लिए सुषमा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गई।

मात्र 23 साल की आयु में सुषमा स्वराज कौशल जी के साथ विवाह सूत्र में बंध गई, विवाह के समय का दिन था 13 जुलाई, 1975। कौशल जी राजनीति के मैदान के मंझे हुए खिलाड़ी रहे हैं, एक समय में ये सांसद, राज्यपाल और सुप्रीम कोर्ट जैसी सर्वोच्च न्यायी संस्था में वरिष्ठ वकील रहे है। सुषमा स्वराज को कौशल स्वराज का साथ मिलना ठीक वैसा ही था जैसे स्वर्ण अंगूठी को हीरे का साथ मिलना। दोनों एक दूसरे की शोभा को प्रकाशवान कर रहे थे। यूं तो स्वराज कौशल क्रिमिनल मामलों के जानेमाने वकील है। फिर भी इनकी सादगी है कि ये अखबारों की सूर्खियों से दूरी बनाए रखते है।

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की विदेश मंत्री के जीवन साथी होने के बावजूद कौशल अपना स्वतंत्र व्यक्तित्व रखते है। पार्टी या पार्टी की नीतियों से कोई लेना-देना नहीं रखते है। अपनी योग्यता के बल पर बहुत कम आयु में मिजोरम राज्य के गवर्नर पद को भी सुशोभित कर चुके है। इनकी यही उपलब्धियां इन्हें सुषमा का सच्चा जीवन साथी और उत्तम व्यक्तित्व का व्यक्ति बनाती है। सुषमा और कौशल दोनों की उपलब्धियां भी एक-दूसरे से बढ़कर, आलम यह कि दोनों की उपलब्धियों को पहचान कर लिम्का बुक रिकार्ड ने हाथों हाथ लिया और इनके नाम स्वर्णिम रिकार्ड दर्ज कर लिया।

एक ओर सुषमा जी अपने करियर में दिन दौगुणी राज चौगुणी उपलब्धियां हासिल कर रही थी, तो अपनी जीवन के दूसरे पथ की पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी बाखूबी निभा रही थी। सुषमा एक सफल राजनेता, एक सफल जीवन साथी, एक स्नेहमयी माता की भूमिका कुशलता से निभा रही है। बांसुरी इनकी एकमात्र बेटी हैं, जिनका पालन पोषण इनकी स्नेह की छांव में हुआ है, आज बांसुरी कानून के क्षेत्र की सफल बैरिस्टर है।

केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल का भाग होकर एक बार जो सुषमा ने अपनी राजनैतिक यात्रा शुरु की तो फिर कभी मुड़कर नहीं देखा। कुछ समय के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री भी रही। 2009 में सुषमा भारतीय जनता पार्टी की 19 सदस्यों की चुनावों के लिए प्रचार करने वाली समीति की अध्यक्ष भी रही है। 2014 में मोदी सरकार के सत्तासीन होने के साथ ही सुषमा स्वराज को 2014 में पहली विदेश महिला होने का सम्मान प्राप्त हुआ। सुषमा भारत की एक मात्र अकेली महिला है जिन्हें असाधारण सांसद का पुरस्कार मिला है।

सुषमा जी बुद्धिमती होने के साथ साथ हृदय से अत्यंत कोमल स्वभाव की भी है। इसके उदाहरण समय समय पर ख़बरों में चर्चित होते रहते है। जैसे - मूक-बधिर गीता जो गलती से पाकिस्तान पहुंच गई थी, उसे उसके माता-पिता से मिलाने और गीता को भारत लाने की मुहिम में सुषमा ने अहम भूमिका निभाई थी। भारत की विदेश मंत्री के प्रयासों का परिणाम है कि आज गीता भारत में सुरक्षित हाथों में है। कुछ इसी तरह का अन्य उदाहरण हामिद अंसारी का हैं जो 6 साल पाकिस्तान की जेल मे रह चुके है। कुछ समय से उन्हें पाकिस्तान में लापता घोषित किया हुआ था, उन्हें वापस स्वदेश लाने का सारा श्रेय सुषमा स्वराज जी को ही दिया जाता है। पाकिस्तान में धोखे की शादी का शिकार हुई उजमा भी इसी कड़ी का एक भाग हैं, उजमा भी सुषमा स्वराज के सहयोग, पहल और प्रयास के फलस्वरुप आज भारत में सुखी है।

एक अन्य लड़की जो हैदराबाद की थी, और पाकिस्तान से वापसी के लिए गुहार लगा रही थी, उसकी मदद के लिए सुषमा स्वराज की पहल सराहनीय रही थी। सर्जिकल स्ट्राईक के समय एक पाकिस्तानी ग्रुप भारत आया हुआ था, उस ग्रुप को पाकिस्तान सुरक्षित पहुंचाने में भी सुषमा ने मानवता का परिचय दिया। अभी चंद दिनों पहले ईराक में फंसे 15 भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए सुषमा अपनी टीम के साथ जी-जान से लगने जा रही है। ऐसे ही ना जाने कितने उदाहरण, कितनी कहानियों को सुषमा स्वराज के अतिरिक्त सहयोग ने सच में बदलकर, जीवन दिया है। विदेश में फंसे भारतीयों के लिए सुषमा स्वराज आज अंधेरे में आशा की एक किरण के रुप में जानी जाती है।

कीर्तिमान एवं उपलब्धियां


  • 1977 में ये देश की प्रथम केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल सदस्या बनीं, वह भी 25 वर्ष की आयु में।
  • 1979 में 27 वर्ष की आयु में ये जनता पार्टी, हरियाणा की राज्य अध्यक्षा बनीं।
  • स्वराज भारत की किसी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी की प्रथम महिला प्रवक्ता बनीं।
  • इनके अलावा भी ये भाजपा की प्रथम महिला मुख्य मंत्री, केन्द्रीय मन्त्री, महासचिव, प्रवक्ता, विपक्ष की नेता एवं विदेश मंत्री बनीं।
  • ये भारतीय संसद की प्रथम एवं एकमात्र ऐसी महिला सदस्या हैं जिन्हें आउटस्टैण्डिंग पार्लिमैण्टेरियन सम्मान मिला है। इन्होंने चार राज्यों से 11 बार सीधे चुनाव लडे।
  • इनके अलावा ये हरियाणा में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की चार वर्ष तक अध्यक्षा भी रहीं है।

सुषमा स्वराज को जीवन में आज जो उपलब्धियां प्राप्त हैं। वह इन्हें क्यों कर प्राप्त हुई, आईये इसका आकलन इनकी कुंड्ली से करते हैं-

सुषमा के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज पर धनु लग्न उदित हो रहा है। जन्म चंद्र कन्या राशि में सूर्य के उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में स्थित है। उत्तराफाल्गुणी नक्षत्र की विशेषताएं इनके व्यक्तित्व, कद-काठी, रुप-स्वरुप और हाव-भाव में स्पष्ट रुप से देखी जा सकती है। लम्बे कद, स्थूलकाल शरीर, लम्बी नाक, स्वभाव से धार्मिक, कर्तव्यनिष्ठ, ईमानदार और समाजसेव की भावना से सुषमा परिपूर्ण है। अपने जीवन की प्रत्येक जिम्मेदारी को पूरा करने का गुण इन्हें मिला। इसके फलस्वरुप इनका जीवन सुखी और संतुष्ट व्यतीत भी हुआ।

स्वतंत्रता की चाह सामान्य से अधिक रहने के कारण ये कुछ अधीर, हठी एवं गुस्सैल भी है, तथापि दिल का साफ होना इन्हें बेहतर से बेहतरीन बना रहा है। जनसंपर्क के कार्यों में सुषमा रुचि लेती है। अगर इनकी कमियों की बात करें तो इनकी एक सबसे बड़ी कमी यह है कि ये दूसरों की मदद के लिए जितना बढ़ चढ़ कर भाग लेती हैं उतना स्वयं के लिए नहीं ले पाती है। अपने कार्यों में लापरवाही कर ही देती है। कठिन परिश्रम से ना घबराने की आदत ने इन्हें जीवन में तरक्की दी।

सुषमा की कुंड्ली में लग्न में एकादश शुक्र स्थित है। मकर राशि में द्वितीय भाव में बुध, सूर्य और राहु तीसरे भाव में गुरु स्वराशि के चतुर्थ भाव में स्थित है। नवम भाव में केतु सिंह राशि में है। दशम भाव में शनि और चंद्र तथा आय भाव में व्ययेश मंगल स्थित है। आयेश का लग्न भाव में होना इन्हें प्रगतिशील बना रहा है। सूर्य भाग्येश है किन्तु राहु के साथ शनि की राशि कुम्भ में बैठे है। राहु के साथ सूर्य का होना पितृ दोष कारक होता है। लेकिन पराक्रम भाव में स्थित सूर्य व राहु इन्हें बहुत पराक्रमी एवं कार्यशील बना रहे है और सुषमा जी सदा ही, बहुत लगन, कर्मठता से सभी कार्यों में जुटी रहती है।

सुषमा की जन्म कुंडली में हंस योग, वाशि योग, अमलायोग, पर्वत योग, चामर योग, सुनाफा योग, कीर्ति योग, गजकेसरी योग, पारिजात योग, वासि और वेशि योग है जो इस कुंडली को विशेष बना रहे है। इनका जन्म सूर्य की महादशा में हुआ था जिसने इनके जीवन में सेहत की खराबी व पिता की धन सम्पति और स्वास्थ्य में कमी दी। शुक्र लग्न में बैठा होने से इनको बोलने में व लोगों के अंदर प्रेरणा पहुंचाने के काम में सहयोग भी कर रहा है। लग्न के शुक्र ने इनको राजनीति में कामयाबी हासिल करवाई और दुनिया में अपना नाम रोशन करवाया। इतना ही नहीं केतु के नवम घर में बैठने ने इन्हें अच्छी सोच का मालिक बनाते हुए इनका नाम प्रसिद्ध किया।

चंद्र दशा 1955 से लेकर 1965 तक रही। इस समय में इनके शिक्षा कार्य पूर्ण हुए। इसके बाद राहु में राहु की अतर्द्शा आई और इसमें इनका विवाह संपन्न हुआ। यह समय अनेक उपलब्धियों का रहा। इसी के चलते 1977 से 1979 तक शनि की अंतर्दशा में श्रम मंत्री का पद प्राप्त करके 24 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकार्ड बनाया।

वर्तमान में आपकी कुण्डली में शनि की महादशा में मंगल का अन्तर चल रहा है। शनि द्वितीयेश व पराक्रमेश होकर दशम भाव में अपनी मित्र राशि में वक्री होकर बैठा है। शनि राज्य भाव में बैठा है और चतुर्थ समाजसेवा भाव से पूर्ण दृष्टि संबंध बना रहा है। इससे सत्ता में भी समाज और सहयोग के कार्यों में इनकी अतिरिक्त रुचि रही। अन्तर्दशानाथ मंगल आय भाव में स्थित हो, समय के अनुकूल होने का संकेत दे रहा है। इस समय इनकी जन्मराशि पर शनि ढ़ैय्या प्रभावी है। शनि का गोचर इनके जन्मलग्न राशि पर हो रहा है।

यह इनके स्वास्थ्य में कमी की वजह बन रहा है। 2020 के प्रारम्ब तक यही स्थिति रहने वाली है। साल 2019 में इनके जन्म लग्न पर शनि, केतु और गुरु तीन विशेष ग्रह गोचर कर रहे हैं। ऐसे में इन्हें अपने स्वास्थ्य का खास ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। अगस्त 2019 से राहु का प्रत्यंतर प्रभावी होगा, इस अवधि में इन्हें धोखों से सावधान रहना होगा। राहु विरोधियों को अक्रामक बनाकर छवि को धूमिल करने का प्रयास करेगा, किन्तु आप-अपनी त्वरित बुद्धि से हर समस्या का समाधान खोज लेंगी। इस समय आपके राजनैतिक पद में बदलाव के संकेत नजर आ रहे है। आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी एंव कुछ महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी आपको सौंपी जा सकती है।


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