श्री यंत्र की चमत्कारी शक्ति
By: Future Point | 06-Jun-2018
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देवी श्रीविद्या के सबसे रहस्यमयी स्वरुप का नाम श्रीयंत्र हैं। जिसे श्रीचक्र के नाम से भी जाना जाता हैं। श्रीयंत्र को समस्त ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता हैं। श्री यंत्र अपने नाम के अनुसार कार्य करता हैं। धन की देवी लक्ष्मी जी का यंत्र होने के कारण यह स्वयं में अपनी विशेषता रखता हैं। श्री से अभिप्राय: देवी लक्ष्मी से हैं। देवी लक्ष्मी जी संपदा, धन-धान्य की लक्ष्मी हैं।
धन और विद्या का वरदान देने वाली देवी को ही देवी श्री के नाम से संबोधित किया जाता हैं। श्रीयंत्र को सभी यंत्रों का राजा के नाम से भी जाना जाता हैं। इसकी महिमा इसी से जानी जा सकती हैं कि यह सभी यंत्रों में सबसे सर्वश्रेष्ठ हैं। आज के समय में सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने में श्रीयंत्र सक्षम हैं। श्रीयंत्र के विषय में कहा जाता हैं कि यह अपने आराधक की सभी कामनाएं पूरी करता हैं। इसके अतिरिक्त यह मान-सम्मान और प्रतिष्ठा सभी कुछ प्रदान करता हैं। पौराणिक शास्त्रों में इसे कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता हैं।
श्री यंत्र रहस्य
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रीयंत्र की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी, नव निधियों और अष्ट लक्ष्मियों के साथ यह भी समुद्र मंथन के समय समुद्र से प्राप्त हुआ था। यह महालक्ष्मी जी का प्रतीक स्वरुप कहा गया हैं। इसके अतिरिक्त भी श्रीयंत्र को अनेक नामों से पुकारा गया हैं। ऋषि दुर्वासा और दत्तात्रेय ने इसे मोक्ष देने वाला यंत्र कहा गया हैं।
यहां तक की जैन शास्त्रों में भी इसकी प्रशंसा का उल्लेख मिलता हैं। यह भी माना जाता है कि मूर्ति स्वरुप में देव पूजन करने के स्थान पर यंत्र रुप में देव पूजन अपने आराधक को 100 गुणा अधिक फल देता हैं। वास्तव में यंत्र देवताओं का शरीर और इसमें निहित मंत्र आत्मा का कार्य करती हैं। जब हम यंत्र और मंत्र दोनों की पूजा करते हैं तो उपासना का फल जल्द मिलता हैं।श्रीयंत्र अद्भुत व चमत्कारी शक्तियों से युक्त होने के कारण विशेष फलदायक होता हैं। शास्त्रों में श्रीयंत्र को लेकर मान्यता है कि श्रीयंत्र के दर्शनमात्र से ही लाभ मिलने शुरु हो जाते हैं।
श्रीयंत्र के फायदे
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में दरिद्रता से जुड़े अशुभ योग बन रहें हों तो ऐसे व्यक्तियों को अपने घर में श्रीयंत्र की स्थापना कर नित्य दर्शन पूजन करना चाहिए। इससे दरिद्रता का नाश होता हैं और अत्यंत लाभकारी परिणाम मिलते हैं। अर्थ की देवी प्रसन्न होकर इनकी कॄपा से व्यक्ति की सभी कामनाएं पूर्ण होकर धन का आगमन होता हैं। अष्ट लक्ष्मी और नौ निधियों का घर में वास होता हैं।
इसके अतिरिक्त इसके पूजन से रोगों का भी नाश होता हैं। श्रीयंत्र की शुभता व्यक्ति को धन, यश, ऐश्वर्य, कीर्ति और समृद्धि देती हैं। इसके प्रभाव से रुके हुए कार्य बनने शुरु हो जाते हैं। पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से पूजन करने पर सभी दु:खों का नाश होता है और दारिद्रय घर से दूर रहता हैं। इसके अतिरिक्त इसकी विशेषता है कि इसे घर और व्यापारिक स्थल दोनों जगहों पर स्थापित किया जा सकता हैं।
आर्थिक क्षेत्र से सभी समस्याओं का समाधान करने में यह पूर्ण रुप से सफल होता हैं। इसकी कृपा से आर्थिक उन्नति की प्राप्ति होती हैं साथ ही यह व्यापार में सफलता भी देता हैं। श्रीयंत्र स्थापना की सही दिशा जानने के लिए Vastu Consultation या Astrology Consultation के अनुसार कार्य करना श्रेयस्कर रहता हैं.
श्रीयंत्र के प्रकार और लाभ
श्रीयंत्र कई धातुओं में पाया जाता हैं। भगवान शिव के भक्त श्रीयंत्र की उपासना पारद धातु से निर्मित श्रीयंत्र के रुप में करते हैं। यह सर्वविदित है कि भगवान भोलेनाथ को पारद धातु सबसे अधिक प्रिय हैं। देवों के देव महादेव की कृपा जिसे प्राप्त हो जाएं उसके लिए जीवन में कुछ भी पाना असंभव नहीं रह जाता हैं। श्रीलक्ष्मी जी को प्रसन्न करना हों तो श्रीयंत्र स्फटिक धातु से बना हुआ लें। यह धन प्राप्ति का अचूक उपाय हैं।
श्रीयंत्र की विधिवत स्थापना के लिए शुक्रवार का दिन और त्रयोदशी तिथि सबसे अधिक शुभ कही गई हैं। पूर्ण रुप से अभिमंत्रित श्रीयंत्र को अपने घर, दुकान, व्यापारिक स्थल या कार्यालय में स्थापित कर इसका नित्य दर्शन पूजन करना चाहिए। जो व्यक्ति इस प्रकार से इसका नित्य पूजन करता हैं उसे निश्चित रुप से संतान, व्यापार, धन, स्वास्थ्य, राज्य, वाहन, कीर्ति और आयु की प्राप्ति होती हैं। जीवन के सभी सुख स्वत: व्यक्ति के पास चले आते हैं।
श्रीयंत्र के सम्मुख स्फटिक माला पर श्रीसुक्त का पाठ करना शुभता में वृद्धि करता हैं। पारद और स्फटिक धातु के अतिरिक्त श्रीयंत्र, ताम्र, आक व अन्य कई रुपों में उपलब्ध हैं।