पांच मुखी रुद्राक्ष, छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है | Future Point

पांच मुखी रुद्राक्ष, छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है

By: Future Point | 13-Apr-2020
Views : 3230पांच मुखी रुद्राक्ष, छात्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है

यह पांच मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरूप है, पंचतत्वों का प्रतीक, दुःख-दरिद्र नाशक, स्वास्थ्यवर्धक, आयुष्यवर्धक, सर्वकल्याणकारी, मंगलप्रदाता, पुण्यदायक एवं अभीष्ट सिद्धिप्रदायक है, ज्योतिषीय दृष्टिकोण से यह बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है| जंघा व लीवर की बिमारियों से मुक्ति और बृहस्पति के कारण उत्पन्न कष्टों व अरिष्ट के निवारणार्थ इसे धारण किया जाता है| परस्त्री गमन करने का जो पाप होता है तथा अभक्ष्य भक्ष्य करने से जो पाप लगता है| वह सब पांच मुखी रुद्राक्ष के धारण करने से नष्ट हो जाता है| यह पंचतत्त्वों का प्रतीक है| यह सर्वकल्याणकारी, मंगलप्रदाता एवं आयुष्यवर्धक है| महामृत्युंजय इत्यादि अनुष्ठानों में इसका ही प्रयोग होता है| यह अभीष्ट सिद्धि प्रदाता है| सर्वत्र सहज सुलभ होने के कारण इसका महत्त्व अधिक है| कालाग्नि रूद्र के रूप में पांच मुखी रुद्राक्ष को इस ब्रह्माण्ड में स्थापित किया गया है| पञ्च देवों की कृपा से परिपूर्ण यह रुद्राक्ष पञ्च तत्वों के दोषों का नाश करने में सहायक होता है| शिव के उपासकों को पञ्चमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए| पञ्च देवों की कृपा होने के कारण से यह रुद्राक्ष भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है|

पांच मुखी रुद्राक्ष साक्षात् रूद्र अवतार है| इसके अधिपति ग्रह बृहस्पति देव हैं| इसलिए ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति कमजोर होने पर पांच मुखी रुद्राक्ष को धारण किया जाना चाहिए| जो सच्चे शिवभक्त होते हैं उन्हें पांच मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करनी चाहिए| पांच मुखी रुद्राक्ष के प्रति भगवान शिव का विशेष लगाव है, इसके साथ ही पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से भगवान श्री विष्णु, भगवान गणेश, सूर्य देव और माँ भगवती की विशेष कृपा प्राप्त होती है| पांच मुखी रुद्राक्ष पूरी दुनिया में सबसे अधिक पैदा होते है| इसलिए ये बहुत ही सामान्य रूप से प्राप्त हो जाते हैं| अन्य रुद्राक्षों की अपेक्षा ये नकली या बनावटी नहीं मिलते है| असली रुद्राक्ष सदैव प्रभावी होते हैं चाहे वह कितने भी मुख के क्यों न हो| इस रुद्राक्ष को बृहस्पति की कृपा के लिए भी धारण किया जाता है।

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पाँच मुखी रुद्राक्ष को धारण करने की विधि :–

रुद्राक्ष को धारण करने से पहले रुद्राक्ष को पवित्र करना चाहिए और विधिवत पूजन किया जाना चाहिए| इसके पश्चात् अधिक से अधिक मंत्र जप द्वारा रुद्राक्ष को अभिमंत्रित किया जाना चाहिए| पांच मुखी रुद्राक्ष को सोमवार, शिवरात्रि या श्रावण मास के किसी भी दिन रुद्राक्ष धारण करने के लिए शुभ माने गये हैं| सबसे पहले दूध-दही-शहद-घी-शक्कर के मिश्रण से रुद्राक्ष को स्नान कराएं| अब पवित्र गंगाजल से स्नान कराएं और अब इसे पूजा स्थल पर लाल वस्त्र बिछाकर रख दें| दीपक प्रज्वल्लित कर इस मंत्र का यथासंभव जप करें, ''ॐ नमः शिवाय'' अंत में कुमकुम से तिलक कर भगवान शिव का स्मरण करते हुए इसे गले में पहनना चाहिए|

पाँच मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करने की विधि :–

सिद्ध पाँच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से रुद्राक्ष का प्रभाव 100 गुना अधिक हो जाता है| रुद्राक्ष को सिद्ध करने के लिए रुद्राक्ष की विधिवत पूजा के साथ-साथ ॐ नमः शिवाय मंत्र के 5100 संख्या में जप करें और अंत में हवन करें| हवन में अधिक अधिक से आहुतियाँ ॐ नमः शिवाय मंत्र की दें| हवन के अंत में रुद्राक्ष को 21 बार हवन के ऊपर से घुमाएं व हवन की विभूति से तिलक करें और रुद्राक्ष को धारण करें|

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पांच मुखी रुद्राक्ष के लाभ-

मन के रोगों को दूर करके मानसिक तौर पर स्वस्थ करने में यह रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करता है| शिवपुराण में तो अकाल मृत्यु से बचने के लिए इस माला पर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से अल्प मृत्यु से बचा जा सकता है|

  • पंचमुखी रुद्राक्ष की माला पर महामृत्युंजय एवं गायत्री मन्त्र का जप शीघ्र सिद्धि प्रदान करता है|
  • पंचमुखी रुद्राक्ष की माला पर ''ॐ नमः शिवाय का नित्य एक माला जप करने से मन्त्र शीघ्र सिद्ध हो जाता है तथा इस मन्त्र द्वारा किसी भी कार्य पूर्ति के लिए सफलता प्राप्त की जा सकती है|
  • पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने से अभक्ष्य-भक्षण और पर स्त्री गमन जैसे पाप नष्ट हो जाते हैं|
  • बृहस्पति देव पांच मुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इसको धारण करने से बृहस्पति देव की कृपा भी प्राप्त होती है|
  • नौकरी व्यवसाय में सफलता व गृहस्थ सुख में भगवान बृहस्पति की कृपा से इस माला को धारण करने पर यह सभी लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं|
  • पांच मुखी रुद्राक्ष में पंचदेवों की कृपा का वास है इसलिए पंच तत्व जनित दोषों को दूर करने में पांच मुखी रुद्राक्ष का विशेष महत्व है|
  • इसका धारक भगवान शिव के गुण एवं धर्मों को प्राप्त कर सकता है|
  • मेष , धनु, और मीन राशि के जातकों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है|
  • नकारात्मक उर्जा व मन में नकारात्मक भाव से बचने में पांच मुखी रुद्राक्ष एक कवच के रूप में कार्य करता है|
  • पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करने से हर प्रकार के मानसिक विकार, मधुमेह व रक्तचाप से मुक्ति मिलती है| मानसिक विकार, मधुमेह व रक्तचाप दूर करने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाना चाहिए या फिर 108 छोटे मनकों की माला धारण करनी चाहिए|
  • परिवार में सुख-शांति के लिए भी पांच मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाना चाहिए|
  • जिस व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त करनी हो उसे पांच मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। यह कई मानसिक रोगों से निदान दिलाता है।
  • अगर समय के साथ आपकी सुख-समृद्धि में भी कमी आ रही है तो पांच मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करें।
  • इसमें अन्य देवताओं के साथ शिव और मां भगवति का स्वरूप भी है इसलिए यह गृहस्थ जीवन में सुख-शांति बनाए रखता है।
  • बृहस्पति देव से संबधित होने के कारण पांच मुखी रुद्राक्ष माला धारण करने से आपको बृहस्पति की कृपा तो मिलती ही है साथ ही उनसे संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
  • यह आपकी सुख समृद्धि को बढ़ाता है साथ ही आपके द्वारा अर्जित ज्ञान को भी आपके काम में आने के रास्ते बनाता है।
  • मान-सम्मान की प्राप्ति और शीघ्र विवाह के लिए इसे धारण किया जाता है साथ में गुरूवार को व्रत रखना भी लाभप्रद होता है।
  • अकाल मृत्यु से बचने के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • पांच मुखी रुद्राक्ष मानसिक शांति प्रदान कर मन के रोगों को दूर करता है।
  • बढ़ती उम्र के साथ यदि आपकी सुख-समृद्धि घट रही है या आपके द्वारा अर्जित किए गए ज्ञान में कमी आ रही है तो आपको पंच मुखी रुद्राक्ष की माला धारण करने से लाभ होगा।
  • बृहस्पति देव से संबधित होने के कारण पांच मुखी रुद्राक्ष माला धारण करने से आपको बृहस्पति की कृपा तो मिलती ही है साथ ही उनसे संबंधित दोष भी समाप्त हो जाते हैं।
  • यह रुद्राक्ष धनु और मीन राशि के जातकों के लिए शुभ होता है।
  • इस रुद्राक्ष को धारण करने से मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है।
  • यह सभी सिद्धियों की प्राप्ति और पापों से मुक्ति दिलाता है।
  • गृहस्थ जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

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