भारत के चमत्कारिक मंदिर - जो किसी रहस्य से कम नहीं
By: Acharya Rekha Kalpdev | 04-Apr-2024
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भारत देश धर्म, आस्था और चमत्कार का देश है। यहाँ की मिटटी के कण कण में धार्मिकता की खुशबू है और पग पग पर चमत्कार है। इतनी संख्या में शायद ही किसी अन्य देश में धर्म स्थल हो, जितनी संख्या में भारत में धर्म स्थल है। भारत भूमि पर चमत्कार वैदिक काल से ही देखे जा सकते है। समय के साथ चमत्कार कुछ अवश्य हुए है, परन्तु आज भी भारत के मंदिरों में देव चमत्कार प्रत्यक्ष देखें जा सकते है। चमत्कार आस्था से जन्म लेते है, जहाँ आस्था और विश्वास है वहीँ भारत की भूमि पर चमत्कार देखें जा सकते है। चारों और चमत्कार ही चमत्कार है, बस आपकी आँखों पर आस्था और विश्वास का चश्मा लगा होना चाहिए। भारत के मंदिर अपनी दिव्यता और भव्यता के लिए जाने जाते है। यहाँ के मंदिरों में नित्य कोई न कोई चमत्कार देखा जा सकता है। कुछ मंदिर तो विशेष रूप से अपने चमत्कारों और रहस्यों के लिए ही जानें जाते है। देश विदेश से लोग उनके चमत्कार और रहस्य देखने, अनुभव करने के लिए आते है। आज हम ऐसे ही कुछ चमत्कारिक और रहस्यपूर्ण मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। चमत्कारी मंदिरों का श्रृंखला में सबसे ऊपर नाम है -
तिरुपति बाला जी मंदिर
तिरुपति बाला जी का मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश के तिरुमाला नामक स्थान पर स्थित है। भगवान् तिरुपति जी को गोविंदा और वेंकेटेश भगवान् के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना वैष्णव संप्रदाय ने की थी। भगवान् तिरुपति बाला की प्रतिमा अपने आप में चमत्कारिक प्रतिमा है। प्रतिमा के बाल वास्तविक है, और हम सब के बालों की तरह मुलायम है। यहाँ की मूर्ति के पास कान लगाने पर समुद्र की लहरों की आवाज आती है। इसके साथ ही देव प्रतिमा का पिछ्ला हिस्सा हमेशा नमी से युक्त होता है। प्रतिमा के बाल सदैव एक जैसे रहते है, कभी उलझते नहीं है। इस मंदिर में एक दीपक कई वर्षों से जल रहा है। यह मंदिर और इस मंदिर के चमत्कार रहस्य लिए हुए है।
काल भैरव मंदिर मध्यप्रदेश
काल भैरव मंदिर, उज्जैन, क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान् भैरव जी की प्रतिमा है। कालभैरव जी को उज्जैन का सेनापति भी कहा जाता है। इस मंदिर में भैरव जी की प्रतिमा को शराब चढाने की परंपरा है। भैरव प्रतिमा के मुख के पास जब शराब का कटोरा लाया जाता तो कटोरा खाली हो जाता है। यहाँ की प्रतिमा शराब पीती है। इस प्रतिमा का वैज्ञानिक परिक्षण भी किया गया, परन्तु वैज्ञानिक भी प्रतिमा का राज पता नहीं लगा पाए।
जगन्नाथ मंदिर
जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के पुरी क्षेत्र में स्थित है। जगन्नाथ मंदिर भगवान् श्री कृष्ण का मंदिर है। जगन्नाथपुरी हिन्दुओं का प्रसिद्द मंदिर है। इस मंदिर का यह सबसे बड़ा चमत्कार है कि मंदिर की पताका हमेशा वायु के विपरीत दिशा में होती है। इसके साथ ही इस मंदिर पर एक सुदर्शन चक्र लगा हुआ है, जो हर दिशा से देखने पर सामने ही दिखाई देता है। जगन्नाथ मंदिर को लेकर अनेक रहस्य और एक चमत्कार देखने और सुनने को मिलते है। जगन्नाथ मंदिर में भोग के लिए प्रयास सात बर्तनों को एक के ऊपर एक रख कर बनाया जाता है। अग्नि के लिए लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार जब भोग बनाया जाता है तो चमत्कार से भोग सबसे पहले , सबसे ऊपर के बर्तन का पकता है। उसके बाद उसके बाद के बर्तन का, सबसे अंत में सबसे नीचे के बर्तन का भोग पकता है। यह विज्ञानं और वैज्ञानिक नियमों के अनुरूप नहीं है। इस मंदिर के चमत्कारों का वर्णन अभी यही समाप्त नहीं होता है, इस मंदिर के गुम्बद का छाया नहीं बनती है। मंदिर के शिखर के निकट कभी भी कोई भी पक्षी उड़ता नहीं है। भक्त इन चमत्कारों को यहाँ साक्षात आकर देख सकते है। वैज्ञानिकों के लिए इस मंदिर के रहस्य आज भी सिर्फ रहस्य ही है। ऐसे ही अनेक रहस्यों से यह मंदिर भरा पड़ा है।
मैहर माता का मंदिर
मैहर माता का मंदिर एक देवी मंदिर है। यह मंदिर भारत के मध्यप्रदेश राज्य के जबलपुर जिले में स्थित है। इस मंदिर में यह रहस्य साक्षात देखा जा सकता है कि संध्याकालीन मंदिर की आरती के बाद मंदिर के दरवाजे बंद करने के बाद भी मंदिर में घंटे और पूजा कि आवाजें आती रहती है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर के कपाट बंद होने के बाद देवी के भक्त आल्हा यहाँ देवी का दर्शन पूजन करने आते है। अनेक लोगों ने इस रहस्य से परदा उठाने का प्रयास किया परन्तु आज भी इस मंदिर का यह रहस्य, रहस्य ही बना हुआ है। विज्ञानं के लिए यह मंदिर आज भी एक गुप्त रहस्य ही बना हुआ है।
ज्वाला मंदिर
ज्वाला जी मंदिर सनातन हिन्दू धर्म का प्रसिद्द शक्तिपीठ है। भारत के प्रसिद्द 52 शक्तिपीठों में से यह एक है। यह मंदिर हिमाचल के कांगड़ा जिले में स्थित है। यहाँ माता की जीभ गिरी थी। इस मंदिर के आँगन में ही एक ऐसा स्थान स्थित है, जो एक जलकुंड है, जिसका पानी हमेशा खोलता रहता है, परन्तु इस पानी को हाथ लगाओ तो यह ठंडा होता है। इस जलकुंड को गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। अपने नाम के अनुसार यह गोरख डिब्बी आज भी वैज्ञानिकों के लिए गोरख (रहस्य) ही बना हुआ है।
भोजेश्वर भगवान् का शिव मंदिर
मध्यप्रदेश में भगवान् शिव का एक मंदिर है। जो अपने चमत्कार और रहस्यों के लिए सारी दुनिया में जाना जाता है। यह मंदिर भोपाल जिले के निकट पड़ता है। इस मंदिर की यह विशेषता है कि यह मंदिर एक रात्रि में बना। मंदिर के निर्माण को लेकर एक कथा प्रसिद्द है। इस मंदिर में स्थापित भगवान् शिव का शिवलिंग की ऊंचाई 7।5 फ़ीट है और ऊंचाई 17।8 फ़ीट है। इस मंदिर से जुडी एक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजाभोज के द्वारा कराया गया था। इस मंदिर से जुडी कथा के अनुसार मंदिर निर्माण कार्य एक ही रात्रि में पूरा करना था। सूर्य के निकलते ही निर्माण कार्य अपूर्ण रहना था। तब से लेकर आज तक यह मंदिर थोड़ा अधूरा है। इस मंदिर के पीछे की तरफ अधूरे निर्माण से जुड़े सामान अभी भी देखे जा सकते है। एक ही रात में तैयार होने वाला यह मंदिर अपने आप में अद्भुत, रहस्यमयी है। इस मंदिर को देखने लोग आस्था और विश्वास के साथ बहुत दूर दूर से आते है।
देवी शारदा का मंदिर
देवी सरस्वती जी के मंदिर भारत में बहुत ही कम संख्या में है। देवी शारदा का एक मंदिर मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है। यह मंदिर मैहर नामक स्थान पर है। इस मंदिर के विषय में यह मान्यता है कि संध्या काल में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते है तो मंदिर से घंटियां बजने की आवाजें आती है। घंटियां बजने की आवाजें लगातार आती रहती है। ऐसा माना जाता है कि देवी भक्त आल्हा मंदिर बंद होने के बाद देवी का दर्शन पूजन करने आते है। आज भी सुबह ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर में घंटियां बजने की आवाज सुनी जा सकती है। पूरे भारत में देवी शारदा का यह मंदिर अपने आप में एकमात्र है और अनोखा है। यह मंदिर भूमि से 600 फ़ीट की ऊंचाई पर बना है और मंदिर में देवी दर्शनों के लिए भक्तों को 1000 सीढ़ियों को चढ़कर आना पड़ता है। इस मंदिर में कपाट बंद होने के बाद घंटियां बजने का रहस्य आज तक वैज्ञानिक सुलझा नहीं पाए है।
देवी कामाख्या जी का मंदिर
भारत का प्रत्येक मंदिर अपने आप में कोई न कोई रहस्य समेटे हुए है। यहाँ के कण कण में चमत्कार देखे जा सकते है। रहस्य और चमत्कारों से भरे इस देश में एक देवी मंदिर असम राज्य के गुवाहाटी क्षेत्र में है। यह मंदिर भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है। इस मंदिर का नाम कामाख्या देवी मंदिर है। देवी सती ने जब हवनकुंड में कूद कर जब अपनी देह त्यागी थी, ऐसे में भगवान् शिव बहुत दुखी हुए और उनके जले हुई देह को कंधे पर लेकर सारी जगह भटके, देह जली हुई होने के कारण उससे अंग टूट-टूट का यहाँ-वहां गिरे। जहाँ जहाँ ये अंग गिरे वहां वहां भारत और भारत के आसपास के देशों में शक्तिपीठ स्थापित है। कुछ नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में है। प्राचीन समय में ये सभी देश भारत का ही अंग थे। उन्हीं 52 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ कामाख्या देवी का मंदिर है।
यहाँ देवी सती का गुप्तांग गिरने की मान्यता है। इस मंदिर के विषय में यह मान्यता है कि यहाँ से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है। यह मंदिर तीन भागों में बना हुआ है। यहाँ एक मंदिर में देवी दर्शन होते है, वहां से हमेशा पानी निकलता रहता है। ऐसा माना जाता है कि माह के कुछ दिन माता रजस्वला होती है और उन विशेष दिनों में पानी की जगह से रक्त निकलता है। रक्त निकलने का रहस्य आज तक विज्ञानं भी समझ नहीं पाया है। तंत्र और मंत्र के सिद्ध जानकारों के लिए यह मंदिर विशेष महत्त्व रखता है। जून माह में यहाँ अम्बुबाची मेले का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर सारे संसार के तांत्रिक यहाँ एकत्रित होते है, और तंत्र क्रियाओं में सिद्धि प्राप्त करते है। इस मंदिर के चमत्कारों कि व्याख्या शब्दों में नहीं कि जा सकती है।
करनी माता मंदिर
देवी करनी का मंदिर भी अपने चमत्कार और रहस्यों के लिए किसी से कम नहीं हैं। देवी करनी माता मंदिर राजस्थान के बीकानेर क्षेत्र में स्थित है। जहाँ यह मंदिर है, उस स्थान का नाम देशनोक है। यह मंदिर चूहों वाला मंदिर के नाम से भी सारे भारत में जाना जाता है। इस मंदिर में लाखों चूहें है जो मंदिर में इधर से उधर भागते दौड़े रहते है। देवी को भोग लगाने से पहले भोग को चूहे खाते है, उसके बाद उस भोग को देवी को अर्पित किया जाता है। मंदिर में पाए जाने वाले चूहों का रंग अधिकतर का काला है, पर कुछ सफ़ेद चूहे भी इस मंदिर में दिखाई पड़ते है, ये सफ़ेद चूहे जिस भक्त को दिखाई देते है, उस भक्त को भाग्यशाली माना जाता है। और माना जाता है कि देवी ने उस भक्त की मनोकामना स्वीकार कर ली है। चमत्कार और रहस्य यह है कि इस मंदिर में घूमने वाले लाखों चूहे कभी भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचते हैं। चूहों की संख्या मंदिर में बहुत ज्यादा होने के कारण भक्तों को सावधानी के साथ पैर रखने होते है, कि कहीं किसी चूहे को पैरों से नुकसान न पहुँच जाये। इस मंदिर से जुडी एक विशेष बात यह है कि यहाँ के चूहे कभी भी मंदिर की दहलीज को पार नहीं करते है। लाखों चूहे पर सब मंदिर की चौखट से अंदर ही रहते है, क्यों है न चमत्कार।