जानें कब है बसंत पचंमी (Vasant Panchami 2023), शुभ मुहूर्त और पूजन विधि एवं राशि अनुसार उपाय

By: Future Point | 14-Jan-2023
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जानें कब है बसंत पचंमी (Vasant Panchami 2023), शुभ मुहूर्त और पूजन विधि एवं राशि अनुसार उपाय

जब हर जगह पीली सरसों दिखाई देने लगे और फौजी अपने घर लौटते हैं, तो समझ लें कि बसंत पंचमी आ गई है। यह माघ के हिंदू चन्द्र-सौर कैलेंडर के महीने के पांचवें दिन पड़ता है और सभी मौसमों के राजा के आगमन का प्रतीक है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार वसंत पंचमी (Vasant Panchami) का त्‍योहार 25 जनवरी, 2023 को पड़ रहा है। यह त्‍योहार पूरे भारत में मनाया जाता है और यह मकर संक्रांति के बाद आता है। इसके बाद होली और बैसाखी का त्‍योहार आता है। बसंत पंचमी पर हिंदू देवी मां सरस्‍वती की पूजा होती है।

बसंत पंचमी वसंत ऋतु के आगमन के दौरान फरवरी या मार्च के महीने के बीच आती है। वसंत शब्द अंग्रेजी में वसंत को संदर्भित करता है, जबकि पंचमी पांचवें दिन को संदर्भित करती है। इसलिए, हिंदू कैलेंडर के अनुसार, केवल पंचम तिथि पर ही सरस्वती पूजा का आयोजन करना चाहिए।

इस दिन हम खुद को मां सरस्वती को समर्पित करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। भक्त और साधु-संत भी इसे अबूझ दिवस कहते हैं, जो आपके काम की शानदार शुरुआत का प्रतीक है। इसलिए लोग बसंत पंचमी के मुहूर्त को अपना महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने या भोग-विलास की वस्तुएं खरीदने के लिए शुभ मानते हैं।

बसंत पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी 2023 तिथि : गुरुवार, 26 जनवरी, 2023

सरस्वती पूजा मुहूर्त : सुबह 07 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक

2023 बसंत पंचमी तिथि प्रारंभ : 25 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 34 मिनट बजे

2023 बसंत पंचमी तिथि समाप्त : 26 जनवरी 2023 को सुबह 10 बजकर 28 मिनट पर

वसंत पंचमी का महत्‍व

यह पर्व शीत ऋतु की ठंडी लहरों को समाप्त कर वसंत ऋतु की जीवंतता का स्वागत करता है। वसंत पंचमी के दिन भक्त, देवी सरस्वती की पूजा करते हैं और ज्ञान का प्रकाश आशीर्वाद के रूप में मांगते हैं। वे आलस्य, सुस्ती और अज्ञानता से छुटकारा पाने की भी कामना करते हैं। कई ज्योतिषी वसंत पंचमी के दिन को 'अभुजा' मानते हैं, जिसका अर्थ है कि यह दिन कोई भी अच्छा काम करने के लिए शुभ होता है। हिंदू धर्म के लोग इस पर्व को बहुत ही उत्‍साह और हर्ष के साथ मनाते हैं।

वसंत पंचमी की पूजन विधि

वसंत पंचमी 2023 पर सुबह जल्दी उठें और अपने घर को साफ कर के पूजा की तैयारी करें और स्नान करें।

नहाने से पहले अपने शरीर पर नीम और हल्दी का पेस्ट लगाएं क्योंकि पीला/सफेद मां सरस्वती का पसंदीदा रंग है और पूरे त्योहार में इसका बहुत महत्‍व  है।

सरस्वती प्रतिमा को पूजा पंडाल या घर के पूजन घर में स्थापित करें। सरस्वती मूर्ति के बगल में, गणेश जी की मूर्ति रखें।

पूजा के स्थान पर एक किताब/संगीत वाद्ययंत्र/नोटबुक या रचनात्मकता का प्रतीक रखें।

एक थाली लें और इसे कुमकुम, हल्दी, चावल, फूलों से सजाएं और मां सरस्वती और भगवान गणेश को कृतज्ञता अर्पित करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए अर्पित करें।

सरस्वती पूजा करें और मंत्र आरती का पाठ करें।

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बसंत पंचमी पर पीले रंग का क्‍या महत्‍व है

देवी सरस्वती की आराधना में बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के पहनने के महत्व पर जोर क्यों देते हैं? दरअसल, इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला कारण यह है कि बसंत पंचमी के बाद ठंड धीरे-धीरे छंट जाती है और इस समय तापमान काफी आरामदायक हो जाता है। इस समय न तो अधिक ठंडक होती है और न ही अधिक गर्मी। माहौल बहुत खूबसूरत रहता है। पेड़, पौधे, पत्तियां, फूल, कलियां सब इस समय खिलने लगते हैं और खेमे में सरसों की फसल लहलहाने लगती है। इस दिन इन सभी कारकों के संबंध में पीले रंग के महत्व की चर्चा की जाती है।

इसके अलावा, एक अन्य कथा के अनुसार बसंत पंचमी के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है। माना जाता है कि सूर्य की किरणें इस अवधारणा का प्रतिनिधित्व करती हैं कि सूर्य की तरह एक व्यक्ति का जीवन गंभीर और भावुक होना चाहिए। बसंत पंचमी के दिन इन दोनों मान्‍यताओं के सम्मान में पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं।

वसंत पंचमी पर क्‍या करना चाहिए

वसंत पंचमी पर ज्योतिषी द्वारा की गई सरस्वती पूजा से चंद्र, ब्रहस्पति, शुक्र और बुध के हानिकारक प्रभावों को काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है। पूजा और दान चंद्रमा, बुध, बृहस्पति और शुक्र की महादशा, अंतर्दशा से गुजर रहे लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। अपनी कुंडली में चंद्रमा, बुध, बृहस्पति और शुक्र के प्रतिगामी प्रभाव का सामना करने वाले व्यक्तियों को श्रद्धेय वैदिक ज्योतिषी के परामर्श से सरस्वती पूजा करवानी चाहिए।

इसके अलावा बसंत पंचमी के दिन अबूझ मुहूर्त होता है। इसलिए इस दिन बिना मुहूर्त के कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है।

कहा जाता है कि हमारी हथेलियों में मां सरस्वती का वास होता है। बसंत पंचमी के दिन सुबह उठकर सबसे पहले अपनी हथेलियों के दर्शन करने से मां सरस्वती के दर्शन करने के समान ही आशीर्वाद मिलता है।

इस दिन शिक्षा से जुड़ी चीजों को जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। बसंत पंचमी के दिन लोग किताबों की पूजा भी करते हैं और उन पर मोर पंख रखते हैं। इससे छात्रों का पढ़ाई में मन लगाने के साथ-साथ एकाग्रता भी बढ़ती है।

देवी सरस्वती की पूजा पीले और सफेद फूलों से और पीले वस्त्र पहनकर करें। बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा करने और उनके मंत्रों का जाप करने से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

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राशि अनुसार बसंत पंचमी के उपाय

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्‍वती को प्रसन्‍न करने के लिए आप राशि अनुसार निम्‍न उपाय कर सकते हैं :

मेष राशि

मां सरस्वती की पूजा करें और सरस्वती कवच का पाठ करें।

वृषभ राशि

मां सरस्वती को सफेद फूल अर्पित करें और माथे पर सफेद चंदन लगाएं।

मिथुन राशि

भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दूब घास और बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं।

कर्क राशि

मां सरस्वती को खीर का भोग लगाएं और बच्चों को प्रसाद बांटें।

सिंह राशि

गायत्री मंत्र का जाप करें और बसंत पंचमी को मां सरस्वती की पूजा करें।

कन्या राशि

गरीब विद्यार्थियों के बीच किताबें दान करें। उन्‍हें कुछ ज्ञान दें। शिक्षा से जुड़ी किसी भी वस्‍तु का दान करें।

तुला राशि

मंदिर में किसी महिला पुजारी को पीले वस्त्र दान करें।

वृश्चिक राशि

मां सरस्वती और भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें पीली मिठाई का भोग लगाएं।

धनु राशि

मां सरस्वती को मीठे पीले चावल का भोग लगाएं और बच्चों को प्रसाद बांटें।

मकर राशि

मजदूरों को पीले रंग का भोजन बांटें।

कुम्भ राशि

मां सरस्वती की पूजा करें और सरस्वती मंत्र का जाप करें - ॐ ऐं श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

मीन राशि

मां सरस्वती को पीले रंग के फल अर्पित करें और बच्चों को प्रसाद बांटें।

अधिक जानकारी के लिए आप Future Point के अनुभवी ज्योतिषियों से बात करें।


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