ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नेत्र रोग और ग्रह

By: Future Point | 13-May-2019
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नेत्र रोग और ग्रह

ज्योतिष विद्या वास्तव में एक दूरबीन यंत्र के समान कार्य करता है, जिसके द्वारा व्यक्ति जीवन में होने वाली घटनाओं को अत्यंत स्पष्ट रीति से देख सकता है। इसे इस प्रकार कहा जा सकता है कि इस विद्या के प्रयोग से व्यक्ति भविष्य में होने वाली शुभाशुभ घट्नाओं तथा समय का निश्चित ग्यान वर्तमान समय के संदर्भ में कर सकता है। यह एक ऐसी विद्या है जो सुख में दूरबीन का कार्य करती है और दुख में टार्च के तरह प्रकाश देने का कार्य करती है, अर्थात ज्योतिष विद्या एक होकर भी अलग अलग समय पर अलग अलग प्रकार से कार्य कर व्यक्ति को भावी संकटों के प्रति सावधान रखती है।

मनुष्य एक आशावादी प्राणी होने के कारण प्राय: आशा पर ही जीवित रहता है। इसके साथ यह भी सत्य है कि मनुष्य मृत्यु रुपी टिकट लेकर जन्म स्टेशन से काल प्राप्ति की यात्रा पर निकलता है। इस यात्रा के मध्य व्यक्ति को जीवन के अन्य उतार-चढ़ावों के स्टेशनों से गुजरना पड़ता है। मार्ग में मिलने वाले सुख-दुख व्यक्ति को अनुभव के आधार पर प्राप्त होते है। व्यक्ति को सुख या फल कब मिलते है। जन्म ग्रह से गोचर ग्रह संयोग करने पर जब अपने अंशों पर पहुंचते है उसी समय उनके शुभाशुभत्व फल जातक को प्राप्त होते है। यहां प्रश्न यह उठता है कि ग्रह शुभ फल कब देते है। किसी भी प्रकार के शुभ फल का विचार करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ग्रह लग्न और जन्मराशि में किस भाव में स्थित है। वैदिक ज्योतिष यह कहता है कि लग्न से शुभ ग्रह त्रिक भावों में होने पर शुभ फल नहीं दे पाते हैं, अन्य स्थितियों में उनके शुभत्व में स्थिति अनुसार कमी या वॄद्धि होती है।

ज्योतिष विद्या से जीवन के सभी विषयों का अध्ययन किया जा सकता है। किसी जातक की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति की जानकारी कुंडली अध्ययन से प्राप्त की जा सकती है। जैसे किसी व्यक्ति की आंखों की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए कुंड्ली के दूसरे भाव का विचार क्या जाता है। उसमें भी दायीं आख के लिए दूसरा भाव और बायीं आंख के लिए द्वाद्श भाव को देखा जाता है। फिर भी विशेष रुप से दूसरा भाव आंखों के लिए खास तौर पर देखा जाता है। अब हम यदि बात करें ग्रहों की तो सूर्य और चंद्र दोनों प्रकाश ग्रह है। इसलिए सूर्य से दायीं आंख और बायीं आंख का अध्ययन करने के लिए चंद्र की स्थिति देखी जाती है। इसलिए यदि कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य हों एवं बारहवें भाव में चंद्र स्थिति हो तो व्यक्ति को नेत्र रोग होने की संभावनाएं बनती है।

कुंड्ली के दूसरे भाव में मंगल की स्थिति को नेत्र स्वस्थता के अनुसार अनुकूल नहीं माना जाता है। इस भाव में यदि मंगल हो तो व्यक्ति को गंभीर नेत्र रोग दे सकता है। यहां मंगल की स्थिति व्यक्ति को नेत्र संबंधी शल्य चिकित्सा भी देती है, या फिर व्यक्ति को आजीवन चश्मा लगाना पड़ सकता है, या कांटेक्ट लैंस भी लगाना पड़ सकता है। इसी प्रकार से दूसरे और बारहवें भाव में अशुभ ग्रहों का होना, नेत्र रोगों का सूचक हो सकता है। नेत्र रोग होने के अन्य ज्योतिषीय नियम इस प्रकार से हैं-

  • जिस व्यक्ति की कुंडली में शुक्र दूसरे स्थान में स्थित हों उस व्यक्ति की आंखे सुंदर और नेत्र ज्योति से युक्त होती है। परन्तु यदि दूसरे भाव के स्वामी की स्थिति कुंडली में कमजोर हो या वह त्रिकभावों में स्थिति हो तो नेत्र विषयों में शुक्र अपना पूर्ण फल नहीं दे पाता है।
  • दूसरे भाव में शनि की स्थिति हो तो व्यक्ति को आंखों से जुड़े रोग होने की संभावनाएं बनी रहती है। ऐसे व्यक्तियों की आई साईट बहुत वीक होती है।
  • बारहवें स्थान में राहु/केतु की स्थिति नेत्र संबंधित दुर्घटना होने की आशंका देती है।

नेत्र ज्योति बेहतर करने के उपाय

  • नेत्र ज्योति के कारक ग्रह सूर्य, चंद्र और शुक्र की शुभता बढ़ाने के उपाय करने लाभकारी रहते है।
  • प्रात: सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्घ्य दें।
  • सूर्य अर्घ्य देते समय जल की गिरती धार से सूर्य को देखें।
  • सूर्यानमस्कार करें।
  • आदित्यह्रदय स्तोत्र का प्रतिदिन एक माला जाप करें।
  • ईश्वर आराधना करते समय जलती हुई ज्योति को एकाग्राचित्त होकर देखें ।
  • पूजन करते समय नेत्र खुले रखें और ईश्वर प्रतिमा को निहारें।

ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव

कुंडली विशेषज्ञ और प्रश्न शास्त्री

ज्योतिष आचार्या रेखा कल्पदेव पिछले 15 वर्षों से सटीक ज्योतिषीय फलादेश और घटना काल निर्धारण करने में महारत रखती है. कई प्रसिद्ध वेबसाईटस के लिए रेखा ज्योतिष परामर्श कार्य कर चुकी हैं। आचार्या रेखा एक बेहतरीन लेखिका भी हैं। इनके लिखे लेख कई बड़ी वेबसाईट, ई पत्रिकाओं और विश्व की सबसे चर्चित ज्योतिषीय पत्रिका फ्यूचर समाचार में शोधारित लेख एवं भविष्यकथन के कॉलम नियमित रुप से प्रकाशित होते रहते हैं। जीवन की स्थिति, आय, करियर, नौकरी, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, व्यापार, विदेशी यात्रा, ऋण और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, धन, बच्चे, शिक्षा, विवाह, कानूनी विवाद, धार्मिक मान्यताओं और सर्जरी सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं को फलादेश के माध्यम से हल करने में विशेषज्ञता रखती हैं।


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