फेसबुक का भविष्य क्या रहेगा? मार्क जुकरबर्ग परेशानियों में
By: Future Point | 23-Mar-2018
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एक हिन्दी मूवी का फेमस डायलॉग था कि "अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती हैं। कुछ इसी तरह के फलसफें को पूरा करती फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग की जिंदगी रही। मार्क इलियट ज़करबर्ग का पूरा नाम हैं। वास्तव में जुकरबर्ग अमेरिकी में एक कंप्यूटर के प्रोग्रामर और इंटरनेट से जुड़े उद्यमी हैं। दुनिया की सबसे प्रसिद्ध सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। साथ ही इस फेसबुक के चार सह-संस्थापकों में से भी एक हैं। सिर्फ १९ साल की उम्र में दुनिया को फेसबुक का तोहफा देने वाले मार्क जुकरबर्ग आज अपने काम की वजह से नहीं बल्कि अपनी कंपनी का डाटा चोरी होने की वजह से खबरों की सूर्खियों में छाए हुए हैं। जुकरबर्ग का बचपन कुछ अलग नहीं था, हम सभी के तरह वो भी बाल सुलभ शरारतों से भरे थे, बिल्कुल एक साधारण लड़के की तरह। 4 फरवरी 2004 में जब मार्क जुकरबर्ग के मन-मस्तिष्क के ख्याल की जमीं पर फेसबुक नाम का बीज अंकुरित हुआ तो खुद मार्क जुकरबर्ग ने भी नहीं सोचा था, कि वो दुनिया की सोशल सोशल नेटवर्किंग साइटस पर रातों रात छा जाएगें। इसे शुरु करने का मूल उद्देश्य कोई कंपनी बनाना नहीं था, इसे तो सामाजिक उद्देश्य से बनाया गया था, ताकि विश्व अधिक खुल सके और जुड़ सकें और दुनियाभर के लोग एक प्लेटफार्म पर आकर एक-दूसरे से बात कर सकें, बातें, विचार, फोटॊ शेयर कर सकें।
2004 से 2018 तक का यह सफर मार्क जुकरबर्ग के लिए रोमांचक और तेजी से ऊपर जाने का रहा। आज गूगल के बाद फेसबुक विश्व की सबसे बिजी वेबसाइट हैं और भारत इसका सबसे बड़ा यूसर्ज हैं। जब इस कंपनी को शुरु किया गया तो इसके शुरु के खर्च निकालने का एक मात्र जरिया विज्ञापन ही थे। आज लगभग 15 देशों में इसके कार्यालय हैं जिनमें दिन-प्रतिदिन एक नया नाम जुड़ता ही जा रहा हैं। भारत में फेसबुक का पहला कदम भारत में 2010 में हैदराबाद में अपना कार्यालय खोलने के साथ रखा। यही इसकी सफलता का टर्निंग पॉइंट रहा और तब से लेकर इनके ग्राफ ने जो ऊंचाईयां छूना शुरु किया, इसके बाद इसमें गिरावट नहीं देखी गई। एक डाटा सर्वे के अनुसार मई 2012 तक लगभग 90 करोड़ यूजर्स फेसबुक पर सक्रिय थे, जिनमें से अधिकतर मोबाईल एप्प के जरिये जुड़े हुए थे। फेसबुक की सफलता की दास्तान इस कदर रोचक रही हैं कि इस पर The social Network नाम से मूवी भी बनाई गई।
मिडिल स्कूल में पढ़ते समय ही मार्क जकरबर्ग को कंप्यूटर का चस्का लग गया था। उन्होंने प्रोग्रामिंग के गुर सीखे, आम तौर पर माता-पिता बच्चों के शौक को ज्यादा महत्व नहीं देते है, लेकिन मार्क जकरबर्ग के पिता ने इनके शौक को देखते हुए एक कंप्यूटर प्रोग्रामर से अपने बेटे को विशेष ट्यूशन दिलवाई, जब बाकी बच्चे में कंप्यूटर गेम्स खेलकर समय बिता रहे होते थे तब मार्क जुकरबर्ग गेम्स बनाने में जुटे रहते थे, बचपन का यही शौक बाद में इनकी सफलता की प्रथम सीढ़ी बना। कुछ तो कमाल था मार्क के काम में तभी अपनी लोकप्रियता के चलते इन्होंने संसार के सबसे युवा अरबपतियों की सूची में 35वां स्थान पाया और दुनिया की प्रसिद्ध पत्रिका "टाईम मैगजीन में इन्हें 2010 में कवर पेज पर "पर्सन ऑफ़ दी ईयर" के नाम से चुना भी गया।
मार्क जुकरबर्ग को जो सफलता मिली वह इनकी मेहनत का परिणाम थी, किसी ने सही कहा है कि वसीयत में आपको धन मिल सकता हैं, परन्तु सफलता स्वयं ही अर्जित करनी पड़ती हैं। मार्क जुकरबर्ग को जो सफलता मिली उसके मूल मंत्र उनका दूरगामी दृष्टिकोण था, संसार को बदलने में इनकी अधिक रूची थी अपने इस सपने को पूरा करने के लिए मार्क जकरबर्ग ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई भी अधूरी छोड़ दी और समर्पित भाव से ये फेसबुक को सफल बनाने में जुट गये। मार्क जुकरबर्ग के फेसबुक ने व्हाट्स एप को 2014 में खरीदा।
19-20 मार्च 2018 का दिन सोशल सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के संस्थापक के लिए चिंता और परेशानी की खबर लेकर आया। खबर के अनुसार फेसबुक उपभोक्ताओं के डेटा लीक हो गए थे। शुरुआती जांच सामने आने पर जुकरबर्ग ने भी माना कि फेसबुक के प्राईवेसी सुरक्षा में सेंध लगाई गई हैं और भविष्य में इसे रोकने के लिए जरुईर कदम उठाए जायेंगे। इसके लिए कम्पनी सभी एप्प की भी जांच करेगी, जहां से डाटा लीक हुआ हैं। फेसबुक डाटा चोरी का यह आरोप कैंब्रिज एनालिटिका नामक कम्पनी पर लगाया गया हैं। आरोप के अनुसार इस कंपनी ने लगभग 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के डेटा अनुमति लिए बिना प्रयोग किए हैं। जिसका प्रयोग राजनैतिक क्षेत्रों में सफलता हासिल करने के लिए किया गया हैं। इन्हीं आरोपों-प्रत्यारोपों के चलते फेसबुक के मालिक मार्क और कैंब्रिज एनालिटिका दोनों पर ही कानूनी कार्यवाही हो सकती हैं। आज डाटा चोरी के विवादों ने कई देशों के राजनेताओं की नींद उड़ाई हुई हैं। क्या भारत क्या अमेरिका सब राजनेता इसके चपेटें में आए हुए हैं। देखते हैं कि यह विवाद का ऊंट किस करवट बैठता हैं। यह स्थिति क्यों बनी और आने वाले समय में यह किस प्रकार का रहने वाला हैं। आईये इसका विश्लेषण इनकी कुंडली से करते हैं-
14 मई 1984, 05:38 am, White Plains, New York, USA
मार्क जुकरबर्ग की कुंडली मेष लग्न, तुला राशि की हैं, वर्तमान में इनकी शनि महादशा में गुरु की अंतर्दशा प्रभावी हैं। 2000 में इनकी शनि की महादशा शुरु हुई। शनि इनके लिए कर्मेश और आयेश है और व्यापार भाव में लग्नेश मंगल, चतुर्थेश चंद्रमा के साथ उच्चस्थ हैं। चंद्र, मंगल और शनि तीनों ही अंशों में निकटतम हैं। यहां शनि सबसे कम अंशों के होने के कारण ग्रह युद्ध में विजयी भी हैं (ग्रह युद्ध के विषय में ज्योतिषीय शास्त्र कहते हैं कि - जब दो ग्रह एक ही भाव में एक दूसरे के बहुत निकट होते हैं व दोनों ग्रहों की डिग्री में 10 से कम का अंतर होता है तो यह अवस्था ग्रह युद्ध की अवस्था कहलाती है। जिस ग्रह की डिग्री कम होती है वह ग्रह युद्ध में जीता हुआ माना जाता है व जिस ग्रह की डिग्री उन दोनों में अधिक हो वह ग्रह युद्ध में पराजित होता है। हमारे प्राचीन ज्योतिष के ग्रंथों में ग्रह युद्ध में पराजित ग्रह को ''खल'' की संज्ञा दी गई है। साथ ही यह भी माना गया कि इस खल ग्रह की दशा - अंतर्दशा में मनुष्यों को अत्यधिक आर्थिक व मानसिक कष्ट होता है।) यहां इनकी कुंडली में शनि महादशा जब से शुरु हुई इनके करियर ने उछाल मारा, परन्तु महादशा के समाप्ति से पूर्व स्थिति अचानक से इनके लिए कष्टकारी हो गई। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि यहां शनि का वक्री अवस्था में होने के फलस्वरुप मार्क जुकरबर्ग स्वभाव से बहुत मेहनती, कर्मठ और लग्नेश मंगल के साथ होने के साथ अपने लक्ष्य के प्रति जिद्दी भी रहें।
इसके अतिरिक्त अंतर्दशानाथ गुरु भाग्येश हैं, भाग्य भाव में स्थित है, जहां से लग्न एवं पंचम को शुभता दे रहे हैं। कुंडली का तीसरा भाव संपर्क भाव, कम्यूनिकेशन, मीडिया, सोशल मिडिया और अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने का भाव हैं। प्रिंट मिडिया के लिए बुध और मंगल का आपसी संबंध होना जरुरी हैं और सोशल मिडिया, इंटरनेट और कम्यूनिकेशन से जुड़े क्षेत्रों में करियर, सफलता और उन्नति के लिए दशमेश, आयेश का तीसरे भाव, भावेश और कारक बुध से सीधा संबंध कुंडली में होना चाहिए। इनकी कुंडली में दशमेश, आयेश शनि, लग्नेश के साथ तृतीयेश व कारक बुध से सीधा दृष्टि संबंध बनाए हुए हैं। तीसरे भाव का स्वामी बुध अपने से एकादश भाव में हैं कर्मेश और आयेश के प्रत्यक्ष प्रभाव में हैं। चतुर्थ भाव पद, प्रतिष्ठा, सम्मान और ख्याति का भाव हैं। शनि और बुध का दृष्टि संबंध व्यक्ति को दूर दृष्टि देता हैं। लग्नेश और सप्तमेश दोनों में राशि परिवर्तन योग है। व्यापार में सफलता पाने का यह बहुत प्रबल योग हैं। दशमांश कुंडली में दशम भाव की राशि का उदय हो रहा हैं। यह व्यक्ति को करियर के प्रति सजग बनाता हैं। कम्प्यूटर के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिए शनि, मंगल और बुध तीन ग्रहों का प्रभाव दशम भाव से होना चाहिए। यहां यह योग प्रबल रुप से बन रहे हैं।
कुंड्ली में विद्यमान योग
जुबरबर्ग की कुंडली में शनि उच्चस्थ हैं और केंद्र में हैं। इस प्रकार यहां पंचमहापुरुषों में से एक शश योग बन रहा हैं। सूर्य से द्वादश भाव में चंद्र के अतिरिक्त ओर कोई ग्रह होने के फलस्वरुप वाशि योग बन रहा हैं। चक्रवर्ती राजयोग, अचल लक्ष्मी योग और पुष्कलयोग बन रहे हैं। चंद्र और मंगल की युति लक्ष्मी योग का निर्माण कर रही हैं। इसके अतिरिक्त शनि और चंद्र का एक साथ होना विष योग बना रहा हैं।
गोचर
वर्तमान गोचर में इस समय गुरु इनके सप्तम भाव पर वक्री अवस्था में हैं। अंतर्दशानाथ भी हैं साथ ही भाग्येश और द्वादशेश भी हैं। इसके फलस्वरुप इन्हें भाग्य का सहयोग पूर्ण रुप से प्राप्त नहीं हो पा रहा हैं और नुकसान की स्थिति बनी हुई हैं। कोर्ट कचहरी के स्वामी बुध इनके व्यय भाव पर गोचर कर शत्रु भाव और कोर्ट भाव को सक्रिय कर बली कर रहे हैं। छ्ठा भाव बल प्राप्त करें तो या तो रोग अपना सिर उठाते हैं या फिर कोर्ट कचहरी से जुड़े विवादों का सामना करना पड़ता हैं। इसके अतिरिक्त शनि धनु राशि पर हैं और शनि भी छ्ठे भाव पर प्रभाव डाल रहे हैं। गोचर के ग्रहों के अनुसार जब तक बुध वक्री अवस्था में रहेंगे इनका यह विवाह थमने वाला नहीं हैं। 15 अप्रैल 2018 के बाद बुध मार्गी होंगे और विवादों में कमी होनी आरम्भ होगी, तब तक हानि एवं तनाव की स्थिति बनी रहेगी। फिर भी शनि महादशा सितम्बर 2019 तक रहने के कारण विवाद की धूल तब तक उड़ती रहेगी, और कई महत्वपूर्ण पदों पर विराजित लोगों को तनाव देती रहेगी।