चैत्र नवरात्री 2019 – पूजन विधि, और नियम ।

By: Future Point | 28-Mar-2019
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चैत्र नवरात्री 2019 – पूजन विधि, और नियम ।

साल भर में चार नवरात्री चैत्र, आषाढ़, अश्विन और माघ माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तिथि तक पुरे नौ दिनो के होते हैं। इन चारों नवरात्रो में चैत्र और अश्विन माह की नवरात्री ही सबसे मुख्य व अहम मानी जाती है जिन्हें बसन्ती और शारदीय नवरात्री भी कहा जाता है।

चैत्र नवरात्री की शुरुआत चैत्र माह में होती है जिसमे देवी माँ के साथ साथ अपने कुल देवी देवताओ की पूजा का भी विशेष महत्व होता है. चैत्र नवरात्री हिन्दू धर्म के धार्मिक पर्वों में से एक है जिसे अधिकांश हिन्दू परिवार बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाते हैं हिन्दू पंचांग कैलेंडर के अनुसार नए वर्ष के प्रारम्भ से राम नवमी तक इस पर्व को मनाया जाता है. चैत्र नवरात्री के पहले दिन घट स्थापना की जाती है और इसके बाद प्रतिदिन देवी के नौ अलग अलग स्वरूपो की शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की बहुत ही भव्य तरीके से पूजा की जाती है।

घट स्थापना को कलश स्थापना भी कहते हैं।

चैत्र नवरात्री 2019 (घट स्थापना) कलश स्थापना मुहूर्त व विधि –

  • वर्ष 2019 में चैत्र नवरात्रि का आरम्भ 6 अप्रैल दिन शनिवार से होगा जो कि 14 अप्रैल तक चलेंगे
  • कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 6 बजकर 9 मिनट से 10 बजकर 19 मिनट तक का होगा
  • मुहूर्त की कुल अवधि – 4 घण्टे 9 मिनट की होगी
  • ध्यान रखें कि कलश स्थापना केवल प्रतिपदा तिथि में ही करना शुभ होता है
  • प्रतिपदा तिथि आरम्भ होगी 5 अप्रैल शुक्रवार दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर
  • तथा प्रतिपदा समाप्त होगी 6 अप्रैल दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर।

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कलश घट स्थापना पूजा विधि –

  • चैत्र नवरात्री जो कि 9 दिनों तक चलने वाला देवी माँ को समर्पित पर्व है इसके पूजन की शुरुआत घट स्थापना के साथ होती है
  • नवरात्रि में घट स्थापना का विशेष महत्व होता है. प्रातः काल स्नानादि से निर्वत्त होकर व्रत का संकल्प लें और तत्पश्चात मिटटी की वेदी बनाकर उसमे जौं बोये
  • इसी वेदी पर घट यानि कलश की स्थापना की जाती है
  • अब इस पर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उनका विधिवत पूजन करें और सम्भव हो तो “दुर्गा सप्तशती” का पाठ अवश्य करें
  • पूजा करते वक्त कलश के समीप अखण्ड दीप प्रज्वलित भी करें
  • माता के इन 9 दिनों में सच्ची श्रद्धा से पूजा और मंत्रोच्चारण करने पर मनोकामना शीघ्र ही पूरी होती है।

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नवरात्रि में अखण्ड ज्योत जलाने के नियम व विधि –

  • देवी माँ को मनाने और अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए भक्त कई तरीके अपनाते हैं इन्ही में से एक है अखण्ड ज्योत
  • ऐसा नही है कि अखण्ड ज्योत पीतल के दीप पात्र में ही जलाई जाती है अगर आप पीतल के दीप पात्र में दीप नही जला सकते तो मिटटी का दीप पात्र में भी अखण्ड ज्योत जला सकते हैं
  • यदि आपने अखण्ड ज्योत घर में जलाई है तो इस दौरान घर में कभी ताला नही लगाना चाहिए क्योंकि ज्योत की देख रेख के लिए घर में किसी का होना जरुरी होता है
  • मान्यता है कि नवरात्री में देशी गाय के घी में अखण्ड ज्योत जलाने पर माँ भगवती जल्दी ही प्रसन्न होती हैं और कार्य सिद्धि का वरदान देती हैं, लेकिन अगर आप घी का दीपक न जला सकें तो तिल या फिर सरसों के तेल में भी दीपक जलाना उत्तम होता है
  • मान्यता है कि अगर आपने संकल्प लेकर अखण्ड ज्योत जलाई है तो व्रत पूरे होने तक इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए
  • अखण्ड ज्योत का यह दिया खाली जमीन पर नही रखना चाहिए इसे किसी चौकी या पटरे पर रखकर ही जलाये
  • अखण्ड ज्योत को रखने के लिए चौकी पर अष्टदल कमल अवश्य बनायें इसे आप गुलाल या रंगे हुए चावल से भी बना सकते हैं
  • अखण्ड ज्योत की बाती रक्षा सूत्र से बनाएं जो कि सवा हाथ की लंबाई की होनी चाहिए
  • अखण्ड ज्योत घी की हो तो इसे देवी माँ की दायीं ओर रखना चाहिए और यदि ये तेल की हो तो इसे देवी माँ की बायीं ओर रखना शुभ होता है।

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नवरात्रि में मां बगलामुखी की पूजा करने से भक्तजनों को बुरी शक्तियों से और उनके दुश्मनो से छुटकारा मिलता है। देवी बगलामुखी 10 महा विधा में से एक हैं और गुप्त शक्तियों की एक विशाल मात्रा से जुड़ी हैं। पवित्र शास्त्रों में उन्हें ब्रह्मास्त्र ( भगवान ब्रह्मा जी का सुपर विनाशकारी खगोलीय हथियार भी कहा जाता है।


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