बारह मुखी रुद्राक्ष कर सकता है सभी प्रकार की पीड़ाये खत्म । | Future Point

बारह मुखी रुद्राक्ष कर सकता है सभी प्रकार की पीड़ाये खत्म ।

By: Future Point | 27-May-2019
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बारह मुखी रुद्राक्ष कर सकता है सभी प्रकार की पीड़ाये खत्म ।

शास्त्रों के अनुसार बारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु जी का स्वरूप् माना जाता है, और इसके साथ ही बारह मुखी रुद्राक्ष को सूर्य देव का भी स्वरूप् माना जाता है, बारह मुखी रुद्राक्ष के देवता बारह आदित्य यानि कि बारह सूर्य हैं, सूर्य स्वरूप् होने के कारण से यह रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को शक्तिशाली तथा तेजस्वी बनाता है, इसे धारण करने से गौ वध, मानव हत्या जैसे महा पापों से मुक्ति मिलती है, ऐसा माना जाता है कि बारह मुखी रुद्राक्ष जीवन में आ रही समस्त बाधाओं को समाप्त करता है और सभी बाधाओं का समन करने के कारण इसे आदित्य रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में है और जन्म कुंडली में सूर्य से जुड़ी समस्याएं मौजूद हैं तो ऐसे जातकों को बारह मुखी रुद्राक्ष अवश्य ही धारण करना चाहिए।

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बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने का महत्व -

शास्त्रों के अनुसार बारह मुखी रुद्राक्ष का अपना एक बहुत ही विशेष व उत्तम महत्व होता है, बारह मुखी रुद्राक्ष को कंठ में या कान के कुण्डल में धारण करने से भगवान विष्णु व सूर्य देव दोनों ही अति प्रसन्न होते हैं , बारह मुखी रुद्राक्ष को द्वादश आदित्यों की कृपा प्राप्त होने से अश्वमेघ यज्ञ सहित कई यज्ञों का फल प्राप्त होता है, बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से तन और मन स्वस्थ होते हैं और एक विशेष प्रकार की शक्ति उत्पन्न होती है, और इसके अलावा राजनीति व सरकारी क्षेत्रों में काम करने वाले जातकों के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष अति उत्तम माना गया है, गोवध करने वाले पापी व रत्नों की चोरी करने जैसे महापाप में भी इस रुद्राक्ष के धारण करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है और पापों से व्यक्ति मुक्त हो जाता है एैसा हमारे ग्रन्थों में कहा गया है, यह रुद्राक्ष क्षत्रुओं का नाश करके व्याधियों का नाश करके सूर्य आदि ग्रहों के कमज़ोर प्रभाव को नष्ट करके सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति करवाता है इसलिए बारह मुखी रुद्राक्ष को सभी जातकों को धारण करना चाहिए ।

बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से होने वाले फायदे –

  • बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से सूर्य का तेज प्राप्त होता है और व्यक्ति को सूर्य के शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  • बारह मुखी रुद्राक्ष सभी प्रकार की दुर्घटनाओं से बचाता है , अतः इस रुद्राक्ष को धारण करने से दुःख, निराशा, पीड़ा और दुर्भाग्य का नाश होता है, यह रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति सूर्य की भांति यशस्वी बनता है।
  • बारह मुखी रुद्राक्ष दरिद्रता को नष्ट करके सुख एवं संपत्ति प्रदान करता है इसे धारण करने से बहुत सम्मान एवं पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
  • बारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को किसी भी तरह के शस्त्र आदि का भय नही रहता है और व्यक्ति पर किसी प्रकार का तांत्रिक प्रभाव का भी असर नही होता है।
  • बारह मुखी रुद्राक्ष से सभी प्रकार के भयानक जंगली पशुओं से रक्षा प्राप्त होती है।
  • संतान सुख, शिक्षा, धन ऐश्वर्य आदि सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए बारह मुखी रुद्राक्ष को बहुत ही कल्याण कारी माना गया है।

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बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के स्वास्थयिक लाभ -

  • बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से असाध्य व भयानक रोगों से मुक्ति मिलती है.
  • जैसे कि ह्रदय रोग, फेफड़ों के रोग, त्वचा रोग, आंत संबंधी रोग, उदार रोग व मस्तिष्क से सम्बन्धित रोगों में इस रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ हो सकता है ऐसा कई ग्रन्थों में लिखा मिलता है.

बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र

  • बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने का मंत्र इस प्रकार है “ॐ क्रोम श्रोम रोम नमः”
  • इस मंत्र की तीन माला या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र की पांच माला या महा मृत्युंजय मंत्र की एक माला नित्य प्रति जाप करने से समस्त प्रकार के रोगों से व समस्याओं से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है और लाभान्वित हुआ जा सकता है।
  • अतः सभी जातकों को भगवान सूर्य और भगवान विष्णु के स्वरुप रूपी बारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए ।

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बारह मुखी को रुद्राक्ष धारण करने की विधि –

  • रुद्राक्ष की माला या रुद्राक्ष, जो भी आप धारण करना चाहते हैं, उसें शुक्ल पक्ष में सोमवार के दिन धारण करना चाहिए।
  • सर्व प्रथम बारह मुखी रुद्राक्ष को गंगाजल, दूध से स्नान कराएं ऐसा करने के साथ ही “ॐ नमः शिवाय” इस पंचाक्षर मंत्र का जाप करते रहना चाहिए.
  • शुद्ध करने के पश्चात् बारह मुखी रुद्राक्ष को चंदन, बिल्वपत्र, लालपुष्प अर्पित करें तथा धूप, दीप दिखाकर पूजन करके अभिमंत्रित करे।
  • इसके पश्चात् रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श करा कर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके मंत्र जाप करते हुए इसे धारण करना चाहिए।


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