117 साल बाद महाशिवरात्रि पर रहेगा शुक्र-शनि का दुर्लभ योग, जानिए, पूजा का मुहूर्त, महत्व और राशिनुसार उपाय | Future Point

117 साल बाद महाशिवरात्रि पर रहेगा शुक्र-शनि का दुर्लभ योग, जानिए, पूजा का मुहूर्त, महत्व और राशिनुसार उपाय

By: Future Point | 20-Feb-2020
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117 साल बाद महाशिवरात्रि पर रहेगा शुक्र-शनि का दुर्लभ योग, जानिए, पूजा का मुहूर्त, महत्व और राशिनुसार उपाय

माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है। शिव भक्तों के लिए यह पर्व बेहद खास होता है। भारत समेत दुनिया भर के शिव भक्त इस त्योहार को बड़े उल्लास से मनाते हैं। इस दिन श्रद्धालु पूरे दिन व्रत रखते हैं और अपने आराध्य देव भगवान शिव की आराधना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव, लिंग के रूप में प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन शिव लिंग का जल व दूध से अभिषेक किया जाता है जिसके लिए रुद्राभिषेक पूजा कराई जाती है। मान्यता है कि इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आप पर उनकी कृपा बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन आप राशि अनुसार कुछ विशेष उपाय कर भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन पहले जानिए, व्रत एवं पूजा का मुहूर्त व महत्व।

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बेहद खास है इस बार की महाशिवरात्रि

इस बार की महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2020) बेहद खास है क्योंकि इस दिन एक साथ कई दुर्लभ योग बन रहे हैं। इस बार महाशिवरात्रि के दिन 117 साल बाद शुक्र-शनि का दुर्लभ योग बन रहा है। इससे पहले इस तरह का योग साल 1903 में बना था। इसके साथ ही इस दिन विष योग, बुधादित्य और कालसर्प योग भी रहेंगे। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 21 फरवरी को, यानी महाशिवरात्रि पर शनि-चंद्र युति से विष योग बन रहा है। इस तरह का योग 28 वर्ष पहले वर्ष 1992 में बना था। इस दिन बुध और सूर्य एक साथ कुंभ राशि में रहेंगे जिससे इस दिन बुधादित्य योग भी बन रहा है। इसके अलावा सभी ग्रहों के राहु-केतु के मध्य में होने से इस दिन कालसर्प योग भी रहेगा। इस दिन राहु मिथुन राशि और केतु धनु राशि में रहेगा। शनि और चंद्र मकर राशि में, सूर्य और बुध कुंभ राशि में, शुक्र मीन राशि में और मंगल और गुरु धनु राशि में रहेंगे। एक साथ ग्रहों के इतने संयोग बनने से आपको इस दिन विशेष ध्यान रखना होगा। इस दिन व्रत व पूजा या कोई उपाय करते समय किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी की सलाह अवश्य ले लें।

महाशिवरात्रि 2020: तिथि व मुहूर्त

  • निशिथ काल पूजा: मध्याह्न 12:09 बजे से 1:00 बजे तक (शनिवार, फरवरी 22, 2020)
  • पूजा की अवधि: 51 मिनट
  • पारण का समय: प्रात: 6:54 बजे से मध्याह्न 3:25 बजे तक (शनिवार, फरवरी 22, 2020)
  • रात्रि पहले प्रहर की पूजा: शाम 6:15 बजे से रात के 9:25 बजे तक
  • रात्रि दूसरे प्रहर की पूजा: रात के 9:25 बजे से 12:34 बजे तक (शनिवार, फरवरी 22, 2020)
  • रात्रि तीसरे प्रहर की पूजा: 12:34 बजे से 3:44 बजे तक (शनिवार, फरवरी 22, 2020)
  • रात्रि चौथे प्रहर की पूजा: 3:44 बजे से 6:54 बजे तक (शनिवार, फरवरी 22, 2020)
  • चतुर्दशी तिथि आरंभ: शाम के 5:20 बजे (शुक्रवार, फरवरी 21, 2020)
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त: शाम के 7:02 बजे (शनिवार, फरवरी 22, 2020)

महाशिवरात्रि व्रत एवं पूजा का महत्व

महाशिवरात्रि के दिन सच्चे मन से विधि पूर्वक भगवान शिव का व्रत एवं पूजन करने से आपके सभी कष्ट होते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान शिव मृत्युदाता भी हैं और मृत्युरक्षक भी। भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है। यानी वह, जो बहुत भोला है, जिसे आसानी से खुश किया जा सकता है। वहीं क्रोधित हो जाएं तो उग्र रूप धारण कर लेते हैं। भगवान शिव को मृत्युंजय (मृत्यु को हरने वाला) भी कहा गया है। इसलिए इस दिन महामृत्युंजय पूजा (Mah Mrityunjaya Puja) कराने से व्यक्ति के सभी रोग दूर होते हैं। आपको अपने समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। आपको आत्मबल मिलता है जिससे आप करियर, शिक्षा, व्यवसाय, आदि सभी क्षेत्रों में उन्नति करते हैं।

राशि के अनुसार ऐसे पाएं शिव जी की कृपा

महाशिवरात्रि के दिन यदि आप राशिनुसार भगवान शिव की आराधना करेंगे तो आपको उत्तम फल मिलेंगे। भगवान शिव आपके सभी संकट दूर कर आपकी हर इच्छा पूरी करेंगे। इसके लिए आप इस दिन राशि के अनुसार ये ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं।

मेष (Aries)

मेष राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को आंकड़े के फूल अर्पित करने चाहिए। मेष राशि का स्वामी मंगल है इसलिए इस राशि के जातक इस दिन भगवान शिव को लाल फूल ज़रूर अर्पित करें।

मंत्र- अभिषेक के बाद चंदन से तिलक करें। लाल चंदन से 108 बेलपत्र पर ऊँ नम: शिवाय लिखकर बेलपत्र शिवलिंग को चढ़ाएं। इस मंत्र का 108 बार जाप भी करें।


वृषभ (Taurus)

वृषभ राशि के जातकों का स्वामी शुक्र है। शुक्राचार्य असुरों के स्वामी माने जाते हैं। शुक्राचार्य भी शिव के भक्त थे। इस दिन शुक्र को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाकर उसका अभिषेक करें।

मंत्र- अभिषेक के बाद ऊँ विश्वेश्वराय नम: मंत्र का दो माला जाप करें।


मिथुन (Gemini)

मिथुन राशि का स्वामी बुध है। बुध को प्रसन्न करने के लिए इस दिन किसी गाय को हरी घास खिलाएं। किन्नरों को धन का दान करें। भगवान शिव को 3 बिल्वपत्र चढ़ाएं।

मंत्र- ऊँ कालकालाय नम: मंत्र का पांच माला जाप करें।


कर्क (Cancer)

कर्क राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को चंदन और चावल चढ़ाएं। इस राशि का स्वामी चंद्र है इसलिए दूध व जल से शिव लिंग का अभिषेक करें। इसके अलावा चंद्र से संबंधित वस्तुओं जैसे कि दूध का दान भी करें।

मंत्र- अभिषेक के बाद ऊँ चंद्रमौलीश्वर नम: मंत्र का पांच माला जाप करें।


सिंह (Leo)

सिंह राशि के जातक शाम को भगवान शिव की प्रतिमा या शिव लिंग के पास घी का दीपक जलाएं। इस राशि का स्वामी सूर्य है इसलिए इस दिन सूर्य देव की भी पूजा करें।

मंत्र- ऊँ विरुपाक्षाय नम: मंत्र का तीन माला जाप करें।


कन्या (Virgo)

कन्या राशि के जातक भगवान शिव के पुत्र गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं और भगवान शिव को 11 बिल्वपत्र चढ़ाएं। इस राशि का स्वामी बुध है। इसलिए इस दिन गाय को हरा चारा खिलाएं और साबुत हरे मूंग की दाल का दान करें।

मंत्र- ऊँ नम: शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ऊँ नम: इस मंत्र का जाप करें।


तुला (Libra)

इस राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन माखन-मिश्री का भोग लगाएं। तुला राशि का स्वामी शुक्र है इसलिए शुक्र को प्रसन्न करने के लिए इस दिन ज़रूरतमंद लोगों को वस्त्र दान करें।

मंत्र- ऊँ शशिशेखराय नम: मंत्र का दो माला जाप करें।


वृश्चिक (Scorpio)

इस दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं। वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है इसलिए इस दिन भगवान हनुमान को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें। किसी ज़रूरतमंद को मसूर की दाल अर्पित करें। शिवलिंग पर लाल फूल अर्पित करें।

मंत्र- ऊँ शम्भवे नम: मंत्र का तीन माला जाप करें।


धनु (Sagittarius)

धनु राशि का स्वामी बृहस्पति है। इस राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन पीली वस्तुएं जैसे कि पीले फूल, चने की दाल चढ़ाएं। प्रसाद में भी पीली वस्तु जैसे कि बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। भगवान शिव को बिल्वपत्र और आंकड़े के फूल भी अर्पित करें।

मंत्र- ऊँ मृत्युंजाय नम: मंत्र का दो माला जाप करें।


मकर (Capricorn)

इस राशि के जातक तांबे के लोटे में जल लेकर शिवलिंग का अभिषेक करें। मेष राशि का स्वामी शनि है इसलिए महाशिवरात्रि के दिन इन्हें शिवलिंग पर काला तिल चढ़ाने से विशेष लाभ होगा। किसी ज़रूरतमंद को इस दिन काला कंबल, काली उड़द और तेल का दान करें।

मंत्र- ऊँ नीललोहिताय नम: मंत्र का एक माला जाप करें।


कुंभ (Aquarius)

इस राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन तांबे के लोटे में केसर दूध लेकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। कुंभ राशि का स्वामी शनि है इसलिए इस राशि के जातक इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। मंदिर में तेल दान करें। गरीब और असहाय लोगों को ज़रूरतमंद की चीज़ें दान करें।

मंत्र- ऊँ शितिकण्ठाय नम: मंत्र का तीन माला जाप करें।


मीन (Pisces)

शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को चावल व चंदन चढ़ाएं। मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है। इस राशि के जातक बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए साबुत हल्दी चढ़ाएं। लेकिन ध्यान रहे साबुत हल्दी आपको शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना है। भगवान शिव को पीले फूल अर्पित करें। पीली वस्तु जैसे कि चने की दाल या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।

मंत्र- ऊँ प्रज्ञापतये नम: मंत्र का एक माला जाप करें।

राशिनुसार सभी मंत्रों का जाप करने के लिए रुद्राक्ष माला (Rudraksha Mala) का प्रयोग करें।

राशिनुसार संपूर्ण पूजा विधि जानने के लिए बात करें (Talk to Astrologer) हमारे अनुभवी ज्योतिषाचार्यों से।

महाशिवरात्रि व्रत कथा: समुद्र मंथन

पौराणिक ग्रंथों में महाशिवरात्रि से संबंधित कई कथाएं मिलती हैं। यहां पढ़ें समुद्र मंथन की कथा...

समुद्र मंथन की कथा समुद्र से अमृत के प्याले से जुड़ी है जिसे पीने के लिए सभी देवी-देवताओं में होड़ लगी थी। परंतु समुद्र से सिर्फ़ अमृत ही नहीं बल्कि हलाहल नामक विष भी पैदा हुआ। हलाहल में संपूर्ण ब्रह्माण्ड को नष्ट करने की क्षमता थी। देव लोक का कोई भी देवता इसे ग्रहण नहीं कर सकता था इसलिए भगवान शिव ने यह सारा विष खुद पी लिया। इस विष को पीने से भगवान शिव को बेहद कष्ट हुआ और उनका कंठ नीला पड़ गया। इसीलिए भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाता है। भगवान शिव जब दर्द से कराह रहे थे तो चिकित्सकों ने उन्हें रात भर जागते रहने की सलाह दी। भगवान शिव रात भर जागते रहें इसके लिए सभी देवी देवताओं ने रात भर गीत गाएं और नृत्य किया। इस तरह रात भर उत्सव का माहौल रहा। जब सुबह हुई तो भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। शिवरात्रि इस घटना का उत्सव है। भगवान शिव ने क्योंकि दुनिया को इस विष से बचाया था इसलिए भक्त इस दिन व्रत करते हैं और भगवान शिव की उपासना करते हैं।

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