सकारात्मक रहें, संतुष्ट रहें और वास्तु से घर को पॉजिटिव रखें | Future Point

सकारात्मक रहें, संतुष्ट रहें और वास्तु से घर को पॉजिटिव रखें

By: Tanvi Bansal | 16-Mar-2019
Views : 8657सकारात्मक रहें, संतुष्ट रहें और वास्तु से घर को पॉजिटिव रखें

जसके पास जो है उसे उससे अधिक चाहिए। स्नेह और केयर करने वाला जीवनसाथी है, बच्चे हैं और ऐषो आराम की लगभग सभी वस्तुएं भी हैं, या यूं कहें कि जिंदगी आराम से गुजर रही है, फिर भी कुछ लोग हैं कि उनकी ईश्वर से शिकायत खत्म ही नहीं होती। मानव अधूरी कामनाओं का पुतला है, उसके पास जो हैं उसे उससे अधिक ही चाहिए। यदि अविवाहित हैं तो विवाह की चिंता, विवाह हो गया तो वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की कमी की चिंता, या फिर संतान न होने की चिंता, संतान है तो संतान के आज्ञाकारी न होने की चिंता... किसी को करियर, किसी को व्यापार और किसी को अन्य कोई। दुनिया में ऐसा कोई नहीं जिसे कोई चिंता न हो। गुरु नानक ने भी कहा है कि दुखिया नानक सब संसार। इसी दुख और परेशानियों से भरे सफर को संतोष और आनंद के साथ जीने की कला का नाम ही जीवन है।

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को चिंता अधिक सताती है। घर, परिवार, करियर और सबकी सुख-सुविधाओं का ख्याल रखते हुए, परिवार को एक सूत्र में बांधे रखने की चिंता। यही वजह है कि महिलाओं को सकारात्मक रहने की अधिक आवश्यकता होती है। जो है उसी में संतुष्ट रहने की कला जिसे आ गई, फिर उसे कभी कोई चिंता न रही। जीवन के उतार-चढ़ावों से होती हुई जिंदगी की गाड़ी कई बार ऐसे मोड़ों से होकर गुजरती है जब हम पर असंतोष अपना प्रभाव दिखाने लगता है। ऐसे में हम महिलाओं को क्या करना चाहिए। आईये जानें-

आपके पास जो है उसका महत्त्व जानें-


हम सभी के जीवन में अनेक ऐसी बातें, विषय और बहुत कुछ मूल्यवान होता है, जिसका मूल्य हम इन सब के रहते नहीं समझ पाते हैं। जैसे कि- परिवार के लोगों में आपस में प्रेम होना, केयर होना परिवार की बहुत बड़ी उपलब्धि है। यदि यह आपके पास है तो किसी चमत्कार से कम नहीं है, अन्य भौतिक वस्तुएं इसके सामने कुछ भी नहीं हैं। सामान्यतः यदि आप हेल्दी रहती हैं तो स्वयं पर नाज करें, अपने सभी कार्य यदि आप स्वयं कर सकती हैं तो ईश्वर का बार-बार आभार व्यक्त करें। अपने घर और अपनी इन्हीं विशेषताओं का महत्व समझें। अनेक लोगों को यह भी हासिल नहीं हो पाती। हर बात का पॉजिटिव पहलू तलाशें। हर बात के दो भाग होते हैं, एक नेगेटिव और एक पॉजिटिव।

किसी ने सच कहा है कि जो होता है अच्छे के लिए होता है, इस उक्ति को जीवन में सदैव के लिए उतार लें। परिवार में कोई कभी बीमार हो भी जाए तो इसे नेगेटिव लेने की जगह यह मानें कि चलो कुछ दिन के लिए शरीर को आराम मिलेगा। ऐसे ही यदि अचानक नौकरी चली गई हो तो, निराश होने की जगह यह मान लें कि परिवार को कुछ अधिक समय दिया जाएगा, या फिर बहुत दिनों से छुट्टियों पर नहीं गई, मौका मिला है तो चलो घूम ही लिया जाए।

हर क्षण का आनंद लें


सुख-दुःख कभी किसी के जीवन में स्थिर नहीं रहते। बीते हुए कल की चिंता में हम कई बार अपना आज भी खो देते हैं, जो आज है वही सब कुछ है। इस थॉट के साथ जीना, वास्तव में जीना है। आज हम जो करेंगे, सोचेंगे, उसी विचार के बीज से हमारे कल का पौधा अंकुरित होगा, पनपेगा। एक विचारक ने भी कहा है कि हर पल को अंतिम पल मानकर जीवन का आनंद लेना चाहिए। जो रुचिकर हों, वह कार्य अवश्य करें, अतिव्यस्तता में भी अपने लिए कुछ समय अवश्य निकालें। घर में हों या आफिस में, हर कार्य को आनंद के साथ करें।

सकारात्मक बने रहें


यदि बहुत सारी परेशानियां एक साथ आ गई हैं तो कोई बात नहीं, ऐसे में रुके नहीं, अपने जीवन में चलना बंद न करें। छोटा ही सही, कदम जीवन की ओर बढ़ायें। चलते रहने से मुश्किल समय सहजता से गुजर जाता है, और चलते रहने से जीवन का मार्ग हंसी खुशी कट जाता है। सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचने के लिए शुरुआत पहली सीढ़ी से ही करनी होती है, अतः शुरुआत करने में देरी न करें। आप देखेंगी कि आप जल्द ही ऊंचाईयों पर पहुंच गई हैं।

स्वयं को व्यस्त रहें


आप यदि खाली हैं और कोई कार्य नहीं है तो अपने आसपास की वस्तुओं को व्यवस्थित करने का कार्य करें। कार्यक्षेत्र में हैं तो अपनी वर्किंग टेबल को व्यवस्थित करें और घर में हैं तो घर की अलमारी को फिर से व्य्वस्थित करें। अपने आसपास अव्यस्तता न रहने दें। धीरे-धीरे अपनी वस्तुओं की साफ-सफाई करें। साज-सज्जा पर ध्यान लगायें। पौधों की देख-रेख को समय दें। बगीचे को समय दें। काम करते हुए संगीत सुनती रहें, यह आपको सुकून और शांति देगा।

प्रियजनों को समय दें


आपके परिवार में जो भी आपके प्रिय हों, उन्हें समय दें। माता-पिता, बच्चे, जीवनसाथी या मित्र, इनमें से किसी के साथ भी आप फुर्सत के कुछ पल बिता सकती हैं। अपनों के साथ समय बिताना जीवन की यादों को सुनहरी करता है। उनके साथ बैठना, उनकी बातें सुनना या बड़े-बूढ़ों की सेवा करना, उनको समय देना, कुछ भी जो आपके मन को भाता है। इससे आपमें अत्यधिक सकारात्मक बदलाव आएगा।

घर में सुख-शांति के वास्तु टिप्स


यदि घर में आपको सुख की नींद नहीं आती, भोजन आपकी सेहत को नहीं लगता, और परिवार में सबका स्नेह साथ आपको नहीं मिल पा रहा है तो आपको अपने घर की वास्तु जांच किसी योग्य, अनुभवी वास्तुशास्त्री से करानी चाहिए। हम जानते हैं कि घर निर्माण का कार्य कोई भी व्यक्ति जीवन में बार-बार नहीं कर सकता। इसलिए घर बनवाते समय वास्तु के निम्न सरल नियमों का ध्यान रखना, घर की सुख-शांति को बनाए रखने में सहयोग करेगा-

  • घर बनाने के लिए भूमि या तो चैकोर होनी चाहिए या आयताकार होनी चाहिए। घर की भूमि का गोल, तिकोना, तिरछी, कोनों से कटी हुई या निकला हुआ कोना नहीं होना चाहिए।
  • यहां एक अपवाद है कि यदि घर का उत्तर-पूर्व का कोना बाहर की ओर को बड़ा या निकला हुआ हो तो वह हानिकारक नहीं माना जाता।
  • उत्तर-पूर्वी कोने की ओर भूमि का ढलान होना अनुकूल और लाभदायक माना जाता है।
  • इसके विपरीत घर की दक्षिण-पश्चिम भाग में किसी तरह की ढलान नहीं होनी चाहिए।
  • घर के ईशान कोण में पूजा घर होना अतिशुभ माना जाता है।
  • बच्चों की शिक्षा अच्छी चलना भी घर की सुख-शांति को बढ़ाता है, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर पढ़ाई करनी चाहिए।
  • घर की उत्तर दिशा में धन रखने की व्यवस्था होना धन और सुख दोनों को बेहतर करता है।
  • उत्तर दिशा में बहते हुए जल की व्यवस्था रखना शुभता देता है।
  • दक्षिण दिशा में पानी या बोरिंग यदि कराया गया है तो यह बहुत बड़ा वास्तु दोष का कारण बनता है।
  • घर के कमरों को आयताकार या वर्गाकार होना चाहिए, तिरछा होना सही नहीं माना जाता।