अगर पुत्र प्राप्ति की इच्छा है तो जरूर करें पुत्रदा एकादशी व्रत
By: Future Point | 20-Aug-2018
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भगवान शिव के सावन के महीने में हिंदू धर्म के कई व्रत और त्योहार आते हैं। पौष और श्रावण माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से निसंतान दंपत्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है। अगर किसी स्त्री को संतान के रूप में पुत्र की कामना है तो वो भी इस दिन व्रत कर सकती है।
हिंदू धर्म में अनेक व्रत और त्योहारों का उल्लेख मिलता है जिनमें से एक पुत्रदा एकादशी भी है। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजन विधि और महत्व के बारे में।
पुत्रदा एकादशी 2018
इस साल पुत्रदा एकादशी का व्रत बुधवार को 22 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। अगर आपके विवाह को कई साल बीत गए हैं और आपके कोई संतान नहीं है तो इस साल 22 अगस्त के दिन आप भी विधिपूर्वक पुत्रदा एकादशी का व्रत कर सकती हैं।
श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व
वैसे तो साल में 24 एकादशियां आती हैं जिसके अनुसार हर महीने में दो एकादशी पड़ती हैं। इनमें से सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण निर्जला एकादशी होती है। मान्यता है कि इस दिन निर्जल व्रत रखने से जीवन और मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा सावन के महीने में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस व्रत का महत्व उन स्त्रियों के लिए सबसे ज्यादा है जिन्हें संतान प्राप्ति में कठिनाई हो रही है।
पुत्रदा एकादशी व्रत 2018 शुभ मुहूर्त
22 अगस्त को पुत्रदा एकादशी का व्रत है।
23 अगस्त को शाम 5 बजकर 58 मिनट से 8 बजकर 32 मिनट के मध्य व्रत खोल सकते हैं।
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय : 10 बजकर 15 मिनट
एकादशी तिथि प्रारंभ : 21 अगस्त, 2018 को शाम 5 बजकर 16 मिनट पर
एकादशी तिथि समाप्ति : 22 अगस्त, 2018 को 7 बजकर
पुत्रदा एकादशी व्रत विधि
पुत्रदा एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें और इसके पश्चात् उपवास का प्रण लें। इस दिन भगवान विष्णु और विष्णु जी के बाल गोपाल की पूजा की जाती है। द्वादशी के दिन भगवान विष्णु को अर्घ्य देकर पूजन संपन्न करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।
अगर आप पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रही हैं तो प्याज़ और लहसुन का त्याग कर दें। दशमी के दिन भोग-विलास जैसे कार्यों से दूर ही रहें।
पौष पुत्रदा एकादशी
अंग्रेजी पंचांग के अनुसार वर्तमान में पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी दिसंबर या जनवरी के महीने में आती है जबकि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ती है। उत्तर भारत के कई प्रदेशों में पौष माह की पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है जबकि बाकी के प्रदेशों में श्रावण माह की पुत्रदा एकादशी का बहुतत महत्व है।
पुत्रदा एकादशी व्रत के लाभ
हिंदू धर्म में मृत्यु के पश्चात् कई तरह के संस्कार किए जाते हैं। हमारे हिंदू धर्म में किसी इंसान की मृत्यु के बाद ऐसे कई संस्कार हैं जिन्हें पुत्र द्वारा ही संपन्न किया जाता है। पुत्र द्वारा किए गए अंतिम संस्कारों से ही माता-पिता की आत्मा को मुक्ति मिलती है। माता-पिता की मृत्यु के बाद श्राद्ध की नियमित क्रियाएं भी पुत्र द्वारा ही की जाती हैं। मान्यता है कि पुत्र द्वारा श्राद्ध करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है।
इस प्रकार जिस दंपत्ति को संतान के रूप में पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है उनकी मृत्यु के उपरांत इन सभी संस्कारों में बाधा उत्पन्न होती है। संतान के रूप में पत्र की प्राप्ति के लिए ही पुत्रदा एकादशी व्रत का विधान है। जिन स्त्रियों को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही है वो विधिपूर्वक इस व्रत को कर सकती हैं।
वैष्णव समुदाय में श्रावण शुक्ल पक्ष एकादशी को पवित्रोपना एकादशी या पवित्र एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
पुत्रदा एकादशी व्रत में पारण
व्रत खोलने को पारण कहा जाता है। एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात् पारण किया जाता है। एकादशी के व्रत में द्वादश तिथि के समाप्त होने से पूर्व ही पारण कर लेना चाहिए वरना व्रत संपूर्ण नहीं हो पाता है। अगर द्वादश तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो गई है तो एकादशी के व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादश तिथि में एकादशी व्रत का पारण ना करना पाप के समान माना गया है।
हरि वासर में पुत्रदा एकादशी का पारण
मान्यता है कि हरि वासर के दौरान एकादशी के व्रत का पारण नहीं करना चाहिए। अगर आप एकादशी या पुत्रदा एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो व्रत के पारण के लिए हरि वासर के समाप्त होने की प्रतीक्षा करें।
द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को हरि वासर कहा जाता है। एकादशी के व्रत के पारण के लिए सबसे उपयुक्त समय सुबह का होता है। व्रतहारी को मध्याह्न के दौरान व्रत का पारण नहीं करना चाहिए। अगर किसी कारणवश प्रात:काल व्रत का पारण नहीं कर पाएं हैं तो मध्याह्न के बाद ही पारण करें।
अगर आपको भी संतान के रूप में पुत्र प्राप्ति की कामना है तो इस 22 अगस्त को पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर करें।