ऑपरेशन सिंदूर: ज्योतिष के आईने से
By: Dr. Arun Bansal | 16-May-2025
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22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले हुए। उसके जबाब में भारतीय सेना ने 7 मई 2025 को आपरेशन सिंदूर प्रारंभ किया और पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। लेकिन शीघ्र ही पाकिस्तान ने भारत से युद्ध विराम की पेशकश की और 11 मई से युद्ध विराम प्रारंभ हो गया। यह युद्ध क्यों हुआ? क्या यह शांति अल्प है और युद्ध पुनः हो सकता है। आइए समझते हैं ग्रहों के झरोखों से:-
आपरेशन सिंदूर: पहलगाम के आतंकी हमले के जबाब में भारतीय वायुसेना ने आपरेशन सिंदूर के तरहत पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर पी.ओ.के. के 5 व पाकिस्तान के 4 आतंकी ठिकानों को नष्ट करते हुए करीब 100 आतंकवादियों को मार गिराया। यह आपरेशन 7 मई को 1 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ होकर 1 बजकर 30 मिनट तक केवल 25 मिनट चला।
भारत और पाकिस्तान ने चार दिन के संघर्ष के बाद शनिवार को संघर्ष विराम का एलान किया, लेकिन कुछ घंटे बाद ही सीमा पर फिर से गोलीबारी और सीमावर्ती जिलों में ड्रोन घुसपैठ से हालात फिर से बिगड़ते दिखे। भारत ने सेना को किसी भी कार्यवाई का उसी तरीके से जवाब देने का आदेश दिया। हालांकि, देर रात के बाद शांति बहाल हुई।
भारत की जवाबी कार्यवाई से पाकिस्तान घबरा गया। पाकिस्तान में रहीमयार खान एयरबेस का रनवे को नुकसान पहुंचाया। चकलाला स्थित पाकिस्तानी वायुसेना बेस नूर खान पर भी बुरा हाल हुआ।
आपरेशन सिंदूर के बाद संघर्ष विराम से पहले आतंकवाद के सवाल पर भारत ने पड़ोसी पाकिस्तान के लिए एक लक्ष्मण रेखा खींच दी। सीजफायर को स्वीकार करने से पहले भारत ने घोषित कर दिया कि अब भविष्य में देश के अंदर होने वाली एक भी आतंकी घटना को वह अपने खिलाफ युद्ध मानेगा। इसका प्रकार भविष्य में ऐसी आतंकी कार्यवाई के खिलाफ जवाबी सैन्य कार्यवाई के लिए भारत ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया है।
संघर्ष विराम के लिए भारत अपनी शर्तों पर तैयार हुआ। संघर्ष विराम के बीच सिंधु जल संधि का निलंबन जारी रहेगा। अन्य सभी पाबंदियां लागू रहेंगी। जो भी कदम उठाए गए थे, सभी लागू रहेंगे। आतंकवाद पर भारत का रूख और सख्त रहेगा।
अभी आपरेशन सिंदूर समाप्त नहीं हुआ है। आगे युद्ध होगा कि नहीं यह पाकिस्तान का भविष्य में कैसा रवैया रहता है इस पर निर्भर करता है और इस बात पर निर्भर रहता है कि भविष्य में क्या ग्रह चाल होने वाली है। क्या यह ग्रह चाल पुनः युद्ध करने के लिए उकसाने वाली है?
ज्योतिष के झरोखे से आपरेशन सिंदूर
7 मई 2025 को रात 01:05 बजे से चलकर 01:30 बजे तक आपरेशन सिंदूर प्रारंभ हुआ। पूर्णकाल में मकर लग्न था। लग्नेश शनि शुक्र, बुध व राहु के साथ पराक्रम स्थान में विराजमान थे जो भारत के पराक्रम को पूर्ण रूप से दर्शा रहे थे। शत्रु भाव अर्थात छठे भाव का स्वामी बुध नीचस्थ होकर शनि से पूर्ण रूप से दबा हुआ है जो दर्शाता है कि ऐसे लग्न में किए गए आपरेशन में आपरेशन कर्ता पूर्णरूप से विजयी होंगे और शत्रु कुछ भी करने में असमर्थ रहेगा। कर्म भाव का मालिक शुक्र भी उच्चस्थ होकर शनि के साथ बैठा है जो भारत के कर्मों की जीत घोषित करता है। सिंह का अष्टम चंद्रमा लंबी आयु प्रदान करता है। नीच का मंगल सप्तम में पड़ोसी से कटु संबंध दर्शाता है, साथ ही व्यापार में दूरी या विच्छेद को दर्शाता है। पंचम भाव में गुरु बुद्धि द्वारा शत्रु को परास्त कराता है एवं अच्छी विदेश नीति को दर्शाता है। केतु भाग्यशाली बनाता है अर्थात अपने कर्म और ज्ञान से तो जीत होती ही है भाग्य भी जीत करने में पूर्ण साथ देता है।
आपरेशन सिंदूर का प्रारंभ मकर लग्न अर्थात चर लग्न में हुआ है, लग्नेश शनि भी मीन राशि अथवा द्विस्वभाव राशि में विद्यमान है जो आपरेशन को अल्प कालिक ही दर्शाते हैं। दूसरा बड़ा अल्पकालिक होने का यह भी है कि मार्च में 6 ग्रह एक ही राशि में स्थित थे जिसने भीषण भूकंप, आगजनी व युद्ध की नींव रखी। अब जैसे-जैसे ग्रह आपस में दूर होते जा रहे हैं इन सबकी आशंकाएं कम होती जा रही हैं। चंद्रमा चार दिन में राहु-केतु की सीमा से बाहर निकल गया और कालसर्प दोष को अपूर्ण कर दिया। इस प्रकार यह आपरेशन केवल चार दिन में ही पूर्ण हो गया और इसके निकट भविष्य में पुनः जाग्रत होने की कोई आशंका नहीं है। वरन और भी जो युद्ध चल रहे हैं उनकी भी समाप्ति की घोषणा जल्द ही हो सकती है।
यदि 7 मई 2025 के ग्रहों की स्थिति भारत की कुंडली पर देखें तो शनि, बुध, शुक्र व राहु चार ग्रह लग्न से एकादश स्थान पर, मंगल तीसरे स्थान पर, चंद्रमा चैथे, सूर्य बारहवें व गुरु लग्न से गोचर कर रहे थे। सभी ग्रह बहुत ही उत्तम स्थान पर गोचर कर रहे हैं। लग्न के गुरु भारत को साहस और मान मार्यादा रखने में मदद कर रहे हैं।
नीच के मंगल पराक्रम भाव से गुजरने पर लड़ाई के लिए उकसा रहे हैं। एकादश भाव में चर्तुग्रही योग लाभ एवं विजय दिलाने में सक्षम हैं। गोचर में लाभ स्थान से विषधर नामक काल सर्प दोष भी अनुदित रूप से चल रहा है जो शत्रु को डंक मारने में सहायता प्रदान करता है। इस योग के कारण भाइयों में शत्रुता का योग बनता है, कलह होती है और जातक के अपने स्थान से दूर झगड़ा होता है। लाभ में आंशिक बाधा उत्पन्न होती है।
यदि 7 मई 2025 को पाकिस्तान की कुंडली पर ग्रह गोचर की स्थिति देखें तो चार ग्रह बारहवें भाव में अर्थात हानि भाव में स्थित हैं जो अवश्य ही बड़ी हानि को दर्शा रहे हैं। चैथे भाव में नीच का मंगल जन समुदाय में अप्रत्यक्ष रोष दर्शा रहा है। पंचमश सूर्य उच्च राशि में लग्न में स्थित होने से पाकिस्तानी सरकार बड़ी हानि नहीं होने देती, सदबुद्धि जाग्रत हो जाती है और भारत को फोन कर के युद्ध विराम की पेशकश कर लेती है। इसी प्रकार से गुरु भी बहुत बड़ी आर्थिक हानि नही होने देते।
लेकिन चर्तुग्रही योग उन्हें अपने घुटनों पर टिकने के लिए मजबूर कर देते हैं। बारहवें भाव से शेषनाग नामक अनुदित कालसर्प दोष शत्रु से भयाक्रांत रखता है। मानसिक उद्धिग्नता के कारण दिल और दिमाग परेशान रहता है। आमदनी से अधिक खर्च होता है। जातक बहुत कर्जदार हो जाता है और कर्जा उतारने में असफलता प्राप्त होती है।
यदि चंद्र राशि से ग्रह स्थिति का आकलन करें तो भारत की राशि से गुरु लाभ स्थान पर है एवं शनि व राहु नवम भाव में स्थित है। दोनों ही ग्रह स्थिति भारत को लाभ दर्शाती है। यही स्थिति पाकिस्तान की देखें तो गुरु बारहवें स्थान पर गोचर कर रहे हैं एव शनि व राहु चंद्रमा से दशम भाव में गोचर कर रहे हैं। गुरु आर्थिक हानि एवं शनि, राहु कर्म हानि अर्थात पराक्रम हानि को दर्शा रहे हैं। अतः चंद्र राशि से भी तात्कालिक ग्रह स्थिति भारत के लिए अति अनुकूल है।
निष्कर्ष:
30 मार्च 2025 को 6 ग्रह मीन राशि में विराजमान थे। कालसर्प दोष बन रहा था अर्थात सभी ग्रह राहु-केतु की धुरी से एक ही ओर में थे। जब-जब ऐसी ग्रह स्थिति आती है प्राकृतिक आपदाएं बढ़ जाती है, भूकंप आते हैं आगजनी होती है। दुर्घटनाएं बढ़ जाती है एवं युद्ध के आसार बढ़ जाते हैं। इसी ग्रह स्थिति ने आतंकियों के आकाओं की बुद्धि भ्रष्ट कर दी और 22 अप्रैल 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले को अंजाम दे दिया। इसी ग्रह स्थिति ने भारत को आपरेशन सिंदूर करने के लिए मजबूर कर दिया और पाकिस्तान को इसका अंजाम भुगतना पड़ा। प्रायः ऐसी ही ग्रह स्थिति 1999 में कारगिल युद्ध के समय भी थी। 1962 में तो 8 ग्रह एक राशि में आ गये थे।
लेकिन अब ग्रह आपस में दूर-दूर होते जा रहे हैं तो इस प्रकार युद्ध का पुनः संयोग नहीं दिख रहा है। शांति बनी रहेगी और धीरे-धीरे पूर्ण शांति प्राप्त होगी। अन्य देश भी युद्ध को छोड़कर शांति का रास्ता अपना सकते हैं। लेकिन इस प्रकार की ग्रह स्थिति पुनः मार्च 2026 और अप्रैल 2027 में बनने जा रही है। अतः यह कह सकते हैं कि शांति बहुत लंबी नहीं चलेगी। अगले व उससे अगले वर्ष अप्रैल मई में पुनः प्राकृतिक आपदा एवं युद्ध के योग बनेंगे। उससे पहले भूकंप आएंगे। भूकंप व युद्ध होंगे तो उत्तर गोलार्ध में ही होंगे क्योंकि सभी ग्रह राहु के पास ही उत्तर दिशा की ओर एकत्रित होने वाले हैं। अभी एक वर्ष शांति के ही ग्रह योग हैं।