लाल किताब (Lal kitab) के अनुसार जाने सूर्य ग्रह का 12 भावों में फल
By: Future Point | 07-Jul-2020
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लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह को सबसे प्रभावशाली ग्रह माना गया है। यह सभी ग्रहों में मुख्य ग्रह हैं। लाल किताब के अनुसार जातक की जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह का शुभ होना जीवन के लिए बेहद आवश्यक है तभी उनकी बातों का प्रभाव दूसरों पर अच्छा पड़ता है। जिन जातको की जन्मकुंडली में सूर्य उच्च का होता है तो वह जातक स्वयं के बल पर कार्यक्षेत्र में उन्नति प्राप्त करता है।
ऐसे व्यक्ति की राह में जितनी रुकावटें आती हैं वह उन रुकावटों को अवसरों परिवर्तन कर आगे बढ़ता है और उसके शत्रुओं का नाश होता है। सूर्य का सकारात्मक प्रभाव जातकों को समाज में मान-सम्मान दिलाता है। इसके साथ ही सरकारी क्षेत्र में जातक उच्च पद की प्राप्ति करता है। इसके अलावा सूर्य के शुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति समाज का नेतृत्व करता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी जातक सदैव ऊर्जावान बना रहता है और उसके साहस में वृद्धि होती है।
उन्हें पिता से लाभ और उनके पिता के साथ सम्बन्ध अच्छे होते हैं उनके चहरे पर अच्छा प्रभाव बना रहता है और पढाई-लिखाई पूरी कर लेने के पश्चात वे जहां भी काम करने जाते हैं वहां पर उनको मान-प्रतिष्ठा भी अच्छी मिलती जाती है। काम-काज के अंदर अपनी मेहनत के अनुसार सफलता भी मिलती रहती है और शरीर भी हमेशा फुर्तीला बना रहता है। जिनकी जन्मकुंडली में सूर्यदेव अच्छे होते हैं वो लोग बहुत ज्यादा मोटे या भारी-भरकम शरीर वाले नहीं होते हैं और न हीं उनको कोई बड़ी बीमारियां लगती हैं।
जिन जातको की जन्मकुंडली में सूर्यदेव खराब अवस्था में होते है ऐसे लोगों की सेहत खराब रहती है साथ ही उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन, आत्मबल कमजोर, आँखों की रोशनी में कमी, किसी भी कार्य को करने से पहले डर महसूस करना या शरीर के किसी न किसी अंग में कोई ना कोई दर्द होते रहना, पढाई-लिखाई में पूरी तरह कामयाब नहीं मिल पाती है। सेहत खराबी की समस्या के कारण अपनी पढाई-लिखाई, या सीखी हुई विद्या का कोई भी लाभ नहीं ले पाते हैं।
सरकारी काम-काज के अंदर या तो सफलता नहीं मिलती है अगर किसी की मदद से मिल भी जाये तो ऐसी सफलता ज्यादा दिन तक चल नहीं पाती। इसलिए हमें सबसे पहले अपने सूर्य ग्रह की स्थिति जान लेना बहुत आवश्यक है और उसको मजबूत बनाने के लिए उपाय करने चाहिए। सूर्यदेव का आशीर्वाद आपको जीवन में हर सुख दिला सकता है।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का 12 भावों में सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों ही तरह से पड़ता है। हालाँकि सूर्य ग्रह शांति के लिए लाल किताब के उपाय बहुत ही कारगर होते हैं। वैदिक ज्योतिष से अलग लाल किताब में सूर्य के प्रभाव और इससे संबंधित टोटके बताए गए हैं। कुंडली के 12 भाव में लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है और इसके क्या उपाय हैं। नीचे प्रत्येक भाव पर सूर्य का प्रभाव और उससे संबंधित उपाय दिए गए हैं|
लाल किताब के अनुसार सूर्य का प्रथम भाव में फल-
प्रथम भाव में सूर्य के होने से व्यक्ति का स्वाभाव स्पष्ट और उदार होगा। यदि सूर्य शुभ स्थिति में है तो जातक धार्मिक इमारतों या भवनों का निर्माण और सार्वजनिक उपयोग के लिए कुओं की खुदाई करवाता है। उसकी आजीविका का स्थाई स्रोत अधिकांशत: सरकारी होगा। सरकार से आपके संबंध अच्छे रहेंगे। सत्ता से जुडे और शक्तिशाली लोगों से आपके अच्छे रिश्ते रहेंगे। आप अपने पिता का आदर और उनकी आज्ञा मानने वाले होंगे।
इमानदारी से कमाए गए धन में वृद्धि होगी। जातक अपनी आंखों देखी बातों पर ही विश्वास करेगा, पहले भाव का अशुभ सूर्य और पांचवें भाव का मंगल एक-एक कर संतान की मृत्यु का कारण होगा। इसी प्रकार पहले भाव का अशुभ सूर्य और आठवें भाव का शनि एक-एक करके संतान की मृत्यु का कारण बनता है। यदि सातवें भाव में कोई ग्रह न हो तो 25 वें साल से पहले विवाह कर लेना जातक के लिए भाग्यशाली रहता है|
लाल किताब के अनुसार सूर्य का द्वितीय भाव में फल-
यदि आप ईश्वर पर विश्वास रखते हैं, तो कुण्डली के दूसरे भाव में स्थित सूर्य आपको समृद्धशाली बना देता है अन्यथा इस भाव में स्थित सूर्य धन संचय में परेशानियां उत्पन्न करता है। इस भाव में स्थित सूर्य आपको कई कामों में दक्षता देगा। आप उम्र के साथ-साथ आत्मनिर्भर होते जाएंगे। यदि सूर्य शुभ है तो जातक आत्मनिर्भर होगा, शिल्पकला में कुशल और माता-पिता, मामा, बहनों, बेटियो तथा ससुराल वालों का सहयोग करने वाला होगा।
यदि चंद्रमा छठवें भाव में होगा तो दूसरे भाव का सूर्य और भी शुभ प्रभाव देगा। नवम भाव का केतू जातक को महान तकनीकी जानकार बनाता है। जातक का उदार च्ररित्र उसके दुश्मनों की वृद्धि को रोकता है। यदि सूर्य अशुभ है तो धन और सम्पत्ति को लेकर विवाद होता है। जातक की पत्नी जातक को बिगाडने वाली होगी। यदि चंद्रमा आठवें भाव में और सूर्य दूसरे भाव में हो तो दान में कोई वस्तु नहीं लेनी चाहिए अन्यथा जातक पूरी तरह विनाश को प्राप्त हो सकता है|
लाल किताब के अनुसार सूर्य का तीसरे भाव में फल-
यदि सूर्य शुभ अवस्था में है तो जातक अमीर, आत्मनिर्भर और छोटे भाइयों से युक्त होता है। जातक पर ईश्वरीय कृपा बानी रहती है और वह बौद्धिक व्यवसाय द्वारा लाभ कमाता है। वह ज्योतिष और गणित में रुचि रखने वाला होता है। आप अपने पराक्रम के कारण अपने बहुत से कार्यों को परिपूर्णता देंगें। आपकी रुचि ज्योतिष विज्ञान या गणित विषय में हो सकती है। अथवा आपके भीतर कवित्त्व का गुण पाया जायेगा। आप एक राज्यमान और प्रतापी व्यक्ति हो सकते हैं। यदि तीसरे भाव में सूर्य अशुभ है और कुण्डली में चन्द्रमा भी अशुभ है तो जातक के घर में दिनदहाडे चोरी या डकैती हो सकती है। यदि नवम भाव भी पीडित है तो जातक के पूर्वज गरीब होंगें।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का चतुर्थ भाव में फल-
इस भाव में स्थित सूर्य आपको आर्थिक रूप से समृद्धशाली बना देता है, क्योंकि यह आपके भीतर बचत करने की प्रवृत्ति पैदा करता है। यदि सूर्य शुभ है तो जातक बुद्धिमान, दयालु और अच्छा प्रशासक होगा। उसके पास आमदनी का स्थिर श्रोत होगा। यदि चंद्रमा भी सूर्य के साथ चौथे भाव में स्थित है तो जातक किसी नए शोध के माध्यम से बहुत धन अर्जित करेगा।
ऐसे में चौथे भाव या दसम भाव का बुध जातक को प्रसिद्ध व्यापारी बनाता है। यदि सूर्य के साथ बृहस्पति भी चौथे भाव में स्थित है तो जातक सोने और चांदी के व्यापार से अच्छा मुनाफा कमाता है। यदि चौथे भाव में सूर्य अशुभ है तो जातक लालची होगा। जातक को चोरी करने और दूसरों को नुकसान पहुचाने में मजा आता है। यह प्रवृत्ति अंततः बहुत बुरे परिणाम को जन्म देती है।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का पंचम भाव में फल-
यदि सूर्य शुभ है तो निश्चित ही परिवार तथा बच्चों की प्रगति और समृद्धि होगी। लेकिन यहां स्थित सूर्य आपके जीवन में एक अजीब सी स्थिति पैदा कर सकता है, यदि आपका स्वाथ्य ठीक नहीं होगा तो आपका व्यापार व्यवसाय ठीक चलेगा। और यदि आपका व्यापार व्यवसाय ठीक चलेगा तो आपका स्वाथ्य प्रभावित रह सकता है। यदि पांचवें भाव में कोई सूर्य का शत्रु ग्रह स्थित है तो जातक को सरकार जनित परेशानियों का सामना करना पडेगा।
यदि बृहस्पति नौवें या बारहवें भाव में स्थित है तो जातक के शत्रुओं का विनाश होगा लेकिन यह स्थिति जातक के बच्चों के लिए ठीक नहीं है। यदि पांचवें भाव का सूर्य अशुभ है और बृहस्पति दसवें भाव में है तो जातक की पत्नी जीवित नहीं रहती। यदि पांचवें भाव में अशुभ सूर्य हो और शनि तीसरे भाव में हो तो जातक के पुत्र जीवित नहीं रहते हैं।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का षष्ठ भाव में फल-
यदि सूर्य शुभ स्थिति में है तो जातक भाग्यशाली, क्रोधी, सुंदर जीवनसाथी वाला तथा सरकार से लाभ पाने वाला होता है। आप अपनी न्यायप्रियता के कारण भी समाज में सम्मान पाएंगे। आपको अपने व्यापार या नौकरी से हमेशा लाभ मिलता रहेगा, लेकिन यदि सूर्य छठे भाव में हो, चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति दूसरे भाव में हों तो परंपरा का निर्वाह करना फायदेमंद रहता है।
यदि सूर्य छ्ठे भाव में हो और सातवें भाव में केतू या राहू हो तो जातक के एक पुत्र होगा और 48 सालों के बाद भाग्योन्नति होती है। यदि सूर्य अशुभ हो तो जातक का पुत्र और ननिहाल के लोगों को मुसीबतों का सामना करना पडता है। जातक का स्वास्थ भी ठीक नहीं रहता। यदि मंगल दशम भाव में स्थित हो तो जातक के पुत्र एक एक करके मरते जाएंगे।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का सातवें भाव में फल-
यदि सातवें भाव में सूर्य शुभ है और यदि बृहस्पति, मंगल अथवा चंद्रमा दूसरे भाव में है तो जातक सरकार में मंत्री जैसा पद प्राप्त करता है। बुध उच्च का हो या पांचवें भाव में हो अथवा सातवां भाव मंगल से देखा जा रहा हो तो जातक के पास आमदनी का अंतहीन श्रोत होता है।
यदि सातवें भाव में स्थित सूर्य हानिकारक हो और बृहस्पति, शुक्र या कोई और अशुभ ग्रह ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो तथा बुध किसी भी भाव में नीच का हो तो जातक की मौत किसी मुठभेड में परिवार के कई सदस्यों के साथ होती है। सूर्य की इस भाव में स्थिति वैवाहिक जीवन के लिए भी ठीक नहीं मानी गई है। अत: जीवन साथी से मतभेद सम्भव है। विशेषकर विवाह के पंद्रह वर्षों तक वैवाहिक जीवन में सामंजस्य की कमी रहती है। जातक को सरकार की ओर से परेशानियां पता है,
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लाल किताब के अनुसार सूर्य का अष्टम भाव में फल-
आठवें भाव में स्थित सूर्य यदि अनुकूल हो तो आपके आर्थिक पक्ष को मजबूत करेगा। धन कमाने के साथ-साथ आप धन की बचत भी कर पाएंगे। यह स्थिति कभी-कभी जीवन साथी के माध्यम से धनागमन की सूचक है। आप अपने जीवन काल में कुछ ऐसा काम जरूर करेंगे जो आपको नायकों की श्रेणी में खडा करेगा। सूर्य यदि अनुकूल हो तो उम्र के 24वें वर्ष से सरकार का सहयोग मिलता है। ऐसा सूर्य जातक को सच्चा, पुण्य और राजा की तरह बनाता है। कोई उसे नुकसान पहुँचाने में सक्षम नहीं होता। यदि आठवें भाव स्थित सूर्य अनुकूल न हो तो दूसरे भाव में स्थित बुध आर्थिक संकट पैदा करेगा। जातक अस्थिर स्वभाव, अधीर और अस्वस्थ्य रहेगा।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का नवम भाव में फल-
नवमें भाव स्थित सूर्य यदि शुभ स्थिति में हो तो जातक भाग्यशाली, अच्छे स्वभाव वाला, अच्छे पारिवारिक जीवन वाला और हमेशा दूसरों की मदद करने वाला होगा। यदि बुध पांचवें घर में होगा तो जातक का भाग्योदय 34 साल के बाद होगा। यदि नवमें भाव स्थित सूर्य अनुकूल न हो तो जातक बुरा और अपने भाइयों के द्वारा परेशान किया जाएगा। सरकार से पीड़ित और प्रतिष्ठा की हानि होती है|
लाल किताब के अनुसार सूर्य का दशम भाव में फल-
दशम भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ अवस्था में हो तो सरकार से लाभ और सहयोग मिलता है। जातक कार्यक्षेत्र में बडी सफलता पाने वाले वाला होता है। आपके भीतर नेतॄत्त्व करने की अद्भुत क्षमता होगी। अत: आप लोगों का नेतॄत्त्व कर सकते हैं। जातक का स्वास्थ्य अच्छा और वह आर्थिक रूप से मजबूत होता है। जातक को सरकारी नौकरी, वाहनों और कर्मचारियों का सुख मिलता है। लेकिन जातक हमेशा दूसरों पर शक करता है। यदि दशम भाव में स्थित सूर्य हानिकारक हो और शनि चौथे भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु बचपन में हो जाती है। यदि चौथे भाव में कोई ग्रह न हों तो जातक सरकारी सहयोग और लाभ से वंचित रह जाता है।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का एकादश भाव में फल-
यदि ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य शुभ अवस्था में हो तो जातक शाकाहारी और परिवार का मुखिया होगा, और उसे सरकार से लाभ मिलेगा। आप धनवान होने के साथ ही बलवान और सुखी भी होंगे । ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ नहीं है और चंद्रमा पांचवें भाव में है तथा सूर्य पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो यह जातक की आयु को कम करने वाली होती है।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का द्वादश भाव में फल-
यदि बारहवें भाव में स्थित सूर्य शुभ हो, और आप अस्पतालों, पागलखानों, धर्मार्थ संस्थानों, जेलों और परोपकारी कामों से जुडे किसी काम को करते हैं तो इन क्षेत्रों में आप बहुत कुछ कर सकते हैं। इसके अलावा आप दवाओं रसायन शास्त्र या मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी अपना कैरियर बना सकते हैं। यदि सूर्य बारहवें भाव में शुभ है तो जातक 24 साल के बाद अच्छा धन कमाएगा और जातक का पारिवारिक जीवन अच्छा होगा। यदि शुक्र और बुध एक साथ हों तो जातक को व्यापार से लाभ मिलता है और जातक ले पास आमदनी के नियमित स्रोत होते हैं। यदि बारहवें भाव का सूर्य अशुभ हो तो जातक अवसाद ग्रस्त, मशीनरी से आर्थिक हानि उठाने वाला और सरकार द्वारा दंडित किया जाने वाला होगा।
लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह की शांति के उपाय-
ज्योतिष में लाल किताब के उपाय को बहुत कारगर और महत्वपूर्ण माना गया है। अतः लाल किताब में सूर्य ग्रह शांति के टोटके जातकों के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। सूर्य ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय करने से जातकों को सूर्य के सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।
- सूर्य ग्रह की अशुभता को दूर करने के लिए जातक को बहते जल में 9 खड़ी बादाम भी बहाना शुभ रहता है|
- सूर्य ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए जातक को ११ अथवा २१ रविवार तक लगातार कमल के लाल फूलों को श्री गणेश जी भगवान पर चढ़ाना चाहिए|
- पति-पत्नी में से किसी एक को गुड़ से परहेज करना चाहिए|
- सूर्य ग्रह को अनुकूल करने के लिए जातक को पीतल के बर्तनों का सर्वदा प्रयोग करना चाहिए|
- सूर्य ग्रह के ख़राब होने पर जातक को लाल हकीक का पत्थर धारण करना चाहिए|
- सूर्य ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए जातक को लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ और गुड़ खिलाना चाहिए|
- अंधे व्यक्ति की सहायता करें।
- सूर्य ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए जातक को रविवार के दिन का उपवास रखना चाहिए|
- दूसरों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करें।
- सूर्य ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए जातक को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए|
- माँ का आशीर्वाद सदैव लें और चावल-दूध का दान करें।