ग्रहण 2023

वैदिक ज्‍योतिष में ग्रहण को बहुत महत्‍व दिया जाता है। जब सूर्य और चंद्रमा की छाया पृथ्‍वी पर पड़ती है, तब ग्रहण लगता है। ज्‍योतिष में ग्रहण को एक महत्‍वूपर्ण घटना के रूप में जाना जाता है। मान्‍यता है कि सूर्य या चंद्रमा को ग्रहण लगना एक अशुभ घटना होती है इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित है। इसके अलवा ग्रहण के समय कुछ विशेष सावधानियां बरतने की भी आवश्‍यकता होती है। ग्रहण का हर मनुष्‍य के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। यह आपके लिए शुभ समाचार भी ला सकता है और दुखों का पहाड़ भी तोड़ सकता है।

ग्रहण कई तरह के होते हैं जिनमें विशेष रूप से सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, कुंडलाकार और कुल सूर्य ग्रहण को प्रमुख माना जाता है। यहां विभिन्न प्रकार के ग्रहणों के बारे में बताया जा रहा है।

ग्रहण 2023 के प्रकार

चंद्र ग्रहण - साल 2023 में दो बार चंद्र ग्रहण लगेगा। एक पेनुमब्रल चंद्र ग्रह होगा और 29 अक्‍टूबर को आंशिक चंद्र ग्रहण लगेगा।

सूर्य ग्रहण - वर्ष 2023 में दो बार ही सूर्य ग्रहण भी होगा। इसमें एक हाइब्रिड सूर्य ग्रहण और दूसरा कुंडलाकार सूर्य ग्रहण होगा।

इन चारों ग्रहण का जातक के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। आप हमारे ज्‍योतिषियों से जान सकते हैं कि किस ग्रहण के दौरान आप किन उपायों से इनके नकारात्‍मक प्रभाव से बच सकते हैं और कौन-सा ग्रहण आपके लिए विशेष रूप से मुसीबत बनकर आएगा।

सूर्य और चंद्र ग्रहण में क्‍या अंतर है

सूर्य और चंद्रमा दोनों तरह के ग्रहणों में पृथ्‍वी, सूर्य और चंद्रमा शामिल होते हैं। इन तीनों की स्थिति के आधार पर ही यह तय किया जाता है कि कौन-सा ग्रहण लगा है। सूर्य ग्रहण एक ऐसा बिंदु है जिस पर चंद्रमा पृथ्वी से दिखाई देने वाले सूर्य के सामने चलता है, जिससे सूर्य का प्रकाश बाधित हो जाता है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चला जाता है।

सूर्य ग्रहण के प्रकार

अर्ध या आंशिक सूर्य ग्रहण

आंशिक ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी के अनुरूप नहीं होते हैं और चंद्रमा केवल आंशिक रूप से सूर्य को ढकता है।

कुंडलाकार सूर्य ग्रहण

कुंडलाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य के केंद्र को ढक लेता है, जिससे सूर्य के बाहरी किनारों को छोड़कर चंद्रमा के चारों ओर "अग्नि की अंगूठी" या कुंडलाकार बन जाता है।

पूर्ण सूर्य ग्रहण

पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान, चंद्रमा सूर्य की डिस्क को पूरी तरह से ढक लेता है, जबकि आंशिक और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण में, चंद्रमा केवल सूर्य के एक हिस्से को ही अवरुद्ध करता है।

सूर्य ग्रहण के प्रकार

पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण

तब पृथ्‍वी की बाहरी छाया चंद्रमा के मुख पर पड़ती है, तब यह ग्रहण लगता है। आमतौर पर यह ग्रहण कम ही नजर आ पाता है।

आंशिक चंद्र ग्रहण

जब पृथ्‍वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच घूमती है, तब आंशिक चंद्र ग्रहण लगता है लेकिन इस ग्रहण में ये तीनों एक सीध में नहीं होते हैं। चंद्रमा की दृश्य सतह का केवल एक हिस्सा पृथ्वी की छाया के अंधेरे हिस्से में चला जाता है।

पूर्ण चंद्र ग्रहण

यह ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चला जाता है। यह तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अन्य दो के बीच पृथ्वी के साथ बिल्कुल या बहुत निकटता से जुड़े हों, जो कि पूर्णिमा की रात को ही हो सकता है, जब चंद्रमा किसी भी चंद्र नोड के पास होता है।

राशियों पर ग्रहण का प्रभाव

सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों ही किसी ना किसी तरह से राशिचक्र की 12 राशियों को प्रभावित करते हैं। जिस व्‍यक्‍ति की राशि पर ग्रहण का जो प्रभाव पड़ रहा होता है, उसे वैसा ही फल मिलता है।

ग्रहण का प्रभाव उस राशि के स्‍वभाव और प्रवृत्ति पर भी निर्भर करता है। अग्नि राशियों (मेष, सिंह और धनु) में राशि संघर्ष, युद्ध, अग्नि उपद्रव और प्रियजनों के निधन को दर्शाती है। इसके अलावा, पृथ्वी चिन्ह (मकर, वृष और कन्या) का अर्थ है बागवानी संबंधी मुद्दे। इसकी तुलना में, वायु राशियां (मिथुन, तुला और कुंभ) अशांत हवाओं, बीमारी और भुखमरी को दर्शाती हैं। दूसरी ओर, जल चिह्न (कर्क, वृश्चिक और मीन) समुद्री खतरों, बाढ़, युद्ध और उच्च मृत्यु दर को दिखाते हैं।

ग्रहण का प्रभाव

एक साल में 4 से कई बार ग्रहण लगता है और ग्रहण के दौरान कई लोगों को बेचैनी महसूस हो सकती है। वहीं ग्रहण से सात दिन पहले या बाद तक ग्रहण की ऊर्जा का प्रभाव रहता है। ग्रहण का प्रभाव तीन महीने से लेकर तीन साल तक भी रह सकता है। ज्‍योतिषी ग्रहण वाले दिन और इसके आसपास के तीन दिनों तक कोई भी शुभ कार्य ना करने की सलाह देते हैं।

कितनी बार लगता है ग्रहण

हर साल में चार से छह बार कभी भी ग्रहण लग सकता है और ये एक के बाद एक होते हैं। एक पूर्णिमा पर और दूसरा हमेशा अमावस्‍या पर लगता है। कई बार लगातार तीन ग्रहण लग जाते हैं।

ग्रहण के बाद क्‍या करना चाहिए

वैदिक ज्‍योतिष में ग्रहण के तुरंत बाद कुछ विशेर्ष कार्य करने की सलाह दी जाती है, जैसे कि :

  • घर को साफ करें : जब ग्रहण समाप्‍त हो जाता है, तब कोई भी नया काम शुरू करने से पहले घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए क्‍योंकि इससे ग्रहण काल के दौरान पड़ा नकारात्‍मक प्रभाव नष्‍ट हो जाता है। सफाई करने के बाद घर में धूप-दीप जलाएं।
  • नहाएं और ध्‍यान करें : ग्रहण के खत्‍म होने के बाद व्‍यक्‍ति को स्‍नान करना चाहिए। इससे ग्रहण के नेगेटिव प्रभाव खत्‍म हो जाते हैं। नहाने के बाद ध्‍यान करने की भी सलाह दी जाती है।
  • भगवान शिव का ध्‍यान : जब ग्रहण खत्‍म हो जाता है, तब आप स्‍नान के बाद भगवान शिव का ध्‍यान करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के बाद इसका अधिक महत्‍व है क्‍योंकि भगवान शिव ने चंद्र देव को जीवन दान दिया था।
  • हनुमान जी की पूजा : बजरंग बली सभी संकटों को दूर करते हैं। ग्रहण के बाद इनकी आराधना करें और हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाएं।
  • गाय को खिलाएं : हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा कहा गया है। मान्‍यता है कि गाय के अंदर 33 देवी-देवता वास करते हैं। ग्रहण के बाद आप गाय को रोटी या चारा खिलाएं।

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

astrologer

Dr. Arun Bansal

Exp:42 years

  • Love

  • Relationship

  • Family

  • Career

  • Business

  • Finance

TALK TO ASTROLOGER

100% Secure Payment

100% Secure

100% Secure Payment (https)

High Quality Product

High Quality

100% Genuine Products & Services

Help / Support

Help/Support

Trust

Trust of 36 years

Trusted by million of users in past 36 years