सूर्य ग्रहण वह घटना है। जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब अल्प समय ढ़कने के कारण सूर्य ग्रहण की स्थिति होती है। इस सूर्य ग्रहण को हम पूर्ण, आंशिक व वलयाकार के रूप में यथा समय देखते रहते हैं। सूर्य ग्रहण किसी माह की अमावस्या (कृष्णपक्ष) की तिथि में ही घटित होता है। सूर्य ग्रहण के लिए यह जरूरी है, कि चन्द्रमा का रेखांश राहू या केतू के पास होना चाहिए। मत्स्य पुराण के अनुसार राहु के कारण चंद्र ग्रहण और केतू के कारण सूर्य ग्रहण की घटनाएं घटती हैं। प्राचीन भारतीय ऋषियों द्वारा युगों पहले अर्जित ग्रह, नक्षत्रों का खगोलीय ज्ञान आज भी सत्य रूप में अपने आप ही प्रमाणित होता रहता है। किसी के मानने या न मानने से संबधित सूर्यादि ग्रहण की घटनाओं को नज़र अंदाज नहीं किया जा सकता है। सूर्य ग्रहण का असर बड़ा ही प्रभावी होता है, यह ऐसी घटना है जिससे प्रत्येक देश, प्रदेश व व्यक्ति स्त्री व पुरूष प्रभावित होते रहते है। चाहे वह सामान्य जन हो या फिर कोई ज्ञानी, पहुंचे हुए राजनेता, मंत्री, सैनिक, चिकित्सक हो, सभी को किसी न किसी रूप में सूर्य ग्रहण का शुभाशुभ प्रभाव प्राप्त होता ही है।

ग्रहण से आप क्या समझते हैं ?
ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जब एक खगोलीय पिंड पर दूसरे खगोलीय पिंड की छाया पडती है, तब ग्रहण होता है । ग्रहण शब्द का उपयोग प्रायः किसी सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण का विवरण करने में होता है । जब पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पडती है तब सूर्य ग्रहण होता है और जब पृथ्वी सूर्य तथा चंद्रमा के बीच आती है, तब चंद्र ग्रहण होता है। आगे बढ़ने से पूर्व यह जान लें कि सूर्यग्रहण किस प्रकार होता है-
साल 2018 में होने वाले सूर्यग्रहणॊं की जानकारी इस प्रकार हैं-
पहला सूर्यग्रहण - 17 फरवरी 2018, संवत्सर 2074, फाल्गुण अमावस्या, शुक्रवार
- ग्रहण का समय – 00:25 रात्रि से 04:17 मिनट प्रात: तक, कुल 3 घंटे 52 मिनट का ग्रहण रहेगा।
- ग्रहण किन स्थानों में दिखाई देगा - दक्षिणी अमेरिका, अंटार्कटिका।
- भारत में दिखाई नहीं देगा।
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दूसरा सूर्यग्रहण - 13 जुलाई 2018, संवत्सर 2075, आषाढ़ अमावस्या, शुक्रवार
- ग्रहण का समय – 07:18 मिनट से 09:43 मिनट तक रहेगा, कुल 2 घंटे 25 मिनट का ग्रहण रहेगा।
- ग्रहण किन स्थानों में दिखाई देगा - दक्षिणी आस्ट्रेलिया।
- भारत में दिखाई नहीं देगा।
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तीसरा सूर्यग्रहण - 11 अगस्त 2018, संवत्सर 2075, श्रावण अमावस्या, शनिवार
- ग्रहण का समय - 13:32 से 17:00 मिनट तक रहेगा, कुल 3 घंटे 28 मिनट का ग्रहण रहेगा।
- ग्रहण किन स्थानों में दिखाई देगा - उत्तरी यूरोप, उत्तरी पूर्वी एशिया।
- भारत में दिखाई नहीं देगा।
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इस प्रकार साल 2018 में कुल मिलाकर तीन सूर्यग्रहण दिखाई देंगे, जिसमें से दो भारत में दिखाई नहीं देंगे तथा मात्र एक सूर्यग्रहण भारत में देखा जा सकेगा।
2018 में सूर्य ग्रहण
| दिनांक | ग्रहण का प्रकार |
| 16 फरवरी 2018 | आंशिक |
| 13 जुलाई 2018 | आंशिक |
| 11 अगस्त 2018 | आंशिक |
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण
वैज्ञानिकों के लिए ग्रहण वह अवसर किसी उत्सव से कम नहीं होता क्योंकि ग्रहण ही वह समय होता है जब ब्रह्मांड में अनेकों विलक्षण एवं अद्भुत घटनाएं घटित होतीं हैं जिससे कि वैज्ञानिकों को नये-नये तथ्यों पर कार्य करने का अवसर मिलता है। 1968 में लार्कयर नामक वैज्ञानिक नें सूर्य ग्रहण के अवसर पर की गई खोज के सहारे वर्ण मंडल में हीलियम गैस की उपस्थिति का पता लगाया था। आईन्स्टीन का यह प्रतिपादन भी सूर्य ग्रहण के अवसर पर ही सही सिद्ध हो सका, जिसमें उन्होंने अन्य पिण्डों के गुरुत्वकर्षण से प्रकाश के पडने की बात कही थी। चन्द्रग्रहण तो अपने संपूर्ण तत्कालीन प्रकाश क्षेत्र में देखा जा सकता है संसार के समस्त पदार्थों की संरचना सूर्य रश्मियों के माध्यम से ही संभव है। यदि सही प्रकार से सूर्य और उसकी रश्मियों के प्रभावों को समझ लिया जाए तो समस्त धरा पर आश्चर्यजनक परिणाम लाए जा सकते हैं। सूर्य की प्रत्येक रश्मि विशेष अणु का प्रतिनिधित्व करती है और जैसा कि स्पष्ट है, प्रत्येक पदार्थ किसी विशेष परमाणु से ही निर्मित होता है। अब यदि सूर्य की रश्मियों को पूंजीभूत कर एक ही विशेष बिन्दु पर केन्द्रित कर लिया जाए तो पदार्थ परिवर्तन की क्रिया भी संभव हो सकती है।
ग्रहण का माहात्म्य
श्रीमद्भागवत पुराण के दसवें स्कंध में उल्लेख किया गया है कि महाभारत युद्ध से पूर्व सूर्य ग्रहण के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण सभी यदुवंशियों सहित द्वारका से कुरूक्षेत्र में आए थे। इस समय सभी देश विदेशों से आए राजाओं ने सूर्यग्रहण पर्व पर स्नान पूजा पाठ तथा धार्मिक कार्य किए थे। इसीलिए सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरूक्षेत्र में एक विशाल मेला लगता है जिसमें सारे भारत से नर नारी यहां आकर स्नान करते हैं। शास्त्रों में इसका बड़ा माहात्म्य बताया गया है। यह भी कहा जाता है कि काठियावाड़ के तीर्थ प्रभास में भगवान श्रीकृष्ण सपरिवार स्नान करने गए थे। इसीलिए सूर्यग्रहण के अवसर पर प्रभास में भी स्नान करने का बड़ा माहात्म्य है।
ग्रहण के समय पूजा पाठ का विधान
ग्रहण लगने के पूर्व नदी या घर में उपलब्ध जल से स्नान करके भगवान का पूजन यज्ञ, जप करना चाहिए। भजन कीर्तन करके ग्रहण के समय का सदुपयोग करें। ग्रहण के दौरान कोई कार्य न करें। ग्रहण के समय में मंत्रों को जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है। ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मलमूत्र त्याग करना, केश विन्यास बनाना, रति क्रीडा करना, मंजन करना वर्जित किए गए है। कुछ लोग ग्रहण के दौरान भी स्नान करते है। ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्रह्माण को दान देने का विधान है। कहीं-कहीं वस्त्र, बर्तन धोने का भी नियम है। पुराना पानी, अन्न नष्ट कर नया भोजन पकाया जाता है और ताजा पानी भरकर पिया जाता है। ग्रहण के बाद दान देने का अधिक माहात्म्य बताया गया है।
पौराणिक कथा
इस कथा का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण के आठवें स्कंध में लिखा है कि जब समुद्र मंथन से अमृत का घड़ा निकला तो उसके बंटवारे के लिए स्त्री वेशधारी मोहिनी के रूप में नारायण से दैत्यों ने प्रार्थना की। तब उस मोहिनी ने झगड़े को निपटाने के लिए देवताओं और दैत्यों को अलग-अलग बिठाया। फिर कलश लेकर बातों और अदाओं से दैत्यों को ठगते हुए उसने दूर बैठे देवताओं को जरा और मृत्यु को दूर करने वाला अमृत पान कराना शुरू किया तो राहु को उस पर संदेह हो गया। तब वह देवताओं का वेश बना उनकी पंक्ति में घुस गया और सूर्यचंद्र के बीच बैठ गया। जब मोहिनी सब देवताओं को क्रमश: अमृत पिलाती आई तब चंद्र और सूर्य ने राहु की उपस्थिति की सूचना भगवान को दी। पर उन्होंने अमृत पान करते हुए राहु का सिर चक्र से काट डाला। परंतु अमृत पान कर लेने के कारण उसका सिर और धडु अमर हो गए। ब्राम्हाजी ने उस राहु और केतु ग्रह बनाया, इसीलिए वे देवताओं के साथ रहने लगे। इसी बैर से राहू और केतु सूर्य चंद्रमा का अब तक पीछा करते हैं और उनको निगलने का प्रयास करते रहते हैं। इसी कारण सूर्य और चंद्र को ग्रहण लगता है।
सूर्य ग्रहण और उपाय
सामान्यत: ग्रहण काल की अवधि में किसी भी मंत्र का जाप करना शुभ रहता है। या फिर सूर्य ग्रहण में सूर्य के मंत्र का जाप किया जा सकता है। सभी कष्टों को दूर करने वाले मंत्र "महामृ्त्युंजय " मंत्र का जाप भी जाप करने वाले व्यक्ति को लाभ देगा।। इस अवधि में सूर्य उपासना विशेष रुप से की ही जाती है। सूर्य ग्रहण के समय निम्न मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायक रहेगा-
"ओम् त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनं, उर्वारुक्मिव बंधनात्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्"
इसके अलावा गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ होता है-
"ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्"
व सूर्य मंत्र जाप भी कल्याण करता है-
"ऊँ घृणि सूर्याय नम:"