श्रवण नक्षत्र का फल

श्रवण नक्षत्र का फल

आकाश मंडल में श्रवण नक्षत्र बाईसवें स्थान पर आता है। भचक्र में मकर राशि में 10 अंश से 23 अंश 20 कला तक का विस्तार इस नक्षत्र के अधिकार में आता है। श्रवण नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता विष्णु हैं और स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। इस नक्षत्र में 3 तारे माने गए हैं जो भगवान विष्णु के तीन पद चिन्ह हैं। यह ढपली की तरह दिखायी देता है। इस नक्षत्र का देवता विष्णु और लिंग स्री है। श्रवण नक्षत्र का अर्थ सुनना, ख्याति, कीर्ति से लिया जाता है। श्रवण का एक अन्य नाम अश्वत्थ या पीपल के वृक्ष से भी लिया जाता है। तैत्तिरीय उपनिषद में श्रावण को श्रोण भी कहते हैं।

यह विद्या ज्ञान का नक्षत्र है। वैदिक विचारों में ज्ञान ध्वनि द्वारा श्रवण करने से ही प्राप्त होता है। लेखन भी श्रवण का रूप ही है। वैदिक मान्यता है की अच्छा श्रोता ही अच्छा वक्ता होता है। सर्वातिशाय ज्ञान के प्रतीक चिन्ह तीन पग थली विष्णु के चरण है। इसका स्वामी चंद्र मानवीय श्रवण से ज्ञानार्जन का प्रतीक है।  विष्णु विश्व पालक, निर्वाहक इसके देवता है। इसका राशि स्वामी शनि, संचार सन्देश के प्रतीक है।  ये गुण जातक मे होते है। यह शुभ, सात्विक, बुद्धि कारक, पुरुष नक्षत्र है। इसकी जाति शूद्र, योनि वानर, योनि वैर छाग, देव गण, नाड़ी आदि है।  यह उत्तर दिशा का स्वामी है। इसका चिन्ह विष्णु के तीन पैर के प्रतिनिधी है।

शारीरिक गठन -

श्रवण नक्षत्र का जातक लम्बे पतले अथवा सामान्य कद के शरीर वाला होता है, चेहरे पर कोई चिन्ह या तिल का निशान हो सकता है, कई मामलों में जातक के कंधों के नीचे तिल पाया जाता है। नाक थोडी़ उठी हुई हो सकती है, दांत कुछ हल्के से बड़े और दांतों के मध्य में अन्तर भी हो सकता है। चेहरे की तुलना में सिर कुछ बडा़ हो सकता है।

व्यक्तित्व -

वेदो को श्रुति कहा गया है। उनका आदान प्रदान सुनने से ही होता है। इसलिए यह श्रुति का प्रतीक नक्षत्र है। चन्द्रमा के इस नक्षत्र और शनि की राशि मकर में उत्पन्न जातक बुद्धिमान, शिक्षित, मननशील, सतर्क, शंकालु, हास्यप्रिय, सुन्दर नेत्र एवं पतली कमर वाला, आलस्ययुक्त, अति सर्दी एवं अति गर्मी न सहन कर सकने वाला, अच्छी धारणा शक्ति वाला, सुन्दर एवं उदार पत्नी वाला, धनी, ज्योतिष, संगीत और गणित में रूचि रखने वाला, कठिन परिश्रम से धनार्जित करने वाला, सत्यनिष्ठ, संवेदनशील, धर्मपरायण, मातृ-पितृ भक्त, आत्माभिमानि, कुछ स्वार्थी प्रवृत्ति से युक्त तथा प्रत्येक कार्य को बहुत सोच विचार के बाद करने वाला तथा कभी-कभी दोष-दर्शी एवं कुछ जिद्दी स्वभाव के कारण घनिष्ठ मित्र को भी शत्रु बना बैठता है।

यह हर एक कार्य सफ़ाई व कुशलता से करते हैं। इनके जीवन के कुछ निश्चित सिद्धांत हैं। इनको स्वच्छता से रहना पसंद है व जो लोग साफ़-सफ़ाई से नहीं रहते उन्हें ये क़तई पसंद नहीं करते हैं। बेढंगे लोगों को देखकर उन्हें टोकने से भी ये संकोच नहीं करते। दूसरों की दुर्दशा देखकर इनका हृदय तुरंत पिघल जाता है। अतिथि-सत्कार करने में ये माहिर हैं और साफ़-सुथरा भोजन करना इनको अच्छा लगता है। ये धार्मिक और गुरु-भक्त भी हैं व “सत्यमेव जयते” के उसूलों पर चलते हैं। जिनकी आप मदद करते हैं, उनसे बदले में कुछ भी पाने की इच्छा नहीं रखते हैं, यानी निस्वार्थ भाव से सबकी सेवा करते हैं। लोगों से इनको धोखा व फ़रेब मिल सकता है। इनकी मुस्कान में एक ज़बरदस्त आकर्षण है इसलिए एक बार जिससे भी ये मुस्कुराकर मिल लेते हैं, वो आपका मुरीद हो जाता है। इनके जीवन में चाहे कितने ही उतार-चढ़ाव आएँ, ये सामान्य जीवन जीते रहेंगे। व्यक्तिगत या सामूहिक समस्याओं के समाधान के लिए ये लोगों की मदद करते हैं क्योंकि ये एक अच्छे सलाहकार भी हैं।

अगर ये कम पढ़े-लिखे हों तो भी इनकी प्रतिभा बहुमुखी रहेगी। एक ही समय में कई काम करने की योग्यता इनके अंदर मौजूद है। अगर किसी अधिकार या शक्तिशाली पद पर ये नियुक्त हों तो इनको काफ़ी लाभ मिलेगा। इनका ख़र्चा अधिक है क्योंकि ये बहुत सी ज़िम्मेदारियों के तले दबे हुए हैं, इसलिए आर्थिक कष्ट भी इनको रह सकता है। इनमें सेवा भाव अधिक है, इसलिए यह माता-पिता के भक्त होते हैं। इनके व्यवहार में सभ्यता और सदाचार साफ़ दिखाई देता है। निजी जीवन में ये विश्वासपात्र समझे जाते हैं क्योंकि अनजाने में भी ये किसी के विश्वास को तोड़ना नहीं चाहते। ईश्वर में इनकी गहरी आस्था है और आप सत्य की तलाश में लगे रहते हैं। पूजा-पाठ एवं अध्यात्म के क्षेत्र में भी ये काफ़ी नाम कमा सकते हैं और इस माध्यम से काफ़ी धन प्राप्त कर सकते हैं। इनके चरित्र की यह विशेषता है कि ये कोई भी कार्य सोच समझकर करते हैं, इसलिए सामान्यत: कोई ग़लत कार्य नहीं करते हैं। इनकी मानसिक क्षमता काफ़ी अच्छी है, इसलिए ये पढ़ाई में अच्छे हैं। इनके अंदर सहनशीलता व स्वाभिमान भरा हुआ है। ये साहसी और बहादुर भी हैं। किसी भी बात को ये मन में नहीं रखते, जो भी इनको महसूस होता है या उचित लगता है उसे ये मुंह पर बोल देतें हैं, यानी ये स्पष्टवादी होते हैं। आजीविका की दृष्टि से नौकरी और व्यवसाय दोनों ही इनके लिए लाभप्रद और उपयुक्त हैं। इन दोनों में से जिस क्षेत्र में ये जायेंगे उसी में इनको तरक़्क़ी और क़ामयाबी हासिल होंगी।

व्यवसाय -

श्रावण नक्षत्र में जन्मे जातक नौकरी और व्यापार दोनों में ही अनुकूल सफलता पाते हैं। वे सफलतापूर्वक इनमें अच्छी कमाई कर सकते हैं, ये लोग चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग, शिक्षा और कला में रूचि रखते हैं, इसलिए श्रवण नक्षत्र का जातक अध्यापन और प्रशिक्षक के काम बहुत अच्छे से कर सकता है, शोधकर्ता, शिक्षण संस्थान के काम, भाषाविद, अनुवादक, दुभाषिये, कथा वाचक, विदूषक और गीत संगीत से जुड़े काम इस नक्षत्र में आते हैं। 30 वर्ष की आयु से इनके जीवन में परिवर्तन आना शुरू होगा। 30 से 45 वर्ष की आयु के बीच जीवन में पूर्ण स्थिरता आएगी। ये मशीनी या तकनीकी कार्य, इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम व तैल से जुड़े कार्य, अध्यापक, प्रशिक्षक, उपदेशक, शोधकर्ता, अनुवादक, कथा वाचक, गीत, संगीत व फिल्मों से जुड़े कार्य, टेलीफ़ोन ऑपरेटर, समाचार वाचक, रेडियो व दूरदर्शन से जुड़े कार्य, सलाहकार, मनोचिकित्सक, ट्रैवल एजेंट, पर्यटन व परिवहन से जुड़े कार्य, होटल या रेस्त्राँ कर्मचारी, समाजसेवा से जुड़े कार्य, चिकित्सा के काम, डाक्टर, अस्पताल के कर्मचारी, दान संस्थान, आध्यात्मिक संस्थान, औषधि निर्माता एवं विक्रेता के काम आदि करके जीवनयापन कर सकते हैं।

पारिवारिक जीवन -

परिवार में ये सब को साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं, परिवार में प्रेम और समर्पण का भाव बना होता है। इनका स्वामित्व अच्छा होता है और नेतृत्व करने की बेहतर क्षमता भी होती है। दांपत्य जीवन में स्थिति संतोषप्रद रहती है और बच्चों से भी इनको काफ़ी सुख प्राप्त होता  है तथा इनकी संतान उच्च शिक्षा प्राप्त करती है। ऐसा जातक धर्म-कर्म को करने वाला व्यक्ति होता है और समाजिक दायरे में स्वयं को लेकर चलने की कोशिश भी करता है।

 

स्वास्थ्य -

यह भचक्र का बाईसवाँ नक्षत्र है और चंद्रमा इसका स्वामी है। इस नक्षत्र के अन्तर्गत घुटने, लसीका वाहिनियाँ तथा त्वचा आती है। इसके साथ ही कान और प्रजनन अंग का संबंध भी इसी नक्षत्र से माना जाता है। इस नक्षत्र में पाप प्रभाव होने से व्यक्ति की चाल में भी दोष दिखाई दे सकता है। जातक की चाल में लंगडा़पन आ सकता है। इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर श्रवण नक्षत्र से प्रभावित अंगों से संबंधित रोग होने की संभावना बनती है।

सकारात्मक पक्ष :-

श्रवण नक्षत्र के जातक बुद्धिमान होते हैं तथा ये जातक अपनी बुद्धिमता का प्रयोग करके जीवन के अनेक क्षेत्रों में सफलता अर्जित करते हैं। श्रवण नक्षत्र में जन्म होने से जातक कृतज्ञ, सुंदर, दाता, सर्वगुण संपन्न, लक्ष्मीवान, धनवान और विख्यात होता है। ऐसे जातक के बहुत से मित्र बनाते हैं और बहुत सी समूह गतिविधियों में हिस्सा भी लेते हैं। व्यापार में क्रय- विक्रय से लाभ उठाने वाला, भूमि संबंधी कार्यों में निपुण एवं धार्मिक कार्यों में उत्साह दिखाने वाला होता है। ये प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, तेल, पेट्रोलियम से संबंधित व्यवसाय भी अच्छी तरह से कर सकते हैं।

नकारात्मक पक्ष :-

यदि शनि और चंद्र की स्थिति ठीक नहीं है तो ऐसा जातक क्रोधी, कंजूस, मननशील, सावधान रहने वाला कुछ-कुछ भय-शंकित रहने वाला, लापरवाह, आलसी होता है। शनि और चंद्र कुंडली में एक ही जगह है, तो संपूर्ण जीवन संघर्षमय रहता है। ऐसे में हनुमानजी की शरण में रहना ही बेहतर है। शराब, मांस आदि व्यसनों से दूर रहना जरूरी है।

श्रवण नक्षत्र वैदिक मंत्र -

ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो

   धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: ।

 

उपाय -

श्रवण नक्षत्र के जातक के लिए भगवान विष्णु की पूजा करना शुभफलदायक होता है।

गायत्री मंत्र जाप भी इनके लिए लाभकारी होती है।

श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा जब गोचर कर रहा हो तो उक्त समय पर भगवान विष्णु के दशावतार पूजन और स्मरण का विशेष महत्व होता है। इस इस नक्षत्र के जातक के लिए सफेद और हल्के नीले रंगों का उपयोग अच्छा माना जाता है। 

मोती को चांदी में जड़वा कर भी धारण किया जा सकता है। 

बृहस्पति के मंत्र जाप अनुकूल फल देने वाले होते हैं।

अन्य तथ्य -

  • नक्षत्र - श्रवण
  • राशि - मकर
  • वश्य - चतुष्पद-1,जलचर-3
  • योनी - वानर
  • महावैर - मेढा़
  • गण - देव
  • नाड़ी - अन्त्य
  • तत्व - पृथ्वी
  • स्वभाव(संज्ञा) - क्षिप्र
  • नक्षत्र देवता - विष्णु
  • पंचशला वेध - कृतिका
  • प्रतीक - कान, श्रुति
  • रंग - हलका नीला
  • अक्षर - क
  • वृक्ष - अकवन
  • नक्षत्र स्वामी - चंद्र
  • राशि स्वामी - शनि
  • देवता - विष्णु और सरस्वती
  • शारीरिक गठन - गठीला बदन, सुंदर चेहरा
  • भौतिक सुख - भूमि और भवन का मालिक

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