रेवती नक्षत्र का फल

रेवती नक्षत्र का फल

नक्षत्र मण्डल में रेवती नक्षत्र को 27वें नक्षत्र का स्थान प्राप्त है। यह नक्षत्रों में सबसे अंत में आता है, रेवती नक्षत्र 32 तारों के समूह से मिलकर बनता है जो दिखने में एक ढोल या मछली के जोड़े की तरह दिखायी देता है। रेवती मीन राशि में 16 अंश 40 कला से 30 अंश तक के विस्तार क्षेत्र में आता है। रेवती का अर्थ धनी और जानी मानी प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता है, तो कुछ विद्वानों के अनुसार इसे शुभ परिवर्तन लाने वाला नक्षत्र भी कहा जाता है। इस राशि के स्वामी बृहस्पति हैं और नक्षत्रपति बुध हैं। रेवती के अधिष्ठाता देवता पुष्पन और लिंग स्री है। इस नक्षत्र के जातक पर गुरु और बुध दोनों का प्रभाव अधिक होता है। गुरु और बुध दोनों मित्र संबंध नहीं रखते है, इसलिए बुध महादशा के फल देखने के लिए इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति की कुंडली में गुरु और बुध की तात्कालिक स्थिति देखी जाती है।

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रेवती नक्षत्र के देवता पूषा या पूषन 11 वें आदित्य है। ये समागम के देवता, यात्रा, मार्ग, विवाह, और जंगली जानवरों से सुरक्षा और मनुष्य को शोषण से मुक्ति देने वाले देवता माने जाते है। पूषा गतिविधि के प्रतीक, मनुष्य के फलने-फूलने के कारक हैं। ऋग्वेद की 8 ऋचाओं में इनका वर्णन है, यह पोषक व रक्षक नक्षत्र माना जाता है। मुहूर्त ज्योतिष अनुसार यह एक मीठा और नाजुक होने से संगीत, आभूषण का नक्षत्र है। यह यात्रा और पुनर्जन्म का कारक है। जातक का प्रारम्भिक जीवन निराश और कष्टमय होता है इसलिये वे धैर्यवान होते है। बाल्यावस्था के रोग होते है। जातक जल प्रिय, जलीय वस्तुओ से लाभ प्राप्त करने वाला, अटूट ईश्वर भक्त होता है। यह शुभ, सात्विक, स्त्री नक्षत्र है। इसकी जाति शूद्र, योनि गज, योनि वैर सिंह, देव गण, नाड़ी आदि है। यह पूर्व दिशा का स्वामी है।

रेवती नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व -

यदि आपका जन्म बुध के नक्षत्र एवं गुरु की राशि मीन में हुआ है तो आप पुष्ट अंगों वाले, गुणवान, कुशाग्रबुद्धि, तर्क-वितर्क व परामर्श देने में कुशल, मित्रों एवं कुटुम्ब से युक्त, धनवान, बुद्धिमान, विद्वान और दूरदर्शी होते हैं। आप मधुरभाषी, व्यवहार-कुशल और स्वतंत्र प्रवृत्ति के हैं। बिना बात के दूसरों के काम में टांग अड़ाना आपको पसंद नहीं है और न ही आप चाहते हैं कि कोई दूसरा आपके काम में दख़लअंदाज़ी करे। जब कोई आपको आपके उसूलों से डिगाने की कोशिश करता है तो कभी-कभी आपका स्वभाव उग्र हो जाता है। वैसे आप बहुत सिद्धांत-प्रिय हैं। परिस्थितियों के अनुसार आपमें दूसरों से व्यवहार करने का कौशल है। आप परिवार से जुड़े हुए व्यक्ति हैं जो दूसरों की मदद के लिए सदा तैयार रहते हैं। आपके जीवनकाल में विदेश यात्राओं की संभावनाएं प्रबल हैं।

आप सिद्धांतों और नैतिकता पर चलने वाले व्यक्ति हैं जो सबसे अधिक अपनी आत्मा की सुनना और उसी पर चलना भी पसंद करता है। आप किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले सभी तथ्यों के बारे में जान लेना आवश्यक समझते हैं, और निर्णय लेने के उपरान्त बदलते नहीं हैं। आप दिल से साफ़ और ईमानदार हैं। आप लंबे समय तक किसी बात को गुप्त नहीं रख पाते। आँख मूँदकर आप किसी पर विश्वास नहीं करते परन्तु जब एक बार आप किसी पर विश्वास कर लेते हैं तो फिर उससे पक्की मित्रता निभाते हैं। कुछ भी हो जाये, अपनी अंतरात्मा के अनुसार आचरण करना आपकी आदत है। आपका स्वभाव अत्यंत धार्मिक है और इसी वजह से कभी-कभी आप घोर अंधविश्वासी भी बन जाते हैं। प्राचीन संस्कृतियों एवं इतिहास में आपकी गहन रुचि है। खगोल शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र में भी आपकी गहरी पैठ है। आपमें काव्य प्रतिभा भी है और परंपरावादी होने के बावजूद आप वैज्ञानिक समाधानों एवं शोधों में लगे रहते हैं। दूसरों की बातों को आप जल्दी स्वीकार नहीं करते हैं। मान्यताओं के प्रति जहाँ आप दृढ़ निश्चयी हैं वहीं व्यवहार में लचीले भी हैं अर्थात अपना काम निकालने के लिए आप नरम रुख़ अपनाते हैं। अपने व्यक्तित्व की इसी विशेषता के कारण आप क़ामयाबी की राह पर आगे बढ़ते हैं।

आप अपने स्वतंत्र विचारों और स्वभाव के कारण अपने कार्यों में किसी का हस्तक्षेप आपको कतई पसंद नहीं है और न ही आप किसी क्षेत्र में स्थिर होकर कर कार्य कर पाते हैं। अपने बदलते कार्यक्षेत्रों के कारण आपको अपने परिवार से भी दूर रहना पड़ता है। अपने कार्यों के प्रति निष्ठा और परिश्रम के कारण आप करियर की ऊँचाईयों तक पहुंचाते हैं। आप चतुर व होशियार हैं और आपकी बुद्धि प्रखर है। आपकी शिक्षा का स्तर ऊँचा है। अपनी बुद्धि के बल पर आप किसी भी काम को तेज़ी-से सम्पन्न कर लेते हैं। आपमें निर्णय-क्षमता अद्भुत है। आप विद्वान हैं व आपकी वाणी में हमेशा मधुरता रहती है। दूसरों के साथ आपका व्यवहार अच्छा है और आप अच्छे मित्र हैं। जीवन की सभी बाधाओं को पार कर आप सदैव आगे बढ़ने की चेष्टा करते हैं।

कार्य-व्यवसाय -

नौकरी के प्रति आपका विशेष लगाव है यानी आप नौकरी करना पसंद करेंगे। अपनी मेहनत, बुद्धि एवं लगन से आप नौकरी में उच्च पद को प्राप्त करेंगे। हालाँकि व्यावसायिक रूप से आप क़ामयाब रहेंगे। रेवती नक्षत्र में जन्मे जातक को वैज्ञानिक अनुसंधान, ऐतिहासिक खोजों और प्राचीन संस्कृति की जानकारी प्राप्त करना पसंद होता है। ऐसे में इनके लिए यह क्षेत्र कार्य हेतु अधिक फ़ायदेमंद होता है, ज्योतिष एवं खगोल शास्त्र से जुड़े काम भी इन्हें पसंद आते हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में काम कर सकता है। अपने प्रयासों द्वारा ही जातक को अनुकूल सफलता प्राप्त होती है। इस के साथ ही, कला से संबंधित क्षेत्र में आपको बेहतर सफलता के योग मिल सकते हैं।  आप कलाकार, चित्रकार, सम्मोहनकर्ता, अभिनेता, संगीतज्ञ, जादूगर, घड़ियों से जुड़े कार्य, भवन निर्माण से जुड़े काम, कैलेंडर या पंचांग निर्माता, ज्योतिषी, एयर हॉस्टेस, रत्नों के व्यापारी, जल परिवहन से जुड़े कार्य, अनाथाश्रम से जुड़े कार्य, धार्मिक संस्थाओं के संचालक, यातायात नियंत्रण व पुलिस विभाग, बिजली विभाग से जुड़े कार्य, सड़क सुरक्षाकर्मी आदि करके सफल हो सकते हैं।

पारिवारिक जीवन -

आपको परिवार के प्रति विशेष मोह रहता है। पर आप अपनी भावना को जता नहीं पाते, आप अपने जन्म स्थान से दूर ही रहते हैं। अपने सगे सम्बन्धियों से आपको अधिक सहायता नहीं मिल पाती है। पिता की ओर से भी आप अधिक मदद प्राप्त नहीं कर पाते हैं। घर-परिवार में कलह का वातावरण उत्पन्न रह सकता है, लोगों से इनके छोटी-छोटी बातों पे मतभेद हो सकते है। इसी कारण आपके अपने आस-पास के लोगों से संबंध अधिक मधुर नहीं रह पाते। आपका वैवाहिक जीवन प्राय: सुखी बीतेगा। जीवनसाथी से अच्छा तालमेल रहेगा। जीवन साथी आपके समक्ष सामंजस्यता और स्नेह पूर्ण व्यवहार रखता है। बच्चों से भी आपको भरपूर सुख मिलता है, परन्तु मुमकिन है कि पिता से ज़्यादा सहायता न मिले। आपका जीवनसाथी कुछ हठीले स्वभाव का हो सकता है, लेकिन वह ईश्वरभक्त होगा व रीति-रिवाज़ों का पूर्ण रूप से पालन करेगा।

स्वास्थ्य -

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यह भचक्र का सत्ताईसवाँ व अंतिम नक्षत्र है और इसका स्वामी ग्रह बुध है। इस नक्षत्र के अधिकार में पंजे व पैर की अंगुलियाँ आती हैं। इसके साथ ही पेट से संबंधित रोग, जंघा तथा घुटने का संबंध भी इस नक्षत्र में आता है। इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इन अंगों से जुड़ी बीमारियां हो सकती है। इस नक्षत्र को कफ संबंधी प्रकृति का माना जाता है, जिसके चलते जातक पर मौसमी बिमारियों का प्रभाव जल्दी ही पड़ जाता है।

रेवती नक्षत्र वैदिक मंत्र -

ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन ।

 स्तोतारस्तेइहस्मसि । ॐ पूषणे नम: ।

उपाय -

रेवती नक्षत्र के जातक के लिए भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करना अनुकूल माना जाता है। 

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ श्रवण एवं पठन शुभता प्रदान करने वाला होता है। 

जातक यदि चंद्रमा के रेवती नक्षत्र पर गोचर के समय "ऊँ लं" "ऊँ क्षं" "ऊँ ऎं" मंत्रों का जाप करे, तो यह उसके लिए सकारात्मक और सफलता देने वाला हो सकता है। 

इस नक्षत्र के जातक के लिए हल्का नीला रंग, हरा अथवा मिले जुले रंगों का उपयोग करना भी अच्छा होता है।

गुरुवार के दिन बृहस्पति से संबंधित चीजों का दान करें।

पीले पुष्प, पीला वस्त्र, शक्कर, घोड़ा (लकड़ी या खिलौना घोड़ा), चने की दाल, हल्दी, ताजे फल, नमक, स्वर्णपत्र, कांस्य आदि का दान करें।

अन्य तथ्य -

  • नक्षत्र - रेवती
  • राशि - मीन
  • वश्य - जलचर
  • योनि - गज
  • महावैर - सिंह                                                  
  • राशि स्वामी - गुरु
  • गण - देव
  • नाड़ी - अन्त्य
  • तत्व - जल
  • स्वभाव(संज्ञा) - मृदु
  • नक्षत्र देवता - पूषा
  • पंचशला वेध - उतरा फाल्गुनी