मृगशिरा नक्षत्र का फल

मृगशिरा नक्षत्र का फल

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। यह हिरन के सर की तरह दिखायी देता है। इस नक्षत्र के देवता सोमा और लिंग स्री है। 27 नक्षत्रों में मृगशिरा नक्षत्र पांचवें स्थान पर आता है। मृगशिरा नक्षत्र में तीन तारों से हिरण के सिर के समान आकार बनता है, इसलिए वेदों में इसे मृगशीर्ष कहा जाता है। सरल शब्दों में उसे हिरनी या खटोला भी कहा जाता है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल हैं और देवता चंद्रमा है। यह नक्षत्र वृष राशि में 23 अंश 20 कला से मिथुन राशि के 6 अंश 40 कला तक होता है। तारों से भरे आकाश में मृगशिरा नक्षत्र को ढूंढने के लिए मृगशिरा नक्षत्र के चारों ओर चार प्रकाशवान तारों को ढूंढना होगा। इनके बी़च में 3 तारे एक-दूसरे की सीध में होते हैं, इसे व्याघ्र का तीर भी कहा जाता है। व्याघ्र का तारा बहुत नीचे हटकर अतिप्रकाशवान है, इसी से इसे पहचाना जा सकता है। इस नक्षत्र का आकार हिरण के समान होता है।

मृगशिरा नक्षत्र का अधिपति ग्रह मंगल को माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र के पहले दो चरण वृषभ राशि में स्थित होते हैं और शेष 2 चरण मिथुन राशि में स्थित होते हैं, जिसके कारण इस नक्षत्र पर वृषभ राशि तथा इसके स्वामी ग्रह शुक्र एवं मिथुन राशि तथा इसके स्वामी ग्रह बुध का प्रभाव भी रहता है। इस तरह इस नक्षत्र में जन्मे जातक पर मंगल, बुध और शुक्र का प्रभाव जीवनभर बना रहता है। यह खोजी या अन्वेषक नक्षत्र है। इसका जातक हमेशा खोज करता या निहारता रहता है। एक के बाद दूसरी वस्तु के संग्रह में व्यस्त रहते हैं, इनकी खोज या खरीदी कभी समाप्त नही होती है। ये मृग के सामान शांत, भद्र, नाजुक कबूतर के सामान आँखों वाले होते हैं।

मृगशिरा नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व -

मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल होता है। जो व्यक्ति मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेते हैं उनपर मंगल का प्रभाव देखा जाता है यही कारण है कि इस नक्षत्र के जातक दृढ़ निश्चयी होते हैं। ये स्थायी काम करना पसंद करते हैं, ये जो काम करते हैं उसमें हिम्मत और लगन पूर्वक जुटे रहते हैं। ये आकर्षक व्यक्तित्व और रूप के स्वामी होते हैं। ये हमेशा सावधान एवं सचेत रहते हैं। ये सदा उर्जा से भरे रहते हैं, इनका हृदय निर्मल और पवित्र होता है। अगर कोई इनके साथ छल करता है तो ये धोखा देने वाले को सबक सिखाये बिना दम नहीं लेते। ये ‘‘खोजी’’ प्रवृति के होते हैं, क्योंकि ये जिज्ञासा-प्रधान स्वभाव के हैं। आध्यात्मिक, मानसिक या भावनात्मक स्तर पर नित नयी खोज और अनुभव पाने के लिए ये हमेशा तैयार रहते हैं। अपने ज्ञान व अनुभव को बढ़ाना ही इनका एकमात्र लक्ष्य है। ये तीक्ष्ण बुद्धि और विविध विषयों को शीघ्र समझने वाले हैं। इनका व्यवहार विनम्र, शिष्ट, हँसमुख, मिलनसार व उत्साही है। इनका मन और मस्तिष्क निरंतर क्रियाशील रहता है तथा नए-नए विचार सदैव आपके मन में आते रहते हैं। इनको लोगों से मिलना और उनकी मदद करना सुख व संतोष देता है। सिद्धांतवादी और साधारण जीवन जीना आपको बहुत भाता है और इनके विचार भी निष्पक्ष और निष्कपट होते हैं।

इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है लोग इनसे मित्रता करना पसंद करते हैं। ये मानसिक तौर पर बुद्धिमान होते और शारीरिक तौर पर तंदरूस्त होते हैं। बातचीत में ये बेहद कुशल हैं और इनमें गायक और कवि के गुण भी भरपूर मात्रा में हैं। व्यंग्य और हँसी-मज़ाक़ करने में भी आप पीछे नहीं हैं। तक़रार, मतभेद या वाद-विवाद से ये अक्सर बचा करते हैं, इसी कारण से कुछ लोग आपको दब्बू समझने की भूल कर बैठते हैं। सच तो यह है की ये जीवन का भरपूर आनंद उठाना चाहते हैं और बेकार की बहस या निरर्थक बातों को कोई महत्व नहीं देते हैं। इनके स्वभाव में मौजूद उतावलेपन के कारण कई बार इनका बनता हुआ काम बिगड़ जाता है या फिर आशा के अनुरूप इन्हें परिणाम नहीं मिल पाता है। प्यार और सहयोग को ही ये सुख व सफलता की कुंजी मानते हैं। ये तर्क-प्रधान हैं और हर चीज़ का बारीकी से विश्लेषण करते हैं। अपनी मान्यताओं व विचारों पर ये दृढ़ विश्वास करते हैं। ये दूसरों से अच्छा व्यवहार करते हैं और चाहते हैं कि दूसरे लोग भी आपसे ऐसा ही व्यवहार करें, परंतु अक्सर ऐसा होता नहीं है। इनको अपने मित्रों, भागीदारों और सम्बन्धियों से व्यवहार करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि अक्सर लोगों से इनको धोखा ही मिलता है। इनमें नेतृत्व या पहल करने और समस्याओं से निपटने की विशेष योग्यता है।

कार्य-व्यवसाय -

मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को संगीत और कला विषयों का शौक हो सकता है। ये अपने इस शौक से गहराई से जुडे होते है। समय मिलते ही अपने इस शौक को पूरा करने का प्रयास भी करते है। इस क्षेत्र में सक्रिय रुप से भाग लेने पर धन और यश भी पाते हैं। अपने शौक पूरे करने के लिए ये कुछ यात्राएं भी करते हैं और पर्यटन में रुचि इनके जीवन का मुख्य अंग हो सकता है। आप अच्छे गायक व संगीतज्ञ, चित्रकार, कवि, भाषाविद, रोमांटिक उपन्यासकार, लेखक या विचारक साबित हो सकते हैं। भूमि-भवन, सड़क या पुल-निर्माण, यंत्र व उपकरण निर्माण, कपड़ा या वस्त्र उद्योग से जुड़े विभिन्न कार्य, फ़ैशन डिज़ाइनिंग, पशुपालन या पशुओं से जुड़ी वस्तुओं को बेचना, पर्यटन विभाग, कोई खोज कार्य, भौतिकी, खगोल या ज्योतिष शास्त्र का अध्यापन व प्रशिक्षण कार्य, क्लर्क, प्रवचनकर्ता, संवाददाता, शल्य चिकित्सक, सेना या पुलिस विभाग की सर्विस, ड्राइवर, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिक, मैकेनिकल या इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग सम्बन्धी कार्य करके अपना जीवनयापन कर सकते हैं। ये धन सम्पत्ति का संग्रह करने के शौकीन होते हैं। इनके अंदर आत्म गौरव भरा रहता है। ये सांसारिक सुखों का उपभोग करने वाले होते हैं। लेकिन ये जातक कार्यो में बार-बार परिवर्तन करना पसंद नहीं करते। फिर वह व्यापारिक क्षेत्र हो या फिर नौकरी एक बार जिस क्षेत्र से जुड़ जाते हैं उसी में पहचान बनाने में लगे रहते हैं। स्वभाव से दृ्ढ निश्चयी होने के कारण इनके जीवन लक्ष्य भी शीघ्र बदलने वाले नहीं होते। जीवन में क्या करना है और कैसे करना है इस बारे में किसी प्रकार की कोई ग़लतफहमी नहीं होती है।

पारिवारिक जीवन -

मृगशिरा नक्षत्र के जातकों के पारिवारिक जीवन में अनुकूलता धीरे-धीरे आयेगी–यदि पति-पत्नी एक दूसरे के दोष व दुर्बलताओं की अनदेखी करना सीख लें तो ये शिव-पार्वती की तरह श्रेष्ठ युगल साबित हो सकते हैं। 32 वर्ष की आयु तक इनको जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उसके बाद से जीवन में स्थिरता व संतोष की स्थिति आ जायेगी और 33 वर्ष से 50 वर्ष की आयु का समय इनके लिए सफल व अनुकूल साबित होगा। भाग्य का ही प्रभाव उस पर रहता है। इनका दांपत्य जीवन सामान्यत: सुखी बीतेगा, लेकिन पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ रह सकती हैं। लेकिन दांपत्य जीवन में एक दूसरे से श्रेष्ठ होने की स्थिति अलगाव और तनाव ला सकती है। जातक विवाह पश्चात भी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत रह सकता है। दाम्पत्य जीवन का पूर्ण सुख लेने के लिए इनको हठी और संशयपूर्ण स्वभाव से हमेशा बचना चाहिए।

स्वास्थ्य -

मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल है। इस नक्षत्र के पहले व दूसरे चरण में ठोढ़ी, गाल, स्वरयंत्र, तालु, रक्त वाहिनियाँ, टांसिल, ग्रीवा की नसें आती हैं। तीसरे व चौथे चरण में गला आता है और गले की आवाज़ आती है। बाजु व कंधे आते हैं, कान आता है। ऊपरी पसलियाँ आती हैं। नेत्रों के ऊपर भौहें भी इसी के क्षेत्र में आती हैं। इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इन अंगों से संबंधित समस्या से जूझना पड़ता है। इस नक्षत्र में मंगल की ऊर्जा होने से इस नक्षत्र का संबंध पित्त दोष से भी होता है।

नकारात्मक पक्ष :-

यदि शुक्र, मंगल और बुध में से किसी की भी स्थिति अच्छी नहीं है तो जातक मानसिक रूप से असंतुष्ट, चपल-चंचल, शंकालु, डरपोक, क्रोधी, परस्त्रीगमन करने वाला होगा। ऐसे व्यक्तित्व से सभी तरह के सुख जाते रहेंगे। इस नक्षत्र के व्यक्ति अपने कर्मों से 33 साल की अवधि तक जीवन को जटिल बना लेते हैं।

सकारात्मक पक्ष :-

समाज प्रिय, अपने कार्य में दक्ष, संगीत-प्रेमी, सफल व्यवसायी, अन्वेषक, अल्प-व्यवहारी, परोपकारी, नेतृत्व क्षमताशील होता है।

मृगशिरा नक्षत्र वेद मंत्र -

ॐ सोमधेनु गवं सोमाअवन्तुमाशु गवं सोमोवीर: कर्मणयन्ददाति।

यदत्यविदध्य गवं सभेयम्पितृ श्रवणयोम । ॐ चन्द्रमसे नम:।।

उपाय -

मृगशिरा नक्षत्र के जातक के लिए माता पार्वती जी की उपासना करना बहुत उत्तम होता है। माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से अरिष्ट मुक्ति होती है। जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

मार्गशीर्ष माह में चंद्रमा का मृगशिरा नक्षत्र में भ्रमण करने पर मृगशिरा नक्षत्र से संबंधित उपाय उत्तम फल देते हैं।

मंगल के मंत्र जाप करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

अन्य तथ्य -

  • नक्षत्र - मृगशिरा
  • राशि - वृषभ-2, मिथुन-2
  • वश्य - चतुष्पद-2, नर-2
  • योनी - सर्प
  • महावैर - न्योला
  • राशि स्वामी - शुक्र -2, बुध- 2
  • गण - देव
  • नाडी़ - मध्य
  • तत्व - पृथ्वी-2, वायु-2
  • स्वभाव(संज्ञा) - मृदु
  • नक्षत्र देवता - चंद्रमा
  • पंचशला वेध – उत्तराषाढा़